देवगिरि के यादव (Yadav of Devagiri)
इस परिवार का पहला व्यक्ति दृधप्रहार था। उनके पुत्र सेउनाचंद्र I ने सर्वप्रथम परिवार के लिए सामंतों का स्तर प्राप्त किया था। उनके महत्त्व को इस बात से समझा जा सकता है कि यादवों के राज्य को सेउना-देश के नाम से जाना गया। भील्लम II के समय राष्ट्रकूट राज्य में पश्चिमी चालुक्यों ने नष्ट कर दिया। उनके बाद वेसुंगी, भील्लाम III, के भील्लाम IV, सेउनाचन्द II, सिम्हराज, मल्लुजी तथा भील्लाम V आए।
भील्लाम V (Bhillam V)
- जब भील्लाम V गद्दी पर आए तो चालुक्य शक्ति का पतन हो रहा था।
- यादवों ने इस स्थिति का फायदा उठा अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी।
- भील्लाम ने इस तरह जिस यादव साम्राज्य की नींव रखी वह लगभग एक शताब्दी तक चली।
जैतुगी (Jaitugi)
- इन्होंने अपनी दक्षिणी सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए काकातियों की उभरती शक्ति पर आक्रमण किया।
- काकातिया राजा रुद्र इसमें मारा गया तथा उसके भतीजे गणपति को बन्दी बना लिया गया। जैतुगी ने गणपति को गद्दी पर बिठाया।
- जैतुगी मात्र एक सैनिक नहीं था बल्कि एक विद्वान भी था। महान खगोलशास्त्री भास्कराचार्य का पुत्र लक्ष्मीधर इनका मुख्य दरबारी कवि था।
सिम्हन (Simhan)
- यह पूरे परिवार का सबसे शक्तिशाली राजा था।
- इन्होंने परमार राजा अर्जुनवर्मण को पराजित कर उसे मौत के घाट उतार दिया।
- इस तरह यादव राज्य अपने पराक्रम तथा वैभव के शीर्ष पर पहुंच गया।
- होयशाल, काकातिया, परमार तथा चालुक्य में से किसी ने उनकी स्थिति को चुनौती देने की हिम्मत नहीं की।
- सिम्हन एक योद्धा के साथ-साथ संगीत तथा साहित्य में रुचि रखने वाला व्यक्ति था।
- संगीत पर बहुत ही महत्त्वपूर्ण कार्य, सारंगदेव का संगीतरत्नाकर इनके दरबार में लिखा गया था।
- अनन्तदेव तथा चांगदेव इनके दरबार के दो प्रसिद्ध खगोलशास्त्री थे।
- चांगदेव ने अपने दादा भास्कराचार्य की याद में खानदेश के पटाना में एक खगोलीय महाविद्यालय की स्थापना की थी।
- अनन्तदेव ने ब्रह्मगुप्त के ब्रह्मस्फूत सिद्धान्त तथा वराहमिहिर के वृहद जातक पर टिप्पणियां लिखी थीं।
कृष्ण (Krishna)
- इनके शासनकाल में वेदान्तकल्पतरु, जो कि भामती पर टिप्पणी (जो खुद शंकराचार्य के वेदांतसूत्रभाष्य पर टिप्पणी लिखी गई थी) है।
महादेव (Mahadev)
- इन्होंने काकातिया राजा रुद्रंब को पराजित किया परन्तु उन्हें जीवनदान दिया।
- हेमादी, जो एक महत्त्वपूर्ण स्मृति लेखक था, महादेव का एक महत्त्वपूर्ण अधिकारी था।
- इन्होंने अपने व्रतखांदा की रचना महादेव के शासनकाल में की।
रामचन्द्र (Ram Chandra)
- रामचन्द्र के शासन के अन्तिम दो दशक बहुत विनाशकारी थे जिसमें यह राजवंश ही समाप्त हो गया।
- प्रारंभ में 1296 में अलाउद्दीन खिलजी ने देवगिरी पर आक्रमण कर रामचन्द्र को शान्ति के लिए बाध्य कर दिया।
- यद्यपि रामचन्द्र अपना राज्य बचा पाने में सफल रहा परन्तु अपनी स्वतंत्रता खो बैठा।
- रामचन्द्र ने 1303-04 तक अलाउद्दीन को कर भेजना जारी रखा।
शंकरदेव (Shankardev)
- विदेशी शासन के खिलाफ रहे तथा गद्दी पर आते ही पुन: अलाउद्दीन को चुनौती दे बैठे।
- अलाउद्दीन ने फिर से काफूर को भेजा जिन्होंने शंकरदेव को मारकर यादव राज्य पर कब्जा कर लिया।
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