वाक्य
सार्थक शब्द या शब्दों का वह समूह जिससे वक्ता का भाव स्पष्ट हो जाए, वाक्य कहलाता है।
वाक्य के दो अंग होते है:
1. उद्देश्य :- वाक्य में जिसके विषय में कुछ कहा जाए, उसे उद्देश्य कहते हैं।
जैसे – बच्चे खेल रहे हैं, पक्षी डाल पर बैठा है।
इन वाक्यों में बच्चे और पक्षी के विषय में कुछ कहा गया हैं। अतः ये शब्द उद्देश्य हैं।
2. विधेय :- उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाए, उसे विधेय कहते हैं। उपर के वाक्यों में “खेल रहे हैं” और “डाल पर बैठा है” विधेय है।
संरचना की दृष्टि से वाक्य तीन प्रकार के होते हैं:
1. सरल वाक्य :- जिस वाक्य में केवल एक उद्देश्य और एक विधेय हो, उसे सरल वाक्य कहते है।
जैसे –
- राम ने रावण को मारा।
- आशा अच्छा गाती है।
- परिश्रमी बालक सफल होते हैं।
उपर के वाक्यों में राम, आशा और परिश्रमी बालक उद्देश्य है और वाक्यों के शेष भागों का विधेय कहते है।
2. मिश्रित वाक्य :- जिस वाक्य में एक उपवाक्य प्रधान होता है और दूसरा उपवाक्य उस पर आश्रित होता है, उसे मिश्रित वाक्य कहते हैं।
जैसे –
- जब मै घर से निकला तब वर्षा हो रही थी।
- यदि तुम आओगे तो हम भी चलेगे।
- वह काम हो गया है जिसे करने के लिए आपने कहा था।
मिश्रित वाक्यों की मुख्य पहचान यह है कि उनमें जब, तब, जो, जितना, जहाँ, जैसा, कैसा, यदि, क्योंकि आदि योजक अव्ययों में से किसी एक का प्रयोग किया जाता है।
3. संयुक्त वाक्य :- जिस बडे वाक्य में दो या दो से अधिक सरल वाक्य जुड़े हुए हो, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं। संयुक्त वाक्य और तथा, अथवा, नही तो, किन्तु, परन्तु आदि योजक अव्ययों को लगाने से बनते है।
जैसे –
- रमेश ने काम किया और वह अपने घर चला गया।
- वह चला तो था, परन्तु रास्ते से लौट गया।
- राहुल विद्यालय जाता है और मन लगाकर पढ़ता है।
अर्थ के आधार पर वाक्यों के भेद :
1. विधानवाचक वाक्य (सकारात्मक वाक्य) :- समान्य कथन या किसी वस्तु या व्यक्ति की स्थिति का बोध करने वाले वाक्य कथनात्मक वाक्य कहे जाते हैं।
जैसे –
- उसकी पत्नी बहुत बीमार हैं।
- लड़कियाँ नृत्य कर रहीं है।
2. नकारात्मक या निषेधवाची वाक्य :- इन वाक्यों में कथन का निषेध किया जाता है। सामान्यतः हिन्दी में सकारात्मक वाक्यों में ‘नहीं’, ‘न’, ‘मत’ लगाकर नकारात्मक वाक्य बनाए जाते हैं।
जैसे –
- वे बाजार नहीं गए।
- आप इधर न बैंठे ।
3. आज्ञार्थक या विधिवाचक वाक्य :- जिन वाक्यों में आज्ञा, निर्देश, प्रार्थना या विनय आदि का भाव प्रकट होता है, आज्ञार्थक वाक्य कहे जाते हैं।
जैसे –
- निकल जाओ कमरे से बाहर ।
- सारा सामान खरीद लाना।
4. प्रश्नवाचक वाक्य :- प्रश्नवाचक वाक्यों में वक्ता कोई-न-कोई प्रश्न पूछता है।
जैसे –
- क्या आप आगरा जा रहीं हैं ?
- क्या उसने झूठ बोला था ?
5. इच्छावाचक वाक्य :- इन वाक्यों में वक्ता अपने लिए या दूसरों के लिए किसी-न-किसी इच्छा के भाव को प्रकट करता है ।
जैसे –
- आज तो कहीं से पैसे मिल जाएँ।
- आपकी यात्रा शुभ हो।
6. संदेहवाचक :- इन वाक्यों में वक्ता प्रायः संदेह की भावना को प्रकट करता है।
जैसे –
- शायद आज बारिश हो!
- हो सकता है आज धूप न निकले।
7. विस्मयादिबोधक वाक्य :- इन वाक्यों में विस्मय, आश्चर्य, घृणा, प्रेम, हर्ष, शोक आदि के भाव अचानक वक्ता के मुँह से निकल पड़ते हैं।
जैसे –
- ओह ! कितना सुन्दर दृश्य है।
- हाय ! मैं मर गया।
8. संकेतवाचक वाक्य :- इन वाक्यों में किसी-न-किसी शर्त की पूर्ति का विधान किया जाता है इसीलिए इनको शर्तवाची वाक्य भी कहते हैं।
जैसे –
- यदि तुम भी मेरे साथ रहोगी तो मुझे अच्छा लगेगा।
- वर्षा होती तो अनाज पैदा होता।
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