प्रोजेक्ट चीता (Project Cheetah)

सात दशक बाद देश में एक बार फिर प्रोजेक्ट चीता (Project Cheetah) के तहत चीतों को देखा जाएगा। 1952 भारत सरकार ने चीतों को विलुप्त करार दे दिया था। छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के साल वन में 1948 में आखिरी बार चीता देखा गया था। 17 सितम्बर 2022 को नामीबिया से 8 चीतों को भारत लाया गया है।

प्रोजेक्ट चीता क्या है?

भारत में 1952 में विलुप्त हो चुके चीतों को फिर से बसाने के लिए एक पायलट प्रोग्राम के रूप में ‘प्रोजेक्ट चीता’ को 2008-09 में मनमोहन सिंह की सरकार के शासनकाल में स्वीकृति मिली थी। इसके तहत पहली बार 2009 में भारतीय संरक्षणवादियों और चीता कंजर्वेशन फंड (CCF) के द्वारा प्रयास किया गया। CCF एक गैर-लाभकारी संगठन (NGO) है, जिसका मुख्यालय नामीबिया में है, और यह बिग कैट्स (शेर, बाघ, तेंदुआ, चीता, स्नो लेपर्ड, जैगुआर) को बचाने और उनके पुनर्वास की दिशा में काम करता है। अप्रैल 2010 में तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश जी अफ्रीका के चीता आउट रीच सेंटर गए। लेकिन 2013 में उच्चतम न्यायालय ने प्रोजेक्ट चीता पर रोक लगाई और 2020 में यह रोक हटी।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक हटने के बाद जुलाई 2020 में, भारत और नामीबिया ने एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए, जिसमें नामीबिया सरकार ने ‘प्रोजेक्ट चीता’ को शुरू करने के लिए 8 चीतों (5 नर और 3 मादा) को भारत भेजने पर सहमति व्यक्त कीयह पहली बार है जब किसी जंगली दक्षिणी अफ्रीकी चीता को भारत में या दुनिया में कहीं भी पुनर्वासित किया गया

नामीबिया से भारत

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नामीबिया से भारत आने के बीच इन 8 चीतों ने 8,000 किमी का हवाई सफर मॉडिफाइड बोइंग 747 में तय किया है। यह चीते सर्वप्रथम नामीबिया से जयपुर लाए गए। वहां से चीतों को हेलिकॉप्टर से मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क ले जाया गया। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि प्रोजेक्ट चीता के लिए कुल 96 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं इस प्रोजेक्ट का समर्थन करने के लिए, इंडियन ऑयल ने अतिरिक्त 50 करोड़ रुपये दिए हैं

भारत में चीतों का पुनर्वास

भारतीय वायु सेना के चिनूक हेलिकॉप्टर की मदद से जयपुर से 8 चीतों को कुनो नेशनल पार्क, मध्य प्रदेश लाया गया। नेशनल पार्क में इन चीतों के रहने की विशेष व्यवस्था की गई है। ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत पांच साल में देश के कई नेशनल पार्क में 50 चीतों को फिर से बसाया जाएगा। चीते को भारत में वापस लाने की चर्चा सबसे पहले 2009 में वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने शुरू की थी। दुनिया भर के विशेषज्ञों, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय सहित भारत सरकार के अधिकारियों और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों ने इसके लिए कई बैठकें की। इसके लिए साइट सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया गया। इसके बाद पहले जिन राज्यों में चीता पाए जाते थे, उनको प्राथमिकता दी गई। इस तरह तय किया गया कि गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में फिर से चीतों को बसाया जाएगा। मध्य भारत के राज्यों की 10 जगहों के सर्वेक्षण के बाद मध्य प्रदेश में कुनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) को चीतों के निवास के लिए सबसे सही जगह पाया गया।

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कूनो नेशनल पार्क को करीब एक दशक पहले गिर के एशियाई शेरों को लाने के लिए तैयार किया गया था। हालांकि, गिर से इन शेरों को कूनो नहीं लाया जा सका। स्थानांतरण की सारी तैयारियां यहां हुई थीं। शेर के शिकार के लिए संभल, चीतल जैसे जानवरों को भी कूनों में स्थानांतरित किया गया था। शेर के लिए की गई तैयारी अब चीतों के स्थानांतरण के वक्त काम आएंगी। कूनो के अलावा सरकार ने मध्य प्रदेश के ही नौरादेही वन्य अभयारण्य, राजस्थान में भैसरोडगढ़ वन्यजीव परिसर और शाहगढ़ में भी वैज्ञानिक आकलन कराया था। आकलन के बाद कूनो को चीतों के स्थानांतरण के लिए चुना गया। 

कूनो नेशनल पार्क

  • कूनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno National Park) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के श्योपुर और मुरैना ज़िलों में स्थित है।
  • इसे सन् 2018 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया था।
  • इसकी स्थापना सन् 1981 को एक वन्य अभयारण्य के रूप में की गई थी।
  • 2009 में, कुनो वन्यजीव अभयारण्य को भी भारत में चीता के पुनरुत्पादन के लिए एक संभावित स्थल के रूप में प्रस्तावित किया गया था।
  • दिसंबर 2018 में राज्य सरकार ने वन्यजीव अभयारण्य की स्थिति को कुनो राष्ट्रीय उद्यान में बदल दिया और संरक्षित क्षेत्र को 413 किमी2 तक बढ़ा दिया।
  • इस वन्यजीव अभ्यारण में भारतीय भेड़िया, बन्दर, भारतीय तेंदुआ तथा नीलगाय जैसे जानवर पाए जाते हैं। 
  • 17 सितंबर 2022 को 4 से 6 साल की उम्र के पांच मादा और तीन नर चीते नामीबिया से कुनो नेशनल पार्क पहुंचे।

 

 

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Uttarakhand Current Affairs Jan - Feb 2023 (Hindi Language)
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