उत्तराखंड लोकसेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित की जानेवाली आगामी परीक्षाओं (UKPSC/ UKSSSC) को मध्यनजर रखते हुए Exam Pillar आपके लिए Daily MCQs प्रोग्राम लेकर आया है। इस प्रोग्राम के माध्यम से अभ्यर्थियों को उत्तराखंड लोकसेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के परीक्षाओं के प्रारूप के अनुरूप वस्तुनिष्ठ अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराये जायेंगे।
Daily UKPSC / UKSSSC MCQs : उत्तराखंड (Uttarakhand)
28 November, 2025
| Read This UKPSC / UKSSSC Daily MCQ – (Uttarakhand) in English Language |
Q1. टिहरी गढ़वाल के तपोवन क्षेत्र में किसने तपस्या की थी?
(A) हनुमान जी
(B) लक्ष्मण जी
(C) भरत जी
(D) शत्रुघ्न जी
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व्याख्या: टिहरी गढ़वाल के तपोवन क्षेत्र में लक्ष्मण जी ने तपस्या की थी। यह क्षेत्र गंगा तट पर स्थित एक पवित्र स्थान है और माना जाता है कि लक्ष्मण जी ने यहाँ भगवान शिव की आराधना कर तपश्चर्या की थी।
Q2. रामायण काल में बाणासुर की राजधानी कहाँ थी?
(A) श्रीनगर
(B) जोशीमठ
(C) केदारनाथ
(D) हरिद्वार
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व्याख्या: रामायण काल में बाणासुर का राज्य गढ़वाल क्षेत्र में था और उसकी राजधानी ज्योतिषपुर, जिसे आज का जोशीमठ कहा जाता है, थी। यह नगर धार्मिक दृष्टि से अत्यंत प्रसिद्ध है और उत्तराखण्ड के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है।
Q3. महाभारत के किस पर्व में केदारनाथ को ‘भृंगतुंग’ कहा गया है?
(A) सभा पर्व
(B) वन पर्व
(C) भीष्म पर्व
(D) द्रोण पर्व
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व्याख्या: महाभारत के वन पर्व में केदारनाथ का उल्लेख ‘भृंगतुंग’ नाम से किया गया है। यह नाम केदारनाथ क्षेत्र की भौगोलिक ऊँचाई और प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक है, जो शिव उपासना से संबंधित पवित्र स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
Q4. महाभारत के समय गढ़वाल क्षेत्र में किन जातियों का आधिपत्य था?
(A) यादव और त्रिवसु
(B) पुलिंद (कुणिंद) और किरात
(C) शुंग और सातवाहन
(D) नाग और हूण
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व्याख्या: महाभारत के वन पर्व के अनुसार उस समय गढ़वाल क्षेत्र पर पुलिंद (कुणिंद) और किरात जातियों का प्रभुत्व था। ये दोनों जनजातियाँ हिमालयी क्षेत्रों में निवास करती थीं और पर्वतीय जीवनशैली के लिए जानी जाती थीं।
Q5. महाभारत के किन-किन पर्वों में कुणिंदों का उल्लेख मिलता है?
(A) सभा पर्व, वन पर्व, भीष्म पर्व
(B) द्रोण पर्व, शल्य पर्व, अनुशासन पर्व
(C) आदिपर्व, उद्योग पर्व, शांतिपर्व
(D) वन पर्व, कर्ण पर्व, शल्य पर्व
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व्याख्या: कुणिंदों का उल्लेख महाभारत के सभा पर्व, वन पर्व (जिसे आरण्यक पर्व भी कहा जाता है) और भीष्म पर्व में मिलता है। इससे यह ज्ञात होता है कि ये जनजातियाँ उस समय के समाज और राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं।
