उत्तराखंड लोकसेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित की जानेवाली आगामी परीक्षाओं (UKPSC/ UKSSSC) को मध्यनजर रखते हुए Exam Pillar आपके लिए Daily MCQs प्रोग्राम लेकर आया है। इस प्रोग्राम के माध्यम से अभ्यर्थियों को उत्तराखंड लोकसेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के परीक्षाओं के प्रारूप के अनुरूप वस्तुनिष्ठ अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराये जायेंगे।
Daily UKPSC / UKSSSC MCQs : उत्तराखंड (Uttarakhand)
26 November, 2025
| Read This UKPSC / UKSSSC Daily MCQ – (Uttarakhand) in English Language |
Q1. ‘गढ़वाल’ नाम का प्रचलन किस शासक के कारण हुआ?
(A) पृथ्वीपाल
(B) अजयपाल
(C) महिपाल
(D) भोजपाल
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व्याख्या: राजा अजयपाल ने 52 गढ़ों को एकीकृत कर एक साम्राज्य की स्थापना की थी। इन्हीं गढ़ों के एकत्रीकरण के कारण इस क्षेत्र को “गढ़वाल” कहा जाने लगा। यह नाम एकता और शक्ति का प्रतीक बन गया।
Q2. हरिदत्त भट्ट शैलेश ने ‘गढ़वाल’ शब्द की उत्पत्ति का संबंध किससे जोड़ा?
(A) पर्वतों से
(B) छोटी-छोटी गाड़ों से
(C) तीर्थस्थलों से
(D) मंदिरों से
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व्याख्या: हरिदत्त भट्ट शैलेश के मतानुसार “गढ़वाल” शब्द की उत्पत्ति इस क्षेत्र में बहने वाली छोटी-छोटी गाड़ों (जलधाराओं) से हुई है। यहाँ “गढ़” शब्द का अर्थ ‘छोटी नदी’ या ‘जलप्रवाह’ से जोड़ा गया है, जो इस क्षेत्र की भौगोलिक विशेषता को दर्शाता है।
Q3. केदारखण्ड की चौड़ाई कितनी बताई गई है?
(A) 20 योजन
(B) 25 योजन
(C) 30 योजन
(D) 35 योजन
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व्याख्या: गढ़वाल क्षेत्र की चौड़ाई 30 योजन बताई गई है, जो लगभग 120 मील के बराबर है। इस वर्णन से क्षेत्र के भौगोलिक आयामों की समझ मिलती है कि यह क्षेत्र न केवल लम्बाई में, बल्कि चौड़ाई में भी विशाल था।
Q4. केदारखण्ड और मानसखण्ड की सीमाओं को कौन-सा पर्वत विभाजित करता है?
(A) त्रिशूल पर्वत
(B) नन्दादेवी पर्वत
(C) बंदरपुच्छ पर्वत
(D) कालागिरी पर्वत
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व्याख्या: केदारखण्ड और मानसखण्ड की सीमाओं का विभाजन नन्दादेवी पर्वत या बधाण क्षेत्र द्वारा होता है। नन्दादेवी पर्वत उत्तराखण्ड का एक प्रसिद्ध पर्वत है, जो देवी नन्दा का प्रतीक माना जाता है और दोनों क्षेत्रों की प्राकृतिक सीमा निर्धारित करता है।
Q5. केदारखण्ड का विस्तार किस सीमा तक माना गया है?
(A) हरिद्वार से यमुना नदी तक
(B) गंगाद्वार से नन्दादेवी तक
(C) अलकनंदा से गोमुख तक
(D) केदारनाथ से कालागिरी तक
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व्याख्या: केदारखण्ड गंगाद्वार (हरिद्वार) से हिमालय और तमसा या टौंस नदी से बौद्धाचंल या नन्दादेवी तक फैला हुआ है। यह क्षेत्र धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और इसमें अनेक देवस्थल तथा तीर्थ स्थान शामिल हैं।
