UKPSC UKSSSC Daily MCQ – (Uttarakhand) – 17 December 2025

UKPSC / UKSSSC Daily MCQ – (Uttarakhand) – 17 December 2025

December 17, 2025

उत्तराखंड लोकसेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित की जानेवाली आगामी परीक्षाओं (UKPSC/ UKSSSC) को मध्यनजर रखते हुए Exam Pillar आपके लिए Daily MCQs प्रोग्राम लेकर आया है। इस प्रोग्राम के माध्यम से अभ्यर्थियों को उत्तराखंड लोकसेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के परीक्षाओं के प्रारूप के अनुरूप वस्तुनिष्ठ अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराये जायेंगे। 

Daily UKPSC / UKSSSC MCQs : उत्तराखंड (Uttarakhand)
17 December, 2025 

Read This UKPSC / UKSSSC Daily MCQ – (Uttarakhand) in English Language

Q1. समुद्रगुप्त के प्रयाग प्रशस्ति से संबंधित कौन-सा ऐतिहासिक निष्कर्ष निकलता है?
(A) समुद्रगुप्त ने यौधेय गणराज्य को पराजित कर अपने अधिकार में ले लिया
(B) समुद्रगुप्त ने यौधेय वंश के साथ विवाहिक गठबंधन किया
(C) समुद्रगुप्त ने यौधेयों को स्वतंत्र रूप से मान्यता दी और उन्हें उप-राजा नियुक्त किया
(D) प्रयाग प्रशस्ति में यौधेयों का कोई उल्लेख नहीं मिलता

Show Answer/Hide

Answer: (A)
Explanation: प्रयाग प्रशस्ति के अभिलेख बताते हैं कि सम्राट समुद्रगुप्त ने यौधेय गणराज्य को विजित कर उसे अपने अधिकार में सम्मिलित किया। यह सैन्य-राजनीतिक अधिग्रहण और विस्तृत साम्राज्य विस्तार की प्रक्रिया का सूचक है। विकल्प (B) तथा (C) में परोक्ष या सहयोगात्मक निहितार्थ हैं, जो प्रशस्ति के वर्णन के सन्दर्भ में समर्थित नहीं हैं; (D) गलत है क्योंकि प्रशस्ति में स्पष्ट रूप से यौधेयों का उल्लेख मिलता है। अतः (A) ऐतिहासिक साक्ष्य के साथ सबसे अनुकूल निष्कर्ष है।

Q2. यौधेय मुद्राओं के संबंध में किस वर्ष में जौनसार से सिक्के प्राप्त हुए?
(A) 1936
(B) 1960
(C) 1972
(D) 1975

Show Answer/Hide

Answer: (A)
Explanation: प्राप्त जानकारी से जौनसार क्षेत्र से 1936 में यौधेय मुद्राएँ निकलीं। यह तिथि स्थानीय पुरातात्विक गतिविधियों और सिक्का-संग्रह के इतिहास के संदर्भ में महत्वपूर्ण मानी जाती है। अन्य विकल्पों में सूचीबद्ध वर्षों का सम्बन्ध कुषाण या कुणिन्द सन्दर्भों में हुई खोजों से मिलता है — जैसे 1960 गोविषाण की खोज से जुड़ा वर्ष है तथा 1972 और 1975 अन्य खोजों के लिए प्रासंगिक हैं — पर जौनसार की यौधेय मुद्राओं के लिये 1936 सटीक तिथि है।

Q3. गोत्रीय वंश का शासन किस भौगोलिक क्षेत्र के आसपास स्थापित था?
(A) हरिद्वार घाटी
(B) कालसी प्रदेश के आसपास
(C) कुमाऊँ की कत्यूर घाटी
(D) तराई के मैदानी क्षेत्र

Show Answer/Hide

Answer: (B)
Explanation: गोत्रीय वंश का शासन कालसी प्रदेश के आस-पास स्थित था। यह स्थानात्मक निर्दिष्टि स्पष्ट रूप से गोत्रीय सत्ता के केन्द्र और उनके प्रभाव क्षेत्र को दर्शाती है। विकल्प (A) हरिद्वार एक पृथक घाटी-क्षेत्र है और उसे कालसी से अलग क्षेत्रीय संदर्भ में रखना चाहिए; विकल्प (C) कत्यूर घाटी कुमाऊँ के अंतर्गत आती है और यहाँ की राजनीतिक इकाइयाँ अलग थीं; विकल्प (D) तराई के मैदानी भाग व्यापक सामान्यीकरण है और विशेष रूप से गोत्रीय केंद्र की सूक्ष्मता—कालसी के निकटता—को व्यक्त नहीं करता। इसलिए कालसी प्रदेश के आसपास का उत्तर सटीक भौगोलिक संकेत देता है और अन्य विकल्प समष्टिगत/त्रुटिपूर्ण हैं।

Q4. गोत्रीय वंश का प्रतापी शासक कौन थाऔर इसे क्यों महत्व दिया जाता है?
(A) शीलवर्मन — क्योंकि उसने धार्मिक-कृत्यों और यज्ञ स्थापनाओं द्वारा राजतांत्रिक प्रतिष्ठा स्थापित की
(B) शिवभवानी — क्योंकि उसने चार अश्वमेध यज्ञ संपन्न कर साम्राज्य का विस्तार किया
(C) कनिष्क — क्योंकि उसने रेशम मार्ग पर नियंत्रण स्थापित किया
(D) वासुदेव — क्योंकि उसने स्वर्ण मुद्राओं का व्यापक प्रसार किया

Show Answer/Hide

Answer: (A)
Explanation: शीलवर्मन गोत्रीय वंश का प्रतापी शासक नामांकित है और राजनीतिक-धार्मिक परंपरा दोनों के संयोजन के कारण विशेष महत्त्व रखता है। शीलवर्मन ने जगतग्राम (देहरादून) में बाड़वाला यज्ञवेदिका का निर्माण कराया—यह सार्वजनिक धार्मिक संरचना न केवल अनुष्ठानों के लिए मंच था बल्कि राजशक्ति की वैधता और सामर्थ्य प्रदर्शित करने का प्रतीक भी था। विवरणों से ज्ञात होता है कि यमुना तट पर चार अश्वमेध यज्ञ संपन्न हुए, जो राजसत्ता की आत्म-प्रमाणिकता तथा सैन्य/राजनीतिक दावों को दर्शाते हैं; यह अभिव्यक्ति प्रतापी शासक की प्रतिष्ठा के साथ सीधे जुड़ी है। विकल्प (B) में शिवभवानी का नाम आता है किन्तु वह भी अश्वमेध यज्ञ से जुड़ा मान्य शासक है पर प्रतापी शासक की संज्ञा विशेषतः शीलवर्मन को दी गई है; विकल्प (C) व (D) कुषाण-संबंधी महत्त्वपूर्ण नामांक हैं पर वे गोत्रीय वंश के संदर्भ में असंगत हैं। इसलिए शीलवर्मन और उसके धार्मिक-राजनैतिक कृत्यों का संयोग सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर प्रस्तुत करता है।

Q5. निम्न कथनों में कौन-सा सत्य है regarding अश्वमेध यज्ञ एवं संबंधित आयोजनों के सम्बन्ध में?
(A) बाड़वाला यज्ञवेदिका का निर्माण जगतग्राम में शीलवर्मन ने कराया तथा यमुना तट पर चार अश्वमेध यज्ञ किए गए; शिवभवानी ने भी यमुना तट पर अश्वमेध किया
(B) बाड़वाला यज्ञवेदिका का निर्माण शिवभवानी ने कराया और शीलवर्मन ने केवल एक अश्वमेध यज्ञ किया
(C) अश्वमेध यज्ञों का सम्बन्ध केवल पर्वतीय क्षेत्रों से था और यमुना तट पर कभी यज्ञ आयोजित नहीं हुए
(D) शीलवर्मन ने बाड़वाला यज्ञवेदिका निर्मित कर यमुना तट पर कृषि सुधारों का आयोजन किया, अश्वमेध का कोई उल्लेख नहीं मिलता

Show Answer/Hide

Answer: (A)
Explanation: उपलब्ध विवरण स्पष्ट संकेत देते हैं कि बाड़वाला यज्ञवेदिका का निर्माण जगतग्राम (देहरादून) में शीलवर्मन ने करवाया और परंपरा के अनुसार यमुना तट पर चार अश्वमेध यज्ञ संपन्न हुए—यह सामरिक-धार्मिक महत्व की अभिव्यक्ति है जो राजकीय वैधता स्थापित करती है। साथ ही शिवभवानी नामक राजा ने भी यमुना के तट पर अश्वमेध अनुष्ठान संपन्न किया; यह स्वतंत्र लेकिन पर्यवेक्षणीय राजकार्य धार्मिक-राजनैतिक प्रदर्शन दोनों को दर्शाता है। विकल्प (B) में निर्माणकर्ता तथा संख्या का विन्यास उल्टा किया गया है और इसलिए असंगत है। विकल्प (C) महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्य का निषेध करता है क्योंकि अश्वमेध का ठहराव स्रोतों में यमुना तट से जोड़ा गया है, अतः यह विकल्प गलत ठहरता है। विकल्प (D) में कृषि सुधारों का उल्लेख पूर्ववर्ती सूचनाओं के साथ मेल नहीं खाता तथा अश्वमेध का स्पष्ट उल्लेख अनुकूलन-विहीन कर दिया गया है; इसलिए वह भी अनुपयुक्त है। अतः (A) समग्री के समन्वित संकेतों को सही-सही समेटता है और सबसे ठोस विकल्प है।

Read Also :

Leave a Reply

Your email address will not be published.

UKSSSC Graduation Level Exam 2025 Mock Test Series

UKSSSC Graduation Level Exam 2025 Mock Test Series

SOCIAL PAGE

E-Book UK Polic

Uttarakhand Police Exam Paper

CATEGORIES

error: Content is protected !!
Go toTop
error: Content is protected !!
Go toTop