उत्तराखण्ड की भाषा व बोलियाँ कुमाऊँ व गढ़वाल बोलियों का वर्णन ग्रीयर्सन ने ‘भारत का भाषा सर्वेक्षण’ नामक पुस्तक में दोनों गढ़वाल मण्डल व कुमाऊँ मण्डल की इक्कीस उप-बोलियों का उल्लेख किया है। जो इस प्रकार हैं –
कुमाऊँ की बोलियाँ
- अस्कोटी — पिथौरागढ़ जनपद में सीरा क्षेत्र के उत्तर पूर्व में अस्कोट के अंतर्गत बोली जाने वाली बोलियों को अस्कोटी कहा जाता है। इस बोली में मिश्रित बोली सीराली, नेपाली और जोहारी का अत्यधिक प्रभाव है।
- सीराली — सीराली क्षेत्र में सीरा बोली सीराली कहलाती है। अस्कोट के पश्चिम और गंगोली के पूर्व क्षेत्र सीरा कहलाती है।
- सौर्याली — पिथौरागढ़ जनपद के सोर परगने की बोली सोर्याली है।
- कुमय्याँ — काली कुमाऊँ क्षेत्र के अंतर्गत बोली जाने वाली बोली को उत्तर में पनार और सरयू, पूर्व में काली, पश्चिम में देविधुरा तथा दक्षिण में टनकपुर तक इस बोली का प्रभाव है।
- गंगोली — गंगोलीहाट के अंतर्गत बोली जाने वाली इस बोली को पश्चिम में दानपुर, दक्षिण में सरयू, उत्तर में रामगंगा व पूर्व में सोर तक इस बोली का प्रभाव है।
- दनपुरिया — अल्मोड़ा जनपद के दानपुर परगने की यह बोली दनपुरिया कहलाती है।
- चौगर्ख्रिया — काली कुमाऊँ के पश्चिम के उत्तर पश्चिम से लेकर पश्चिम के बारमंडल परगने तक इस बोली को बोला जाता है।
- खासपार्जिया — अल्मोड़ा के बारमंडल परगने के अंतर्गत बोली जाती है।
- पछाई — अल्मोड़ा जनपद के पालि क्षेत्र के अंतर्गत यह बोली फल्द्कोट, रानीखेत, द्वारहाट, मासी तथा चौखुटिया तक प्रभावित है।
- रौ-चौभेंसी — उत्तर पूर्वी नैनीताल जनपद के रौ और चौभेंसी क्षेत्र में इस बोली को बोला जाता है।
गढ़वाल की बोलियाँ
- बधानी — पिंडार और अलकनंदा नदी के मध्य क्षेत्रांतर्गत बोली जाती है।
- माँझ कुमइयाँ — इस बोली में अनेक शब्दों के मिश्रित कुमाऊँ भी शब्द भी है।
- श्रीनगरी — इस प्रकार की बोली गढ़वाली के प्राचीन राजधानी श्रीनगर के अंतर्गत पौड़ी देवल के निकतम क्षेत्रों में बोली जाती है।
- सलाणी — सलान क्षेत्र के अंतर्गत यह बोली सलाणी कहलाती है।
- नागपुरिया — चमोली जनपद के नागपुर पट्टी के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में इस बोली को नागपुरिया कहा जाता है।
- गंगपरिया — टिहरी क्षेत्र के अंतर्गत इस बोली को बोला जाता है।
- लोहब्या — राठ से सटे क्षेत्र लोहाब पट्टी खंसर व गैरसैण के क्षेत्रों में इस बोली का प्रभाव है।
- राठी — कुमाऊँ सीमा से सटे दूधातोली, विनसर और थालीसैण आदि क्षेत्रों को राठ कहते हैं। इन क्षेत्रों के अंतर्गत यह बोली राठी कहलाती है।
- दसौल्य — नागपुर पट्टी के अंतर्गत दसोली क्षेत्र में यह बोली दसौल्य कहलाती है।
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