Uttar Pradesh ki Krishi

उत्तर प्रदेश की कृषि और कृषि व्यवस्था

उत्तर प्रदेश की कृषि (Agriculture of Uttar Pradesh)

उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि (Agriculture) का अग्रणी स्थान है। राज्य की कुल आय में कृषि तथा पशुपालन द्वारा सर्वाधिक (41.5%) योगदान प्राप्त होता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि कृषि प्रदेश की अर्थव्यवस्था का मेरुदण्ड है। राज्य के कुल कर्मकारों में कृषि कर्मकारों का योगदान 65.9% है।

उत्तर प्रदेश की कुल कृषि योग्य भूमि 25,304 हजार हेक्टेयर है, जो देश की कुल कृषि योग्य भूमि का 12% है। उत्तर प्रदेश का देश की कृषि (Agriculture) उपज में उल्लेखनीय योगदान रहता है। देश के खाद्यान्न उत्पादन में उत्तर प्रदेश का प्रथम स्थान है। उत्तर प्रदेश में औसत भूमि का आकार 0.9 हेक्टेयर है जो कृषि की प्रगति में एक प्रमुख अवरोधक है। राज्य के पूर्वी हिस्से में कुल बोए क्षेत्र का सिंचित हिस्सा केवल 60.4 प्रतिशत है, जबकि पश्चिमी हिस्से में यह 80.8 प्रतिशत और मध्यांचल में 65.8 प्रतिशत है। प्रदेश में आम, आलू, गन्ना आदि प्रमुख फसलें हैं। देश का 40-45% आलू उत्तर प्रदेश में उत्पादित होता है।

प्रमुख खाद्यान्न कृषि उपजों में उत्तर प्रदेश का योगदान इस प्रकार है (Uttar Pradesh’s contribution to Major Food Grains Agriculture)

वस्तु उत्पादन वस्तु (प्रतिशत में)
गेहूं 35
चावल 15
गन्ना 48
आलू 44
दालें 15
बाजरा, ज्वार 12
फल 21
आम 34.3
अमरुद 37.6
आंवला 66
सब्जी 22
दुध 18
तोरिया और सरसो 19

कृषि उत्पादन में उत्तर प्रदेश का स्थान (Position of Uttar Pradesh in Agricultural Production)

उत्पाद देश में स्थान
खाद्यान्न प्रथम
पशुधन प्रथम
गन्ना प्रथम
सब्जियाँ प्रथम
गेहूं प्रथम
दुग्ध प्रथम
दालें प्रथम
आलू प्रथम
मक्का द्वितीय
धान द्वितीय

उत्तर प्रदेश की मुख्य फसलें (Major Crops of Uttar Pradesh)

प्रदेश में प्रमुख रूप से तीन फसलें पैदा की जाती हैं, जो इस प्रकार हैं –

रबी फसल – यह फसल अक्टूबर-नवम्बर में बोयी जाती है और मार्च-अप्रैल में काट ली जाती है। जैसे – चना, गेहूँ, जौ, मटर, सरसों, तम्बाकू, आलू आदि इसके अंतर्गत आने वाली मुख्य फसलें हैं।

खरीफ फसल – यह फसल अप्रैल-जुलाई में बोयी जाती है और अक्टूबर-नवम्बर में काट ली जाती है।
जैसे – मक्का, ज्वार, बाजरा, धान, सन, कपास तथा दलहन आदि मुख्य खरीफ फसल हैं।

जायद फसल – यह जून-जुलाई में बोयी जाती है। इसके अंतर्गत फल, फूल, सब्जियाँ, जैसे-खरबूजे, ककड़ी तथा कुछ विशेष प्रकार की चावल की फसलें उगायी जाती हैं।

उत्तर प्रदेश में प्रमुख फसलों के उत्पादक स्थान

  • गेहूँ – देश के गेहूँ उत्पादन में उत्तर प्रदेश का पहला स्थान है, यहाँ देश का लगभग 35% गेहूं होता है। गेहूं की राज्य में सर्वत्र खेती। गंगा-जमुना, गंगा-घाघरा नदियों के मध्य का क्षेत्र गेहूं उत्पादन में अग्रणी। मेरठ, मुजफ्फरनगर, बुलन्दशहर, सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़, मुरादाबाद, इटावा, कानपुर, फर्रुखाबाद, आदि जिलों का लगभग एक-तिहाई क्षेत्र गेहूं उत्पादन में संलग्न है।
  • धान (चावल) – सम्पूर्ण देश के उत्पादन का 15% धान उत्पादित करने वाले राज्य का स्थान दूसरा है। सहारनपुर, देवरिया, पीलीभीत, जयप्रकाश नगर (गोण्डा), बहराइच, बस्ती, रायबरेली, मऊ, बलिया, लखनऊ, महाराजगंज।
  • बाजरा – मथुरा, आगरा, बदायूं, अलीगढ़, मुरादाबाद, फिरोजाबाद, एटा, मैनपुरी, इटावा, कानपुर, प्रतापगढ़, शाहजहांपुर, गाजीपुर।
  • जौ –  जौनपुर, बलिया, वाराणसी, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, गोरखपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज (इलाहाबाद)।
  • मक्का – मेरठ, गाजियाबाद, बुलन्दशहर, फर्रुखाबाद, मैनपुरी, जयप्रकाश नगर (गोण्डा), जौनपुर, एटा, फिरोजाबाद।
  • चना – राज्य में कम मात्रा में उत्पादन होने वाली फसल। हमीरपुर, बांदा, झांसी, ललितपुर, जालौन, मिर्जापुर, सोनभद्र, कानपुर, फतेहपुर, सीतापुर, बाराबंकी, प्रयागराज (इलाहाबाद) तथा आगरा।
  • अरहर – ललितपुर, वाराणसी, झांसी, प्रयागराज (इलाहाबाद), लखनऊ।
  • गन्ना – गन्ना उत्पादन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का भारत में पहला स्थान है, जहां देश का लगभग 48% गन्ना होता है। राज्य का तराई क्षेत्र और गंगा-यमुना का दोआब।
  • तम्बाकू – वाराणसी, मेरठ, गाजियाबाद, बुलन्दशहर, मैनपुरी, सहारनपुर और फर्रुखाबाद।
  • मूंगफली – हरदोई, एटा, सीतापुर, बदायूं, मुरादाबाद।
  • अलसी – मिर्जापुर, सोनभद्र, प्रयागराज (इलाहाबाद), जयप्रकाश नगर (गोण्डा), बहराइच तथा हमीरपुर।
  • कपास – सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, बुलन्दशहर, अलीगढ़, आगरा, फिरोजाबाद, इटावा, कानपुर, रामपुर, बरेली, मुरादाबाद, मथुरा, मैनपुरी और फर्रुखाबाद।
  • जूट – बहराइच, महाराजगंज, देवरिया, जयप्रकाश नगर (गोण्डा), सीतापुर तथा लखीमपुर खीरी प्रमुख हैं।
  • सरसों – जयप्रकाश नगर (गोण्डा), बहराइच, मिर्जापुर, सोनभद्र, कानपुर, सहारनपुर, एटा, मेरठ, फैजाबाद, इटावा, सुल्तानपुर, मथुरा, अलीगढ़, बुलन्दशहर।

फल उत्पादन

प्रदेश में उत्पादित किए जाने वाले प्रमुख फल इस प्रकार हैं –

  • अमरूद – उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद, बरेली और फैजाबाद जिलों में अमरूद पैदा होता है। सफेदा, हाफजी लखनऊ, करेला, इलाहाबाद सफेदा, धौलका लखनऊ आदि इसकी मुख्य किस्में हैं।
  • केला – केले की कृषि हेतु उपजाऊ भूमि, अधिक वर्षा और उच्च तापमान की आवश्यकता होती है। प्रदेश में वाराणसी, गोरखपुर, इलाहाबाद आदि में बड़े पैमाने पर केला उत्पादन किया जाता है। मास-भोग, अधेश्वर, चीनी-चम्पा, अलफान, दूधसागर आदि केले की मुख्य किस्में हैं।
  • आम – उत्तर प्रदेश के मध्यवर्ती और पश्चिमी जिलों में मुख्यतः लखनऊ, बरेली, मेरठ, गाजियाबाद, कानपुर, सहारनपुर, हरदोई आदि जिलों में आम मुख्य रूप से उत्पादित किया जाता है। दशहरी, लंगड़ा, सफेदा, मलीहाबादी आदि आम की प्रसिद्ध किस्में हैं।
  • सन्तरा – उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में सन्तरा पैदा किया जाता है। यहाँ पर देशी नागपुरी, एम्पदर तथा लड्डू किस्म का संतरा पैदा किया जाता है।
  • लीची – सहारनपुर और मेरठ जिलों में लीची पैदा होती है।
  • माल्टा – उत्तर प्रदेश में मेरठ, वाराणसी और सहारनपुर जिलों में माल्टा उत्पादित होता है। मौसमी, ब्लड रैड आदि इसकी मुख्य किस्में हैं।
  • नींबू – प्रदेश में सहारनपुर, मेरठ जिलों और पूर्वी प्रदेश के लगभग सभी क्षेत्रों में नींबू पैदा होता है।
  • शफ्तालू – उत्तर प्रदेश के पश्चिमी जिलों और लखनऊ में शफ्तालू पैदा होता है।

राज्य के कुल प्रमुख फल पट्टी क्षेत्र

जनपदों का नाम फल पट्टी क्षेत्र फल
लखनऊ माल, मलिहाबाद, काकोरी, बक्शी का तालाब आम
सहारनपुर बेहट आम
बागपत खेकड़ा, रटोल, जानी, पिलान आम
मेरठ शाहजहाँपुर, मारा आम
बुलन्दशहर स्याना, ऊँचा गाँव आम
मुरादाबाद /जे०पी० नगर अमरोहा, जोया, गजरौला, हसनपुर आम
प्रतापगढ़ कुण्डा, कालाकांकर, सदर मंगरौरा आम, आँवला
वाराणसी/ चिरईगाँव चन्दौली आम
उन्नाव सफीपुर हसनगंज, औरास, मियागंज, फतेहपुर, चौरासी आम
बदायूँ कंकराला अमरूद
सीतापुर महमूदाबाद आम
हरदोई शाहाबाद आम
फैजाबाद मसौधा, सुहावल आम
इलाहाबाद/ कौशाम्बी चायल, मूरतगंज अमरूद

कृषि-जलवायु प्रदेश (Agro-Climatic Region)

कृषि को प्रभावित करने वाले मृदा प्रकार, वर्षा, तापमान, जल एवं मानव संसाधन आदि कारकों को आधार मानते हुए प्रदेश को 9 कृषि-जलवायु प्रदेशों में विभाजित किया गया है: यथा –

  • भाँबर एवं तराई क्षेत्र – हिमालय के तलहटी वाले इस क्षेत्र में सहारनपुर, मुजफ्फर नगर, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, पीलीभीत, लखीमपुर, बहराइच, श्रावस्ती आदि जिलों के उत्तरी भाग शामिल हैं।
  • पश्चिमी मैदान – मेरठ मण्डल एवं आस-पास के क्षेत्र।
  • मध्य पश्चिमी मैदान – बरेली एवं मुरादाबाद मण्डल के क्षेत्र।
  • दक्षिणी – पश्चिमी समशुष्क मैदान-आगरा मण्डल एवं आस-पास के क्षेत्र।
  • मध्य मैदान – कानपुर एवं लखनऊ मण्डल तथा फतेहपुर क्षेत्र।
  • बुन्देलखण्ड प्रदेश – झांसी तथा चित्रकूट मण्डल के क्षेत्र।
  • उत्तरी-पूर्वी मैदान – गोरखपुर मण्डल सहित गोण्डा तक का क्षेत्र।
  • पूर्वी मैदान – वाराणसी, फैजाबाद, आजमगढ़ मण्डल तथा इलाहाबाद मण्डल के कुछ क्षेत्र।
  • विन्ध्य प्रदेश – मिर्जापुर, सोनभद्र और दक्षिणी इलाहाबाद के क्षेत्र।

फसल-चक्र (Crop Circle)

किसी निश्चित क्षेत्र में एक नियत अवधि में फसलों का इस क्रम में उगाया | जाना कि उर्वरा शक्ति का कम-से-कम ह्रास हो फसल-चक्र कहलाता है। इसके कई लाभ हैं; यथा-मृदा की उर्वरा शक्ति सुरक्षित रहती है; रोग, कीट तथा खरपतवार के नियन्त्रण में मदद मिलती है, सीमित साधनों का अधिकतम उपयोग कर अधिक उत्पादन लेना सम्भव होता है; मृदा अपरदन में कमी आती है। प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों के लिए भिन्न-भिन्न फसल-चक्र अपनाएँ जाते हैं, जो इस प्रकार हैं –

पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए फसल-चक्र

  • धान-मसूर                      1 वर्षीय
  • धान-गेहूँ-सरसों              2 वर्षीय
  • ज्वार+अरहर-गेहूँ           1 वर्षीय
  • धान-जौ                          1 वर्षीय
  • धान-मटर                       1 वर्षीय
  • गन्ना-पेडी, हरी खाद       3 वर्षीय
  • धान या मक्का-गेहूँ         1 वर्षीय

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए फसल-चक्र

  • मक्का-आलू-प्याज़         1 वर्षीय
  • ज्वार-गेहूँ                       1 वर्षीय
  • मक्का-आलू-गेहूँ            1 वर्षीय
  • मक्का-आलू-गन्ना           2 वर्षीय
  • धान-गेहूँ अथवा जौ         1 वर्षीय

बुन्देलखण्ड के लिए फसल-चक्र

  • ज्वार-अरहर                          1 वर्षीय
  • कोंदो-चना ज्वार-चना            1 वर्षीय
  • ज्वार-जौ                                1 वर्षीय
  • ज्वार + अरहर, परती-गेहूँ      3 वर्षीय
  • तिल-अलसी                          1 वर्षीय

उत्तर प्रदेश में कृषि कार्यक्रम (Agricultural programs in Uttar Pradesh)

उत्तर प्रदेश का कुल प्रतिवेदित क्षेत्रफल 241.70 लाख हेक्टेअर है जिसमें से लगभग 165.62 लाख हेक्टेअर क्षेत्र में खेती की जाती है। प्रदेश में लघु तथा सीमान्त कृषकों की संख्या क्रमशः 15.45 प्रतिशत व 73.99 प्रतिशत है। जोत का औसत आकार 0.90 हेक्टेअर है। प्रदेश में ऊसर भूमि 4.99 लाख हेक्टेअर, बीहड़ भूमि 8.77 लाख हेक्टेअर और परती भूमि 18.02 लाख हेक्टेअर है। प्रदेश में सकल सिंचित क्षेत्रफल 196.12 लाख हेक्टेअर है तथा शुद्ध सिंचित क्षेत्रफल 134.35 लाख हेक्टेअर है। जो कुल शुद्ध बोए गए क्षेत्र का 77.3% प्रतिशत है। प्रदेश की फसल सघनता 148.25 प्रतिशत है जबकि फसल सघनता का राष्ट्रीय स्तर 131.5 प्रतिशत है। वर्तमान में 165.62 लाख हेक्टेअर शुद्ध क्षेत्र व 241.70 लाख हेक्टेअर सकल क्षेत्र में फसलों का उत्पादन होता है।

  • कृषि के बहुमुखी विकास हेतु प्रदेश में  30 करोड़ की धनराशि से एक कृषि विकास निधि की स्थापना की गई है जिसमें 30 करोड़ राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद द्वारा अंशदान के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा।
  • राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना को प्रदेश में खरीफ 2000 मौसम से लागू किया गया है। यह योजना कृषि विभाग तथा भारतीय साधारण बीमा निगम के सहयोग से प्रदेश के 70 जिलों में क्रियान्वित की जा रही है।
  • कृषि उत्पादन में दैविक आपदाओं से होने वाली क्षति की पूर्ति हेतु भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय फसल बीमा योजना राज्य में वर्ष 2000-01 से लागू कर दी गई है।
  • फसल उपज तथा बाजार मूल्य में उतार-चढ़ाव की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण कृषकों की आमदनी में होने वाली हानि को बीमा कवर प्रदान करने की दृष्टि से भारत सरकार द्वारा राज्य के चार जनपदों-इटावा, कन्नौज, मथुरा व मिर्जापुर-में कृषि आमदनी बीमा योजना चलाई जा रही है।
  • नाबार्ड तथा भारत सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गयी धनराशि से जलागम विकास निधि का सृजन किया गया है जिसके माध्यम से राज्य में जलागम विकास निधि योजना संचालित की जा रही है।
  • कृषि विविधीकरण योजना प्रदेश के 27 जनपदों में लागू की गई, जिसके अन्तर्गत आई० पी० एन० एम० प्रशिक्षण, किसान मित्र प्रशिक्षण, बायो ग्राम योजना तथा कृषकों का भ्रमण जैसे कार्यक्रम लागू किए गए हैं। कृषि शिक्षा, शोध तथा प्रसार के अन्तर्गत प्रदेश में विविधीकृत फसल पद्धतियों तथा उत्पादकता वृद्धि की बढ़ती आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रदेश में कुमारगंज (फैजाबाद), कानपुर तथा इलाहाबाद में स्थित कृषि विश्वविद्यालय निरन्तर शोध एवं प्रशिक्षण केन्द्रों के रूप में कार्यरत हैं तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए कृषि विकास के लिए मोदीपुरम (मेरठ) में कृषि विश्वविद्यालय स्थापित है।
  • प्रदेश में 26 कृषि महाविद्यालय, 30 कृषि विज्ञान केन्द्र तथा 14 कृषि ज्ञान केन्द्र भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद तथा राज्य सरकार के सहयोग से कार्यरत हैं। प्रदेश में 5000 कृषि स्नातक व स्नातकोत्तर प्रतिवर्ष निकलते हैं। प्रदेश कृषि उत्पादन निर्यात की प्रचुर सम्भावनाएं उपलब्ध कराता है। उत्तर प्रदेश में सकल निर्यात में 7 प्रतिशत की भागीदारी कृषि उत्पादों की है, जबकि देश में सकल निर्यात में कृषि क्षेत्र की भागीदारी 12 प्रतिशत है। प्रदेश में कृषि उत्पाद में बासमती तथा गैर बासमती चावल, आम, सगन्ध पौधे तथा मसालों, मशरूम व फूलों के उत्पादन, प्रसंस्करण एवं निर्यात प्रोत्साहन की प्रबल सम्भावनाएं उपलब्ध हैं। बासमती चावल की 2.5 लाख हेक्टेअर क्षेत्र में खेती करके 4 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन किया जाता है जिसमें से 1.20 लाख मीट्रिक टन का निर्यात मध्य-पूर्वी देशों को किया जाता है।
  • साठ साल से अधिक उम्र के गरीब किसानों के लिए नई किसान पेंशन योजना कार्यान्वित है। पेंशन की रकम ₹ 150 मासिक है।
  • 27 जिलों में एक लाख हेक्टेयर ऊसर भूमि सुधार के लिए भूमि सेना योजना कार्यान्वित है। इससे एक करोड़ मानव दिवस रोजगार सृजित होंगे तथा भूमिहीन बेरोजगारों को लाभ मिलेगा।
  • फसल को सुरक्षित रखने की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए नई खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति घोषित। किसानों की उपज की बिक्री हेतु 10 हजार आदर्श स्थल विकसित करने की कार्यवाही शुरू नोएडा में पुष्प नीलामी केन्द्र सह-थोक एवं आधुनिक फल मण्डी की निर्माण योजना मंजूर।
  • किसानों की तकनीकी समस्याओं के समाधान के लिए किसान काल सेण्टर की व्यवस्था प्रदेश के किसी भी स्थान से किसान टेलीफोन नम्बर “1551” मिलाकर अपनी समस्या का समाधान के विषय में पूछ सकते हैं।
  • सभी ढाई करोड़ काश्तकारों को कम्प्यूटर से खतौनी देने की व्यवस्था करने का फैसला। खलिहान अग्निकाण्ड से पीड़ित सीमान्त, लघु तथा सामान्य किसानों को दी जाने वाली धनराशि के ₹ 3,000, ₹4,000 तथा ₹ 6,000 थी, जिसे बढ़ाकर ₹ 5,000, ₹ 7,500 तथा ₹ 10,000 किया गया।

कृषि क्षेत्र में उत्तर प्रदेश को पुरस्कार (Prize for Uttar Pradesh in Agriculture Sector)

कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश को पहला स्थान प्राप्त हुआ। पहले वर्ग में उत्तर प्रदेश के साथ पंजाब को संयुक्त विजेता घोषित किया गया। प्रदेश में कृषिगत प्रदर्शन, यथा वर्ष 2010-11 में कुल 4.75 करोड़ टन अनाज के उत्पादन, पूर्वी क्षेत्र में गेहूं की बुवाई, धान के संकर बीजों का उपयोग तथा गन्ने के साथ उड़द की बुवाई में पहला स्थान प्राप्त हुआ है। प्रधानमन्त्री डॉ० मनमोहन सिंह ने भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् के 83वें स्थापना दिवस पर जुलाई, 2011 में विजेताओं को प्रशस्ति पत्र के साथ दो-दो करोड़ के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया।

राज्य में गन्ना विकास (Sugarcane Development in the State)

  • उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक प्रदेश है।
  • सम्पूर्ण देश का लगभग 50 प्रतिशत गन्ना क्षेत्रफल तथा 48% गन्ना उत्पादन, उत्तर प्रदेश का है।
  • राज्य में लगभग 36 लाख गन्ना किसान कुल स्थापित 119 चीनी मिलों को प्रतिवर्ष 171 सहकारी गन्ना समितियों के माध्यम से गन्ने की आपूर्ति करते हैं।

राज्य के कृषि औद्योगिक संस्थानों के क्रियाकलाप (Activities of State Agricultural Industrial Institutions)

राजकीय खाद्य-प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी संस्थान, लखनऊ (Institute of Food Processing Technology, Lucknow)

  • इस संस्थान द्वारा फल, शाकभाजी एवं विविध खाद्यों का तकनीकी विकास तथा कई उत्पादों के विकास का प्रयोग कार्य अपने अन्तर्गत स्थित विभिन्न अनुभागों द्वारा सम्पादित किया जाता है।
  • इसके साथ-साथ इस संस्थान में दो वर्षीय एसोसिएटशिप कोर्स का प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

औद्योगिक प्रयोग तथा प्रशिक्षण केन्द्र, मलिहाबाद (Industrial Experiment and Training Center, Mallihabad)

  • राज्य में औद्योगिक फसलों में आम का प्रथम स्थान है।
  • लखनऊ जनपद राज्य के आम उत्पादन में मुगल काल से ही अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।
  • राज्य में उत्पादित आम की प्रजातियाँ-दशहरी, चौसा, लंगड़ा, लखनऊ, सफेदा, मलिहाबादी, सफेदा, हुस्नआरा, गुलाबखास, गुलाबजामुन, याकूती, गिलास, रसपुनिया, आम्रपाली आदि प्रमुख हैं।

ऊतक संवर्धन प्रयोगशाला अलीगंज, लखनऊ (Tissue Culture Laboratory, Aliganj, Lucknow)

  • ऊतक संवर्धन विधि द्वारा रोपण सामग्री के उत्पादन की विभिन्न अवस्थाओं यथा प्रोलीफेरेशन, सूट, कल्चर की स्थापना, मल्टीप्लीकेशन एवं हार्डनिंग आदि द्वारा विभिन्न फसलों के मानक के अनुसार निर्धारित करना।

औद्योगिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केन्द्र, खुशरुबाग, इलाहाबाद (Industrial Experiment and Training Center, Kharubag, Allahabad)

  • इस केन्द्र की स्थापना 1988 ई० में अमरूद की खेती में विभिन्न समस्याओं के समाधान और उसे अधिक लाभदायक बनाने के लिए की गई।

पान प्रयोग एवं प्रशिक्षण केन्द्र, महोबा (Pan Experiment and Training Center, Mahoba)

  • राज्य में कानपुर, महोबा, बाँदा, गोरखपुर, लखनऊ, वाराणसी व सुल्तानपुर सहित लगभग 20 जनपदों में पान की खेती की जाती है।

आलू तथा अनुसन्धान केन्द्र, बाबूगढ़, गाजियाबाद (Potato and Research Center, Babujarh, Ghaziabad)

  • केन्द्र द्वारा आलू की 20 प्रजातियों की रिसर्च लाइन संकलित की गई हैं।

कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना (Establishment of agricultural science centers)

राज्य सरकार ने भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद के शत-प्रतिशत वित्त पोषण से बक्सा जौनपुर, पछपेड़वा बलरामपुर, लेदारौ आजमगढ़, चन्दौली जाजपुर, बंजारा फर्रुखाबाद, खिरियामिश्र ललितपुर, कुरारा हमीरपुर, जमुनाबाद लखीमपुर खीरी, रामकोट सीतापुर, रुस्तमनगर मुरादाबाद, रूरामल्लू जालौन, बिलग्राम रोड हरदोई, बुलन्दशहर तथा तलहेटा गाजियाबाद में कृषि विज्ञान केन्द्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। साथ ही कृषि विज्ञान केन्द्रों की जमीनों को कृषि विश्वविद्यालयों को हस्तान्तरित करने एवं उनसे सम्बद्ध करने का निर्णय भी लिया है।

कृषि प्रौद्योगिकी प्रबन्धन प्राधिकरण (Agricultural Technology Management Authority)

उत्तर प्रदेश में किसानों की भूमि सम्बन्धी समस्याओं के समाधान व उन्हें सभी प्रकार की प्रौद्योगिकीय सूचनाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एक नए कृषि तकनीकी प्रबन्धन प्राधिकरण की स्थापना का निर्णय राज्य सरकार ने 24 जनवरी, 2006 को लिया। उद्योग व आवास क्षेत्र की तर्ज पर किसानों के लिए अपने किस्म का यह पहला प्राधिकरण उन्हें ‘सिंगल विडो’ सुविधा कृषिगत समस्याओं के निराकरण हेतु उपलब्ध कराएगा। प्राधिकरण (ATMA) की संरचना द्विस्तरीय होगी। राज्य स्तर पर कृषि उत्पादन आयुक्त इसके अध्यक्ष होंगे, जबकि जिला स्तर पर सम्बन्धित जिले के जिलाधिकारी इसके प्रमुख होंगे।

कृषि नीति, 2005 (Agricultural Policy, 2005)

राज्य सरकार ने 29 दिसम्बर, 2005 को कृषि नीति को स्वीकृति प्रदान की। डॉ० राम मनोहर लोहिया की ‘सप्तक्रान्ति’ पर आधारित इस नीति को लागू कर 1.5 प्रतिशत की वर्तमान कृषि विकास दर को बढ़ाकर 4 प्रतिशत वार्षिक करने का लक्ष्य रखा गया। कृषि विभागों के प्रशासनिक ढांचे में बदलाव कर उसे आधुनिक कृषि के तौर-तरीकों के आधार पर व्यावहारिक रूप देने का प्रयास भी नीति में किया गया। इसके अन्तर्गत कई पदनामों को भी बदल दिया गया। नयी नीति कृषि उत्पादों की ब्रान्डिग, अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में हिस्सेदारी, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से किसानों के समझौते के आधार पर खेती कराने का प्रावधान किया गया। इसके अलावा गांव स्तर पर ही

किसानों के लिए जल प्रबन्ध व मृदा परीक्षण की व्यवस्था की गयी। खेती की उर्वरक क्षमता बढ़ाने, किसानों को उन्नतशील बीज व खाद आदि की उपलब्धता सुनिश्चित करने, मशीनरी, शोध तथा कृषि विविधीकरण के क्षेत्र में किसानों को गांवों में ही लाभान्वित करने की व्यवस्था इस नीति की मुख्य विशेषता है।

नई कृषि नीति-2013 (New Agricultural Policy, 2013)

28 फरवरी, 2013 को राज्य मन्त्रिमण्डल ने नई कृषि नीति को मंजूरी दी। इस नीति के प्रमुख बिन्दु इस प्रकार हैं –

  • प्रदेश की जनता को खाद्य एवं पोषण सुरक्षा प्रदान करना।
  • प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग व पर्यावरण प्रबंधन।
  • क्षेत्रीय विशेषताओं के आधार पर नियोजन, तकनीकी हस्तांतरण का सुदृढ़ीकरण व विविधीकरण को बढ़ावा।
  • किसानों के आर्थिक उन्नयन हेतु औद्योगिक व बागवानी प्रोत्साहन, फसलोत्तर प्रबंधन एवं खाद्य प्रसंस्करण सुविधाओं का विकास, पशुपालन व दूध विकास कार्यक्रमों को मजबूती व विस्तार।
  • किसान हितैषी विपणन व्यवस्था व सुरक्षा के दृष्टिकोण से जोखिम प्रबंधन, कृषि शिक्षा, शोध, तकनीकी एवं मानव संसाधन विकास को प्रोत्साहन।
  • महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना।
  • ग्रामीण अवस्थापना सुविधाओं का विकास, मत्स्य पालन (नील क्रांति) को बढ़ावा।
  • गन्ना उत्पादन के लिए विशेष अभियान तथा रेशम उत्पादन के माध्यम से स्वरोजगार।
  • ग्राम स्तर पर भंडारण क्षमता विकसित करने के लिए उपाय, ई-ट्रेडिंग को छूट तथा प्राइवेट बाजार विकसित करना।

Notes –

  • राज्य की कुल आय में कृषि तथा पशुपालन द्वारा सर्वाधिक (41.5%) योगदान प्राप्त होता है।
  • देश के खाद्यान्न उत्पादन में उत्तर प्रदेश का प्रथम स्थान है।
  • उत्तर प्रदेश में आम, आलू, गन्ना आदि प्रमुख फसलें हैं।
  • रबी की फसल अक्टूबर-नवम्बर में बोयी जाती है।
  • खरीफ की फसल अप्रैल-जुलाई में बोयी जाती है।
  • जायद की फसल जून-जुलाई में बोयी जाती है।
  • देश के गेहूँ उत्पादन में उत्तर प्रदेश का पहला स्थान है, जहाँ देश का लगभग 35% गेहूं होता है।
  • गन्ना उत्पादन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का भारत में पहला स्थान है।
  • प्रदेश में वाराणसी, गोरखपुर, इलाहाबाद आदि में बड़े पैमाने पर केला उत्पादन किया जाता है।
  • लखनऊ, बरेली, मेरठ, गाजियाबाद, कानपुर, सहारनपुर, हरदोई आदि जिलों में आम मुख्य रूप से उत्पादित किया जाता है।
  • उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में सन्तरा पैदा किया जाता है।
  • सहारनपुर जनपद में फलपट्टी का नाम आम है।
  • प्रतापगढ़ जनपद में फलपट्टी का नाम आम, आँवला है।
  • बदायूँ जनपद में फलपट्टी का नाम अमरूद है।

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