मणिपुरी नृत्य (Manipuri Dance)
मणिपुरी नृत्य (Manipuri Dance), मणिपुर का प्राचीन नृत्य है, जो वैष्णव धर्म की विषय वस्तु का अवलंबन लेकर शास्त्रीय नृत्य में रंग गया। मणिपुरी नृत्य (Manipuri Dance) में अंग संचालन के दो रूप हैं – ताण्डव और लाश्य। इस नृत्य के अभिनय द्वारा रामलीला एवं कृष्णलीला का जीवंत चित्रण संभव है। इसे वास्तव में इसे ‘लाइहरोबा’ तथा रास नृत्य के रूप में जाना जाता है। इसका प्रसार बंगाल, बिहार पूर्वोत्तर प्रांत में बहुत अधिक हुआ।
मणिपुरी नृत्य शैली (Manipuri Dance Style)
‘गोविंद संगीत लीला विलास’ मणिपुरी नृत्य एवं संगीत पर लिखा गया एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। प्राचीन परंपरानुसार मणिपुर नृत्य में रास, सारी रात होता है जिसमें पूरे शहर के लोग मंडप में एकत्रित होकर रास का आनंद लेते हैं। इस नृत्य शैली में 64 प्रकार के रास प्रदर्शित होते हैं। प्रत्येक रास में एक दिन लगता है। इसमें नर्तक एवं नर्तकिया राधा, कृष्ण एवं गोपियों का स्वरूप धारण कर मंच पर लीला करते हैं। शास्त्रीय नृत्य के रूप में जब यह नृत्य व्यावसायिक रंगमंचों पर प्रदर्शित किया जाने लगा तो उसके अनुकूल काफी परिवर्तन किया गया और आधुनिक रंगमंच व दर्शकों के अनुरूप उसे रचना का रूप देकर दो-तीन घण्टों के कार्यक्रम के अनुसार व्यवस्थित किया गया। शांतिनिकेतन में इसको शिक्षण क्रम में स्थान गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इस नृत्य प्रभावित होकर दिया था। इसके प्रमुख नर्तक हैं-झावेरी बहनें, गोपाल सिंह, विपिन सिह, तोनन्द देवी, थाम्बाल देवी, सूर्यमुखी देवी, गुरु संघजीत सिंह, चारू माथुर।
मणिपुरी नृत्य के प्रमुख कलाकार (Artists of Manipuri Dance)
गुरु बिपिन सिंह, नल कुमार सिंह, झवेरी बहनें (दर्शन, नयना, सुवर्णा और रंजना झावेरी), सविता मेहता, कलावती देवी, चारु माथुर, सोनारिक सिंह, गोपाल सिंह आदि ।
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