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मिशन पूर्वोदय (Mission Purvodaya)

परिचय (Introduction)

  • इस्पात मंत्रालय द्वारा ‘मिशन पूर्वोदय (Mission Purvodaya)’ की शुरुआत 28 फरवरी, 2020 की गई है।
  • भारत के पूर्वी क्षेत्र के विकास से यह योजना जुड़ी है ।
  • भारत के पूर्वी क्षेत्र में किया जाएगा एकीकृत स्टील हब का विकास योजना के लिए इस्पात मंत्रालय द्वारा CII (Confederation of Indian Industry) और JPC (Joint Plant Committee) के साथ की भागीदारी की गई ।

 

मिशन पूर्वोदय का उद्देश्य (Objective of Mission Purvodaya)

  • एकीकृत स्टील हब की स्थापना के माध्यम से पूर्वी भारत के त्वरित विकास को गति देना ।
  • एकीकृत स्टील हब 3 प्रमुख तत्वों पर केंद्रित : –  
    • ग्रीनफील्ड स्टील प्लांट की स्थापना को आसान बनाने के माध्यम से क्षमता वृद्धि।
    • एकीकृत इस्पात संयंत्रों के साथ-साथ मांग केंद्रों के पास इस्पात समूहों का विकास ।
    • लॉजिस्टिक्स और यूटिलिटी के बुनियादी ढाँचे का परिवर्तन जो पूर्वी क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को बदल देगा।
  • लागत और गुणवत्ता दोनों के मामले में तेजी से क्षमता बढ़ाने और स्टील उत्पादकों की समग्र प्रतिस्पर्धा में सुधार करना।
  • भारत के पूर्वी राज्यों में मौजूद विकास की संभावनाओं का दोहन करना।

मिशन पूर्वोदय का लाभ (Benefit of Mission Purvodaya)

  • $ 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के भारत के प्रयासों में पूर्वी राज्य प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं ।
  • विश्वस्तरीय स्टील हब के माध्यम से स्टील उद्योग का विकास पूरी श्रृंखला में रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर पैदा करेगा और पूर्वी भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  • पूर्वी क्षेत्र में राष्ट्रीय इस्पात नीति द्वारा परिकल्पित देश की 75% से अधिक वृद्धिशील स्टील क्षमता (incremental steel capacity) को जोड़ने की संभावनाएँ। 
  • इंडस्ट्री 4.0 के अंतर्गत इस्पात क्षेत्र में वर्ष 2030-31 तक प्राप्त की जाने वाली 300 मीट्रिक टन क्षमता में से 200 मीट्रिक टन से अधिक अकेले इस क्षेत्र से प्राप्त होने की उम्मीद।
  • देश के पूर्वी भाग और अन्य क्षेत्रों के बीच असमानता को कम करने में मिलेगी मदद।

मिशन पूर्वोदय के अन्य तथ्य (Other Facts of Mission Purvodaya)

  • भारत के पूर्वी राज्यों (ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल) और आंध्रप्रदेश के उत्तरी हिस्से में देश का 80% लौह अयस्क, 100% कोकिंग कोल और क्रोमाइट, बॉक्साइट और डोलोमाइट के भंडार का महत्वपूर्ण हिस्सा स्थित ।
  • पूर्वी क्षेत्र में भारत की 30% प्रमुख बंदरगाह क्षमता के साथ पारादीप, हल्दिया, विजाग (विशाखापत्तनम), कोलकाता आदि जैसे प्रमुख बंदरगाहों की उपस्थिति ।

 

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वन नेशन वन कार्ड (One Nation One Card)

परिचय (Introduction)

  • वन नेशन वन कार्ड (One Nation One Card)’ योजना जून 2020 से पूरे भारत में लागू की जाएगी। 
  • उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री राम विलास पासवान ने योजना को लॉन्च किया।
  • आंध्रप्रदेश – तेलंगाना और महाराष्ट्र – गुजरात को अंतर – राज्यीय राशनकार्ड पोर्टेबिलिटी (Ration Card Portability) से जोड़कर योजना की शुरुआत की गयी।

 

वन नेशन वन कार्ड का उद्देश्य (Purpose of One Nation One Card)

  • विश्व के सबसे बड़े खाद्यान्न सुरक्षा कार्यक्रम की प्रभावशीलता (Effectiveness) बढ़ाने के लिए राष्ट्रव्यापी राशन कार्ड ‘पोर्टेबिलिटी नेटवर्क’ तैयार करना।
  • सभी राज्यों के पीडीएस लाभार्थियों के विवरण को एक ‘केंद्रीय रिपोजिटरी’ से एकीकृत करना।
  • आंतरिक प्रवास (Internal migration) करने वाले निम्न आय वर्ग (LIG) के व्यक्तियों को पीडीएस का निरंतर लाभ प्रदान करना।

 

वन नेशन वन कार्ड के  लाभ (Benefits of One Nation One Card)

  • इस योजना का सर्वाधिक लाभ आंतरिक प्रवसन (Internal migration) करने वाले व्यक्तियों को होगा।
  • भारत के मेट्रोपोलिटन शहरों जैसे:- दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई में मौसमी प्रवसन (seasonal migration) करने वाले व्यक्ति भी इससे लाभान्वित होंगे। 
  • 2011 की जनगणना के अनुसार मौसमी प्रवसन (seasonal migration) करने वाले व्यक्तियों की संख्या लगभग 4.1 करोड़ है।

 

वन नेशन वन कार्ड की चुनौतियाँ (One Nation One Card Challenges)

  • कम अवधि के लिए और बार-बार प्रवास करने वाले व्यक्तिओं के डाटा को अपडेट करने में तकनीकी समस्या आ सकती है। 
  • इस योजना का क्रियान्वयन इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल (ePOS) मशीनों के द्वारा किया जाता है, जबकि भारत में इंटरनेट अवसंरचना अभी विकासमान अवस्था में है।
  • भारत की 77% राशन की दुकानों में इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल मशीनें हैं।
  • इसमें आधार सत्यापन, ऑनलाइन आपूर्ति डिपो प्रबंधन और पोर्टेबिलिटी सुविधा के दुरुपयोग से संबंधित चुनौतियाँ भी हैं।

 

राशनकार्ड पोर्टेबिलिटी (Ration Card Portability)

  • राशनकार्ड की अंतर-राज्यीय पोर्टेबिलिटी का मतलब यह है कि किसी राज्य में पंजीकृत राशन कार्ड धारक किसी अन्य राज्य के सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत स्थापित राशन की दुकान से अपने कोटे का खाद्यान्न खरीद सकता है।
  • 1 अक्टूबर 2019 तक तेलंगाना-आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र-गुजरात, केरल-कर्नाटक और राजस्थान-हरियाणा के बीच अंतर-राज्यीय राशनकार्ड पोर्टेबिलिटी का ग्रिड स्थापित किया जा चुका है।

 

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जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission)

परिचय (Introduction)

  • केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2019-20 में जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) का ऐलान किया था।
  • जल जीवन मिशन के लिए 256 जिलों में फैले हुए 1,592 ब्लॉकों की पहचान हुई। 
  • यह योजना देश भर में स्थायी जल आपूर्ति प्रबंधन के अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलायी जा रही अन्य सभी योजनाओं को समाहित करेगी। 

जल जीवन मिशन का उद्देश्य (Objective of Jal Jeevan Mission)

  • भारत की जल सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। 
  • सभी भारतीयों को 2024 तक सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना है।
  • हर घर तक पाइप द्वारा जलापूर्ति की दिशा में काम करना हैं।

जल जीवन मिशन की आवश्यकता (Requirement of Jal Jeevan Mission)

  • भारत में विश्व की लगभग 17.7% आबादी है, जबकि जल उपलब्धि मात्र 4% के करीब है।
  • अभी भी पूरे भारत में पाइप द्वारा जल पहुँचाने की व्यवस्था मौजूद नहीं है। 
  • भूमिगत जल का कृषि एवं अन्य क्षेत्रों में किये जा रहे दोहन की वजह से कई स्थानों पर जल संकट की स्थिति है।

जल जीवन मिशन का प्रावधान (Provision of Jal Jeevan Mission)

  • इसके लिए जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया गया है। 
  • इसके लिए जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा कायाकल्प और पेयजल तथा स्वच्छता मंत्रालय को किया गया एकीकृत करना है।
  • जल संसाधनों मंत्रालय और जल आपूर्ति के प्रबंधन को एकीकृत और समग्र तरीके से नियमित करेगा 
  • इस अभियान का संचालन जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पेयजल और स्वच्छता विभाग के पास है जिसका प्रमुख कार्य – 
    • स्थानीय स्तर पर पानी की एकीकृत मांग और आपूर्ति का प्रबंधन करना है।
    • वर्षा जल संचयन, भूजल पुनर्भरण जैसे स्रोत स्थिरता के लिए स्थानीय बुनियादी ढाँचे का निर्माण करना है।
    • कृषि में पुनः उपयोग के लिए घरेलू अपशिष्ट जल का प्रबंधन करना है।
  • इस मिशन के लिए आवश्यक धनराशि विभिन्न संबंधित योजनाओं के तहत उपलब्ध धन से जुटाई जाएगी। 
  • अतिरिक्त धनराशि के लिए Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority (CAMPA) के कोष का उपयोग किया जाएगा ।

 

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