Article 35(A) Archives | TheExamPillar

Article 35(A)

भारत में केंद्र-शासित प्रदेश (Union Territories In India)

भारत में केंद्र-शासित प्रदेश (Union Territories In India)

चर्चा में

  • हाल ही में संसद द्वारा जम्मू कश्मीर से सम्बंधित अनुच्छेद-370 (Article 370) को समाप्त करने की मंजूरी दे दी गई है। राज्य पुनर्गठन विधेयक 2019 के दोनों सदनों से पारित होने के बाद अब जम्मू-कश्मीर की नागरिकता निर्धारित करने वाला अनुच्छेद 35(A) (Article 35 (A)) भी ख़त्म हो गया ।
  • केंद्र सरकार के मुताबिक़ संविधान में जम्मू कश्मीर को ये विशेष अधिकार प्रदेश के संविधान सभा से प्रस्ताव पारित होने के बाद राष्ट्रपति के आदेश पर दिया गया था। जम्मू कश्मीर को मिले इस विशेष दर्जे के आज क़रीब 70 साल बीत गए हैं।

केंद्र शासित प्रदेश से क्या अभिप्राय है

  • भारत में केंद्र शासित प्रदेश से मतलब उन प्रदेशों से है, जिनको कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण किसी दूसरे राज्य में न मिलाकर उन्हें केंद्र सरकार के नियंत्रण में रखा जाता है। केंद्र शासित राज्यों को ये दर्जा अलग-अलग कारणों से दिया गया है।
  • वर्तमान में देश में कुल 7 केंद्रशासित प्रदेश हैं। इसमें नई दिल्ली, चंडीगढ़, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली, पुडुचेरी, लक्षद्वीप और अंडमान व निकोबार द्वीप समूह जैसे केंद्रशासित प्रदेश शामिल है।
  • जम्मू कश्मीर और लद्दाख के केंद्रशासित प्रदेशों में शामिल होने के बाद देश में अब कुल 9 केंद्र शासित राज्य हो जाएंगे।

केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने के कारण

  • भारत में समय-समय पर केंद्र शासित प्रदेश बनाये गए हैं जिनके कई कारण जिम्मेदार रहे है जैसे- क्षेत्रों का छोटा आकार और कम जनसंख्या, अलग संस्कृति और दूसरे राज्यों से दूरी आदि ।
  • इसके अलावा प्रशासनिक महत्व और स्थानीय संस्कृतियों की सुरक्षा करने के कारण भी भारत में केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए हैं। साथ ही शासन के मामलों से संबंधित राजनीतिक उथल-पुथल को दूर करना और सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थिति रखने वाले इलाकों की वजह से भी भारत में केंद्रशासित प्रदेशों का दर्जा दिया जाता रहा है।
  • राजनैतिक कारणों से केंद्रशासित प्रदेश बनने वालों में दिल्ली सबसे बेहतर उदाहरण है। अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी की ही तरह नई दिल्ली को भी किसी राज्य से अलग रखा गया है।
  • ग़ौरतलब है कि 1956 से 1991 तक नई दिल्ली भी बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश था। लेकिन 1991 में 69वे संविधान संशोधन के ज़रिए राष्ट्रीय राजधानी प्रदेश NCT का दर्जा प्राप्त हुआ है और इसे भी पुड्डुचेरी की तरह ख़ुद के मंत्रिमंडल व मुख्यमंत्री की व्यवस्था मिली है।
  • यहाँ भी केंद्र सरकार के ज़रिए उपराज्यपाल की नियुक्ति की जाती है। कुल मिलाकर विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेश उपराज्यपाल और मंत्रिमंडल के सामंजस्य से चलते हैं।
  • राजनैतिक कारणों से बने एक और केंद्रशासित प्रदेश के बारे में बताएं तो इसमें मौजूदा केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ शामिल है। नई दिल्ली की तरह चंडीगढ़ के भी हालात ऐसे ही थे। साल 1966 तक चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी था लेकिन 1966 में हरियाणा का गठन होने के बाद, पंजाब और हरियाणा दोनों चंडीगढ़ को अपनी राजधानी बनाना चाहते थे। ऐसे में चंडीगढ़ को एक केंद्र शासित प्रदेश बनाकर दोनों राज्यों की राजधानी बना दिया गया।

भौगोलिक दूरी के कारण बने केंद्रशासित प्रदेश

  • भौगोलिक दूरी के कारण बने केंद्र शासित प्रदेशों में अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह व लक्षद्वीप दो केंद्रशासित प्रदेश शामिल हैं।
  • भारत की मुख्य प्रायद्वीपीय सतह से दूर होने के कारण इन क्षेत्रों को किसी प्रदेश द्वारा संचालित करना काफी मुश्किल होता। इसके अलावा क्षेत्रफल के लिहाज से भी छोटा होने का कारण इन इलाकों को राज्य घोषित नहीं किया जा सकता था।
  • इन्हीं सब वजहों के चलते अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह और लक्षद्वीप को भौगोलिक दूरी के कारण बने केंद्रशासित प्रदेश के रूप में शामिल किया गया है।

सांस्कृतिक विविधताओं के कारण बने केंद्रशासित प्रदेश

  • सांस्कृतिक विविधताओं के कारण बने केंद्रशासित प्रदेशों की बात करें तो इनमें पुडुचेरी दमन व दीव और दादर व नगर हवेली जैसे केंद्रशासित प्रदेश शामिल हैं।
  • दरअसल इन तीनों क्षेत्रों पर लंबे वक़्त तक यूरोपीय देशों पुर्तगाल और फ्रांस का कब्ज़ा रहा था। लम्बे वक़्त तक रहे पुर्तगाल और फ्रांस के कब्ज़े का असर इन इलाकों में रहने वाले लोगों की संस्कृति पर भी दिखाई देता है। ऐसे में इनकी सांस्कृतिक विविधता को बनाए रखने के लिए इन्हें किसी राज्य के साथ ना मिलाकर केंद्र शासित प्रदेश का दर्ज़ा दिया गया।
  • आपको बता दें कि 1972 में असम राज्य से अलग कर अरुणाचल प्रदेश व मिज़ोरम को भी केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था लेकिन 1986 में उन्हें राज्य का दर्जा मिल गया था।

अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की आवस्यकता क्यों?

सरकार के मुताबिक़ अनुच्छेद 370 को जम्मू कश्मीर से ख़त्म करना ज़रूरी हो गया था क्योंकि ये कश्मीर को भारत की मुख्यधारा से जोड़ने में एक मुश्किलें खड़ी कर रहा था।

इसके अलावा सरकार का कहना ये भी है कि अनुच्‍छेद 370 के चलते देश के दूसरे राज्‍यों में लागू नौ संविधान संशोधनों और लगभग 100 से अधिक कानून जम्‍मू कश्‍मीर में लागू नहीं किये जा सके जिसके कारण जम्मू कश्मीर राज्‍य के विकास में बाधा पहुँची है।

आगे की राह

दोनों सदनों से पारित हुए इस विधेयक में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र को दो हिस्सों में बांटने का प्रस्ताव है। अब ये दोनों ही क्षेत्र केंद्रशासित प्रदेश होंगे।

एक ओर जहां विधयेक में जम्मू-कश्मीर को विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश घोषित करने का प्रस्ताव है तो वहीं लद्दाख को बिना विधानसभा वाले केंद्रशासित प्रदेश के रूप में शमिल किए जाने की बात कही गई है।

 

Section – Constitution, Polity and Governance

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म

देश के गृह मंत्री अमित शाह ने 5 अगस्त 2019 को राज्यसभा में अनुच्छेद 370 (Article 370) के सभी खंड (अनुच्छेद 370(2) व अनुच्छेद 370(3)) को न लागू करने का संकल्प पेश किया। अनुच्छेद 370 (Article 370) में अब सिर्फ खंड 1 रहेगा। आखिर अनुच्छेद 370 हैं क्या और इस पर विवाद क्यों गहराता रहता है।

अनुच्छेद 370 क्या है

‘इंस्ट्रूमेंट्स ऑफ ऐक्सेशन ऑफ जम्मू ऐंड कश्मीर टु इंडिया’ की शर्तों के मुताबिक, अनुच्छेद 370 में यह उल्लेख किया गया कि देश की संसद को जम्मू-कश्मीर के लिए रक्षा, विदेश मामले और संचार के सिवा अन्य किसी विषय में कानून बनाने का अधिकार नहीं होगा। साथ ही, जम्मू-कश्मीर को अपना अलग संविधान बनाने की अनुमति दे दी गई। 

अनुच्छेद 35(A) का क्या है ?

अनुच्छेद 35(A) से जम्मू-कश्मीर के लिए स्थायी नागरिकता के नियम और नागरिकों के अधिकार तय होते थे। 14 मई 1954 के पहले जो कश्मीर में बस गए थे, उन्हीं को स्थायी निवासी माना जाता था। जो जम्मू-कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं था, राज्य में संपत्ति नहीं खरीद सकता था। सरकार की नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर सकता था। वहां के विश्विद्यालयों में दाखिला नहीं ले सकता था, न ही राज्य सरकार की कोई वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकता था।

अनुच्छेद 370 का इतिहास 

देश को आजादी मिलने के बाद रियासतों के एकीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई। 25 जुलाई 1952 का मुख्यमंत्रियों को लिखे पंडित जवाहर लाल नेहरू के पत्र से अनुच्छेद 370 के लागू होने की जानकारी मिलती है। इस पत्र में नेहरू ने लिखा है –

“जब नवंबर 1949 में हम भारत के संविधान को अंतिम रूप दे रहे थे। तब सरदार पटेल ने इस मामले को देखा। तब उन्होंने जम्मू और कश्मीर को हमारे संविधान में एक विशेष किंतु संक्रमणकालीन दर्जा दिया। इस दर्जे को संविधान में धारा 370 के रूप में दर्ज किया गया। इसके अलावा 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से भी इसे दर्ज किया गया। इस अनुच्छेद के माध्यम से और इस आदेश के माध्यम से हमारे संविधान के कुछ ही हिस्से कश्मीर पर लागू होते हैं।’’

जम्मू-कश्मीर होने वाले बदलाव 

Article 370 and Article 35(A)

  1. अनुच्छेद 370 हटेगा
  2. जम्मू-कश्मीर से लद्दाख अलग 
  3. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों केंद्र शासित प्रदेश

अनुच्छेद 370 हटने का मतलब क्या है ?

  • अनुच्छेद 370 को हटाई नहीं गई है। अपितु उसके अंतर्गत जो प्रतिबंध थे, उन्हें हटाया गया है।
  • इसका मतलब इसके तहत कश्मीर को जो स्वायत्तता मिलती थी, जो अलग अधिकार मिलते थे, वे सब हट गए हैं।
  • अनुच्छेद 370 का खण्ड एक लागू रहेगा जो कहता है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, इसके अलावा खंड 2 व खंड 3 को हटाया गया है।

क्या अनुच्छेद 370 में पहली बार बदलाव हो रहा है ? 

वैसे, अनुच्छेद 370 में समय के साथ कई बदलाव भी हुए। 1965 तक वहां राज्यपाल और मुख्यमंत्री नहीं होता था। उनकी जगह सदर-ए-रियासत और प्रधानमंत्री होता था। इसे बाद में बदला गया। इसी तरह के कई और महत्वपूर्ण बदलाव हुए।

लद्दाख बना केंद्र शासित प्रदेश

नए प्रावधान में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन का प्रस्ताव शामिल है। लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है, लेकिन यहां विधानसभा नहीं होगी। रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर को अलग से केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला है। वहां देश की राजधानी दिल्ली की तरह विधानसभा होगी। यहां अब राज्यपाल की जगह उप राज्यपाल की नियुक्ति होगी और प्रदेश सरकार के पास सीमित अधिकार होंगे। जैसे दिल्ली में है, जैसे पुडुचेरी में है, वैसे ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी होगी। यानी कश्मीर में चुनाव होंगे। विधायक होंगे, मुख्यमंत्री होगा, लेकिन पुलिस, सुरक्षा-व्यवस्था आदि पर केंद्र का अधिकार होगा। वहां की सरकार को हर निर्णय, हर प्रश्न पर उपराज्यपाल से राय लेनी होगी। यानी हर तरह से जम्मू-कश्मीर केंद्र के अधीन ही होगा।

क्या हल तत्काल प्रभाव से लागू हो गया ? 

धारा 370 का शिथिलीकरण तो राष्ट्रपति के नोटिफिकेशन के साथ ही तुरंत लागू हो गया है। संसद में तो अब केवल पुनर्गठन विधेयक पारित होना है। जिसमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाना है। ये वैसा ही होगा जैसे मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ बना था। उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड और बिहार से अलग होकर झारखंड बना था।

आखिर इस सबसे बदलाव क्या आएगा?

सबकुछ बदल जाएगा। जम्मू-कश्मीर के जो तीन सत्ता परिवार हैं, अब्दुल्ला परिवार, मुफ्ती परिवार और तीसरा कांग्रेस परिवार, उनके हाथ में कुछ नहीं रह जाएगा। देशभर के लोगों के कश्मीर में बसने और वहां बिजनेस करने का रास्ता खुल जाएगा। खासकर, होटल इंडस्ट्री में बड़ा बूम आएगा। इसके पहले होटल इंडस्ट्री पर कई तरह के प्रतिबंध थे। बाकी देश के लोग जब यहां उद्योग-धंधे खोलेंगे तो आतंकवाद में कमी आएगी। कोई ऐसी गतिविधियों को आश्रय नहीं देगा। सबसे बड़ा बदलाव यह भी आएगा कि सेना की वहां उपस्थिति और उस पर खर्च धीरे-धीरे कम होता जाएगा। लद्दाख के अलग होने से वहां विकास तेजी से होगा। अभी तक घाटी के नेता इस ओर ध्यान नहीं देते थे।

Note –

जम्मू-कश्मीर के मौजूदा संविधान के अनुसार, स्थायी नागरिक वही व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा और कानूनी तरीके से संपत्ति का अधिग्रहण किया हो। इसके अलावा कोई शख्स 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो।

error: Content is protected !!