दिल्ली में गर्मी से पानी का संकट : समान और स्थायी नीतियों की आवश्यकता
Down to Earth द्वारा प्रकाशित एक हालिया रिपोर्ट “Delhi’s heat-induced water crisis underlines need for equitable, sustainable policy” ने दिल्ली में गर्मी के कारण उत्पन्न पानी की गंभीर संकट को उजागर किया है। मई 2024 में दिल्ली ने रिकॉर्ड तापमान का सामना किया, जिसने शहर की पानी की आपूर्ति को संकट में डाल दिया। रिपोर्ट के अनुसार, अत्यधिक गर्मी के कारण पानी की मांग में भारी वृद्धि हुई, जबकि आपूर्ति में कमी आई, जिससे शहर के निवासियों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा। यह स्थिति स्पष्ट रूप से बताती है कि दिल्ली को पानी की आपूर्ति और प्रबंधन के लिए समान और स्थायी नीतियों की आवश्यकता है।
दिल्ली में गर्मी का प्रभाव
मई 2024 में, दिल्ली ने अपने इतिहास की सबसे भीषण गर्मी का सामना किया। तापमान कुछ स्थानों पर 50 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया, जिससे 30 से अधिक लोगों की मौत हो गई। इस अत्यधिक गर्मी ने पानी की मांग को बहुत बढ़ा दिया, विशेषकर उन लोगों के लिए जो एयर कंडीशनिंग जैसी ठंडक देने वाली सुविधाओं से वंचित हैं।
पानी की आपूर्ति और मांग का अंतर
गर्मी की चरम स्थिति ने पानी की मांग को बहुत बढ़ा दिया, लेकिन दिल्ली जल बोर्ड (DJB) की जल आपूर्ति इस मांग को पूरा करने में असमर्थ रही। जून 2024 में, DJB की जल आपूर्ति 909 मिलियन गैलन प्रति दिन थी, जबकि अनुमानित मांग 1,290 मिलियन गैलन प्रति दिन थी। यह कमी खासतौर पर अनौपचारिक बस्तियों में रहने वाले लोगों के लिए गंभीर है, जो DJB की सीमित आपूर्ति पर निर्भर हैं।
भूजल और अवैध बोरवेल्स
दिल्ली में जल की कमी को आमतौर पर भूजल से पूरा किया जाता है, लेकिन अवैध बोरवेल्स के कारण भूजल संसाधन भी घट रहे हैं। दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार, 2024 में 19,000 अवैध बोरवेल्स की पहचान की गई है, जिनमें से आधे ही सील किए गए हैं। इसके परिणामस्वरूप, भूजल स्तर हर साल 2-4 मीटर घट रहा है।
यमुना नदी की प्रदूषण समस्या
दिल्ली की प्रमुख जल स्रोत यमुना नदी भी अत्यधिक प्रदूषित है। यमुना में अमोनिया का स्तर बहुत अधिक है, जो पानी को पीने के लिए अयोग्य बना देता है। भारत मानक ब्यूरो के अनुसार, पानी में अमोनिया की अनुमत मात्रा 0.5 पीपीएम है, जबकि यमुना में यह स्तर 4 पीपीएम तक पहुंच सकता है, जो 700 प्रतिशत अधिक है। इस प्रदूषण के कारण यमुना का पानी पीने के योग्य नहीं है और इसका उपयोग केवल कुछ अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
सामाजिक और स्वास्थ्य प्रभाव
पानी की कमी का प्रभाव केवल गर्मी से निपटने तक सीमित नहीं है; यह स्वच्छता, खाना पकाने, और अन्य दैनिक गतिविधियों को भी प्रभावित करता है। पानी की कमी के कारण स्कूल और कार्यस्थलों में उपस्थिति पर असर पड़ता है। जल जनित बीमारियों के कारण गरीब समुदायों में स्वास्थ्य संकट बढ़ जाता है, जैसे कि दिल्ली में मई में हैजा के मामले।
समान और स्थायी नीतियों की आवश्यकता
दिल्ली को एक समान और स्थायी जल नीति की आवश्यकता है। झुग्गीवासियों के अधिकारों को मान्यता देने और उन्हें स्वच्छ जल और स्वच्छता सेवाएं प्रदान करने की जरूरत है। अवैध बोरवेल्स की पहचान और उन्हें सील करना, और पानी की आपूर्ति की नियमित निगरानी करना भी आवश्यक है। इसके अलावा, यमुना नदी के जल को स्नान योग्य बनाने के लिए सरकार द्वारा की जा रही योजनाओं को शीघ्र लागू करना चाहिए।
निष्कर्ष
दिल्ली को अपनी जल संकट की स्थिति को सुधारने के लिए दीर्घकालिक उपायों की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी नागरिकों को समुचित पानी की आपूर्ति मिले, झुग्गियों में सिविक सुविधाओं का विस्तार करना और अवैध बोरवेल्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना महत्वपूर्ण है। दिल्ली को एक समावेशी और स्थायी जल नीति की ओर बढ़ना होगा, ताकि सभी वर्गों के लोगों को पानी की उचित आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।