क्षेत्रीय भू-राजनीतिक पृष्ठभूमि: चीन का उभार और दक्षिण एशिया
दक्षिण एशिया के छोटे देशों के सामने सबसे बड़ी चुनौती चीन के उभार और उसके प्रभाव क्षेत्र के विस्तार से जुड़ी है। चीन पिछले एक दशक से अधिक समय से ऋण, कनेक्टिविटी परियोजनाएँ, अवसंरचना निवेश और रक्षा सहयोग को माध्यम बनाकर क्षेत्रीय प्रभुत्व स्थापित कर रहा है। इसका बड़ा उदाहरण 2017 में श्रीलंका द्वारा हम्बनटोटा बंदरगाह का चीन को 99 वर्षों के लिए पट्टे पर देना है, जिसे विशेषज्ञ “ऋण-जाल कूटनीति” (Debt Trap Diplomacy) के रूप में देखते हैं। यह परिस्थिति छोटे देशों को आर्थिक आश्रय और रणनीतिक निर्भरता के जोखिम में धकेलती है।
भूटान-चीन संबंध: सीमाविवाद और रणनीतिक दबाव
भूटान की स्थिति विशेष रूप से जटिल है। यह चीन के साथ लंबी और विवादित सीमा साझा करता है, जबकि दोनों देशों के बीच औपचारिक कूटनीतिक संबंध नहीं हैं। चीन ने पिछले वर्षों में भूटान के प्रति “कैरट-एंड-स्टिक” नीति अपनाई है—एक ओर वह सहायता की पेशकश करता है, जबकि दूसरी ओर भूटानी क्षेत्र में निर्माण, सड़कें और बस्तियाँ विकसित कर अपनी रणनीतिक स्थिति मजबूत करता है। यह कदम भूटान की संप्रभुता और भारत सहित क्षेत्रीय सुरक्षा व्यवस्था के लिए चुनौती हैं।
भारत-भूटान संबंधों को सुदृढ़ करने में प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा का महत्व
इन बदलते भू-राजनीतिक संदर्भों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूटान यात्रा (दो दिन) अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस यात्रा में प्रधानमंत्री मोदी और भूटान के राजा जिग्मे खेसेर नामग्याल वांगचुक के बीच नवीकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य और चिकित्सा क्षेत्र से संबंधित कई MoUs पर हस्ताक्षर हुए। भारत ने भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना और आर्थिक प्रोत्साहन कार्यक्रम (Economic Stimulus Programme) के समर्थन की भी पुनः पुष्टि की।
प्रधानमंत्री ने पूर्व राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक के 70वें जन्मदिवस समारोह में भी शामिल होकर सांस्कृतिक-राजनीतिक निकटता को और मजबूती दी। यह उल्लेखनीय है कि पूर्व राजा के शासनकाल में उन्होंने 12 भारतीय प्रधानमंत्रियों के साथ कार्य संबंध बनाए।
सामरिक दृष्टि से भूटान का महत्व: डोकलाम और सिलीगुड़ी कॉरिडोर
भारत के लिए भूटान का महत्व केवल सांस्कृतिक या ऐतिहासिक नहीं है, बल्कि इसका सामरिक आयाम अत्यधिक संवेदनशील है। डोकलाम, जो भारत-भूटान-चीन का त्रि-जंक्शन है, 2017 के भारत-चीन सैन्य गतिरोध (standoff) का स्थल था। विशेषज्ञों के अनुसार यदि चीन और भूटान के बीच डोकलाम क्षेत्र में भूमि विनिमय (Land Swap) की संभावना वास्तविक होती है, तो यह भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक) के लिए जोखिम हो सकता है। यही कॉरिडोर पूरे उत्तरी-पूर्वी भारत को मुख्य भूमि भारत से जोड़ता है, इसलिए इसका महत्व अत्यंत उच्च है।
इस परिप्रेक्ष्य में भारत और भूटान दोनों को यह सुनिश्चित करना होगा कि चीन के साथ कोई सीमा-समझौता भूटान की संप्रभुता या भारत की सुरक्षा से समझौता न करे।
भारत-भूटान मित्रता संधि (2007): आधुनिक और समान भागीदारी का आधार
भारत-भूटान संबंधों की मज़बूती का बड़ा आधार 2007 की भारत-भूटान मित्रता संधि है, जिसने दोनों देशों के संबंधों को अधिक समानता और परस्पर सम्मान पर आधारित बनाया। इस संधि ने पुराने प्रावधान को हटाया, जिसके तहत भारत को भूटान की विदेश नीति “निर्देशित” (guide) करने का अधिकार था।
आज जब दक्षिण एशिया में रणनीतिक प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, भारत का यह दृष्टिकोण—जो भूटान को स्वतंत्र रूप से अपना मार्ग तय करने की स्वतंत्रता देता है—इस साझेदारी की सबसे बड़ी मजबूती है।
UPSC / State PCS के लिए प्रासंगिकता
- अंतरराष्ट्रीय संबंध (GS Paper 2): चीन-भूटान सीमा वार्ता, भारत-भूटान मित्रता संधि, भारत की पड़ोसी नीति, चीन की ऋण-जाल कूटनीति।
- सुरक्षा और सामरिक अध्ययन: डोकलाम का सामरिक महत्व, सिलीगुड़ी कॉरिडोर की संवेदनशीलता, भारत-चीन प्रतिद्वंद्विता।
- भू-राजनीति: दक्षिण एशिया में शक्ति-संतुलन, छोटे देशों पर महाशक्तियों का प्रभाव, क्षेत्रीय कूटनीति।
- विकास और आर्थिक सहयोग: भूटान की पंचवर्षीय योजनाओं में भारत की भूमिका, नवीकरणीय ऊर्जा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग।
- करेंट अफेयर्स: प्रधानमंत्री मोदी की हालिया विदेश यात्राएँ, पड़ोसी देशों के साथ संबंधों का पुनर्मूल्यांकन।
UPSC / State PCS Mains के लिए संभावित प्रश्न (विश्लेषणात्मक)
- चीन की ऋण-जाल कूटनीति और दक्षिण एशिया में उसके प्रभाव का विश्लेषण करते हुए बताइए कि छोटे देशों के लिए शक्ति-संतुलन की क्या चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं? भारत-भूटान संबंधों के संदर्भ में चर्चा करें।
- डोकलाम क्षेत्र के सामरिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताइए कि चीन-भूटान सीमा समाधान भारत की सुरक्षा चिंताओं को कैसे प्रभावित कर सकता है?
- 2007 की भारत-भूटान मित्रता संधि ने दोनों देशों के संबंधों को किस प्रकार आधुनिक और समानतापूर्ण बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई? क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा के संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता का मूल्यांकन करें।
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