धरातलीय उच्चावच एवं भौतिक विशेषताओं के आधार पर एशिया महाद्वीप को निम्नलिखित भागों में विभक्त किया गया है –
- उत्तर का निचला मैदान (North Lowlands)
- मध्यवर्ती पर्वतीय एवं पठारी श्रेणियाँ (Central Mountain and Plateaus Ranges)
- नदियों के मैदान (River Plains)
- दक्षिणी प्रायद्वीपीय पठार (Southern Peninsular Plateau)
- द्वीप समूही मालाएँ (Archipelagoes)
1. उत्तर का निचला मैदान
उत्तर का निचला मैदान एशिया महाद्वीप के लगभग 20 प्रतिशत भाग में सोवियत संघ के साइबेरिया तथा तूरानी निम्न भूमि में विस्तृत है। स्टाम्प महोदय ने इस मैदान को उत्तर पश्चिम का बहुत नीची भूमि वाला त्रिभुज’ कहा है इस त्रिभुजाकार मैदान के उत्तर में उत्तरी ध्रुव महासागर, दक्षिण तथा दक्षिण-पूर्व में एशिया की मध्यवर्ती बलित पर्वतमालाएँ तथा पश्चिम में यूराल पर्वत एवं कैस्पियन सयागर की उपस्थिति मिलती है। उत्तर का यह निचला मैदान वास्तव में एक मैदानी भाग नहीं है अपितु इसका अधिकांश भाग एक कटा-फटा निचला पठारी भाग है जो मैदान के रूप में परिवर्तित हो गया है। इस विशाल मैदान को दो विभागों में विभक्त किया जाता है –
- साइबेरिया का मैदान (The Siberian Plain)
- तूरानियन निम्न भूमि (The Turanian Lowland)
साइबेरिया का मैदान
- उत्तर के निचले मैदान के दक्षिणी-पश्चिमी भाग को छोड़कर शेष मैदानी भाग साइबेरिया के मैदान के रूप में जाना जाता है।
- इस मैदान का सामान्य ढाल दक्षिण से उत्तर की ओर है।
- ओबे (Obe), यनीसी (Yenisei) तथा लीना (Lena) इस मैदान में दक्षिण से उत्तर की ओर बहने वाली प्रमुख नदियाँ हैं जो आर्कटिक सागर में गिरती हैं।
- इन नदियों के मुहाने वर्ष के अधिकांश समय बर्फ से ढके रहते है। जिससे इन नदियों के जल प्रवाह में अवरोध उत्पन्न हो जाता हैं।
- साइबेरिया मैदान की औसत ऊँचाई 180 मीटर है।
तूरानियन निम्न भूमि
- उत्तर के निचले मैदान का दक्षिण-पश्चिमी भाग तूरानियन निम्न भूमि या तुर्किस्तान के मैदान के रूप में जाना जाता है।
- भू-वैज्ञानिकों का विश्वास है कि प्राचीन काल में यहाँ एक आन्तरिक सागर था जो बाद में अवसादों से भरकर एक निचले मैदान के रूप में परिवर्तित हो गया इस सागर के अवशेष आज यहाँ अरब सागर तथा केस्पियन सागर के रूप में मिलते हैं।
- तूरानियन निम्न भूमि में अरल सागर तथा के स्पियन सागर के मध्य में उस्त-उर्त (Ust-urt) का पठार है जिसकी औसत ऊँचाई लगभग 165 मीटर है।
2. मध्यवर्ती पर्वतीय एवं पठारी क्रम
एशिया महाद्वीप में मध्यवर्ती पंर्वतीय एवं पठारी भाग का विस्तार महाद्वीप के उत्तरी-पूर्वी कोने से लेकर महाद्वीप के पश्चिमी कोने तक हुआ है। यह भौतिक प्रदेश एशिया के लगभग 78 लाख वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला हुआ है जो एशिया महाद्वीप के कुल क्षेत्रफल का लगभग 17 प्रतिशत भाग है।
एशिया महाद्वीप के इस मध्यवर्ती क्रम के पठारों तथा पर्वतों की ऊँचाई 700 मीटर से 8848 मीटर के मध्य मिलती है। इस पर्वतीय पठारी क्रम का केन्द्र पामीर की गाँठ (Knot of Pamir) है। पामीर की गाँठ एक ऊँचा पठारी भाग है जिसकी औसत ऊँचाई 7400 मीटर है। पामीर की गाँठ इस मध्यवर्ती पर्वतीय एवं पठारी क्रम को निम्नलिखित दो भागों में विभक्त करती है –
- पामीर को गाँठ से पश्चिम की ओर का पर्वतीय क्रम
- पामीर की गाँठ से पूर्व की ओर का पर्वतीय क्रम
पामीर की गाँठ से पश्चिम की ओर का पर्वतीय क्रम
यह पर्वतीय क्रम पामीर की गाँठ से पश्चिम की ओर तुर्की तक विस्तृत है। पामीर की गाँठ से पश्चिम की ओर भिन्न-भिन्न पर्वतीय श्रृंखलाएं हैं –
- हिन्दुकुश-एलबुर्ज-आरमीनिया की गाँठ-पोन्टस पर्वत श्रेणियाँ।
- सुलेमान -किरथर -जैग्रोस-आरमीनिया की गाँठ- टारस पर्वत श्रेणियाँ।
पामीर की गाँठ से पूर्व की ओर का पर्वतीय क्रम
पामीर की गाँठ से पूर्व की ओर निम्न चार पर्वतीय क्रम निकलते हैं:
- पामीर की गाँठ से दक्षिण-पूर्व की ओर एक प्रमुख पर्वतीय क्रम है जिसे हिमालय पर्वत श्रेणी (Himalayan Mountain Rages) के नाम से जाना जाता है।
- पामीर की गाँठ से दूसरा पर्वतीय क्रम पूर्व की ओर कुनलुनशन (Kunlunshan) पर्वत श्रेणी के रूप में मिलता है जो आगे दो भागों में विभक्त हो जाती है। उत्तर की शाखा अलताई ताग-नानशान-खिंगन पर्वतों के रूप में चीन के उत्तरी-पूर्वी तक विस्तृत है जबकि दक्षिण की शाखा बयानकारा- सिनलिगशान (Tsinlingshan) पर्वत श्रेणियों के रूप में मध्यवर्ती चीन तक विस्तृत है।
- कुनलुशान श्रेणी के दक्षिण में पामीर की गाँठ से एक छोटी शाखा दक्षिण-पूर्व की आर निकलती हैं ।
- पामीर की गाँठ से निकलने वाला चौथा पर्वत क्रम उत्तर-पूर्व की ओर तियानशान (Tienshan) पर्वत श्रेणी के रूप में प्रारम्भ होता है।
पामीर की गाँठ से पूर्व की ओर अन्तपर्वतीय पठार-एशिया महाद्वीप में पामीर की गाँठ से पूर्व की ओर निम्नलिखित अन्तपर्वतीय पठारों की उपस्थिति मिलती है –
1. तिब्बत का पठार (Tibetan Plateau) – कुनलुनशान तथा हिमालय पर्वत श्रेणियों के मध्य तिब्बत का पठार स्थित है जिसकी औसत ऊँचाई 3600 मीटर है।
2. सिक्याँग का पठार या तारिम बेसिन (Sikiang Plaleau of Traim Basin) – तियानशान पर्वत श्रेणी तथा कुनलुनशज पर्वत श्रेणी के मध्य एक पठारी भाग मिलता है जिसकी ऊँचाई 500 से 900 मीटर के मध्य है।
3. जंगेरियन बेसिन या पठार (Zungarian Basin or Plateau) – तियानशान पर्वतश्रेणी तथा अल्टाई पर्वतश्रेणी के मध्य एक निचला पठारी भाग स्थित है। इस पठार की औसत ऊँचाई 300 मीटर है। इसका एक बड़ा भाग दलदली है।
4. साइदाम बेसिन (Tasidam Basin) – नानशान तथा वयानकारा पर्वतश्रेणियों के मध्य 2700 मीटर ऊँचाई का एक अन्तरप्रवाही बेसिन है जो साइदाम बेसिन के नाम से जाना जाता है।
5. गोबी का पठार (Gobi Plateau) – जुगेरियन बेसिन के पूर्व में महान खिंगन तथा अल्टाई पर्वत श्रेणियों के मध्य 1000 से 1500 मीटर ऊँचाई का गोबी का पठार स्थित है।
3. नदियों के मैदान
मध्यवर्ती पर्वतीय एवं पठारी क्रम से कई बड़ी-बड़ी नदियाँ निकल कर दक्षिण की ओर बहती हैं। जहाँ वह कई बड़े-बड़े मैदानों का निमार्ण करती हुई दक्षिण में स्थित महासागरों में गिर जाती हैं। यह मैदान कृषि की दृष्टि से उर्वरक तथा प्राचीन सभ्यता तथा संस्कृति के केन्द्र माने जाते हैं साथ ही एशिया महाद्वीप की लगभग 75 प्रतिशत जनसंख्या इन्हीं नदियों के मैदानों में निवास करती है। एशिया महाद्वीप में मिलने वाले नदियों के मैदानों में निम्न मैदान उल्लेखनीय हैं।
दजलाफरात (या मेसोपोटामिया) का मैदान
- यह मैदान दजला और फरात नदियों के मध्य (ईराक) में विस्तृत हैं।
- इस मैदान का ढाल उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूर्व की ओर है
- इस मैदान के मध्य भाग का ढाल अत्यन्त धीमा है जिससे यहाँ बाढ़ आती है।
- सुमेरी, बेवीलोनी तथा उसीरी नामक प्राचीन सभ्यताओं का विकास यहीं हुआ था।
सिन्धु गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदान
- इस मैदान का निर्माण हिमालय से निकलने वाली तीन मुख्य नदियों- सिन्धु, गंगा, ब्रह्मपुत्र एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा लाये गये अवसादों से हुआ है।
- पूर्व से पश्चिम यह मैदान 2400 किमी की लम्बाई में स्थित है।
- सिन्ध के मैदान का ढाल उत्तर पूर्व से दक्षिण पश्चिम, गंगा के मैदान का ढाल उत्तर पश्चिम से दक्षिणपूर्व तथा ब्रह्मपुत्र मैदान का ढाल उत्तर से दक्षिण की ओर मिलता है।
इरावदी की मैदान
- बर्मा देश में उत्तर से दक्षिण की ओर बहने वाली इरावदी नदी के द्वारा बिछाये गये अवसादों से यह मैदान निर्मित है।
मीनाम का मैदान
- थाइलैंड देश में उत्तर से दक्षिण की ओर बहने वाली मीनाम नदी द्वारा बिछाये गये अवसादों से यह मैदान निर्मित है।
मीकांग का मैदान
- यह एक संकरा मैदान है जो हिन्द चीन प्रायद्वीप पर मीकांग नदी द्वारा बिछाये गये अवसादों से बना है।
सीक्याँग मैदान
- चीन के सुदूर दक्षिणी भाग में पश्चिम से पूर्व ओर सीक्योंग नदी द्वारा एक संकरा मैदान निर्मित होता है।
याँगटिसीश्याँग मैदान
- याँगटिसीक्याँग नदी तथा उसकी सहायक नदियों द्वारा बिछाये गये अवसादों से मध्य चीन में यह मैदान निर्मित होता है।
4. दक्षिण महाद्वीप पठार
एशिया महाद्वीप के दक्षिणी भाग में प्राचीनतम चट्टानों से निर्मित निन्नांकित 3 प्रमुख प्रायद्वीपीय पठार स्थित हैं।
अरब का प्रायद्वीपीय पठार
- यह प्रायद्वीपीय पठार एशिया के दक्षिणी पश्चिमी भाग में स्थित है जिसका ढाल दक्षिणी पश्चिम से उत्तर पूर्व की ओर है।
- इस पठार की औसत ऊँचाई 1500 मीटर है।
- जलवायु की शुष्कता के कारण यह पठारी भाग रेतीला मरुस्थलीय भाग हैं।
भारत का प्रायद्वीपीय पठार
- भारत का दक्षिणी प्रायद्वीपीय भाग एक पठारी भाग के रूप में है।
- यह एक त्रिभुज के आकार का पठार है जिसके पूर्व और पश्चिम में पर्वतीय श्रेणियाँ हैं।
- इस पठारी की औसत ऊँचाई 1200 मीटर है।
- इस पठार का सामान्य ढाल पश्चिम से पूर्व की ओर है। कृष्णा, कावेरी, महानदी, गोदावरी आदि नदियों द्वारा यह पठार जगह-जगह काट दिया गया है।
हिन्दी चीन का पठार
- दक्षिणी पूर्वी एशिया में हिन्द चीन का प्रायद्वीपीय भाग कठोर चट्टानों द्वारा निर्मित है।
- इसकी औसत ऊँचाई 1200 मीटर है।
- सालविन, मीकांग, मिनाम आदि नदियों ने इस पठार को जगह-जगह कटा-फटा बना दिया है।
- इस पठार का सामान्य ढाल उत्तर से दक्षिण की ओर है।
5. द्वीपसमूह मालाएँ
- एशिया महाद्वीप के दक्षिण पूर्व में जावा, सुमात्रा, का नीमन्तन तथा फिलीपाइन द्वीप समूह स्थित हैं जबकि पूर्व में जापान, ताइवान तथा सखालिन द्वीप स्थित है।
- इन द्वीपों में वलित पर्वतीय श्रेणियों का अस्तित्व मिलता है तथा तटीय भागों पर संकरे तटीय मैदान मिलते हैं।
- वर्तमान में इन द्वीपों पर जागृत अथवा मृत ज्वालामुखियों का अस्तित्व मिलता है।
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