वात्सल्य रस (Vatsalya Ras) छोटे बालकों के बाल-सुलभ मानसिक क्रिया-कलापों के वर्णन से उत्पन्न वात्सल्य प्रेम की परिपक्वावस्था को वात्सल्य रस कहा जाता है। माता का पुत्र के प्रति प्रेम,
शान्त रस (Shant Ras) अनित्य और असार तथा परमात्मा के वास्तविक रूप के ज्ञान से हृदय को शान्ति मिलती है और विषयों से वैराग्य हो जाता है। यह अभिव्यक्त होकर
वीभत्स रस (Vibhats Ras) जुगुप्सा नामक स्थाई भाव जब विभवादि भावों के द्वारा परिपक्वास्था में होता तब वह वीभत्स रस कहलाता हैं। इसकी स्थिति दु:खात्मक रसों में मानी जाती है।
भयानक रस (Bhayanak Ras) जब किसी भयानक या अनिष्टकारी व्यक्ति या वस्तु को देखने या उससे सम्बंधित वर्णन करने या किसी अनिष्टकारी घटना का स्मरण करने से मन में जो
हास्य रस (Hasya Ras) किसी पदार्थ या व्यक्ति की असाधारण आकृति, वेशभूषा, चेष्टा आदि को देखकर हृदय में जो विनोद का भाव जाग्रत होता है, उसे हास कहा जाता है।
रौद्र रस (Raudra Ras) किसी व्यक्ति द्वारा क्रोध में किए गए अपमान आदि से उत्पन्न भाव की परिपक्वास्था को रौद्र रस कहा जाता है। धार्मिक महत्व के आधार पर इसका
अद्भुत रस (Adbhut Ras) किसी आश्चर्यजनक वर्णन से उत्पन्न विस्मय भाव की परिपक्वावस्था को अद्भुत रस कहा जाता है। भरतमुनि ने वीर रस से अद्भुत की उत्पत्ति बताई है तथा
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