Daily MCQs : इतिहास एवं कला-संस्कृति (History and Art & Culture) 08 May, 2024 (Wednesday)
1. निम्नलिखित में कौन-सा एक बौद्ध मत में निर्वाण की अवधारणा की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या करता है? धारणातीत मानसिक अवस्था (B) परमानन्द एवं विश्राम की स्थिति (C) स्वयं की पूर्णतः अस्तित्वहीनता (D) तृष्णा रूपी अग्नि का शमन
बौद्ध दर्शन में जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य मोक्ष या निर्वाण की प्राप्ति है। बौद्ध साहित्य में निर्वाण की तुलना बुझे हुए दीपक से की गई है।
बुद्ध ने कहा कि जिस प्रकार तेल और बत्ती के रहने से दीपक जलता है और तेल व बत्ती के समाप्त हो जाने पर दीपक बुझ जाता है उसी प्रकार तृष्णा के क्षय से जीवन-मरण की प्रक्रिया समाप्त हो जाती है।
2. जैन धर्म के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा कथन सही नहीं है? (A) इसका मूल आधार ‘चार आर्य सत्य’ है। (B) इसमें पाँच महाव्रतों के पालन का विधान है। (C) इसमें मति, श्रुति, अवधि तथा मनः पर्याय ज्ञान को महत्त्व दिया गया है। (D) जैन संघ के सदस्य 4 वर्गों भिक्षुणी, भिक्षु, श्रावक तथा श्राविका में विभक्त थे।
जैन धर्म का मूल आधार ‘त्रिरत्न’ हैः सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान तथा सम्यक् आचरण। सत् में विश्वास को ही सम्यक् दर्शन कहा गया है। शंकाविहीन ज्ञान सम्यक् ज्ञान है। सांसारिक विषयों से उत्पन्न सुख-दुःख के प्रति समभाव सम्यक् आचरण है।
मति का संबंध इन्द्रिय जनित ज्ञान से है श्रवण ज्ञान को श्रुति, दिव्य ज्ञान को अवधि तथा मन मस्तिष्क की बात जान लेने को ‘मनः पर्याय’ कहा गया है। इसके अतिरिक्त सर्वश्रेष्ठ ज्ञान को ‘केवल’ कहा जाता है।
श्रावक तथा श्राविका गृहस्थ जीवन बिताते थे।
3. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन बौद्ध संघ की कार्य प्रणाली की सही व्याख्या नहीं करता है? (A) संघ में प्रविष्ट होने को ‘उपसम्पदा’ कहा जाता था। (B) संघ की सभा में तीन बार प्रस्ताव (नन्ति) का पाठ होता था। प्रस्ताव तीन बार पढ़ने पर कोई आपत्ति नहीं होने पर प्रस्ताव स्वीकृत माना जाता था। (C) प्रस्ताव पाठ को ‘अनुसावन’ कहते थे। (D) मतभेद की स्थिति में अन्तिम निर्णय संघ प्रमुख का होता था।
संघ के कार्य संपादन के लिये एक निश्चित विधान था जो गणतांत्रिक आधार पर निर्मित था। मतभेद अथवा विवाद की स्थिति में मतदान द्वारा समस्या का समाधान किया जाता था। मतदान गुल्हक (गुप्त) तथा विवतक (प्रत्यक्ष) दोनों प्रकार से हो सकता था।
सभा में आसन (बैठने) की व्यवस्था करने वाला अधिकारी ‘आसन-प्रज्ञापक’ होता था। सभा की वैध कार्रवाई के लिये न्यूनतम उपस्थिति संख्या (कोरम) 20 थी।
4. प्राचीन भारत के बौद्ध मठों में ‘पावरन’ समारोह का संबंध किससे है? (A) संघ प्रमुख के चुनाव से। (B) वर्षा ऋतु में मठों में प्रवास के समय भिक्षुओं द्वारा किये गए अपराधों के स्वीकारोक्ति से। (C) किसी नए व्यक्ति के संघ में प्रवेश से। (D) वर्षा ऋतु के दौरान चार महीने के लिये निवास के हेतु निश्चित स्थान के चुनाव से।
व्याख्या – ‘पावरन’ का संबंध वर्षा ऋतु के दौरान मठों में प्रवास के समय भिक्षुओं द्वारा किये गए अपराधों की स्वीकारोक्ति के अवसर से है।
5. जैन धर्म के संबंध में निम्न में से कौन-सा कथन सही है? (A) बौद्धों के विपरीत जैन धर्म की प्रारम्भिक अवस्था में, जैन धर्म के लोग चित्रों का पूजन करते थे। (B) प्रथम सदी ई.पू. में जैन धर्म को कलिंग के राजा खारवेल का समर्थन मिला। (C) पाटलिपुत्र में हुई परिषद के पश्चात् जो जैन धर्म के लोग भद्रबाहु के नेतृत्व में रहे, वे श्वेताम्बर कहलाये। (D) स्थूलभद्र के नेतृत्व में दक्षिण में जैन धर्म का प्रचार हुआ।