Daily MCQs - Constitution and Polity - 24 February, 2025 (Monday)

Daily MCQs – संविधान एवं राजव्यवस्था – 24 February 2025 (Monday)

Daily MCQs : संविधान एवं राजव्यवस्था (Constitution and Polity)
24 February, 2025 (Monday)

1. भारत की निर्वाचन प्रणाली के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. राज्य सभा के लिए प्रादेशिक निर्वाचन प्रणाली,जबकि लोक सभा के लिए आनुपातिक प्रणाली को अपनाया गया है।
2. आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली अल्पसंख्यको के अधिकारो को सुनिश्चित करती है।
उपर्युक्त कथनो में से कौन सा/से सही है?
(a) केवल 1

(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

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उत्तर – (B) 

व्याख्या – संविधान में राज्यसभा के लिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली को अपनाया गया है,जबकि लोकसभा के लिए प्रादेशिक प्रतिनिधित्व प्रणाली को अपनाया गया है। प्रादेशिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत विधानमंडल का प्रत्येक सदस्य एक निश्चित भूभाग का प्रतिनिधित्व करता है। इस प्रणाली के तहत जिस प्रत्याशी को सबसे अधिक मत प्राप्त होता है,उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है। जबकि आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत क्षेत्रीय विभेद को समाप्त करना होता है।इस व्यवस्था के तहत सभी को अपनी संख्या के आधार पर प्रतिनिधित्व प्रदान किया जाता है। अतः यह अल्पसंख्यक और सामूहिक हितों को बढ़ावा देती है। अतः कथन 1 सही नहीं है ,जबकि कथन 2 सही है

2. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक से संबन्धित निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. वह राज्यों की संचित निधि से सम्बंधित व्यय के लेखाओं की लेखा परीक्षा नहीं कर सकता है।
2. CAG का भारत की संचित निधि से धन निकासी पर नियंत्रण होता है।
उपर्युक्त में से कौन सा /से सही है /हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2

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उत्तर – (D) 

व्याख्या – CAG भारत की संचित निधि,प्रत्येक राज्य की संचित निधि और प्रत्येक संघ शासित क्षेत्र की संचित निधि जहाँ पर विधान सभा हो, के सभी व्यय लेखा की जांच कर सकती है। अतः कथन 1 सही नहीं है

कैग का भारत की संचित निधि से धन निकासी पर कोई नियंत्रण नहीं है। अनेक विभाग कैग की अनुमति के बिना धन निकाल सकते है कैग की भूमिका व्यय होने के बाद केवल लेखा परीक्षा करना है।भारत की संचित निधि पर संसद का नियंत्रण होता है,जिसके लिए विनियोग विधेयक लाना पड़ता है। अतः कथन 2 सही नहीं है

3. निम्नलिखित कथनो पर विचार कीजिए:
1. न्यायिक समीक्षा का सिद्धान्त मूल अधिकारो एवं नीति निदेशक सिद्धांतों दोनों की असंगतता से है।
2. न्यायिक समीक्षा का अधिकार केवल उच्चतम न्यायालय को है ,न कि उच्च न्यायालय को। 3. न्यायिक समीक्षा का सिद्धान्त इंग्लैंड से लिया गया है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही है ?
(a)केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं

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उत्तर – (D) 

व्याख्या – भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 के अनुसार मूल अधिकारों से असंगत या उसका अल्पीकरण करने वाली कोई विधि असंगतता कि स्थिति तक शून्य घोषित हो सकती है । इसे न्यायिक समीक्षा का सिद्धान्त कहते है। जबकि नीति निदेशक तत्वों से असंगत किसी विधि को शून्य घोषित नहीं किया जा सकता है। न्यायिक समीक्षा का प्रयोग उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय दोनों करते है। संविधान के अनुच्छेद 32 के आधार पर उच्चतम न्यायालय और अनुच्छेद 226 के अनुसार उच्च न्यायालय न्यायिक समीक्षा का प्रयोग कर सकते है।

न्यायिक समीक्षा की अवधारणा को संयुक्त राज्य अमेरिका से लिया गया है। इस सिद्धांत की उत्पत्ति साल 1803 में अमेरिका में मार्बरी बनाम मेडिसन मामले में हुई थी। तब अमेरिका के मुख्य न्यायाधीश जॉन मार्शल ने इस सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। अतः उपर्युक्त तीनों कथन सही नहीं है

4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
कथन I : संविधान कि प्रस्तावना के हिन्दी अनुवाद में ‘धर्मनिरपेक्षता’ के स्थान पर ‘पंथनिरपेक्षता’ शब्द का प्रयोग किया गया है।
कथन II: भारत में धर्म जीवन पद्धति से जुड़ा है, जबकि पंथ उपासना पद्धति से।
उपर्युक्त कथनों के बारे में, निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही है?
(a) कथन-I और कथन II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या है
(b) कथन-I और कथन II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या नहीं है
(c) कथन-I सही है किन्तु कथन-II गलत है
(d) कथन-I गलत है किन्तु कथन II सही है

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उत्तर – (A) 

व्याख्या – भारतीय संविधान की प्रस्तावना में हिन्दी में ‘धर्मनिरपेक्षता’ शब्द की जगह ‘पंथनिरपेक्षता’ शब्द का प्रयोग किया गया है. साल 1976 में हुए 42वें संविधान संशोधन के ज़रिए प्रस्तावना में पंथनिरपेक्ष शब्द जोड़ा गया था, अतः कथन- I सही है

भारत में हिंदू धर्म, मुस्लिम धर्म, ईसाई धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म आदि विभिन्न पंथो के लोग रहते हैं। प्रत्येक पंथ की अपनी मान्यताएँ, मूल्य, नैतिकता, आचार-व्यवहार आदि हैं। इसलिए, एक पंथनिरपेक्ष राज्य के रूप में, भारत सरकार किसी भी पंथ का पक्ष नहीं ले सकती है। वह सभी पंथों के प्रति तटस्थ और निष्पक्ष रहनी चाहिए।

भारतीय संविधान में ‘सेकुलर’ शब्द का हिन्दी अनुवाद पंथनिरपेक्ष किया गया है, न कि धर्मनिरपेक्ष। भारत में धर्म एक जीवन पद्धति से जुड़ा हुआ है धर्म एक व्यक्ति के जीवन के सभी पहलुओं को प्रभावित करता है, जिसमें उसकी मान्यताएँ, मूल्य, नैतिकता, आचार-व्यवहार आदि शामिल हैं, जबकि पंथ केवल धार्मिक अनुष्ठानों और विश्वासों से संबंधित है। जबकि यूरोप में ‘रिलीजन’ और इस्लाम का ‘मजहब’ तथा भारत का ‘पंथ’ शब्द समानार्थी शब्द हैं जो उपासना पद्धति को रेखांकित करते हैं। अतः कथन-II सही है तथा कथन II कथन I की सही व्याख्या है

5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. नागालैंड में देश की संसद राज्य विधान सभा की सहमति के बिना धार्मिक सामाजिक और भूमि से संबन्धित कानून नहीं बना सकती है।
2. केंद्र और नागा पीपुल्स कन्वेन्शन के बीच समझौते के बाद 1963 में नागालैंड को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ था।
उपर्युक्त में से कौन सा /से सही है /हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2

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उत्तर – (C) 

व्याख्या – नागालैंड में संसद, राज्य विधानसभा की मंज़ूरी के बिना नागा धर्म से जुड़ी सामाजिक परंपराओं, पारंपरिक नियमों, कानूनों, और प्रथाओं के मामले में कानून नहीं बना सकती थी।

भारतीय संविधान के भाग XXI में अनुच्छेद 371A है। यह नागालैंड राज्य (नागा पहाड़ियाँ, तुएनसांग क्षेत्र) के संबंध में विशेष प्रावधान है। इसे साल 1962 में संविधान में शामिल किया गया था।

जुलाई 1960 में, केंद्र सरकार और नागा पीपुल्स कन्वेंशन (NPC) के बीच 16-सूत्रीय समझौते के बाद, नागालैंड राज्य का निर्माण हुआ था। इस समझौते के तहत, नागालैंड को भारतीय संघ का एक घटक राज्य बनाया गया था।

इस समझौते के तहत, भारत सरकार ने नागालैंड की स्थापना को एक पूर्ण राज्य के रूप में मान्यता दी थी। 1963 में नागालैंड ने राज्य का दर्जा हासिल किया और 1964 में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार ने सत्ता संभाली। अतः कथन 1 और 2 दोनों सही है

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