वायुमंडल (Atmosphere)
पृथ्वी को चारों ओर से आवरण की तरह घेरे हुए हवा के विस्तृत भंडार को वायुमंडल (Atmosphere) कहते हैं।
- इसमें मनुष्य एवं जानवर के लिए ऑक्सीजन एवं पेड़-पौधों के लिए कार्बनडाईआक्साइड जैसी जीवनदायी गैसें उपस्थित हैं।
- सूर्य के खतरनाक विकिरण से यह पृथ्वी की रक्षा करता है।
- वायुमंडल जलवाष्प का भंडार है जिससे धरातल पर वृद्धि होती है और स्थल तथा समुद्र पर वृद्धि के नियमित वितरण को भी यह नियंत्रित करता है।
वायुमंडल का संघटन (Composition of Atmosphere)
वायुमंडल अनेक गैसों का मिश्रण है जिसमें ठोस और तरल पदार्थों के कण असमान मात्रा में तैरते रहते हैं। शुद्ध शुष्क हवा में 78% नाइट्रोजन तथा 21% ऑक्सीजन होता है। ये दोनों मिलकर आयतन का 99% हैं। शेष 1% में ऑर्गन 0.93%, कार्बनडाईऑक्साइड 0. 03%, हाइड्रोजन ओजोन इत्यादि गैसें हैं। जलवाष्प के अलावा धूलकण तथा अन्य अशुद्धियाँ भी असमान मात्रा में हवा में होती हैं।
वायुमंडल के संघटन के महत्वपूर्ण तत्व
संसार की जलवायु और मौसमी दशाओं के लिए जलवाष्प, धूलकण, कार्बनडाईऑक्साइड, ओजोन आदि अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं।
जलवाष्प (Watervapour)
जलवायु के दृष्टिकोण से जलवाष्प सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। आयतन के हिसाब से यह गैस उष्णकटिबंध और ध्रुवीय क्षेत्रों में हवा के 1% से भी कम होती है। भूतल से 5 किमी० तक वायुमंडल वाले भाग में समस्त वाष्प का 90% भाग रहता है। ऊपर जाने पर वाष्प की मात्रा घटती जाती है। वाष्प के कारण ही सभी प्रकार के संघनन तथा वर्षण एवं उनके विभिन्न रूप (बादल, तुषार, जलवृष्टि, हिम, ओस आदि) का सृजन होता है। जलवाष्प सूर्य की किरणों के लिए पारदर्शक होता है, जिस कारण वह बिना रूकावट धरातल पर चली आती हैं, परन्तु पृथ्वी से विकीर्ण शक्ति के लिए अपेक्षाकृत कम पारदर्शक होने के कारण पृथ्वी को गर्म करने में सहायक होती है।
धूलकण (Dust)
गैस तथा वाष्प के अलावा वायुमंडल में कुछ ठोस कण भी पाए जाते हैं। इनमें धूलकण सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं। इनकी उपस्थिति के कारण वायुमंडल में अनेक घटनाएँ घटित होती हैं। सूर्य से आने वाली किरणों में प्रकीर्णन (Scattering) इन्हीं कणों के द्वारा होता है। जिस कारण आकाश का नीला रंग, सूर्योदय तथा सूर्यास्त एवं गोधुलि बेला के समय आकाश का रंग लाल नजर आता है। वर्षा, कुहरा, बादल आदि इन्हीं के प्रतिफल बनते हैं।
अन्य गैसे (Other Gasses)
हवा में कार्बनडाइ आक्साइड उसके कुल आयतन का 0.03% ही है, फिर भी यह महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह सूर्य से आने वाले विकिरण के लिए पारगम्य है। किन्तु पृथ्वी से बाहर आने वाली विकिरण के लिए अपारगम्य है। इस विकिरण के अंश का अवशोषण करके उसका कुछ अंश पुनः धरातल पर लौटा देती हैं अत: यह धरातल के समीप वाले हवा को गर्म रखती है। यह पृथ्वी की धरालत से 20 किमी० तक होती है।
वायुमंडल का दूसरा घटक ओजोन गैस है। यह एक छन्नी का काम करती है और सूर्य के पराबैंगनी विकिरण को अवशोषित कर लेती है। यह मुख्यत: धरातल से 10 से 50 किमी० की ऊँचाई पर स्थित है।
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