आदिवासियों के प्रमुख लोकनृत्य (Major Folk Dances of Indian Tribal) लांगी नृत्य (Langi Dance) – काली की उपासना हेतु किया जाने वाला नृत्य, लांगी नृत्य कहलाता है। यह मध्य
भारत के अन्य लोकनृत्य (Other Folk Dances of India) छऊ नृत्य (Chhau Dance) शैली छऊ का अर्थ है, छाया दर्पण अर्थात् जिस प्रकार दर्पण में अपनी छवि देख सकते हैं
मणिपुरी नृत्य (Manipuri Dance) मणिपुरी नृत्य (Manipuri Dance), मणिपुर का प्राचीन नृत्य है, जो वैष्णव धर्म की विषय वस्तु का अवलंबन लेकर शास्त्रीय नृत्य में रंग गया। मणिपुरी नृत्य (Manipuri
कत्थक नृत्य (Kathak Dance) कत्थक (Kathak) के प्राचीन इतिहास की ओर ध्यान जाते ही प्राचीन मंदिरों का वातावरण उभरना स्वाभाविक है। शास्त्रीय नृत्य की मूलाधार शिला अध्यात्मवाद, ईश्वरीय प्राप्ति कामना
ओड़िसी नृत्य (Odissi Dance) ओड़िसी नृत्य (Odissi Dance), ओडीशा में प्रचलित नृत्य कला की प्राचीन शैली है। यह पूर्णतः अराधना का नृत्य हैं। इसमें नृत्य के माध्यम से समर्पण का
कुचिपुड़ी (Kuchipudi) कुचिपुड़ी (Kuchipudi) आंध्र प्रदेश का प्रसिद्ध नृत्य है। इसका आधार भरतमुनि का नाट्यशास्त्र हैं। कुचिपुड़ी (Kuchipudi) नृत्य शैली में अनुचालन पर विशेष ध्यान दिया जाता है। दक्षिण भारत
मोहिनीअट्टम (Mohiniyattam) मोहिनी (Mohini) का अर्थ होता है – मन को मोहने वाला। किंवदंती है कि भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में केरल में सागर के तट पर यह नृत्य
कथकली (Kathakali) कथकली (Kathakali) का शब्दिक अर्थ है किसी कहानी पर आधारित नाटक। स्वर्ग लोक की दिव्य नृत्य का के रूप में प्रसिद्ध या कला केरल का प्रसिद्ध नृत्य है।
भरतनाट्यम् (Bharatanatyam) भरतनाट्यम् (Bharatanatyam) तमिलनाडु का प्रमुख शास्त्रीय नृत्य है, जिसे कर्नाटक संगीत के माध्यम से एक व्यक्ति प्रस्तुत करता है। यह नृत्य पहले मंदिर में प्रदर्शित होता था। भरतनाट्यम्
भारतीय नृत्यकला (Indian Dance Art) भारत के पौराणिक ग्रंथों में नटराज शिव का वर्णन मिलता है जो नृत्यकला (Dance Art) में पारंगत माने जाते थे। ऐसा माना जाता है कि
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