A Changing Sporting Landscape How the 2030 CWG Strengthens India’s 2036 Olympic Dream

बदलता खेल परिदृश्य: कैसे 2030 CWG भारत के 2036 ओलिंपिक सपने को मजबूत करता है

December 1, 2025

यह लेख The Hindu में प्रकशित Editorial (2030 for 2036: On Ahmedabad, the CWG, the Olympics) से लिया गया हैं, इस लेख में भारत का 2030 कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजन और 2036 ओलिंपिक बोली अहमदाबाद-केंद्रित खेल अवसंरचना, सॉफ्ट पावर, वैश्विक पहचान, तथा खेल-नीति परिवर्तनों का संकेत देती है। घटती कॉमनवेल्थ प्रासंगिकता, उच्च लागत, डोपिंग जोखिम और ऐतिहासिक विवादों के बावजूद, भारत इसे भविष्य के खेल महाशक्ति बनने के मार्ग के रूप में देख रहा है।

खेल महाशक्ति की ओर भारत: 2030 CWG और 2036 ओलिंपिक बोली का विश्लेषण

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: कॉमनवेल्थ गेम्स का उद्भव और आज की चुनौती

कॉमनवेल्थ गेम्स (CWG) की शुरुआत 1930 में ब्रिटिश साम्राज्य की एकता और साझा पहचान के प्रदर्शन हेतु हुई थी। तब से लेकर आज तक, यह आयोजन कई आयामों—राजनीतिक, सांस्कृतिक और खेलीय—को समेटे रहा। हालांकि 21वीं सदी में उपनिवेशवाद-विहीन विश्व व्यवस्था ने कॉमनवेल्थ की प्रासंगिकता को चुनौती दी है।
पिछले कुछ वर्षों में कई देशों ने आर्थिक संकट, खर्चों की अनिश्चितता और आयोजन के घटते वैश्विक आकर्षण के कारण पीछे हटना शुरू कर दिया है। उदाहरण के लिए:

  • 2022 में Durban (दक्षिण अफ्रीका) पीछे हटा, जिसके बाद Birmingham को विकल्प बनना पड़ा।
  • 2026 में ऑस्ट्रेलिया के Victoria राज्य ने भारी लागत का हवाला देकर आयोजन छोड़ दिया, जिसके बाद Glasgow को आगे आना पड़ा।
  • 2030 के लिए, Canada के Alberta ने वित्तीय कारणों से नाम वापस लिया, और अहमदाबाद को अवसर मिला।

उसी संदर्भ में भारत का 2030 CWG आयोजन स्वीकार करना, जबकि स्वयं उसने 2019 में इसे “sub-standard” कहकर बाहर निकलने का सुझाव दिया था, नीति-परिवर्तन को दर्शाता है।

वर्तमान संदर्भ: भारत का 2030 CWG आयोजन और 2036 ओलिंपिक बोली

भारत 2010 CWG (New Delhi) के आयोजन में भ्रष्टाचार, अक्षमता और प्रबंधन की विफलताओं से घिरा रहा था। विस्तृत आरोप सामने आए थे, जिसने भारत की वैश्विक छवि को नुकसान पहुँचाया। बावजूद इसके, भारत ने 2030 CWG आयोजन को स्वीकार किया है। इसके साथ ही, भारत ने 2036 ओलिंपिक की मेजबानी के लिए अपना Letter of Intent भी प्रस्तुत कर दिया है, जिसमें अहमदाबाद को संभावित प्रमुख शहर या “फ्रंट-रनर” बनाया गया है।

यह निर्णय भारत की खेल कूटनीति (Sports Diplomacy), सॉफ्ट पावर, और खेल अवसंरचना आधारित विकास नीति के बीच कई स्तरों पर संबंध उजागर करता है।

रणनीतिक दृष्टिकोण: क्यों अहमदाबाद?

भारत द्वारा अहमदाबाद को 2030 CWG और 2036 ओलिंपिक बोली का मुख्य केंद्र बनाना कई कारणों से रणनीतिक है:

खेल-केंद्रित अवसंरचना विकास

  • भारत ने हाल के वर्षों में अहमदाबाद में खेल अवसंरचना को बड़े स्तर पर विकसित किया है।
  • Narendra Modi Stadium (दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम),
  • Multi-sport complexes, athletic tracks, upcoming Olympic-level villages,
  • Transport, metro extension, last-mile connectivity, hospitality expansion जैसी सुविधाएँ केंद्रीय भूमिका निभाती हैं।

राजनीतिक-सांस्कृतिक महत्त्व

अहमदाबाद एक ऐसा शहर है जहाँ:

  • केंद्रीय नेतृत्व का गहरा राजनीतिक संबंध है,
  • वर्तमान शासन इसे “विकास प्रतीक” के रूप में प्रस्तुत करता है,
  • निवेश, स्मार्ट सिटी विकास और शहरी नियोजन के मॉडल कार्यान्वित हो चुके हैं।

2036 ओलिंपिक बोली को मजबूती

अहमदाबाद को CWG 2030 देना टेस्ट रन की तरह कार्य करेगा—

  • भीड़ प्रबंधन
  • स्टेडियम उपयोग
  • हॉस्पिटैलिटी
  • सुरक्षा व्यवस्था
  • परिवहन क्षमता

यह सब ओलिंपिक की तैयारी की कसौटी मानी जाएगी।

भारत की खेल महत्त्वाकांक्षा: बढ़ते लक्ष्य, सीमित उपलब्धियाँ

भारत का खेल प्रदर्शन पिछले दशक में सुधरा है, लेकिन अभी भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आवश्यक निरंतरता नहीं बन पाई है। कुछ मुख्य तथ्य:

  • भारत ने पिछले चार CWG संस्करणों में क्रमशः 61, 66, 64 और 101 पदक जीते।
  • इसके विपरीत, संबंधित चार ओलिंपिक संस्करणों में भारत ने सिर्फ 6, 7, 2 और 6 पदक हासिल किए।

यह आँकड़े बताते हैं कि:

  • CWG में प्रतियोगिता की गुणवत्ता अपेक्षाकृत कम है।
  • ओलिंपिक स्तर पर भारत की प्रतिस्पर्धा अभी भी कई महत्वपूर्ण खेलों में कमज़ोर है।
  • भारत को खेल शिक्षा, प्रतिभा पहचान (Talent Identification), कोचिंग, स्पोर्ट्स साइंस, और अंतर्राष्ट्रीय exposure में व्यापक सुधार की आवश्यकता है।

कॉमनवेल्थ गेम्स की घटती प्रासंगिकता

CWG के सामने अनेक संरचनात्मक और वैश्विक चुनौतियाँ हैं:

खेलों की संख्या में कमी

2030 तक कॉमनवेल्थ गेम्स में खेलों की सूची सीमित हो चुकी है। Glasgow 2026 में सिर्फ 10 खेल होंगे और प्रमुख खेल जैसे:

  • बैडमिंटन,
  • शूटिंग,
  • हॉकी,
  • क्रिकेट

को बाहर कर दिया गया है। यह भारत के लिए भी झटका है क्योंकि इन खेलों में भारत हमेशा अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद रखता है।

अमेरिका और चीन जैसे खेल महाशक्तियों का हिस्सा न होना

कॉमनवेल्थ संरचना के कारण ये दो देश CWG में हिस्सा नहीं लेते। इससे गेम्स का वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मक स्तर कम हो जाता है, और प्रदर्शन का मूल्यांकन भी कमजोर पड़ता है।

प्रदर्शन की चुनौती: डोपिंग का बढ़ता जोखिम

भारत हाल के वर्षों में डोपिंग के बढ़ते मामलों के कारण अंतर्राष्ट्रीय निगरानी में है। यदि 2030 CWG या 2036 ओलिंपिक बोली के बीच गंभीर डोपिंग विवाद सामने आते हैं, तो:

  • भारत की साख को नुकसान पहुँच सकता है,
  • मेजबानी की संभावनाएँ प्रभावित होंगी,
  • खेलों में निवेश पर गंभीर सवाल उठेंगे।

डोपिंग नियंत्रण के लिए:

  • WADA समन्वय,
  • NADA सुधार,
  • जैविक पासपोर्ट प्रणाली,
  • कठोर निगरानी

आवश्यक हैं।

आर्थिक लागत: अवसर और खतरे

खेल आयोजनों की लागत अक्सर अत्यधिक होती है। उदाहरण:

  • Montreal 1976 Olympics ने कर्ज चुकाने में 30 साल लगाए।
  • कई CWG/Olympic शहर भारी घाटे की स्थिति में रहे।

भारत के लिए खतरे

  • भारत के कई राज्य और नगर निगम पहले से वित्तीय दबाव में हैं।
  • CWG आयोजन में सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है।
  • यदि आर्थिक योजना मजबूत न हो, तो आयोजन लाभ के बजाय बोझ बन सकता है।

भारत के लिए अवसर

  • शहरी अवसंरचना: सड़कें, उड़ान मार्ग, होटल, सार्वजनिक परिवहन, डिजिटल सुविधाएँ।
  • रोजगार सृजन: निर्माण, स्टाफिंग, पर्यटन।
  • शहर-छवि निर्माण: वैश्विक रैंकिंग में सुधार।

अहमदाबाद 2030 के संदर्भ में यह सर्वोच्च महत्त्व रखता है।

सॉफ्ट पावर के रूप में खेल आयोजन

खेल आयोजनों को अक्सर राष्ट्र अपनी सॉफ्ट पावर बढ़ाने के उपकरण के रूप में उपयोग करते हैं। भारत भी इसी मॉडल को अपनाने की कोशिश कर रहा है।

वैश्विक छवि निर्माण

  • उभरती अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन,
  • “New India” का ब्रांड निर्माण,
  • पर्यटन और निवेश आकर्षण।

राजनीतिक-राजनयिक कूटनीति

  • G20 2023 की सफलता के बाद, भारत अपनी वैश्विक नेतृत्व क्षमता को खेलों के जरिए भी दिखाना चाहता है।
  • खेल संबंधों से कॉमनवेल्थ देशों तथा अन्य साझेदारों के साथ सहयोग बढ़ता है।

सामाजिक प्रभाव: खेल संस्कृति का विकास

यदि बड़े खेल आयोजन अच्छी तरह प्रबंधित हों, तो उनका सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव बहुत बड़ा होता है। भारत में यह प्रभाव निम्न रूपों में देखा जा सकता है:

  • युवाओं में खेल-करियर के लिए प्रेरणा,
  • महिला खिलाड़ियों की भागीदारी में वृद्धि,
  • ग्रामीण खेल ढांचे में निवेश,
  • “खेलो इंडिया” और “Fit India” जैसी पहलों को नई ऊर्जा।

नीरज चोपड़ा जैसे वैश्विक स्तर पर प्रशंसित खिलाड़ी भारत के खेल-प्रेरक मॉडल बन चुके हैं।

मार्ग आगे का: चुनौतियों के साथ अवसर

आवश्यक सुधार

भारत को 2030 और 2036 के लिए निम्न सुधार तुरंत प्राथमिकता में लेने होंगे:

  • स्पोर्ट्स साइंस और हाई-परफॉर्मेंस कोचिंग संस्थानों का व्यापक विस्तार,
  • ओलिंपिक-स्तरीय मल्टी-स्पोर्ट कम्पलेक्स,
  • डोपिंग नियंत्रण,
  • केंद्र-राज्य समन्वय,
  • वित्तीय पारदर्शिता और भ्रष्टाचार-निरोध।

समावेशी खेल नीति

खेलों में निवेश सिर्फ मेजबानी के लिए न होकर प्रतिभा-निर्माण पर केंद्रित होना चाहिए। 2030 CWG में सफलता तभी सार्थक होगी, जब:

  • भारत अपनी ओलिंपिक पदकों की संख्या बढ़ाए,
  • खिलाड़ियों को दीर्घकालिक समर्थन मिले,
  • खेल पारिस्थितिकी वास्तव में बदल सके।

निष्कर्ष (Conclusion)

अहमदाबाद 2030 भारत के लिए एक अवसर-जन्य मोड़ है—यह भारत की खेल नीति, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा और भौतिक अवसंरचना विकास को नई दिशा दे सकता है। हालाँकि CWG की घटती प्रासंगिकता, उच्च लागत, डोपिंग जोखिम, और पूर्व की प्रशासनिक विफलताओं को देखते हुए यह परियोजना चुनौतीपूर्ण भी है। यदि भारत पारदर्शिता, तैयारी और दीर्घकालिक खेल रणनीति पर ध्यान देता है, तो 2030 CWG न केवल सफल आयोजन बन सकता है बल्कि 2036 ओलिंपिक बोली को सुदृढ़ आधार भी प्रदान कर सकता है। यह आयोजन भारत के वर्तमान को प्रदर्शित करने और भविष्य को आकार देने का ऐतिहासिक अवसर है।

📌 UPSC / State PCS के संभावित परीक्षा प्रश्न

GS Paper I (Essay Paper)

  • “21वीं सदी में भारतीय खेल कूटनीति: आकांक्षाएँ, चुनौतियाँ और वैश्विक पहचान।”
  • “मेगा खेल आयोजनों और राष्ट्रीय विकास: भारत की उभरती रणनीति का समालोचनात्मक विश्लेषण।”
  • “सॉफ्ट पावर और खेल: 2036 ओलिंपिक बोली के संदर्भ में भारत की भूमिका का मूल्यांकन।”

GS Paper II (Governance & IR)

  • “खेल कूटनीति भारत की विदेश नीति में किस प्रकार योगदान देती है? 2036 ओलिंपिक बोली के संदर्भ में विश्लेषण कीजिए।”
  • “कॉमनवेल्थ गेम्स की घटती प्रासंगिकता और भारत का 2030 आयोजन: अवसर और चुनौतियाँ।”

GS Paper III (Economy, Infrastructure)

  • “मेगा खेल आयोजनों की आर्थिक व्यवहार्यता पर चर्चा कीजिए। क्या भारत 2030 CWG और 2036 ओलिंपिक की लागत वहन करने की स्थिति में है?”
  • “भारत में खेल अवसंरचना विकास: अब तक की प्रगति, सीमाएँ और आगे का मार्ग।”

GS Paper IV (Ethics)

  • “स्पोर्ट्स प्रशासन में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार: 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स के संदर्भ में नैतिक मुद्दों का मूल्यांकन।”
  • “डोपिंग और नैतिकता: भारतीय खेल पारिस्थितिकी में इसकी चुनौतियों का विश्लेषण।”

 

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