देश के गृह मंत्री अमित शाह ने 5 अगस्त 2019 को राज्यसभा में अनुच्छेद 370 (Article 370) के सभी खंड (अनुच्छेद 370(2) व अनुच्छेद 370(3)) को न लागू करने का संकल्प पेश किया। अनुच्छेद 370 (Article 370) में अब सिर्फ खंड 1 रहेगा। आखिर अनुच्छेद 370 हैं क्या और इस पर विवाद क्यों गहराता रहता है।
अनुच्छेद 370 क्या है ?
‘इंस्ट्रूमेंट्स ऑफ ऐक्सेशन ऑफ जम्मू ऐंड कश्मीर टु इंडिया’ की शर्तों के मुताबिक, अनुच्छेद 370 में यह उल्लेख किया गया कि देश की संसद को जम्मू-कश्मीर के लिए रक्षा, विदेश मामले और संचार के सिवा अन्य किसी विषय में कानून बनाने का अधिकार नहीं होगा। साथ ही, जम्मू-कश्मीर को अपना अलग संविधान बनाने की अनुमति दे दी गई।
अनुच्छेद 35(A) का क्या है ?
अनुच्छेद 35(A) से जम्मू-कश्मीर के लिए स्थायी नागरिकता के नियम और नागरिकों के अधिकार तय होते थे। 14 मई 1954 के पहले जो कश्मीर में बस गए थे, उन्हीं को स्थायी निवासी माना जाता था। जो जम्मू-कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं था, राज्य में संपत्ति नहीं खरीद सकता था। सरकार की नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर सकता था। वहां के विश्विद्यालयों में दाखिला नहीं ले सकता था, न ही राज्य सरकार की कोई वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकता था।
अनुच्छेद 370 का इतिहास
देश को आजादी मिलने के बाद रियासतों के एकीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई। 25 जुलाई 1952 का मुख्यमंत्रियों को लिखे पंडित जवाहर लाल नेहरू के पत्र से अनुच्छेद 370 के लागू होने की जानकारी मिलती है। इस पत्र में नेहरू ने लिखा है –
“जब नवंबर 1949 में हम भारत के संविधान को अंतिम रूप दे रहे थे। तब सरदार पटेल ने इस मामले को देखा। तब उन्होंने जम्मू और कश्मीर को हमारे संविधान में एक विशेष किंतु संक्रमणकालीन दर्जा दिया। इस दर्जे को संविधान में धारा 370 के रूप में दर्ज किया गया। इसके अलावा 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से भी इसे दर्ज किया गया। इस अनुच्छेद के माध्यम से और इस आदेश के माध्यम से हमारे संविधान के कुछ ही हिस्से कश्मीर पर लागू होते हैं।’’
जम्मू-कश्मीर होने वाले बदलाव
- अनुच्छेद 370 हटेगा
- जम्मू-कश्मीर से लद्दाख अलग
- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों केंद्र शासित प्रदेश
अनुच्छेद 370 हटने का मतलब क्या है ?
- अनुच्छेद 370 को हटाई नहीं गई है। अपितु उसके अंतर्गत जो प्रतिबंध थे, उन्हें हटाया गया है।
- इसका मतलब इसके तहत कश्मीर को जो स्वायत्तता मिलती थी, जो अलग अधिकार मिलते थे, वे सब हट गए हैं।
- अनुच्छेद 370 का खण्ड एक लागू रहेगा जो कहता है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, इसके अलावा खंड 2 व खंड 3 को हटाया गया है।
क्या अनुच्छेद 370 में पहली बार बदलाव हो रहा है ?
वैसे, अनुच्छेद 370 में समय के साथ कई बदलाव भी हुए। 1965 तक वहां राज्यपाल और मुख्यमंत्री नहीं होता था। उनकी जगह सदर-ए-रियासत और प्रधानमंत्री होता था। इसे बाद में बदला गया। इसी तरह के कई और महत्वपूर्ण बदलाव हुए।
लद्दाख बना केंद्र शासित प्रदेश
नए प्रावधान में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन का प्रस्ताव शामिल है। लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है, लेकिन यहां विधानसभा नहीं होगी। रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर को अलग से केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला है। वहां देश की राजधानी दिल्ली की तरह विधानसभा होगी। यहां अब राज्यपाल की जगह उप राज्यपाल की नियुक्ति होगी और प्रदेश सरकार के पास सीमित अधिकार होंगे। जैसे दिल्ली में है, जैसे पुडुचेरी में है, वैसे ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी होगी। यानी कश्मीर में चुनाव होंगे। विधायक होंगे, मुख्यमंत्री होगा, लेकिन पुलिस, सुरक्षा-व्यवस्था आदि पर केंद्र का अधिकार होगा। वहां की सरकार को हर निर्णय, हर प्रश्न पर उपराज्यपाल से राय लेनी होगी। यानी हर तरह से जम्मू-कश्मीर केंद्र के अधीन ही होगा।
क्या हल तत्काल प्रभाव से लागू हो गया ?
धारा 370 का शिथिलीकरण तो राष्ट्रपति के नोटिफिकेशन के साथ ही तुरंत लागू हो गया है। संसद में तो अब केवल पुनर्गठन विधेयक पारित होना है। जिसमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाना है। ये वैसा ही होगा जैसे मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ बना था। उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड और बिहार से अलग होकर झारखंड बना था।
आखिर इस सबसे बदलाव क्या आएगा?
सबकुछ बदल जाएगा। जम्मू-कश्मीर के जो तीन सत्ता परिवार हैं, अब्दुल्ला परिवार, मुफ्ती परिवार और तीसरा कांग्रेस परिवार, उनके हाथ में कुछ नहीं रह जाएगा। देशभर के लोगों के कश्मीर में बसने और वहां बिजनेस करने का रास्ता खुल जाएगा। खासकर, होटल इंडस्ट्री में बड़ा बूम आएगा। इसके पहले होटल इंडस्ट्री पर कई तरह के प्रतिबंध थे। बाकी देश के लोग जब यहां उद्योग-धंधे खोलेंगे तो आतंकवाद में कमी आएगी। कोई ऐसी गतिविधियों को आश्रय नहीं देगा। सबसे बड़ा बदलाव यह भी आएगा कि सेना की वहां उपस्थिति और उस पर खर्च धीरे-धीरे कम होता जाएगा। लद्दाख के अलग होने से वहां विकास तेजी से होगा। अभी तक घाटी के नेता इस ओर ध्यान नहीं देते थे।
Note –
जम्मू-कश्मीर के मौजूदा संविधान के अनुसार, स्थायी नागरिक वही व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा और कानूनी तरीके से संपत्ति का अधिग्रहण किया हो। इसके अलावा कोई शख्स 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो।