Daily Editorial - Waqf Board Reforms Controlling Property Disputes and Changes in Management

वक्फ बोर्ड सुधार: संपत्ति विवादों पर नियंत्रण और प्रबंधन में बदलाव

वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक: संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने की कोशिश

वक्फ बोर्ड और उसकी उत्पत्ति

वक्फ का तात्पर्य इस्लामी संपत्तियों के संरक्षक ट्रस्ट से है, जिसे इस्लाम के आगमन के साथ भारत में पेश किया गया था। दिल्ली सल्तनत के दौरान वक्फ संपत्तियों का पहला लिखित उल्लेख मिलता है। मुगल काल में, वक्फ संपत्तियां शासकों के नियंत्रण में थीं और मस्जिदों सहित अन्य धर्मस्थलों का निर्माण किया गया, जो वक्फ संपत्ति के रूप में नामांकित हुईं।

1947 में भारत की आजादी के बाद, वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए एक स्ट्रक्चर की आवश्यकता महसूस की गई। इसके परिणामस्वरूप, 1954 में संसद ने वक्फ एक्ट पारित किया, जिसके अंतर्गत वक्फ बोर्ड की स्थापना हुई। इस बोर्ड के अधीन सभी वक्फ संपत्तियां आ गईं। 1955 में राज्यों के स्तर पर वक्फ बोर्ड बनाने का प्रावधान किया गया।

वक्फ बोर्ड की शक्तियां और उनका विस्तार

1995 में नया वक्फ बोर्ड एक्ट लाया गया, जिसमें 2013 में मनमोहन सिंह सरकार ने कई संशोधन किए। इन संशोधनों के तहत वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां प्रदान की गईं, जिसमें बोर्ड किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित कर सकता था और उसका निर्णय किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती थी। यह संशोधन वक्फ बोर्ड को अत्यधिक शक्तिशाली बना दिया और इसके दुरुपयोग की संभावना को बढ़ा दिया।

वक्फ अधिनियम के तहत अधिकांश मुस्लिम धर्मस्थल आते हैं, लेकिन इसके कुछ अपवाद भी हैं। उदाहरण के लिए, अजमेर शरीफ दरगाह इस कानून के अधीन नहीं है, और इसके प्रबंधन के लिए दरगाह ख्वाजा साहिब एक्ट 1955 बनाया गया था।

मोदी सरकार द्वारा वक्फ बोर्ड में बदलाव की आवश्यकता

वर्तमान स्थिति में, वक्फ बोर्ड की शक्तियों का दुरुपयोग और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में अनियमितता की शिकायतें बढ़ गई हैं। इस समस्या का समाधान करने के लिए मोदी सरकार ने 8 अगस्त 2024 को लोकसभा में वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पेश किया। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन, पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करना है।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, वक्फ बोर्ड में अनियमितता और जबरन संपत्ति पर कब्जे की 60,000 से अधिक शिकायतें सरकार के पास लंबित हैं। इस स्थिति को सुधारने के लिए वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक लाया गया है, जिसमें वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और संचालन में व्यापक बदलाव प्रस्तावित हैं।

वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक: प्रमुख प्रावधान

वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जिनमें वक्फ अधिनियम 1923 को समाप्त करना और 1995 के अधिनियम में 44 संशोधन शामिल हैं। इस विधेयक के तहत:

  • वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन: सरकार ने वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण के लिए सर्वे कमिश्नर का अधिकार जिला कलेक्टर या उनके द्वारा नामित डिप्टी कलेक्टर को सौंपा है।
  • केंद्रीय परिषद और ट्रिब्यूनल का पुनर्गठन: वक्फ बोर्डों के केंद्रीय परिषद और ट्रिब्यूनल की संरचना में व्यापक बदलाव लाया गया है, जिसमें दो महिलाओं का प्रतिनिधित्व अनिवार्य बनाया गया है।
  • संपत्ति के दावे का अधिकार समाप्त: धारा 40 को समाप्त किया गया है, जिससे वक्फ बोर्ड किसी की संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं कर सकेगा।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही: वक्फ संपत्तियों की जानकारी को छह माह के भीतर पोर्टल पर डालना अनिवार्य होगा, जिसमें भू राजस्व, सेस, कर, आय, और कोर्ट मामलों की जानकारी शामिल होगी।

विपक्ष का दृष्टिकोण और सरकार की प्रतिक्रिया

विपक्षी दलों ने इस विधेयक को संसद की स्थायी समिति को भेजने की मांग की है, ताकि इस पर विस्तृत विचार-विमर्श हो सके। सरकार ने इस पर सहमति जताई है और इसे व्यापक विमर्श और सर्वसम्मति के लिए प्रवर समिति को भेज दिया है। यह निर्णय महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे विपक्ष का यह आरोप नहीं रहेगा कि सरकार ने महत्वपूर्ण विधेयक बिना बहस के पारित कर दिया।

निष्कर्ष

वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक 2024 वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस विधेयक के माध्यम से वक्फ बोर्ड की असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाया जाएगा और मुस्लिम संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रवर समिति इस विधेयक पर किस तरह विचार करती है और क्या इसमें कोई आम सहमति बन पाती है।

 

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