सर्वनाम
सर्वनाम उस विकारी शब्द को कहते हैं, जो पूर्वापर संबंध से किसी भी संज्ञा के बदले प्रयुक्त होता है। दूसरे शब्दों में, सर्व (सब) नामों (संज्ञाओं) के बदले जो शब्द प्रयोग में आते हैं, उन्हें सर्वनाम कहते हैं।
जैसे – मैं, तू, यह, वह।
सर्वनाम के भेद
- पुरुषवाचक (उत्तम, मध्यम, अन्य)
- निश्चयवाचक (यह, ये, वह, वे)
- अनिश्चयवाचक (कोई, कुछ)
- प्रश्नवाचक (कौन, क्या)
- संबंधवाचक (जो, सो)
- निजवाचक (आप, खुद, स्वयं)
1. पुरुषवाचक सर्वनाम
पुरुषवाचक सर्वनाम पुरुष और स्त्री दोनों के नाम के बदले आते हैं। इसकी तीन कोटियाँ हैं – प्रथम पुरुष या उत्तम पुरुष में लेखक या वक्ता आता है, मध्यम पुरुष में पाठक या श्रोता और अन्य पुरुष में लेखक और श्रोता को छोड़कर अन्य लोग आते हैं।
जैसे –
उत्तम/प्रथम पुरुष – मैं, हम
मध्यम पुरुष – तू, तुम, आप
अन्य पुरुष – वह, वे, यह, ये
2. निश्चयवाचक सर्वनाम
जिस सर्वनाम से वक्ता के पास अथवा दूर की किसी वस्तु का बोध होता है, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे — यह, वह, ये, वे।
- यह किसका कोट है? (निकट की वस्तु के लिए)
- वह कौन रो रहा है? (दूर की वस्तु के लिए)
3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम
जिस सर्वनाम से किसी निश्चित वस्तु या प्राणी का बोध न हो, उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। अनिश्चयवाचक सर्वनाम केवल दो हैं – ‘कोई’ और ‘कुछ’। ‘कोई’ पुरुष के लिए और ‘कुछ’ पदार्थ या उसके गुण-धर्म के लिए आता है। ‘कोई’ का प्रयोग एकवचन और बहुवचन दोनों में होता है, लेकिन ‘कुछ’ का प्रयोग एकवचन में होता है।
उदाहरण
- देखो, दरवाजे पर कोई खड़ा है।
- आज कोई-न-कोई अवश्य आएगा।
- कोई कुछ कहता है, कोई कुछ।
- कोई दूसरा होता तो मैं देख लेता।
4. प्रश्नवाचक सर्वनाम
प्राणी या वस्तु के सन्दर्भ में प्रश्न करने वाले सर्वनाम प्रश्नवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। ये दो हैं- ‘कौन’ और ‘क्या’। ‘कौन’ व्यक्तियों के लिए और ‘क्या’ वस्तु या उसके गुण-धर्म के लिए प्रयुक्त होता है।
उदाहरण
- दरवाजे पर कौन खड़ा है?
- बरात में कौन-कौन आया था?
- मुझे रोकने वाले तुम कौन हो?
- इसमें नाराज होने वाली कौन-सी बात है?
- मैं किस-किस से पूछू?
- क्या गाड़ी चली गई?
5. संबंधवाचक सर्वनाम
जिस सर्वनाम से वाक्य में किसी दूसरे सर्वनाम से संबंध का बोध हो, उसे संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे – जो, सो। ‘जो’ के साथ ‘वह’ या ‘सो’ का प्रयोग प्रायः होता है।
उदाहरण
- जो बोले सो निहाल।
- क्या हुआ जो इस बार हार गए।
- किसी में इतना साहस नहीं, जो उसका विरोध करे।
- वह कौन-सा काम है, जो तुम नहीं कर सकते।
6. निजवाचक सर्वनाम
निजवाचक सर्वनाम का रूप ‘आप’ है। पुरुषवाचक सर्वनाम भी ‘आप’ है। किन्तु दोनों के अर्थ और प्रयोग में अन्तर है। पुरुषवाचक ‘आप’ बहवचन में आदर के लिए प्रयोग किया जाता है। जैसे – आप आए, हमारा सौभाग्य है। किन्तु निजवाचक ‘आप’ से ‘स्वयं’ या ‘निजता’ का बोध होता है। जैसे – आप भला तो जग भला। यह काम आप ही हो गया।
उदाहरण
निजवाचक सर्वनाम ‘आप’ का प्रयोग निम्नलिखित रूपों में होता है
- ‘आप’ के साथ ‘ही’ जोड़कर – मैं तो आप ही के साथ आ रहा था।
- ‘आप’ के साथ ‘अपने’ जोड़कर – कोई अपने-आप नहीं सुधरता।
- सर्वसाधारण के रूप में – अपने से बड़ों का आदर करना चाहिए।
- ‘आप’ के साथ ‘स्वयं’ ‘स्वतः’ या ‘खुद’ जोड़कर –
- आप स्वयं समझ जाएँगे।
- आप खुद आकर देख लीजिए।
- ‘आप’ के साथ ‘आप से आप’ जोड़कर – मेरा हृदय आप से आप उमड़ पड़ा।
सर्वनाम प्रयोग के प्रमुख नियम
- सर्वनाम विकारी शब्द है, क्योंकि इसमें पुरुष, वचन और कारक की दृष्टि से रूपान्तरण होता है। जैसे – वह (एकवचन), वे (बहुवचन)। सर्वनाम में लिंग-भेद के कारण रूपान्तरण नहीं होता। जैसे-वह खाता है (पुल्लिंग)। वह खाती है (स्त्रीलिंग)।
- सर्वनाम में केवल सात कारक होते हैं। सम्बोधन कारक नहीं होता। कारक की विभक्तियाँ लगने से सर्वनाम में रूपान्तरण होता है।
उदाहरण
मैं – मुझे, मुझको, मुझसे, मेरा।
तुम – तुम्हें, तुम्हारा, तुम्हारे।
हम – हमें, हमारा, हमारे।
वह – उसने, उसको, उसे, उससे, उसमें, उन्होंने।
यह – इसने, इसे, इससे, इन्होंने , इन्हें, इनको, इससे।
कौन – किसने, किसको, किसे।
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