विराम-चिह्न
भाषा रचना में विराम चिह्न बड़े सहायक होते हैं। अभिव्यक्ति की पूर्णता के लिए बोलते समय शब्दों पर भी जोर देना पड़ता है, कभी ठहरना पड़ता है और कभी-कभी विशेष संकेतों का भी सहारा लेना पड़ता है। इन चिन्हों को ही विराम-चिह्न कहते हैं।
नीचे दिए गए उदाहरण से स्पष्ट हो जाएगा कि विराम चिह्नों के प्रयोग से एक ही वाक्य में किस प्रकार भिन्न-भिन्न अर्थ हो जायेंगे –
- रोको मत जाने दो।
- रोको मत, जाने दो।
- रोको, मत जाने दो।
- राम परीक्षा के दिनों में खेल रहा है।
- राम परीक्षा के दिनों में खेल रहा है?
- राम परीक्षा के दिनों में खेल रहा है!
हिन्दी में निम्नलिखित विराम-चिह्नों का प्रयोग होता है –
1. पूर्ण विराम (।)
इस चिह्न का प्रयोग निम्न दशाओं में होता है –
- वाक्य की समाप्ति पर
जैसे – राम आदमी है। - प्रायः शीर्षक के अन्त में भी इस चिन्ह का प्रयोग होता है।
जैसे – विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व। - पदों की अर्द्धाली के अन्त में
जैसे – सियाराममय सब जग जानी।
इसे अंग्रेजी में Full Stop कहते हैं।
2. अल्प विराम (,)
इस चिह्न को अंग्रेजी में कोमा (Comma) कहते हैं। निम्न अवसरों पर इसका प्रयोग किया जाता है:
- जब एक ही शब्द भेद के दो शब्दों के बीच में समुच्चयबोधक न हो,
जैसे – राम ने केले, अमरुद और अंगूर खाये। - समानाधिकरण के शब्दों में,
जैसे – जनक की पुत्री सीता, राम की पत्नी थी। - जब कई शब्द जोड़े से आते हैं तब प्रत्येक जोड़े के बाद,
जैसे – संसार में दुःख और सुख, मरना और जीना, रोना और हँसना लगा ही रहता है। - क्रिया विशेषण वाक्यांशों के साथ
जैसे – उसने, गम्भीर चिंतन के बाद, यह काम किया। - जब किसी वाक्य में वाक्यांश अथवा खण्ड वाक्य एक ही रूप में प्रयुक्त हों तो अंतिम पद को छोड़कर शेष के आगे,
जैसे – पुस्तक के अध्ययन से ज्ञान बढ़ता है, विचार पुष्ट होते हैं, बुरी संगत से बचाव होता है और दुःख का समय कट जाता है। - जब छोटे समानाधिकरण प्रधान वाक्यों के बीच में कोई समुच्चयबोधक शब्द न हो तब उनके बीच में,
जैसे – नभ मेघों से घिर गया, विद्युत चमकने लगी, मूसलाधार वर्षा होने लगी। - हाँ, अस्तु के पश्चात्,
जैसे – हाँ, आप जा सकते हैं। - ‘कि’ के अभाव में,
जैसे – वह जानता है, तुम कल यहाँ नहीं थे। - संज्ञा वाक्य के अलावा मिश्र वाक्य के शेष बड़े उपवाक्यों के बीच में,
जैसे – यही वह पुस्तक है, जिसकी मुझे आवश्यकता है।
संक्षेप में हम कह सकते हैं कि जहाँ रुकने की आवश्यकता हो, वहाँ इस चित्र का प्रयोग होता है।
3. अर्द्ध विराम (;)
अंग्रेजी में इसे सेमी कोलन (Semi Colon) कहते हैं। जहाँ अल्प विराम से कुछ अधिक एवं पूर्ण विराम से कुछ कम रुकने की आवश्यकता होती है, वहाँ इस चिह्न का प्रयोग होता है। साधारणतः इस विराम चिह्न का प्रयोग निम्न अवसरों पर किया जाता है:
- जब संयुक्त वाक्यों के प्रधान वाक्यों में परस्पर विशेष संबंध नहीं रहता,
जैसे – सोना बहुमूल्य धातु है; पर लोहे का भी कम महत्त्व नहीं है। - उन पूरे वाक्यों के बीच में जो विकल्प के अन्तिम समुच्चय बोधक द्वारा जोड़े जाते हैं,
जैसे – राम आया; उसने उसका स्वागत किया; उसके ठहरने की व्यवस्था की और उसे खिलाकर चला गया। - एक मुख्य वाक्य पर आधारित रहने वाले वाक्यों के बीच में,
जैसे – जब तक हम गरीब हैं; बलहीन हैं; दूसरे के आश्रित रहने वाले हैं; तब तक हमारा कल्याण नहीं हो सकता।
4. प्रश्नवाचक चिह्न (?)
इसे अंग्रेजी में Sign of Interrogative कहते हैं। इस चिह्न का प्रयोग प्रश्न सूचक वाक्यों के अन्त में पूर्ण विराम के स्थान पर होता है।
जैसे – आप क्या कर रहे हैं?
5. विस्मयादि बोधक या बोधन सूचन चिह्न (!)
इस चिह को अंग्रेजी में Sign of Exclamation कहते हैं। विस्मय, हर्ष, घृणा आदि मनोवेगों को प्रकट करने के लिए या जहाँ किसी को संबोधित किया जाता है वहाँ इस चिह्न का प्रयोग होता है,
जैसे –
- अरे यह क्या हुआ!
- हे भगवान हमारी रक्षा करो!
6. अवतरण चिह (“ ”)
अंग्रेजी में इस चिह्न को Inverted Commas कहते हैं। जब किसी दूसरे के कथन को ज्यों का त्यों उद्धृत करना पड़ता है तब अवरतण चिह का प्रयोग किया जाता है। इसे उल्टा विराम, युगलपाश अथवा उदाहरण चिह्न भी कहते है।
जैसे – उसने कहा, “मोह माया के भ्रम में मत पड़ो।”
7. निर्देशिक समूह (-)
अंग्रेजी में इसे Dash कहते हैं। इसका प्रयोग निम्न अवसरों पर होता है –
- समानाधिकरण शब्दों, वाक्यांशों अथवा वाक्यों के बीच में,
जैसे – आंगन में ज्योत्स्ना-चाँदनी-छिटकी हुई थी। - किसी विषय के साथ तत्संबंधी अन्य बातों की सूचना देने में
जैसे – काव्य के दो अंग हैं – एक पद्य, दूसरा गद्य । - लेख के नीचे लेखन या पुस्तक के नाम से पहले,
जैसे – रघुकुल रीति सदा चली आई-तुलसी। - जहाँ विचारधारा में व्यतिक्रम पैदा हो,
जैसे – कौन कौन उत्तीर्ण हो जायेंगे-समझ में नहीं आता।
8. विवरण चिन्ह (:-)
इसे अंग्रेजी में Colon and dash कहते हैं। इस चिह्न का प्रयोग उस अवसर पर किया जाता है जब किसी वाक्य के आगे कई बातें क्रम में लिखी जाती हैं,
जैसे – क्रिया के दो भेद हैं :- सकर्मक, अकर्मक, या निम्न शब्दों की व्याख्या कीजिए:- संज्ञा, विशेषण, क्रिया।
9. समास चिह्न (﹣)
इसे अंग्रेजी में Hyphen कहते हैं। सामासिक पदों के बीच में इसका प्रयोग होता है। इसे मध्यवर्ती या योजक चिह्न भी कहते हैं।
जैसे – माता﹣पिता, रण﹣भूमि, आना﹣जाना आदि।
10. कोष्ठक चिह्न ((), [], {})
इसे अंग्रेजी में Bracket कहते हैं। यह चिह्न ऐसे वाक्यों या वाक्यांशों को घेरने के काम आता है, जिनका मुख्य वाक्य से संबंध नहीं होता, पर भाव के स्पष्टीकरण के लिए वह वाक्य या वाक्यांश आवश्यक है,
जैसे – राम (हँसते हुए) अच्छा जाइए।
11. संक्षेप सूचक चिह्न (。)
इसे लाघव चिह्न भी कहते हैं। शब्द को संक्षिप्त रूप देने के लिए इस चिह्न का प्रयोग होता है,
जैसे – दिनांक को दिo, पण्डित को पंo, रुपये को रुo आदि लिखा जा सकता है।
12. लोप सूचक चिह्न (——-)(+++)
जहाँ किसी वाक्य या कथन का कुछ अंश छोड़ दिया जाता है, वहाँ इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है,
जैसे –
- मैं तो परिणाम भोग रहा हूँ, कहीं आप——-
- रघुकुल रीति सदा चली आई प्राण जाहि ++++
13. तुल्यता सूचक चिह्न (=)
समता या बराबरी बताने के लिए इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है,
जैसे – पवन = हवा
14. हंस पद (^)
इसे विस्मरण चिह्न भी कहते हैं। लिखते समय जब हम कुछ भूल जाते हैं तो उसे सुधारने के लिए इस चिह्न को लगाकर हम भूले हुए शब्द को लिख देते हैं।
. आगरा
जैसे – मुझे आज ^ जाना है।
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