Daily The Hindu Editorial - Shock-proof state On an outage and a democratic digital infrastructure

डिजिटल ढांचे की सुरक्षा: आवश्यकताएं और चुनौतियां

झटकों से सुरक्षित राज्य: रुकावट और लोकतांत्रिक डिजिटल ढांचा पर विचार 
(Shock-proof state: On an outage and a democratic digital infrastructure)

The Hindu के संपादकीय “Shock-proof State: On an outage and a democratic digital infrastructure” में हाल ही में डिजिटल ढांचे में आई रुकावट की घटनाओं पर प्रकाश डाला गया है। इस लेख में बताया गया है कि कैसे एक सामान्य सॉफ्टवेयर समस्या से महत्वपूर्ण सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं और इससे बचने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए।

मुख्य लेख

19 जुलाई को हुई डिजिटल रुकावट ने यह स्पष्ट किया कि वैश्विक स्तर पर सूचना प्रौद्योगिकियों पर निर्भरता कितनी बढ़ गई है। सुपरमार्केट, बैंक, अस्पताल, हवाई अड्डे और कई अन्य सेवाएं एक सामान्य सॉफ्टवेयर समस्या के कारण एक साथ बंद हो गईं। इस घटना ने दिखाया कि तकनीकी प्रगति के साथ-साथ आपातकालीन प्रोटोकॉल और फेलसेफ्स की स्थापना कितनी महत्वपूर्ण है।

प्रमुख बिंदु यह है कि तकनीकी प्रगति अनिवार्य और वांछनीय है, लेकिन इसके साथ जिम्मेदारी भी आती है कि ऐसी स्थितियों के लिए तैयारियां की जाएं। यह समस्या खासकर उन समाजों में अधिक गहराई से महसूस होती है जहां नई प्रौद्योगिकियों का उपयोग वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने वाले क्षेत्रों में केंद्रित है, जबकि स्थानीय बाजारों में सेवाओं का विस्तार अपेक्षाकृत कम है।

लेख में यह भी उल्लेख किया गया है कि ऐसी गड़बड़ियां सामान्यतः लोगों की अपेक्षा से अधिक आम होती हैं। इसलिए, ध्यान केंद्रित होना चाहिए उन नेटवर्क इंटरकनेक्शन्स पर जो इन प्रौद्योगिकियों को उपयोगी बनाते हैं और जीवनरक्षक रेडंडंसी के कार्यान्वयन पर।

मुख्य तर्क

  • डेटा सुरक्षा और साइबर सुरक्षा: सरकार को डिजिटल गोपनीयता और डेटा संप्रभुता के संबंध को ध्यान में रखते हुए ‘डिजिटल इंडिया’ को बढ़ावा देना चाहिए। इसमें सॉफ्टवेयर समाधानों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और साइबर हमलों से बचाव के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग करना शामिल है।
  • समाजिक और आर्थिक प्रभाव: डिजिटल सेवाओं की समान उपलब्धता सुनिश्चित करना भी आवश्यक है। ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में डिजिटल सेवाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए सरकार को बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाना होगा।
  • खुले स्रोत सॉफ्टवेयर का उपयोग: सार्वजनिक अविश्वास को दूर करने के लिए, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों जैसे उपकरणों में खुले स्रोत सॉफ्टवेयर और संप्रभुता परीक्षण के उपयोग को बढ़ावा दिया जा सकता है।

प्रतिकूल तर्क

  • वित्तीय बोझ: इन सभी सुधारों को लागू करने में सरकार और निजी क्षेत्र को काफी वित्तीय बोझ उठाना पड़ेगा।
  • तकनीकी ज्ञान की कमी: ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में तकनीकी ज्ञान की कमी भी एक बड़ी चुनौती है, जिसे दूर करना आवश्यक है।

निष्कर्ष

डिजिटल ढांचे की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सरकार को तेजी से कदम उठाने होंगे। डेटा सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, और डिजिटल सेवाओं की समान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर काम करना होगा। एक सुरक्षित और सशक्त डिजिटल ढांचे का निर्माण अत्यंत आवश्यक है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।

 

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