ज्यादा मदद का सवाल: केंद्रीय बजट और आवंटन
(More for More: On the Union Budget and Allocations)
यह सारांश 2024-25 के केंद्रीय बजट के प्रमुख बिंदुओं को एक संगठित और सरल प्रारूप में प्रस्तुत करता है। “The Hindu” के लेख “More for More: On the Union Budget and Allocations” में संघ बजट के प्रमुख पहलुओं और आवंटनों पर चर्चा की गई है, जिसमें सरकार के फोकस क्षेत्र और विभिन्न क्षेत्रों के लिए निहितार्थ पर प्रकाश डाला गया है।
बजट की प्राथमिकताएँ
2024-25 के केंद्रीय बजट को केवल राजस्व और व्यय का विवरण नहीं, बल्कि एक राजनीतिक अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण अभ्यास माना गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि क्षेत्र के प्रावधानों से शुरू होकर रोजगार को बढ़ावा देने तक की “नौ प्राथमिकताएँ” प्रस्तुत की हैं।
आंध्र प्रदेश और बिहार के लिए विशेष प्रावधान
वित्त मंत्री ने आंध्र प्रदेश और बिहार के लिए विशेष प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा की। बिहार को लगभग ₹59,000 करोड़ का सबसे बड़ा हिस्सा मिला है, जिसमें ₹26,000 करोड़ सड़क बुनियादी ढांचे, ₹21,400 करोड़ एक 2,400 मेगावाट पावर प्लांट, और ₹11,500 करोड़ सिंचाई और बाढ़ शमन के लिए शामिल हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की मांग पर ध्यान देते हुए अमरावती की नई राजधानी के विकास के लिए ₹15,000 करोड़ की ‘विशेष वित्तीय सहायता’ प्रदान की गई है।
अन्य राज्यों की उपेक्षा
हालांकि, बजट में मुंबई मेट्रो रेल जैसी परियोजनाओं के लिए छोटे-छोटे आवंटन किए गए हैं, लेकिन विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों जैसे तमिलनाडु के चेन्नई मेट्रो रेल और केरल के विजिंजम पोर्ट परियोजना की उपेक्षा की गई है। यह असमान वितरण केंद्रीय वित्तीय संसाधनों के निष्पक्ष और न्यायसंगत वितरण में विफलता को दर्शाता है।
विकसित राज्यों की उपेक्षा का जोखिम
विकसित और औद्योगिक रूप से उन्नत राज्यों की उपेक्षा करने से विकास दर में गिरावट का जोखिम बढ़ सकता है। ये राज्य जो अत्याधुनिक तकनीक, कॉर्पोरेट्स, प्रतिभा और अनुसंधान एवं विकास आधार को आकर्षित कर रहे हैं, उन्हें भी केंद्रीय सहायता की आवश्यकता है ताकि वे ऊर्जा संक्रमण, ऑटोमोबाइल, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मोबाइल और अर्धचालक उद्योगों में अगली पीढ़ी के उद्योगों को स्थापित कर सकें।