उत्तराखंड लोकसेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित की जानेवाली आगामी परीक्षाओं (UKPSC/ UKSSSC) को मध्यनजर रखते हुए Exam Pillar आपके लिए Daily MCQs प्रोग्राम लेकर आया है। इस प्रोग्राम के माध्यम से अभ्यर्थियों को उत्तराखंड लोकसेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के परीक्षाओं के प्रारूप के अनुरूप वस्तुनिष्ठ अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराये जायेंगे।
Daily UKPSC / UKSSSC MCQs : उत्तराखंड (Uttarakhand)
22 November, 2025
| Read This UKPSC / UKSSSC Daily MCQ – (Uttarakhand) in English Language |
Q1. कुछ इतिहासकार ताम्र-संस्कृति के उपकरणों को किस रूप में मानते हैं?
(A) तलवार
(B) स्कन्धित कुठार
(C) औजार
(D) मूर्ति
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व्याख्या: कुछ इतिहासकार ताम्र-संस्कृति के उपकरणों को स्कन्धित कुठार मानते हैं। इसका अर्थ है कि ये उपकरण लड़ाई और शिकार में प्रयोग किए जाने वाले हथियार भी हो सकते हैं।
Q2. ताम्र-उपकरण की आपूर्ति गढ़वाल-कुमाऊँ में किन स्थानों से हुई थी?
(A) पोखरी, धनपुर-डोबरी, अस्कोट
(B) अलकनंदा, यमुना, रामगंगा
(C) नैनीताल, रानीखेत, हरिद्वार
(D) मसूरी, देहरादून, पिथौरागढ़
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व्याख्या: ताम्र-उपकरण का निर्माण करने वालों को ताम्र की आपूर्ति गढ़वाल-कुमाऊँ में स्थित पोखरी, धनपुर-डोबरी, अस्कोट आदि खानों से हुई थी। यह क्षेत्र प्राचीन खनन गतिविधियों का केन्द्र रहा।
Q3. ताम्र-उपकरणों से संबंधित प्राचीन आगरी जाति का क्या कार्य था?
(A) कृषि कार्य
(B) शिल्प निर्माण
(C) खनन कार्य
(D) व्यापार
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उत्तर: (C) खनन कार्य
व्याख्या: प्राचीन काल से आगरी जाति ताम्र-उपकरण निर्माण के लिए खनन कार्य में संलग्न थी। यह गतिविधि ताम्र-संस्कृति और स्थानीय आर्थिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा थी।
Q4. उत्तराखण्ड का प्रथम उल्लेख किस ग्रंथ में मिलता है?
(A) ऐतरेय ब्राह्मण
(B) ऋग्वेद
(C) स्कन्द पुराण
(D) रघुवंश
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व्याख्या: उत्तराखण्ड का प्रथम उल्लेख ऋग्वेद में प्राप्त होता है, जहाँ इस क्षेत्र को देवभूमि और मनीषियों की पूर्ण भूमि कहा गया है। ऋग्वेद को विश्व का सबसे प्राचीन धार्मिक ग्रंथ माना जाता है और इसमें उत्तराखण्ड को एक पवित्र और आध्यात्मिक क्षेत्र के रूप में वर्णित किया गया है।
Q5. ऐतरेय ब्राह्मण ग्रंथ में उत्तराखण्ड के लिए कौन-सा नाम प्रयुक्त हुआ है?
(A) इलावर्त
(B) उत्तर-कुरु
(C) खसदेश
(D) ब्रह्मपुर
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व्याख्या: ऐतरेय ब्राह्मण ग्रंथ में उत्तराखण्ड क्षेत्र के लिए ‘उत्तर-कुरु’ शब्द का प्रयोग किया गया है। वहीं दक्षिण-कुरु शब्द मेरठ और हस्तिनापुर क्षेत्र के लिए प्रयुक्त हुआ है। इससे स्पष्ट होता है कि वैदिक काल में उत्तराखण्ड को एक विशिष्ट भौगोलिक और सांस्कृतिक क्षेत्र के रूप में देखा गया था।
