उत्तराखंड लोकसेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित की जानेवाली आगामी परीक्षाओं (UKPSC/ UKSSSC) को मध्यनजर रखते हुए Exam Pillar आपके लिए Daily MCQs प्रोग्राम लेकर आया है। इस प्रोग्राम के माध्यम से अभ्यर्थियों को उत्तराखंड लोकसेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के परीक्षाओं के प्रारूप के अनुरूप वस्तुनिष्ठ अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराये जायेंगे।
Daily UKPSC / UKSSSC MCQs : उत्तराखंड (Uttarakhand)
22 December, 2025
| Read This UKPSC / UKSSSC Daily MCQ – (Uttarakhand) in English Language |
Q1. उत्तराखण्ड में नाग वंश का अस्तित्व किस शताब्दी में प्रमाणित होता है?
(A) 4वीं – 5वीं शताब्दी
(B) 5वीं – 6वीं शताब्दी
(C) 6वीं – 7वीं शताब्दी
(D) 7वीं – 8वीं शताब्दी
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Explanation: नाग वंश की जानकारी 6वीं–7वीं शताब्दी में प्राप्त अभिलेखों के माध्यम से सिद्ध होती है। गोपेश्वर का त्रिशूल लेख विशेष रूप से इस काल का प्रमाण देता है, जिसमें नाग वंश के चार शासकों — स्कन्दनाग, गणपति नाग, विमुनाग और अंशुनाग — के नाम अंकित हैं। यह काल उत्तर भारत के मध्यकालीन छोटे-छोटे राजवंशों की स्थापना और राजनीतिक प्रभुत्व का समय था। अन्य विकल्पों में वर्णित कालखंड या तो पूर्व का है (4वीं–5वीं, 5वीं–6वीं) या बाद का (7वीं–8वीं), जो अभिलेखीय प्रमाणों से मेल नहीं खाता।
Q2. लाखामंडल के खंडित अभिलेखों में कितने राजाओं के स्पष्ट नाम अंकित पाए गए?
(A) 5
(B) 6
(C) 7
(D) 8
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Explanation: खंडित अभिलेखों के शिलालेख-खंडों का विश्लेषण करने पर कुल सात राजाओं के स्पष्ट नाम संकलित हुए। यह संख्या शिलालेखों के भागों में मिले नामों के प्रत्यक्ष गिनती पर आधारित है और वंश के अनुक्रम एवं सत्ता-परम्परा की पहचान में निर्णायक प्रमाण के रूप में काम आती है। अन्य विकल्पों में दी गई संख्याएँ शिलालेखों में स्पष्टतः जेनरेट नहीं होतीं; अतः केवल सात ही सत्यापित नामों की गिनती वैज्ञानिक वाङ्मय-विश्लेषण के अनुरूप है।
Q3. उक्त अभिलेखों में सूचीबद्ध प्रथम तथा अंतिम शासक कौन से हैं?
(A) प्रथम — वीरयश; अंतिम — नन्दक
(B) प्रथम — नरपति जयदास; अंतिम — नामक्षत
(C) प्रथम — श्री सेनवर्मन; अंतिम — ईश्वरा
(D) प्रथम — शीलवर्मन; अंतिम — शिवभवानी
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Explanation: शिलालेखों की क्रमिक पठन-व्याख्या में सरवजनिक प्रारम्भिक नाम नरपति जयदास के रूप में पढ़ा गया, जबकि सूची का अंतिम नाम नामक्षत अंकित मिलता है। यह क्रम वंशवृत्ति तथा राजकीय सूचीबद्धता का प्रत्यक्ष सूचक है और शासकीय उत्तराधिकार-श्रृंखला की पुनर्निर्माण में उपयोगी ठहरता है। अन्य विकल्पों में उल्लिखित नाम या तो किसी अन्य वंश से संबंधित हैं या उन शिलालेखों में ऐसे संयोजनों के लिए प्रमाण उपस्थित नहीं है; इसलिए (B) ही अभिलेखीय गवाहों के अनुरूप सटीक उत्तर है।
Q4. नाग वंश के शासकों के नाम किस अभिलेख से प्राप्त हुए?
(A) लाखामंडल शिलालेख
(B) गोपेश्वर त्रिशूल लेख
(C) प्रयाग प्रशस्ति
(D) कालसी लेख
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Explanation: गोपेश्वर त्रिशूल लेख में नाग वंश के चार प्रमुख शासकों के नाम अंकित हैं — स्कन्दनाग, गणपति नाग, विमुनाग और अंशुनाग। यह अभिलेख दक्षिणी ब्राह्मी लिपि में है और नाग वंश के राजनीतिक एवं धार्मिक गतिविधियों का प्रत्यक्ष साक्ष्य प्रदान करता है। अन्य विकल्प जैसे लाखामंडल शिलालेख, प्रयाग प्रशस्ति और कालसी लेख अलग वंशों या राजसत्ताओं से सम्बंधित हैं, इसलिए वे नाग वंश के नामों का प्रमाण नहीं देते।
Q5. गणपति नाग ने अपने दूसरे राज्य वर्ष में किस स्थान पर शक्ति (त्रिशूल) की स्थापना की थी?
(A) उत्तरकाशी बाड़ाहाट
(B) गोपेश्वर रुद्रमहालय
(C) यमुना घाटी
(D) लाखामंडल शिव मंदिर
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Explanation: गोपेश्वर त्रिशूल लेख में स्पष्ट उल्लेख है कि गणपति नाग ने अपने दूसरे राज्य वर्ष में रुद्रमहालय के सामने शक्ति (त्रिशूल) की स्थापना की थी। यह कार्य धार्मिक और राजनीतिक महत्व का प्रतीक था, जिससे नाग वंश की सत्ता और दिव्य अधिकार को पुष्ट किया गया। विकल्प (A) उत्तरकाशी बाड़ाहाट अभिलेख अन्य नाग राजाओं, जैसे गणेश्वर और गुह, से संबंधित है; विकल्प (C) यमुना घाटी में यदुओं पर नाग शक्ति का प्रभुत्व सिद्ध होता है, पर त्रिशूल स्थापना का स्थान नहीं है; विकल्प (D) लाखामंडल शिव मंदिर यदुवंश से सम्बंधित है। इसलिए (B) सही उत्तर है।
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