UKPSC UKSSSC Daily MCQ – (Uttarakhand) – 15 December 2025

UKPSC / UKSSSC Daily MCQ – (Uttarakhand) – 15 December 2025

December 15, 2025

उत्तराखंड लोकसेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित की जानेवाली आगामी परीक्षाओं (UKPSC/ UKSSSC) को मध्यनजर रखते हुए Exam Pillar आपके लिए Daily MCQs प्रोग्राम लेकर आया है। इस प्रोग्राम के माध्यम से अभ्यर्थियों को उत्तराखंड लोकसेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के परीक्षाओं के प्रारूप के अनुरूप वस्तुनिष्ठ अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराये जायेंगे। 

Daily UKPSC / UKSSSC MCQs : उत्तराखंड (Uttarakhand)
15 December, 2025 

Read This UKPSC / UKSSSC Daily MCQ – (Uttarakhand) in English Language

Q1. खटीमा से प्राप्त जो सात कुषाण स्वर्ण मुद्राएँ मिलीं, उन पर किस नाम का उल्लेख था?
(A) वसु
(B) कनिष्क
(C) हुविष्क
(D) वासुदेव द्वितीय

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Answer: (A)
Explanation: दस्तावेजी जानकारी बताती है कि खटीमा से सात स्वर्ण मुद्राएँ मिलीं जिन पर वसु नामक राजा का नाम अंकित था। यह स्थानीय राज्य-नामों या शासकीय संज्ञाओं के भौगोलिक प्रसार का संकेत देता है। कनिष्क, हुविष्क तथा वासुदेव द्वितीय के सिक्के भी विभिन्न स्थानों से मिले हैं पर खटीमा के उन सात स्वर्ण मुद्रों पर विशेष रूप से वसु का उल्लेख मिलता है। इसलिए (A) निष्कर्षतः उपयुक्त उत्तर है।

Q2. कनिष्क की नाणक स्वर्ण मुद्राएँ किस स्थान से प्राप्त हुईं?
(A) काशीपुर
(B) कोटद्वार
(C) मुनि की रेती
(D) खटीमा

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Answer: (A)
Explanation: सूचनाओं में कहा गया है कि कनिष्क की नाणक (स्वर्ण मुद्राएँ) काशीपुर से प्राप्त हुईं। यह तथ्य कनिष्क के सिक्कों के प्रचलन और व्यापारिक/राजनैतिक पहुँच को संकेत करता है, विशेषकर तराई क्षेत्र में। अन्य विकल्पों पर प्राप्त कुछ अन्य शासकों की मुद्राएँ मिलीं पर कनिष्क की विशेष नाणक-खोज काशीपुर से ही जुड़ी हुई है। अतः (A) सटीक जवाब है।

Q3. किन स्थानों के उत्खनन से कुषाणकालीन अवशेष प्राप्त हुए — नीचे दिए समूह में क्या सही है?
(A) मोरध्वज, पाण्डुवाला, वीरभद्र एवं भरत मन्दिर
(B) मुनि की रेती, खटीमा, काशीपुर एवं कोटद्वार
(C) ऋषिकेश, अठूर, अल्मोड़ा एवं थत्यूड़
(D) पेशावर, पुरुषपुर, भरहुत एवं मथुरा

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Answer: (A)
Explanation: खोज-प्रवृत्तियों में उल्लेख है कि मोरध्वज, पाण्डुवाला, वीरभद्र और भरत मन्दिर के उत्खनन से कुषाणकालीन अवशेष प्राप्त हुए हैं। यह सूची सीधे उन उत्खननों की ओर संकेत करती है जहाँ माटी-परतों से अवशेष निकले और ऐतिहासिक प्रमाण उभरकर आये। विकल्प (B) में दिये स्थान कुछ सिक्कों/मुद्राओं की खोज-साइटों के रूप में सही हो सकते हैं पर उत्खनन-परिणाम के संदर्भ में वे उतने सुस्पष्ट नहीं दिखते। विकल्प (C) और (D) में दी गई सूचियाँ या तो मिश्रित हैं या उस विशेष कथन के साथ मेल नहीं खातीं। अतः (A) सर्वाधिक उपयुक्त है।

Q4. निम्न में से कौन-सा कथन सबसे सटीक रूप से कुषाणों के रेशम मार्ग पर प्रभाव को दर्शाता है?
(A) रेशम मार्ग पर नियंत्रण करने वाला एकमात्र शासक कनिष्क था
(B) रेशम मार्ग का नियंत्रण कुषाणों के बाद समाप्त हो गया
(C) रेशम मार्ग का कोई भी नियंत्रण कुषाणों के पास नहीं था
(D) रेशम मार्ग पर शासन केवल वासुदेव द्वितीय का था

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Answer: (A)
Explanation: सामग्री यह सबूत देती है कि कनिष्क ने रेशम मार्ग पर नियंत्रण स्थापित किया था और इसी कारण उसे विशेष रूप से उल्लेखनीय बताया गया है। यह नियंत्रण आर्थिक समृद्धि और स्वर्ण मुद्राओं के व्यापक प्रचलन के साथ जुड़ा हुआ माना जा सकता है। विकल्प (B) का कठोरतम दावा द्रुतसंगत प्रमाण के बिना है; विकल्प (C) प्रत्यक्षत: विरोधाभासी है क्योंकि रेशम मार्ग पर नियंत्रण का सम्बन्ध कनिष्क से स्पष्ट किया गया है; विकल्प (D) अतिशयोक्ति है क्योंकि वासुदेव द्वितीय के सिक्के स्थानीय महत्व दर्शाते हैं पर सम्पूर्ण रेशम मार्ग के नियंत्रण का दायित्व केवल उस नाम पर नहीं डाला जा सकता। इसलिए (A) तर्कसंगत और दस्तावेज-समर्थित विकल्प है।

Q5. उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर कुषाण स्वर्ण मुद्राओं के महत्व के किस पहलू को सबसे ठोस रूप में स्थापित किया जा सकता है?
(A) सिक्कों से केवल धार्मिक संकेत मिलते हैं, आर्थिक जानकारी नहीं
(B) स्वर्ण मुद्राएँ राजनैतिक प्रभुता, आर्थिक समृद्धि और बाह्य व्यापार-संरचना के ठोस संकेत प्रस्तुत करती हैं
(C) स्वर्ण मुद्राएँ केवल प्रयाग क्षेत्र तक सीमित थीं और तराई क्षेत्र से कोई सम्बन्ध नहीं था
(D) स्वर्ण मुद्राएँ केवल सामुदायिक दान-उपयोग के लिए ढलायी गयी थीं और मुद्रा रूप में उपयोग नहीं होतीं

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Answer: (B)
Explanation: स्वर्ण मुद्राओं के भौगोलिक प्रसार (काशीपुर, मुनि की रेती, खटीमा आदि), उनके शासकीय नामों का अंकन (कनिष्क, हुविष्क, वसु, वासुदेव द्वितीय) तथा रेशम मार्ग को नियंत्रित करने जैसी शक्तियों का संकेत मिलकर यह स्पष्ट करते हैं कि ये मुद्राएँ केवल धार्मिक प्रतीक नहीं थीं; वे राजनीतिक प्रभुता, आर्थिक समृद्धि तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार-संरचना के निर्णायक साक्ष्य हैं। विकल्प (A) अत्यन्त संकुचित व्याख्या करता है; विकल्प (C) आम खातों के विरुद्ध है क्योंकि अनेक खोज तराई और आसपास के क्षेत्रों से जुड़ी हैं; विकल्प (D) की धारणा भी असंगत है क्योंकि स्वर्ण मुद्राओं का व्यापक प्रचलन और उत्खनन व्यापार-लाभ तथा विनिमय के प्रमाणों के साथ मेल खाता है। इसलिए (B) सर्वाधिक समावेशी और सबूत-आधारित निष्कर्ष है।

 

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