UKPSC UKSSSC Daily MCQ – (Uttarakhand) – 12 December 2025

UKPSC / UKSSSC Daily MCQ – (Uttarakhand) – 12 December 2025

December 12, 2025

उत्तराखंड लोकसेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित की जानेवाली आगामी परीक्षाओं (UKPSC/ UKSSSC) को मध्यनजर रखते हुए Exam Pillar आपके लिए Daily MCQs प्रोग्राम लेकर आया है। इस प्रोग्राम के माध्यम से अभ्यर्थियों को उत्तराखंड लोकसेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के परीक्षाओं के प्रारूप के अनुरूप वस्तुनिष्ठ अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराये जायेंगे। 

Daily UKPSC / UKSSSC MCQs : उत्तराखंड (Uttarakhand)
12 December, 2025 

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Q1. अमोघभूति प्रकार की मुद्राओं की धातु संरचना क्या है?
(A) केवल स्वर्ण
(B) तांबा और रजत
(C) मिश्र धातु और कांस्य
(D) लोहे पर उकेरी हुई मुद्राएँ

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Answer: (B)
Explanation: पाठ बताता है कि अमोघभूति प्रकार की मुद्राएँ रजत और तांबे (तांबा/ताम्र) की बनी हुई थीं। यह धातु-विभाजन उस युग की अर्थव्यवस्था, उपलब्ध धातुओं तथा विनिमय प्रणाली को दर्शाता है। केवल स्वर्ण, मिश्रधातु या लोहे के प्रयोग का विस्तृत उल्लेख नहीं है, अतः (B) ही सटीक विकल्प है।

Q2. किस राज्यों से कुणिन्द मुद्राएँ प्राप्त हुईं—ऐसे पाँच राज्यों के समूह में से सही संयोजन चुनिए।
(A) हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड
(B) राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, ओडिशा
(C) तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना
(D) सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय

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Answer: (A)
Explanation: उपलब्ध सूचनाओं में निर्दिष्ट है कि कुणिन्द मुद्राएँ हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखण्ड से मिलीं। यह क्षेत्रीय वितरण उत्तर-पश्चिम एवं उप-हिमालयीय इलाकों में उनके प्रभाव को दर्शाता है। बाकी विकल्पों में भौगोलिक रूप से दूरस्थ या दक्षिण/पूर्वोत्तर राज्यों का समावेश है जो प्रस्तुत तथ्य के अनुरूप नहीं है। इसलिए (A) ही उपयुक्त उत्तर है।

Q3. कुणिन्द सिक्कों से संबंधित कौन-सा निहितार्थ निकाला जा सकता है?
(A) सिक्कों की उपस्थिति से केवल धार्मिक विश्वासों की जानकारी ही मिलती है, राजनीतिक नहीं।
(B) सिक्के आर्थिक, राजनीतिक और धार्मिक संकेत देते हैं तथा शासन-कालीन नामों और लिपियों का स्रोत प्रस्तुत करते हैं।
(C) सिक्कों पर केवल पशु-आकृतियाँ मिलती हैं और मानवीय आकृतियों नहीं।
(D) सिक्कों की मौजूदगी से क्षेत्रीय सीमाओं का कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता।

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Answer: (B)
Explanation: सिक्के अनेक प्रकार की जानकारी समेकित रूप से प्रस्तुत करते हैं—शासक के नाम, उपयोग की गई लिपियाँ, प्रतीक-आकृतियाँ, धातु और वितरण का भौगोलिक प्रमाण। प्रस्तुत विवरण में शासकों के नामों की सूची, ब्राह्मी व खरोष्ठी लिपि का प्रयोग, देवी/नाग/स्वास्तिक जैसी आकृतियाँ तथा विभिन्न स्थानों से सिक्कों का उद्भव स्पष्ट रूप से दिए गए हैं।इसलिए सिक्कों से केवल धार्मिक या केवल आर्थिक जानकारी सीमित व्याख्या नहीं बनती; वे राजनीतिक, आर्थिक और धार्मिक तीनों आयामों के सूचक होते हैं। विकल्प (A), (C) और (D) तथ्यों के संकुचित या त्रुटिपूर्ण प्रतिपादन पर आधारित हैं: (A) ने राजनीतिक संकेतों को नकार दिया; (C) ने मानवीय आकृतियों के संभावित अभाव का दावा किया जबकि देवी जैसी मानवीय आकृति दर्ज है; (D) ने सिक्कों से क्षेत्रीय सीमाओं का अनुमान न लगाने का कथन रखा, पर वास्तविकतः सिक्कों के फैलाव से क्षेत्रीय प्रभाव का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसलिए (B) सर्वाधिक व्यापक और सही निष्कर्ष है।

Q4. कुषाणकालीन मुद्राएँ किन-किन स्रोतस्थलों से प्राप्त हुईं—नीचे दिए विकल्प में कौन-सा संयोजन सही है?
(A) वीरभद्र — ऋषिकेश, मोरध्वज — कोटद्वार, गोविषाण — काशीपुर
(B) वीरभद्र — काशीपुर, मोरध्वज — ऋषिकेश, गोविषाण — कोटद्वार
(C) वीरभद्र — कोटद्वार, मोरध्वज — काशीपुर, गोविषाण — ऋषिकेश
(D) वीरभद्र — पाण्डुवाला, मोरध्वज — भरत मन्दिर, गोविषाण — मुनि की रेती

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Answer: (A)
Explanation: वर्णित खोजों में प्रत्येक मुद्राको स्थान स्पष्ट रूप से अलग-थलग दर्ज है; वीरभद्र का स्थान ऋषिकेश, मोरध्वज का कोटद्वार तथा गोविषाण का काशीपुर से सम्बन्ध बताया गया है। विकल्प (A) वही सही मिलान प्रस्तुत करता है। विकल्प (B) और (C) में स्थान-विलय करके गलत संयोग बने हैं। विकल्प (D) में जो स्थानीयताएँ दी गई हैं, वे उत्खनन और अन्य खोजों के सन्दर्भ में उल्लेखित हैं पर उन विशिष्ट मुद्राओं के स्रोत नहीं हैं; इसलिए वह भी असंगत है। इस प्रकार विकल्प (A) तथ्यात्मक मेल के कारण उपयुक्त है।

Q5. गोविषाण सिक्कों की खोज किस वर्ष और किस पुरातत्वज्ञ ने की?
(A) 1960 — के. पी. नौटियाल
(B) 1972 — डॉ. महेश्वर जोशी
(C) 1960 — एम. पी. जोशी
(D) 1975 — के. पी. नौटियाल

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Answer: (A)
Explanation: गोविषाण सिक्कों का प्रथम विवरण स्पष्ट तारीख और खोजकर्ता के साथ जुड़ा हुआ है: यह खोज 1960 में के. पी. नौटियाल ने की। विकल्प (B) में 1972 की तिथि हुविष्क की स्वर्ण मुद्राओं के संदर्भ में आती है, पर वह गोविषाण सिक्कों की खोज का समय नहीं है। विकल्प (C) में खोजकर्ता के नाम में त्रुटि है—एम. पी. जोशी ने कुणिन्द सिक्कों पर कार्य किया था, न कि गोविषाण खोज पर। विकल्प (D) में वर्ष गलत है। इसलिये (A) सटीक और प्रमाणित उत्तर है।

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