उत्तराखंड लोकसेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित की जानेवाली आगामी परीक्षाओं (UKPSC/ UKSSSC) को मध्यनजर रखते हुए Exam Pillar आपके लिए Daily MCQs प्रोग्राम लेकर आया है। इस प्रोग्राम के माध्यम से अभ्यर्थियों को उत्तराखंड लोकसेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के परीक्षाओं के प्रारूप के अनुरूप वस्तुनिष्ठ अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराये जायेंगे।
Daily UKPSC / UKSSSC MCQs : उत्तराखंड (Uttarakhand)
06 December, 2025
| Read This UKPSC / UKSSSC Daily MCQ – (Uttarakhand) in English Language |
Q1. कुणिन्दों को उत्तराखण्ड में शासन करने वाली प्रथम राजनीतिक शक्ति क्यों माना जाता है?
(A) उनके अभिलेख सबसे प्राचीन हैं
(B) उनके शासन की पुष्टि उनकी मुद्राओं से होती है
(C) वे मौर्य सम्राटों के वंशज थे
(D) उन्होंने सबसे पहले उत्तराखण्ड को एकीकृत किया
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Explanation: कुणिन्द शासन का प्रत्यक्ष प्रमाण उनकी मुद्राओं से प्राप्त होता है, जिन पर राजाओं के नाम और उपाधियाँ अंकित हैं। इन मुद्राओं के माध्यम से उनकी राजनीतिक सत्ता, भौगोलिक क्षेत्र और धार्मिक विश्वास का पता चलता है। अन्य विकल्प जैसे मौर्य वंशज होना या उत्तराखण्ड का एकीकरण करना ऐतिहासिक रूप से प्रमाणित नहीं है, जबकि कुणिन्द मुद्राओं का पुरातात्त्विक महत्व उनकी सत्ता का स्पष्ट सबूत प्रदान करता है।
Q2. कुणिन्दों की पहली राजधानी कौन सी थी?
(A) शत्रुघ्न
(B) कलकूट
(C) सुनेत
(D) श्रीनगर
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Explanation: कुणिन्दों की पहली राजधानी कलकूट थी। यह संकेत करता है कि प्रारंभिक शासन का केंद्र पर्वतीय क्षेत्र में स्थित था। बाद में उन्होंने शत्रुघ्न को दूसरी राजधानी बनाया। अन्य विकल्प जैसे सुनेत और श्रीनगर उन क्षेत्रों में आते हैं जहाँ कुणिन्द प्रभाव तो था, परंतु वे उनकी राजधानी नहीं थीं।
Q3. कुणिन्द लोग किस धर्म के अनुयायी थे?
(A) बौद्ध धर्म
(B) जैन धर्म
(C) वैदिक धर्म
(D) शैव धर्म
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Explanation: कुणिन्द शासक शैवधर्म के अनुयायी थे। उनकी मुद्राओं और प्रतीकों से शिव उपासना के प्रमाण मिलते हैं। यह उनकी धार्मिक पहचान को दर्शाता है। बौद्ध और जैन धर्म का प्रसार उस काल में व्यापक था, परंतु कुणिन्दों का विशेष झुकाव शैव परंपरा की ओर था।
Q4. कुणिन्दों का उल्लेख महाभारत में किस रूप में किया गया है?
(A) शूद्र जाति के रूप में
(B) योद्धा समुदाय के रूप में
(C) द्विज के रूप में
(D) वैश्य वर्ग के रूप में
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Explanation: महाभारत में कुणिन्दों को द्विज कहा गया है, और उनके नरेशों को द्विजश्रेष्ठ के रूप में संबोधित किया गया। इसका अर्थ है कि वे उच्च वर्ण के विद्वान और योद्धा समुदाय से संबंधित थे। यह वर्णन उन्हें सामाजिक और धार्मिक दोनों रूपों में सम्मानित वर्ग के रूप में स्थापित करता है।
Q5. कुणिन्दों की मुद्राएं किन क्षेत्रों से प्राप्त हुई हैं?
(A) थत्यूड़, देवदूंगा, श्रीनगर, भैड़गाँव, कत्यूर घाटी
(B) हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल, टनकपुर
(C) लुधियाना, अमृतसर, कांगड़ा, मथुरा
(D) उज्जैन, सांची, पाटलिपुत्र, राजगृह
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Explanation: कुणिन्द मुद्राएं टिहरी गढ़वाल के थत्यूड़, उत्तरकाशी के देवदूंगा, श्रीनगर के सुमाड़ी, पौड़ी के भैड़गाँव तथा कुमाऊँ की कत्यूर घाटी से प्राप्त हुई हैं। ये स्थान उत्तराखण्ड के विभिन्न हिस्सों में फैले हैं, जो कुणिन्द शासन के व्यापक भौगोलिक विस्तार को दर्शाते हैं। अन्य विकल्प भिन्न भौगोलिक क्षेत्रों से संबंधित हैं।
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