उत्तराखंड लोकसेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित की जानेवाली आगामी परीक्षाओं (UKPSC/ UKSSSC) को मध्यनजर रखते हुए Exam Pillar आपके लिए Daily MCQs प्रोग्राम लेकर आया है। इस प्रोग्राम के माध्यम से अभ्यर्थियों को उत्तराखंड लोकसेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के परीक्षाओं के प्रारूप के अनुरूप वस्तुनिष्ठ अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराये जायेंगे।
Daily UKPSC / UKSSSC MCQs : उत्तराखंड (Uttarakhand)
03 November, 2025
Q1. महाश्म संस्कृति किस प्रकार के भू-क्षेत्र में विकसित मानी जाती है?
(A) नदी के किनारे बसे क्षेत्र
(B) रेगिस्तानी क्षेत्र
(C) पहाड़ों की तलहटी वाले क्षेत्र
(D) तटीय क्षेत्र
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व्याख्या: महाश्म संस्कृति उन मानव समूहों की संस्कृति थी जो पहाड़ों की तलहटी में बसकर जीवन व्यतीत करते थे। इन क्षेत्रों में पत्थरों और चट्टानों पर बने निशानों से उनके धार्मिक और सामाजिक व्यवहारों की झलक मिलती है।
Q2. द्वाराहाट के चन्द्रेश्वर मंदिर के दक्षिण से महाश्म संस्कृति से संबंधित कितने कपमार्क्स प्राप्त हुए थे?
(A) लगभग 100
(B) लगभग 200
(C) लगभग 300
(D) लगभग 500
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व्याख्या: द्वाराहाट के चन्द्रेश्वर मंदिर के दक्षिण दिशा से लगभग 200 कपमार्क्स (ओखली आकार के गड्ढे) प्राप्त हुए थे, जो बारह समांतर पंक्तियों में खुदे हुए मिले। यह खोज इस क्षेत्र में महाश्म संस्कृति की व्यापकता को दर्शाती है।
Q3. महाश्म संस्कृति की आकृतियों की खोज सर्वप्रथम किसने की थी?
(A) डॉ. एम. पी. जोशी
(B) रिबेट कार्नक
(C) यशवंत कठौच
(D) यशोधर मठपाल
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व्याख्या: महाश्म संस्कृति से संबंधित आकृतियों की खोज 1877 ई. में रिबेट कार्नक द्वारा की गई थी। उन्होंने ही सबसे पहले कपमार्क्स का उल्लेख किया और इन्हें महाश्म संस्कृति का प्रमुख अंग बताया।
Q4. कपमार्क्स का संबंध किस संस्कृति से है?
(A) ताम्र संस्कृति
(B) महाश्म संस्कृति
(C) चित्रित धूसर मृदभांड संस्कृति
(D) हड़प्पा संस्कृति
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व्याख्या: कपमार्क्स, यानी चट्टानों पर बने ओखली आकार के उथले गड्ढे, महाश्म संस्कृति की सबसे महत्वपूर्ण पहचान हैं। ये धार्मिक, अनुष्ठानिक या सामाजिक गतिविधियों से जुड़े प्रतीक माने जाते हैं।
Q5. डॉ. एम. पी. जोशी ने कुमाऊँ से प्राप्त महाश्म कालीन कपमार्क्स को कितने भागों में विभाजित किया था?
(A) पाँच भागों में
(B) छह भागों में
(C) सात भागों में
(D) आठ भागों में
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व्याख्या: डॉ. एम. पी. जोशी ने कुमाऊँ से प्राप्त महाश्म कालीन कपमार्क्स को सात भागों में वर्गीकृत किया था। उन्होंने टॉक और मूल्य जनजाति को इस काल की जनजातियाँ माना, जो इन निशानों से जुड़ी सांस्कृतिक गतिविधियों में सम्मिलित थीं।
