उत्तराखंड लोकसेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित की जानेवाली आगामी परीक्षाओं (UKPSC/ UKSSSC) को मध्यनजर रखते हुए Exam Pillar आपके लिए Daily MCQs प्रोग्राम लेकर आया है। इस प्रोग्राम के माध्यम से अभ्यर्थियों को उत्तराखंड लोकसेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के परीक्षाओं के प्रारूप के अनुरूप वस्तुनिष्ठ अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराये जायेंगे।
Daily UKPSC / UKSSSC MCQs : उत्तराखंड (Uttarakhand)
03 December, 2025
| Read This UKPSC / UKSSSC Daily MCQ – (Uttarakhand) in English Language |
Q1. स्कन्दपुराण के मानसखण्ड का प्रारंभ किनके संवाद से होता है?
(A) राजा भरत और विष्णु
(B) जनमेजय और सूत पौराणिक
(C) युधिष्ठिर और धौम्य ऋषि
(D) विश्वामित्र और शकुन्तला
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व्याख्या: स्कन्दपुराण के मानसखण्ड का आरंभ राजा जनमेजय और सूत पौराणिक के संवाद से होता है। इस संवाद में हिमालय क्षेत्र के तीर्थों, देवस्थानों और धार्मिक परंपराओं का विस्तृत वर्णन मिलता है।
Q2. कुर्माचल नाम किस पर्वत से जुड़ा है?
(A) नंदा देवी पर्वत
(B) त्रिशूल पर्वत
(C) कांतेश्वर पर्वत
(D) कैलाश पर्वत
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व्याख्या: कुर्माचल नाम कांतेश्वर पर्वत से संबंधित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने चम्पावत के कांतेश्वर पर्वत पर कूर्म (कच्छप) अवतार लिया था, जिससे इस क्षेत्र का नाम कुर्माचल पड़ा।
Q3. कुर्मांचल का सर्वप्रथम अभिलेखीय उल्लेख कहाँ से मिलता है?
(A) अल्मोड़ा के जाखन देवी मंदिर से
(B) चम्पावत स्थित नागनाथ मंदिर शिलालेख से
(C) पिथौरागढ़ के बेरीनाग मंदिर से
(D) बोधगया अभिलेख से
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व्याख्या: कुर्मांचल का प्रथम अभिलेखीय उल्लेख चम्पावत स्थित नागनाथ मंदिर के शिलालेख में मिलता है, जो कल्याणचंद के शासनकाल से संबंधित है। यह उल्लेख इस क्षेत्र की ऐतिहासिक प्राचीनता को दर्शाता है।
Q4. चंद शासक रूद्रचंद के किस नाटक में कूर्मागिरी शब्द का उल्लेख मिलता है?
(A) अभिज्ञानशाकुन्तलम्
(B) उषारागोदय
(C) मालविकाग्निमित्रम्
(D) रघुवंशम्
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व्याख्या: चंद वंशीय शासक रूद्रचंद के नाटक “उषारागोदय” में कूर्मागिरी शब्द का उल्लेख मिलता है, जो कुमाऊँ क्षेत्र के लिए प्रयुक्त हुआ है। यह शब्द क्षेत्र की प्राचीन धार्मिक पहचान को स्पष्ट करता है।
Q5. ‘कुमाऊँ’ शब्द का प्रथम प्रयोग किस शासक ने किया था?
(A) कल्याणचंद
(B) विक्रमचंद
(C) रूद्रचंद
(D) पुरुषोत्तम सिंह
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व्याख्या: ‘कुमाऊँ’ शब्द का प्रथम प्रयोग विक्रमचंद द्वारा देशटदेव ताम्रपत्र में किया गया था। इस ताम्रपत्र में बालेश्वर मंदिर को भूमिदान का उल्लेख मिलता है, जिससे कुमाऊँ शब्द का प्रचलन प्रारंभ हुआ।
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