उत्तराखंड लोकसेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित की जानेवाली आगामी परीक्षाओं (UKPSC/ UKSSSC) को मध्यनजर रखते हुए Exam Pillar आपके लिए Daily MCQs प्रोग्राम लेकर आया है। इस प्रोग्राम के माध्यम से अभ्यर्थियों को उत्तराखंड लोकसेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के परीक्षाओं के प्रारूप के अनुरूप वस्तुनिष्ठ अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराये जायेंगे।
Daily UKPSC / UKSSSC MCQs : उत्तराखंड (Uttarakhand)
02 December, 2025
| Read This UKPSC / UKSSSC Daily MCQ – (Uttarakhand) in English Language |
Q1. कुमाऊँ क्षेत्र का प्राचीन नाम क्या था?
(A) केदारखण्ड
(B) मानसखण्ड व कुर्माचल
(C) ब्रह्मपुर
(D) इलावर्त
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व्याख्या: कुमाऊँ क्षेत्र का प्राचीन नाम मानसखण्ड और कुर्माचल था। यह नाम भगवान विष्णु के कूर्मावतार से संबंधित है, जो चम्पावत के कांतेश्वर पर्वत पर हुआ था। यही कुर्माचल नाम आगे चलकर प्राकृत में ‘कुमूं’ और हिंदी में ‘कुमाऊँ’ बन गया।
Q2. कण्वाश्रम में किस सम्राट का जन्म हुआ था?
(A) सम्राट अशोक
(B) चक्रवर्ती सम्राट भरत
(C) राजा हरिश्चन्द्र
(D) विक्रमादित्य
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व्याख्या: कण्वाश्रम में चक्रवर्ती सम्राट भरत का जन्म हुआ था, जिनके नाम पर भारत देश का नाम “भारत” पड़ा। भरत, राजा दुष्यन्त और शकुन्तला के पुत्र थे, जो न्यायप्रियता और वीरता के लिए प्रसिद्ध हुए।
Q3. महाकवि कालिदास द्वारा अभिज्ञानशाकुन्तलम् की रचना कहाँ की गई थी?
(A) हरिद्वार
(B) ऋषिकेश
(C) कण्वाश्रम
(D) देवप्रयाग
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व्याख्या: महाकवि कालिदास ने अपना प्रसिद्ध ग्रंथ “अभिज्ञानशाकुन्तलम्” कण्वाश्रम में रचा था। यह स्थान मालिनी नदी के तट पर स्थित है, और शकुन्तला-दुष्यन्त की कथा पर आधारित यह नाटक संस्कृत साहित्य का एक अनुपम उदाहरण है।
Q4. कण्वाश्रम का वर्तमान नाम क्या है?
(A) मालिनीघाट
(B) चौकीघाटा
(C) कोटेश्वर
(D) कण्वनगर
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व्याख्या: कण्वाश्रम का वर्तमान नाम चौकीघाटा है। इसी स्थान के महत्व को देखते हुए कोटद्वार नगर निगम का नया नाम “कण्वनगरी” करने का प्रस्ताव रखा गया। यहाँ बसंत पंचमी के दिन धार्मिक मेला आयोजित किया जाता है, जो सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक है।
Q5. डॉ. सम्पूर्णानन्द ने कण्वाश्रम में पुनरुद्धार कार्य कब कराया था?
(A) सन् 1947 में
(B) सन् 1955 में
(C) सन् 1962 में
(D) सन् 1970 में
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व्याख्या: उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सम्पूर्णानन्द ने सन् 1955 में कण्वाश्रम का पुनरुद्धार कराया था। उन्होंने मालिनी नदी के तट पर स्थित टीले पर एक छोटा-सा मंदिर बनवाया, जिससे यह स्थल धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से पुनः जाग्रत हुआ।
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