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उत्तर प्रदेश मे सिंचाई और प्रमुख सिंचाई परियोजनाएं

खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि कृषि की सघनता एवं अधिक उपज प्रदान, करने वाली फसलों को बढ़ाकर ही सम्भव है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु प्रदेश के कृषि क्षेत्रों की सिंचाई का पर्याप्त साधन होना आवश्यक है।

सिंचाई की सुविधा के दृष्टिकोण से उत्तर प्रदेश का तीसरा स्थान है। सिंचाई के साधनों की मुख्य आवश्यकता वर्षा के असमान वितरण के कारण होती है। प्रदेश में उपलब्ध सिंचाई के साधन निम्नलिखित हैं –

  • कुओं के द्वारा सिंचाई – पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं गंगा की घाटी के क्षेत्रों में कुआं सिंचाई का एक महत्त्वपूर्ण साधन है।
  • तालाब द्वारा सिंचाई – प्रदेश के कई क्षेत्रों में तालाब द्वारा सिंचाई की जाती है।
  • नहरों द्वारा सिंचाई – प्रदेश में खासकर पश्चिमी भाग में नहरों द्वारा सिंचाई की उत्तम व्यवस्था है। नहरों द्वारा 20.9% से अधिक सिंचाई की जाती है।
  • राज्य में सबसे ज्यादा सिंचाई नलकूपों द्वारा की जाती है। नलकूपों द्वारा की जाने वाली सिंचाई कुल सिंचाई का 70.8 प्रतिशत है।

मुख्य सिंचाई परियोजनाएँ

प्रदेश की सिंचाई व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने हेतु अनेक लघु, मध्यम एवं वृहत सिंचाई परियोजनाएँ संचालित की जा रही हैं, जिनका विवरण इस प्रकार है –

  • गोकुल बैराज परियोजना – आगरा और मथुरा की पेयजल समस्या के निदान हेतु इस परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
  • गंगा-बैराज (कानपुर) – कानपुर नगर की जल आपूर्ति की समस्या के समाधान हेतु।
  • गंगा-घाघरा दोआब – राज्य के इस सबसे बड़े प्राकृतिक भाग में क्षेत्रफल 80.24 लाख हे० तथा बोया हुआ क्षेत्रफल 69.87 लाख हे० है।
  • शारदा नहर प्रणाली जल प्रबन्ध सुधार परियोजना – राज्य की इस सबसे लम्बी नहर प्रणाली का निर्माण वर्ष 1928 में गंगा-घाघरा दोआब के 25.50 लाख हे० क्षेत्र में सिंचाई सुविधा प्रदान करता है। यह नहर चम्पावत जिले के बनबसा स्थल (उत्तर प्रदेश-नेपाल सीमा के निकट) पर शारदा नदी से निकलती है। शारदा नहर प्रणाली की कुल लम्बाई 9743 किमी है। इस नहर से पीलीभीत, चम्पावत, बरेली, ऊधमसिंह नगर, शाहजहाँपुर, रायबरेली, हरदोई, उन्नाव, लखीमपुर, बाराबंकी, सीतापुर तथा लखनऊ में सिंचाई की जाती है।
  • शारदा सहायक परियोजना – लखीमपुर, लखनऊ, बाराबंकी, रायबरेली, प्रतापगढ़, सीतापुर, सुल्तानपुर, जौनपुर, आजमगढ़, फैजाबाद, मऊ, वाराणसी, बलिया, अम्बेडकर नगर तथा गाजीपुर जनपदों को पानी की आपूर्ति हेतु इस परियोजना का निर्माण किया जा रहा है।
  • ज्ञानपुर पम्प नहर परियोजना – इस परियोजना को मार्च, 1991 में स्वीकृति दी गई थी। इसके अन्तर्गत इलाहाबाद, भदोही, वाराणसी एवं मिर्जापुर जनपदों के क्षेत्र शामिल हैं।
  • सरयू नहर परियोजना – बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, सन्त कबीर नगर, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती एवं गोरखपुर जनपदों में घाघरा, सरयू एवं ताप्ती नदियों से उपलब्ध जल द्वारा सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
  • बाण गंगा बाँध एवं नहर प्रणाली – उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा बिहार राज्य की संयुक्त परियोजना के अन्तर्गत केन्द्र सरकार के अधीन बाण सागर नियन्त्रण परिषद् की स्थापना की गई है।
  • राजघाट बाँध तथा राजघाट नहर परियोजना – इस परियोजना के अन्तर्गत ललितपुर जनपद में बेतवा नदी पर राजघाट के निकट यह परियोजना निर्माणाधीन है। इस परियोजना का निर्माण बेतवा नदी परिषद के द्वारा उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के सहयोग से किया जा रहा है।
  • बदायूँ सिंचाई परियोजना – बरेली जिले में रामगंगा नदी पर 674.50 मी. लम्बा बैराज बनाकर बरेली जिले के अलावा बदायूँ एवं दातागंज तथा शाहजहाँपुर जिले को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराए जाने के उद्देश्य से बदायूँ सिंचाई परियोजना प्रस्तावित है।
  • जरौली पम्प नहर परियोजना – इस परियोजना में फतेहपुर जनपद के असोधन विकास खण्ड के ऐंझी कोटवा ग्राम में यमुना नदी के बायें तट पर एक पम्प गृह प्रस्तावित है।
  • ऊपरी गंगा नहर सिंचाई आधुनिकीकरण परियोजना – पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गंगा-यमुना दोआब में रबी फसल की सिंचाई व्यवस्था हेतु वर्ष 1854 में ऊपरी नहर का निर्माण किया गया।
  • राजा महेन्द्र रिपुदमन सिंह चम्बल डाल नहर परियोजना – आगरा जनपद की तहसील वाह एवं इटावा जनपद की तहसील इटावा में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने हेतु चम्बल डाल नहर परियोजना निर्माणाधीन है।
  • मध्य गंगा नहर परियोजना – वर्षा ऋतु में गंगा नदी में पर्याप्त जल उपलब्धता को देखते हुए मध्य गंगा नहर परियोजना का निर्माण 1978-78 में प्रारम्भ किया गया। इस परियोजना के तहत बिजनौर जनपद के समीप गंगा नदी पर बैराज का निर्माण कर 115.54 किमी लम्बी प्रमुख नहर को गंगा नहर में 190.8 किमी पर मिलाया गया है। इस परियोजना से लाभान्वित होने वाले जिले गाजियाबाद, बुलन्दशहर, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस एवं फिरोजाबाद आदि जनपद लाभान्वित होंगे।
  • समानान्तर माण्ट शाखा एवं समानान्तर हाथरस शाखा – मध्य गंगा नहर योजना में समानान्तर माण्ट शाखा एवं समानान्तर हाथरस शाखा की कुल 86.0 किमी लम्बाई में नहरों का निर्माण प्रस्तावित है।
  • मध्य गंगा नहर परियोजना, द्वितीय चरण – गंगा नदी के बायें किनारे से बिजनौर से निर्मित बैराज से गंगा एवं रामगंगा दोआब में मुरादाबाद, ज्योतिबाफूले नगर, बदायूँ तथा बरेली जिले के क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मध्य गंगा नहर परियोजना प्रस्तावित हैं।
  • कनहर सिंचाई परियोजना – सोनभद्र जिले की दुद्धी तहसील में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने हेतु कनहर नदी पर उपयोग करने की योजना है।
  • मौहदा बाँध परियोजना – यह परियोजना हमीरपुर जनपद की मौहदा तहसील में छानी ग्राम के निकट बिरमा नदी पर निर्माणाधीन है।
  • कचनौदा बाँध परियोजना – इस परियोजना के अन्तर्गत ललितपुर जिले की महरौनी तहसील में सजनम नदी पर निर्मित है। इस परियोजना का उद्देश्य ललितपुर जिले में गोविन्द सागर बाँध की नहर प्रणाली के टेल भाग में सिंचाई की कमी की पूर्ति करना है।
  • गुन्टा बाँध परियोजना – चित्रकूट जनपद में रैपुरा ग्राम के निकट गुन्टा नाला पर निर्माणाधीन बाँध।
  • चरखारी डाल नहर परियोजना – यह परियोजना मौहदा बाँध परियोजना का एक भाग है। महोबा जिले में चरखारी तहसील में सिंचाई उपलब्ध कराने हेतु।
  • भोरंट/उटारी बाँध परियोजना – इस परियोजना के अन्तर्गत लतिलपुर जिले की महरौनी तहसील में जामनी बाँध से निकलने वाली बायीं जामनी नहर के टेल कमाण्ड में सिंचाई की जाती है।
  • पथरई बाँध परियोजना – झाँसी जनपद के मऊरानीपुर तहसील के बंगरा ब्लॉक में पथरई नदी पर निर्माणाधीन परियोजना।
  • पूर्वी गंगा नहर परियोजना – इस परियोजना के अन्तर्गत हरिद्वार में नवनिर्मित भीम गोंडा शीर्ष के बायीं ओर 48.55 किमी लम्बी व 137.4 क्यूसेक शीर्ष क्षमता की प्रमुख नहर निकाली गई है। मुख्य नहर से पाँच शाखाएँ चन्दोक, नगीना, नजीबाबाद, नहटोर, अलावलपुर निकाली गई हैं।
  • राजघाट बाँध परियोजना – इस परियोजना से झाँसी, जालौन एवं हमीरपुर जिले लाभान्वित होते हैं।
  • लखवाड़ी बाँध परियोजना – इस परियोजना से सहारनपुर, मुजफ्फरनगर एवं मेरठ जिले लाभान्वित हैं।
  • जमरानी बाँध परियोजना – इस परियोजना से रामपुर बरेली का तराई एवं भाबर क्षेत्र लाभान्वित हैं।
  • बेवर फीडर परियोजना – निचली गंगा नहर प्रणाली की वर्तमान बेवर शाखा के अन्तिम आने वाले मैनपुरी तथा इटावा जनपदों में पानी की कमी को दूर करने हेतु काली नदी पर मोहर घाट के समीप एक बैराज बनाने का प्रस्ताव है।

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