Daily MCQs in Constitution and Polity

Daily MCQs – संविधान एवं राजव्यवस्था – 17 March 2025 (Monday)

Daily MCQs : संविधान एवं राजव्यवस्था (Constitution and Polity)
17 March, 2025 (Monday)

1. भारतीय संविधान के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. 42वें संशोधन अधिनियम के माध्यम से प्रस्तावना में पंथनिरपेक्ष, समाजवादी और बंधुत्व जोड़ा गया।

2. स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा आयरलैंड के संविधान से लिया गया है।
3. संविधान दिवस पहली बार 26 नवंबर 2014 को मनाया गया था।
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही हैं?
(a) केवल एक

(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं

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उत्तर – (D) 

व्याख्या – भारत के संविधान की प्रस्तावना में 42वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1976 के माध्यम से पंथनिरपेक्ष, समाजवादी और अखंडता जोड़ा गया। अतः कथन 1 सही नहीं है
प्रस्तावना में स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्श फ्रांसीसी क्रांति (1789-1799) से लिए गए हैं। अतः कथन 2 सही नहीं है
भारत सरकार ने 19 नवंबर 2015 को 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का फ़ैसला लिया। 26 नवंबर 2015 को पहली बार संविधान दिवस मनाया गया था। तब से प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। अतः कथन 3 सही नहीं है

2. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए:

1. सिक्किम 1962
2. झारखंड 2000
3. नागालैंड 1975
4. तलांगना 2014

उपर्युक्त युग्मों में से कितने सही सुमेलित हैं?
(a) केवल एक युग्म

(b) केवल दो युग्म
(c) केवल तीन युग्म
(d) सभी चार युग्म 

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उत्तर – (B) 

व्याख्या – सिक्किम का गठन 16 मई, 1975 को हुआ था। इस दिन सिक्किम भारतीय गणराज्य का 22वां राज्य बना था। बिहार पुनर्गठन अधिनियम द्वारा झारखंड का गठन 15 नवंबर, 2000 को हुआ। 15 नवंबर को महान भगवान बिरसा मुंडा की जयंती भी मनाई जाती है। नागालैंड का गठन 1 दिसंबर, 1963 को हुआ था। भारतीय राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कोहिमा में नागालैंड राज्य का उद्घाटन किया था। तेलंगाना का गठन 2 जून, 2014 को हुआ था।

3. क्वो- वारंटो के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. यह किसी सार्वजनिक पद पर किसी व्यक्ति के दावे की वैधता की जांच करने के लिए अदालत द्वारा जारी किया जाता है।

2. इसकी मांग केवल पीड़ित व्यक्ति ही नहीं बल्कि कोई भी इच्छुक व्यक्ति कर सकता है।।
उपर्युक्त दिए गए कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1

(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

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उत्तर – (C) 

व्याख्या – शाब्दिक अर्थ में, Quo- Warranto का अर्थ है ‘किस प्राधिकार या वारंट द्वारा। यह किसी सार्वजनिक पद पर किसी व्यक्ति के दावे की वैधता की जांच करने के लिए अदालत द्वारा जारी किया जाता है। इसलिए, यह किसी व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक पद पर अवैध कब्ज़ा करने से रोकता है। अतः, कथन 1 सही है
रिट केवल किसी क़ानून या संविधान द्वारा बनाए गए स्थायी चरित्र के वास्तविक सार्वजनिक कार्यालय के मामले में जारी की जा सकती है। इसे मंत्री कार्यालय या निजी कार्यालय के मामलों में जारी नहीं किया जा सकता है। अन्य चार रिटों के विपरीत, इसकी मांग केवल पीड़ित पक्ष ही नहीं बल्कि कोई भी इच्छुक व्यक्ति कर सकता है। अतः कथन 2 सही है

4. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए: 

1. बी.आर. अम्बेडकर प्रारूप समिति के अध्यक्ष
2. मोतीलाल नेहरू संविधान सभा के अध्यक्ष
3. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के सदस्य

उपर्युक्त में से कितने युग्म सही सुमेलित हैं?
(a) केवल एक

(b) केवल दो
(c) केवल तीन
(d) सभी चार

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उत्तर – (A) 

व्याख्या – भारतीय संविधान के निर्माण के दौरान बी.आर. अम्बेडकर ने मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया, इस समिति में सात सदस्य थे। वह जातिगत विभाजन और जाति पर आधारित अन्याय के ख़िलाफ़ एक सामाजिक क्रांतिकारी विचारक और आंदोलनकर्ता थे।

बी.आर. अम्बेडकर ने भारतीय संविधान के निर्माण के दौरान प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। समिति में सात सदस्य थे। वह सामाजिक क्रांतिकारी विचारक और जाति विभाजन और जाति आधारित असमानताओं के खिलाफ आंदोलनकारी थे। अतः युग्म 1 सही सुमेलित है

डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत की संविधान सभा के अध्यक्ष थे। संविधान का मसौदा तैयार करने और उसे अपनाने के लिए संविधान सभा का गठन किया गया था, और इसकी पहली बैठक 9 दिसंबर, 1946 को हुई थी। वह वकील थे, जिन्हें चंपारण सत्याग्रह में उनकी भूमिका के लिए जाना जाता था। वह भारत के पहले राष्ट्रपति बने। अतः युग्म 2 सही सुमेलित नहीं है

भारत की संविधान सभा में 389 सदस्य थे, जिनमें 292 प्रांतों के प्रतिनिधि, 93 रियासतों के प्रतिनिधि और मुख्य आयुक्त प्रांतों के चार प्रतिनिधि शामिल थे। मोतीलाल नेहरू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक महत्वपूर्ण नेता थे। अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ, उन्होंने 1928 में भारत के लिए एक संविधान तैयार किया। अतः युग्म 3 सही सुमेलित नहीं है

5. निम्नलिखित में से किसने कहा है कि ‘प्रस्तावना’ संविधान का पहचान पत्र है?
(a) के. एम. मुंशी

(b) एन. ए. पालकीवाला
(c) एम. हिदायतुल्ला
(d) सर अर्नेस्ट बार्कर

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उत्तर – (B) 

व्याख्या – प्रस्तावना मौलिक राजनीतिक, नैतिक और धार्मिक मान्यताओं और दर्शन को समाहित करती है जो संविधान की नींव बनाते हैं। यह संविधान सभा के ऊंचे लक्ष्यों और आकांक्षाओं के साथ-साथ संविधान के निर्माणकर्ताओं की आशाओं और सपनों का प्रतीक है।

के. एम. मुन्सी (प्रारूप समिति के सदस्य) के अनुसार, प्रस्तावना ‘हमारे संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य की कुंडली’ है। प्रख्यात न्यायविद् और संवैधानिक विशेषज्ञ एन. ए. पालखीवाला ने प्रस्तावना को संविधान का पहचान पत्र कहा। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एम. हिदायतुल्लाह ने कहा कि प्रस्तावना हमारे संविधान की आत्मा है। एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी राजनीतिक वैज्ञानिक सर अर्नेस्ट बार्कर ने प्रस्तावना को संविधान का मुख्य नोट बताया। संविधान सभा के एक अन्य सदस्य पंडित ठाकुर दास भार्गव ने कहा कि प्रस्तावना संविधान की आत्मा है।

Daily MCQs – संविधान एवं राजव्यवस्था – 03 March 2025 (Monday)

Daily MCQs : संविधान एवं राजव्यवस्था (Constitution and Polity)
03 March, 2025 (Monday)

1. स्थायी समितियों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. संसद की स्थायी समितियाँ निरंतर आधार पर कार्य करती हैं।
2. कोई मंत्री किसी भी स्थायी समिति के सदस्य के रूप में नामांकित होने के लिए पात्र नहीं है।
3. इन समितियों को संबंधित मंत्रालयों के दैनिक प्रशासन के मामलों पर विचार करना चाहिए।
4. इन समितियों द्वारा दी गई सिफारिशें स्थायी और संसद पर बाध्यकारी हैं।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
(a) केवल एक

(b) केवल दो
(c) केवल तीन
(d) सभी चार

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उत्तर – (B) 

व्याख्या – संसद की स्थायी समितियाँ निरंतर आधार पर कार्य करती हैं। इसका मुख्य उद्देश्य संसद के प्रति कार्यपालिका की अधिक जवाबदेही सुनिश्चित करना है, विशेषकर वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करना। अतः कथन 1 सही है

कोई मंत्री किसी भी स्थायी समिति के सदस्य के रूप में नामांकित होने के लिए पात्र नहीं है। यदि किसी स्थायी समिति में नामांकन के बाद किसी सदस्य को मंत्री के रूप में नियुक्त किया जाता है, तो वह समिति का सदस्य नहीं रह जाता है। अतः कथन 2 सही है। उन्हें संबंधित मंत्रालयों/विभागों के रोजमर्रा के प्रशासन के मामलों पर विचार नहीं करना चाहिए। अतः कथन 3 सही नहीं है। साथ ही, उन्हें आम तौर पर उन मामलों पर विचार नहीं करना चाहिए जिन पर अन्य संसदीय समितियां विचार करती हैं।

इन समितियों की सिफारिशें प्रकृति में सलाहकारी हैं और इसलिए, संसद पर बाध्यकारी नहीं हैं। अतः कथन 4 सही नहीं है

2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
कथन I – भारत में अदालतें अनुच्छेद 21 की व्याख्या करते समय “कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया” के अलावा “कानून की उचित प्रक्रिया” पर भी विचार करती हैं।
कथन II – “कानून की उचित प्रक्रिया” को शामिल करने से यह सुनिश्चित होता है कि पालन की जाने वाली प्रक्रिया व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करते हुए निष्पक्ष और उचित है।
उपर्युक्त कथनों के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
(a) कथन – I और कथन – II दोनों सही हैं और कथन – II कथन – I की सही व्याख्या है

(b) कथन – I और कथन – II दोनों सही हैं और कथन – II कथन – I की सही व्याख्या नहीं है।
(c) कथन – I सही है लेकिन कथन – II गलत है
(d) कथन – I गलत है लेकिन कथन – II सही है

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उत्तर – (A) 

व्याख्या – भारत में अदालतें अनुच्छेद 21 की व्याख्या करते समय “कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया” के अलावा “कानून की उचित प्रक्रिया” पर भी विचार करती हैं। इसका मतलब यह है कि वे न केवल इस पर ध्यान केंद्रित करते हैं कि निर्धारित कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया है या नहीं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करते हैं कि प्रक्रिया निष्पक्ष और उचित है। अतः कथन – I सही है

“कानून की उचित प्रक्रिया” को शामिल करने से यह सुनिश्चित होता है कि अपनाई गई प्रक्रिया निष्पक्ष और उचित है, जिससे व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा होती है।

“कानून की उचित प्रक्रिया” को शामिल करके, कानूनी प्रणाली का उद्देश्य मनमाने या अन्यायपूर्ण कार्यों को रोकना है जो किसी व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन कर सकते हैं। यह गारंटी देता है कि व्यक्तियों को कानूनी कार्यवाही के दौरान मौलिक सुरक्षा उपाय और सुरक्षा प्रदान की जाती है, जो प्रक्रिया की समग्र निष्पक्षता और न्याय में योगदान करती है। अतः कथन – II सही हैइस प्रकार, कथन – I और कथन – II दोनों सही हैं और कथन – II कथन – I की सही व्याख्या है।

3. भारत के राष्ट्रपति के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद की सहायता एवं सलाह से कार्य करना अनिवार्य है।
2. जब मंत्रिपरिषद इस्तीफा दे देती है तो राष्ट्रपति अपने विवेक के अनुसार कार्य करता है।
उपर्युक्तमें से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1

(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

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उत्तर – (C) 

व्याख्या – भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74(1) के अनुसार, “राष्ट्रपति को अपने कार्यों के अभ्यास में सहायता और सलाह देने के लिए प्रधान मंत्री के साथ एक मंत्रिपरिषद होगी।” इसका मतलब यह है कि, ज्यादातर मामलों में, राष्ट्रपति परिषद की सलाह के आधार पर कार्य करने के लिए बाध्य है। अतः कथन 1 सही है

जब मंत्रिपरिषद इस्तीफा दे देती है तो राष्ट्रपति अपने विवेक के अनुसार कार्य करता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस्तीफे से कार्यकारी शाखा में एक शून्य पैदा हो जाता है। राष्ट्रपति के पास नई सरकार बनने तक परिषद को पद पर बने रहने के लिए कहने या लोकसभा को भंग करने और नए चुनाव कराने के निर्देश देने की शक्ति है। अतः कथन 2 सही है

4. चार्टर अधिनियम, 1813 के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. इस अधिनियम द्वारा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का व्यापारिक एकाधिकार (चीन और चाय के साथ व्यापार पर एकाधिकार बना रहा) समाप्त कर दिया गया।

2. इस अधिनियम में भारत में शिक्षा के प्रसार के लिए प्रति वर्ष एक लाख रुपये का प्रावधान किया गया।
3. भारत का राजस्व ब्रिटिश संसद के नियंत्रण में आ गया।
उपर्युक्तमें से कितने कथन सही हैं?
(a) केवल एक

(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं

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उत्तर – (B) 

व्याख्या – चार्टर एक्ट, 1813 द्वारा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का व्यापारिक एकाधिकार (चीन और चाय के व्यापार पर एकाधिकार बना रहा) समाप्त कर दिया गया। साथ ही, इस अधिनियम के माध्यम से कंपनी के कब्जे वाले भारतीय क्षेत्रों पर ब्रिटिश क्राउन की संप्रभुता भी मजबूत हो गई। अतः कथन 1 सही है

इस अधिनियम में भारत में शिक्षा के प्रसार के लिए प्रति वर्ष एक लाख रुपये का प्रावधान किया गया। 1823 में सार्वजनिक शिक्षण की सामान्य समिति का गठन किया गया, जिसकी जिम्मेदारी में शिक्षा के लिए एक लाख रुपये देने का प्रावधान था। अतः कथन 2 भी सही है। 1858 ई. के अधिनियम द्वारा भारत का राजस्व ब्रिटिश संसद के सीधे नियंत्रण में ला दिया गया। अतः कथन 3 सही नहीं है

5. संविधान संशोधन विधेयक के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. संविधान संशोधन विधेयक को प्रत्येक सदन के उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित किया जाना चाहिए।

2. ऐसे विधेयक पर दोनों सदनों के बीच असहमति से उत्पन्न गतिरोध को दोनों सदनों की संयुक्त बैठक द्वारा हल किया जाना चाहिए।
उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1

(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

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उत्तर – (A) 

व्याख्या – विधेयक को प्रत्येक सदन में विशेष बहुमत से पारित किया जाना चाहिए यानी सदन की कुल सदस्यता के बहुमत (यानी 50% से अधिक) और सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित किया जाना चाहिए। अतः कथन 1 सही है

प्रत्येक सदन को अलग-अलग विधेयक पारित करना होता है। दोनों सदनों के बीच असहमति की स्थिति में, विधेयक पर विचार-विमर्श और पारित करने के उद्देश्य से दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाने का कोई प्रावधान नहीं है। अतः कथन 2 सही नहीं है

Daily MCQs – संविधान एवं राजव्यवस्था – 24 February 2025 (Monday)

Daily MCQs : संविधान एवं राजव्यवस्था (Constitution and Polity)
24 February, 2025 (Monday)

1. भारत की निर्वाचन प्रणाली के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. राज्य सभा के लिए प्रादेशिक निर्वाचन प्रणाली,जबकि लोक सभा के लिए आनुपातिक प्रणाली को अपनाया गया है।
2. आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली अल्पसंख्यको के अधिकारो को सुनिश्चित करती है।
उपर्युक्त कथनो में से कौन सा/से सही है?
(a) केवल 1

(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

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उत्तर – (B) 

व्याख्या – संविधान में राज्यसभा के लिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली को अपनाया गया है,जबकि लोकसभा के लिए प्रादेशिक प्रतिनिधित्व प्रणाली को अपनाया गया है। प्रादेशिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत विधानमंडल का प्रत्येक सदस्य एक निश्चित भूभाग का प्रतिनिधित्व करता है। इस प्रणाली के तहत जिस प्रत्याशी को सबसे अधिक मत प्राप्त होता है,उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है। जबकि आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत क्षेत्रीय विभेद को समाप्त करना होता है।इस व्यवस्था के तहत सभी को अपनी संख्या के आधार पर प्रतिनिधित्व प्रदान किया जाता है। अतः यह अल्पसंख्यक और सामूहिक हितों को बढ़ावा देती है। अतः कथन 1 सही नहीं है ,जबकि कथन 2 सही है

2. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक से संबन्धित निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. वह राज्यों की संचित निधि से सम्बंधित व्यय के लेखाओं की लेखा परीक्षा नहीं कर सकता है।
2. CAG का भारत की संचित निधि से धन निकासी पर नियंत्रण होता है।
उपर्युक्त में से कौन सा /से सही है /हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2

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उत्तर – (D) 

व्याख्या – CAG भारत की संचित निधि,प्रत्येक राज्य की संचित निधि और प्रत्येक संघ शासित क्षेत्र की संचित निधि जहाँ पर विधान सभा हो, के सभी व्यय लेखा की जांच कर सकती है। अतः कथन 1 सही नहीं है

कैग का भारत की संचित निधि से धन निकासी पर कोई नियंत्रण नहीं है। अनेक विभाग कैग की अनुमति के बिना धन निकाल सकते है कैग की भूमिका व्यय होने के बाद केवल लेखा परीक्षा करना है।भारत की संचित निधि पर संसद का नियंत्रण होता है,जिसके लिए विनियोग विधेयक लाना पड़ता है। अतः कथन 2 सही नहीं है

3. निम्नलिखित कथनो पर विचार कीजिए:
1. न्यायिक समीक्षा का सिद्धान्त मूल अधिकारो एवं नीति निदेशक सिद्धांतों दोनों की असंगतता से है।
2. न्यायिक समीक्षा का अधिकार केवल उच्चतम न्यायालय को है ,न कि उच्च न्यायालय को। 3. न्यायिक समीक्षा का सिद्धान्त इंग्लैंड से लिया गया है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही है ?
(a)केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं

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उत्तर – (D) 

व्याख्या – भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 के अनुसार मूल अधिकारों से असंगत या उसका अल्पीकरण करने वाली कोई विधि असंगतता कि स्थिति तक शून्य घोषित हो सकती है । इसे न्यायिक समीक्षा का सिद्धान्त कहते है। जबकि नीति निदेशक तत्वों से असंगत किसी विधि को शून्य घोषित नहीं किया जा सकता है। न्यायिक समीक्षा का प्रयोग उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय दोनों करते है। संविधान के अनुच्छेद 32 के आधार पर उच्चतम न्यायालय और अनुच्छेद 226 के अनुसार उच्च न्यायालय न्यायिक समीक्षा का प्रयोग कर सकते है।

न्यायिक समीक्षा की अवधारणा को संयुक्त राज्य अमेरिका से लिया गया है। इस सिद्धांत की उत्पत्ति साल 1803 में अमेरिका में मार्बरी बनाम मेडिसन मामले में हुई थी। तब अमेरिका के मुख्य न्यायाधीश जॉन मार्शल ने इस सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। अतः उपर्युक्त तीनों कथन सही नहीं है

4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
कथन I : संविधान कि प्रस्तावना के हिन्दी अनुवाद में ‘धर्मनिरपेक्षता’ के स्थान पर ‘पंथनिरपेक्षता’ शब्द का प्रयोग किया गया है।
कथन II: भारत में धर्म जीवन पद्धति से जुड़ा है, जबकि पंथ उपासना पद्धति से।
उपर्युक्त कथनों के बारे में, निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही है?
(a) कथन-I और कथन II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या है
(b) कथन-I और कथन II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या नहीं है
(c) कथन-I सही है किन्तु कथन-II गलत है
(d) कथन-I गलत है किन्तु कथन II सही है

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उत्तर – (A) 

व्याख्या – भारतीय संविधान की प्रस्तावना में हिन्दी में ‘धर्मनिरपेक्षता’ शब्द की जगह ‘पंथनिरपेक्षता’ शब्द का प्रयोग किया गया है. साल 1976 में हुए 42वें संविधान संशोधन के ज़रिए प्रस्तावना में पंथनिरपेक्ष शब्द जोड़ा गया था, अतः कथन- I सही है

भारत में हिंदू धर्म, मुस्लिम धर्म, ईसाई धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म आदि विभिन्न पंथो के लोग रहते हैं। प्रत्येक पंथ की अपनी मान्यताएँ, मूल्य, नैतिकता, आचार-व्यवहार आदि हैं। इसलिए, एक पंथनिरपेक्ष राज्य के रूप में, भारत सरकार किसी भी पंथ का पक्ष नहीं ले सकती है। वह सभी पंथों के प्रति तटस्थ और निष्पक्ष रहनी चाहिए।

भारतीय संविधान में ‘सेकुलर’ शब्द का हिन्दी अनुवाद पंथनिरपेक्ष किया गया है, न कि धर्मनिरपेक्ष। भारत में धर्म एक जीवन पद्धति से जुड़ा हुआ है धर्म एक व्यक्ति के जीवन के सभी पहलुओं को प्रभावित करता है, जिसमें उसकी मान्यताएँ, मूल्य, नैतिकता, आचार-व्यवहार आदि शामिल हैं, जबकि पंथ केवल धार्मिक अनुष्ठानों और विश्वासों से संबंधित है। जबकि यूरोप में ‘रिलीजन’ और इस्लाम का ‘मजहब’ तथा भारत का ‘पंथ’ शब्द समानार्थी शब्द हैं जो उपासना पद्धति को रेखांकित करते हैं। अतः कथन-II सही है तथा कथन II कथन I की सही व्याख्या है

5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. नागालैंड में देश की संसद राज्य विधान सभा की सहमति के बिना धार्मिक सामाजिक और भूमि से संबन्धित कानून नहीं बना सकती है।
2. केंद्र और नागा पीपुल्स कन्वेन्शन के बीच समझौते के बाद 1963 में नागालैंड को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ था।
उपर्युक्त में से कौन सा /से सही है /हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2

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उत्तर – (C) 

व्याख्या – नागालैंड में संसद, राज्य विधानसभा की मंज़ूरी के बिना नागा धर्म से जुड़ी सामाजिक परंपराओं, पारंपरिक नियमों, कानूनों, और प्रथाओं के मामले में कानून नहीं बना सकती थी।

भारतीय संविधान के भाग XXI में अनुच्छेद 371A है। यह नागालैंड राज्य (नागा पहाड़ियाँ, तुएनसांग क्षेत्र) के संबंध में विशेष प्रावधान है। इसे साल 1962 में संविधान में शामिल किया गया था।

जुलाई 1960 में, केंद्र सरकार और नागा पीपुल्स कन्वेंशन (NPC) के बीच 16-सूत्रीय समझौते के बाद, नागालैंड राज्य का निर्माण हुआ था। इस समझौते के तहत, नागालैंड को भारतीय संघ का एक घटक राज्य बनाया गया था।

इस समझौते के तहत, भारत सरकार ने नागालैंड की स्थापना को एक पूर्ण राज्य के रूप में मान्यता दी थी। 1963 में नागालैंड ने राज्य का दर्जा हासिल किया और 1964 में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार ने सत्ता संभाली। अतः कथन 1 और 2 दोनों सही है

Daily MCQs – संविधान एवं राजव्यवस्था – 17 February 2025 (Monday)

Daily MCQs : संविधान एवं राजव्यवस्था (Constitution and Polity)
17 February, 2025 (Monday)

1. 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. यह भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के मामलों को नियंत्रित और विनियमित करने के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा उठाया गया पहला कदम था।

2. इसने बंगाल के राज्यपाल को ‘भारत के गवर्नर-जनरल’ के रूप में नामित किया और उन्हें प्रमुख कार्यकारी शक्तियाँ प्रदान कीं।
3. इसने कलकत्ता प्रेसीडेंसी में एक सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना का प्रावधान किया।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं/हैं?
(a) केवल एक

(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं

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उत्तर – (B) 

व्याख्या – यह अधिनियम संवैधानिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के संचालन को नियंत्रित और विनियमित करने के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा की गई पहली कार्रवाई थी; इसने पहली बार कंपनी के राजनीतिक और प्रशासनिक कार्यों को भी मान्यता दी; और इसने भारत में केंद्रीय प्रशासन के लिए रूपरेखा स्थापित की। बंगाल के गवर्नर का समर्थन करने के लिए, इसने चार सदस्यों वाली एक कार्यकारी परिषद की स्थापना की और उसे “बंगाल का गवर्नर-जनरल” नाम दिया। 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट के माध्यम से नियुक्त लॉर्ड वारेन हेस्टिंग्स बंगाल के प्रथम गवर्नर जनरल थे। । इस ऐक्ट से कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना का प्रावधान किया गया । अतः कथन 2 सही नहीं है

2. ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ ने संवैधानिक संरचना के मूल सिद्धांतों और दर्शन को निर्धारित किया।

2. यह प्रस्ताव संविधान सभा द्वारा सर्वसम्मति से अपनाया गया।
उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1

(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

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उत्तर – (C) 

व्याख्या – दिसंबर, 1946 में जवाहरलाल नेहरू ने विधानसभा में ऐतिहासिक ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ प्रस्तुत किया। इसने संवैधानिक संरचना के मूल सिद्धांतों और दर्शन को निर्धारित किया। इसमें संप्रभुता, गणतंत्र, मौलिक अधिकार, निदेशक सिद्धांत, अहस्तक्षेप आदि के प्रमुख मूल्य और आदर्श शामिल थे। इसने अल्पसंख्यकों, पिछड़े और आदिवासी क्षेत्रों, दलित तथा अन्य पिछड़े वर्गों के लिए पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की। इस प्रस्ताव को 22 जनवरी, 1947 को विधानसभा द्वारा सर्वसम्मति से अपनाया गया था। इसने इसके बाद के सभी चरणों के माध्यम से संविधान के अंतिम आकार को प्रभावित किया। इसका संशोधित संस्करण वर्तमान संविधान की प्रस्तावना है। अतः दोनों कथन सही हैं

3. चार्टर अधिनियम, 1813 के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. इस अधिनियम द्वारा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का व्यापारिक एकाधिकार (चाय और चीन के साथ व्यापार पर एकाधिकार बना रहा) समाप्त कर दिया गया।

2. इस अधिनियम में भारत में शिक्षा के प्रसार के लिए प्रति वर्ष एक लाख रुपये का प्रावधान किया गया।
3. भारत का राजस्व ब्रिटिश संसद के नियंत्रण में आ गया।
उपर्युक्त में से कौन सा कथन सही है?
(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 2
(d) 1, 2 और 3

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उत्तर – (C) 

व्याख्या – चार्टर एक्ट, 1813 द्वारा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का व्यापारिक एकाधिकार (चाय और चीन के व्यापार पर एकाधिकार बना रहा) समाप्त कर दिया गया। साथ ही, इस अधिनियम के माध्यम से कंपनी के नियंत्रण वाले भारतीय क्षेत्रों पर ब्रिटिश क्राउन की संप्रभुता भी मजबूत हो गई। अतः कथन 1 सही है। इस अधिनियम में भारत में शिक्षा के प्रसार के लिए प्रति वर्ष एक लाख रुपये का प्रावधान किया गया। 1823 में सार्वजनिक शिक्षण की सामान्य समिति का गठन किया गया, जिसकी जिम्मेदारी में शिक्षा के लिए एक लाख रुपये देने का प्रावधान था। अतः कथन 2 भी सही है। 1858 ई. के अधिनियम द्वारा भारत का राजस्व ब्रिटिश संसद के सीधे नियंत्रण में ला दिया गया। अतः कथन 3 सही नहीं है

4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. कानून के समक्ष समानता

2. भेदभाव के विरुद्ध अधिकार
3. चुनाव लड़ने का अधिकार
4. देश में स्वतंत्र रूप से घूमने की आजादी
उपर्युक्त में से कौन सा अधिकार भारत में सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध नहीं हैं?
(a)केवल 1, 2 और 4

(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) केवल 1, 2 और 3

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उत्तर – (C) 

व्याख्या – संविधान के अनुच्छेद 14 में उल्लिखित कानून के समक्ष समानता का अधिकार भारत में नागरिकों सहित सभी व्यक्तियों को उपलब्ध है। अतः कथन 1 सही नहीं है। विचाराधीन अन्य तीन अधिकार केवल भारतीय नागरिकों के लिए उपलब्ध हैं।

5. गांधीवादी सिद्धांतों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए, जो राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों में परिलक्षित हैं:
1. ग्राम पंचायतों का एकीकरण

2. समान नागरिक संहिता
3. ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर उद्योग को बढ़ावा देना।
4. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति तथा समाज के कमजोर वर्गों के शैक्षिक एवं आर्थिक हितों को बढ़ावा देना।
उपर्युक्त में से कितने सही हैं?
(a) केवल एक

(b) केवल दो
(c) केवल तीन
(d) सभी चार

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उत्तर – (C) 

व्याख्या – गांधीवादी दर्शन पर आधारित डीपीएसपी इस प्रकार हैं- ग्राम पंचायतों का संगठन (अनुच्छेद 40), ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना (अनुच्छेद 43), अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति और समाज के कमजोर वर्गों के शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा देना (अनुच्छेद 46), राज्य को पोषण स्तर और जीवन स्तर को ऊपर उठाने का निर्देश है (अनुच्छेद 47), गायों और बछड़ों और अन्य दुधारू जानवरों के वध और उनकी नस्लों में सुधार पर प्रतिबंध (अनुच्छेद 48) जबकि समान नागरिक संहिता (अनुच्छेद 44) के उदारवादी सिद्धांत अंतर्गत आता है। अतः कथन 2 सही नहीं है

 

Daily MCQs – संविधान एवं राजव्यवस्था – 10 February 2025 (Monday)

Daily MCQs : संविधान एवं राजव्यवस्था (Constitution and Polity)
10 February, 2025 (Monday)

1. मौलिक अधिकारों बनाम राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों की स्थिति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. गोलकनाथ केस, 1967 में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि भारतीय संविधान मौलिक अधिकारों और निदेशक सिद्धांतों के बीच संतुलन की आधारशिला पर आधारित है।
2. संसद किसी भी मौलिक अधिकार के प्रशासन में सुधार के लिए राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों में पूरी तरह से संशोधन कर सकती है।
उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1

(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

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उत्तर – (D) 

व्याख्या – मिनर्वा मिल्स मामले (1980) में, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि ‘भारतीय संविधान मौलिक अधिकारों और निदेशक सिद्धांतों के बीच संतुलन की आधारशिला पर स्थापित किया गया है। दोनों के बीच यह सामंजस्य और संतुलन संविधान की मूल संरचना की एक अनिवार्य विशेषता है। संसद निदेशक सिद्धांतों को लागू करने के लिए मौलिक अधिकारों में संशोधन कर सकती है, जब तक कि संशोधन संविधान की मूल संरचना को नुकसान या नष्ट नहीं करता है। हालाँकि, संसद अपनी सनक और सनक के आधार पर निदेशक सिद्धांतों में संशोधन नहीं कर सकती है और भारतीय संविधान की ‘कल्याणकारी राज्य’ की साख को प्रभावित नहीं कर सकती है क्योंकि यह मूल संरचना का एक हिस्सा है। अतः दोनों कथन सही नहीं हैं

2. राज्यपाल की विधायी शक्तियों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. यदि राज्य विधानमंडल द्वारा पारित कोई विधेयक राज्य उच्च न्यायालय की स्थिति को खतरे में डालता है, तो राज्यपाल उस विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित कर देगा।
2. यदि राज्यपाल द्वारा राज्य विधानमंडल में पुनर्विचार के लिए भेजा गया कोई विधेयक बिना किसी संशोधन के दोबारा पारित हो जाता है, तो राज्यपाल पर विधेयक पर अपनी सहमति देने की कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है।
उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1

(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

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उत्तर – (A) 

व्याख्या – अनुच्छेद 200 में प्रावधान है कि जब राज्य विधानमंडल द्वारा पारित कोई विधेयक राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है, तो राज्यपाल घोषित करेगा-
(a) कि वह विधेयक पर सहमति देता है; या
(b) कि वह उस पर सहमति रोक देता है; या
(c) कि वह विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखता है; या
(d) राज्यपाल, यथाशीघ्र, राज्य विधानमंडल द्वारा पुनर्विचार के लिए एक संदेश के साथ विधेयक (धन विधेयक के अलावा) को वापस कर सकता है। लेकिन, यदि विधेयक विधानमंडल द्वारा संशोधन के साथ या बिना संशोधन के फिर से पारित हो जाता है, तो राज्यपाल उस पर अपनी सहमति नहीं रोकेंगे; या
(e) यदि राज्यपाल की राय में, विधेयक, यदि यह कानून बन जाता है, तो उच्च न्यायालय की शक्तियों को इतना कम कर देगा कि इसकी संवैधानिक स्थिति को खतरे में डाल देगा, वह इस पर सहमति नहीं देगा, लेकिन इसे विचार के लिए आरक्षित कर देगा। अध्यक्ष।

अतः कथन 2 सही नहीं है

3. भारत का संविधान निम्नलिखित में से किस तरीके से राज्य के अंगों का कार्यात्मक पृथक्करण निर्धारित करता है?
1. राष्ट्रपति या राज्यपाल अपने कार्यालय की शक्तियों और कर्तव्यों के प्रयोग और प्रदर्शन के लिए किसी भी न्यायालय के प्रति जवाबदेह नहीं होंगे।

2. संसद और विधानमंडलों की कार्यवाही की वैधता पर किसी भी न्यायालय में प्रश्न नहीं उठाया जा सकता है।
3. संसद न्यायाधीशों के आचरण पर चर्चा नहीं कर सकती, सिवाय इसके कि जब किसी न्यायाधीश को हटाने की कार्यवाही चल रही हो।
नीचे दिए गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

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उत्तर – (D)

व्याख्या – भारत का संविधान राज्य के अंगों को निम्नलिखित तरीके से कार्यात्मक पृथक्करण प्रदान करता है :-   

अनुच्छेद 50: राज्य न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग करने के लिए कदम उठाएगा। इसका उद्देश्य न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना है। 

अनुच्छेद 122 और 212: संसद और विधानमंडलों की कार्यवाही की वैधता पर किसी भी न्यायालय में प्रश्न नहीं उठाया जा सकता। यह प्रक्रियात्मक अनियमितता के आरोप पर न्यायिक हस्तक्षेप से विधायिकाओं की पृथक्करण और प्रतिरक्षा सुनिश्चित करता है। 

संविधान के अनुच्छेद 121 और 211 के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश के न्यायिक आचरण पर संसद और राज्य विधानमंडल में चर्चा नहीं की जा सकती है। 

क्रमशः अनुच्छेद 53 और 154 में प्रावधान है कि संघ और राज्य की कार्यकारी शक्ति राष्ट्रपति और राज्यपाल में निहित होगी और उन्हें नागरिक और आपराधिक दायित्व से छूट प्राप्त होगी। 

अनुच्छेद 361: राष्ट्रपति या राज्यपाल अपने कार्यालय की शक्तियों और कर्तव्यों के प्रयोग और प्रदर्शन के लिए किसी भी न्यायालय के प्रति जवाबदेह नहीं होंगे।

अतः सभी कथन सही हैं

4. यदि कोई प्रश्न उठता है कि कोई मामला राज्यपाल के विवेकाधीन है या नहीं, तो किसका निर्णय अंतिम होगा और क्यों?
(a) मुख्यमंत्री क्योंकि वह मंत्रिपरिषद का प्रमुख होता है
(b) राज्य विधानमंडल क्योंकि यह राज्य के भीतर सर्वोच्च कानून बनाने वाली संस्था है
(c) राज्य का राज्यपाल क्योंकि संविधान उसे यह अधिकार प्रदान करता है
(d) भारत के राष्ट्रपति जो राज्यपाल को सलाह देते हैं

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उत्तर – (C) 

व्याख्या – यदि कोई प्रश्न उठता है कि कोई मामला राज्यपाल के विवेक के अंतर्गत आता है या नहीं, तो राज्यपाल का निर्णय अंतिम होगा, और राज्यपाल द्वारा किए गए किसी भी काम की वैधता पर इस आधार पर प्रश्न नहीं उठाया जाएगा कि उसे कार्य करना चाहिए था या नहीं करना चाहिए था। उसके विवेक में. साथ ही, संविधान कहता है कि मंत्रियों द्वारा राज्यपाल को दी गई सलाह की किसी भी अदालत में जांच नहीं की जाएगी। अतः कथन (c) सही है

5. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. अनुच्छेद 32 भारतीय संविधान के भाग III में प्रदत्त अधिकारों के प्रवर्तन के लिए सर्वोच्च न्यायालय में जाने के अधिकार की पुष्टि करता है।
2. अनुच्छेद 32 के तहत गारंटीकृत अधिकार पूर्ण नहीं है और इसे निलंबित किया जा सकता है।
3. मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना स्वयं एक मौलिक अधिकार है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं/हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं

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उत्तर – (B) 

व्याख्या – यह संविधान में सूचीबद्ध मौलिक अधिकारों में से एक है जिसका प्रत्येक नागरिक हकदार है। अनुच्छेद 32 ‘संवैधानिक उपचारों के अधिकार’ से संबंधित है, या संविधान के भाग III में प्रदत्त अधिकारों के प्रवर्तन के लिए उचित कार्यवाही द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में जाने के अधिकार की पुष्टि करता है। 1975 के आपातकाल के दौरान, एडीएम जबलपुर बनाम शिवाकांत शुक्ला मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाया था कि अनुच्छेद 32 के तहत संवैधानिक उपचार का अधिकार राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान निलंबित रहेगा। 44वें संशोधन में यह भी कहा गया है कि अनुच्छेद 359 के अनुसार, राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान, अनुच्छेद 32 के तहत, मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए किसी भी अदालत में जाने के अधिकार को निलंबित करने के आदेश जारी कर सकते हैं, अनुच्छेद 20 के अपवाद के साथ (की सुरक्षा से संबंधित है) अपराधों के लिए दोषसिद्धि के मामले में कुछ अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा)। दीवानी या आपराधिक मामलों में, पीड़ित व्यक्ति के लिए उपलब्ध पहला उपाय ट्रायल कोर्ट है, उसके बाद उच्च न्यायालय और फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाती है। जब मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की बात आती है, तो कोई व्यक्ति अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय या अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है। अनुच्छेद 226, हालांकि, अनुच्छेद 32 की तरह मौलिक अधिकार नहीं है। अतः कथन 3 सही नहीं है

 

Daily MCQs – संविधान एवं राजव्यवस्था – 03 February 2025 (Monday)

Daily MCQs : संविधान एवं राजव्यवस्था (Constitution and Polity)
03 February, 2025 (Monday)

1. राष्ट्रीय आपातकाल की अस्वीकृति का प्रस्ताव निम्नलिखित में से किस मामले में किसी उद्घोषणा को जारी रखने की मंजूरी देने वाले प्रस्ताव से भिन्न है?
1. आपातकाल की अस्वीकृति के लिए दोनों सदनों की मंजूरी की आवश्यकता होती है, जबकि उद्घोषणा की मंजूरी केवल लोकसभा द्वारा की जा सकती है।
2. अस्वीकृति के लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है, जबकि अनुमोदन के लिए साधारण बहुमत की आवश्यकता होती है।
उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1

(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

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उत्तर – (D) 

व्याख्या – अस्वीकृति का प्रस्ताव निम्नलिखित दो मामलों में किसी उद्घोषणा को जारी रखने की मंजूरी देने वाले प्रस्ताव से भिन्न होता है:

  • पहले वाले (अस्वीकृति) को केवल लोकसभा द्वारा पारित किया जाना आवश्यक है, जबकि दूसरे को संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया जाना आवश्यक है।
  • पहले को केवल साधारण बहुमत द्वारा अपनाया जाना है, जबकि दूसरे को विशेष बहुमत द्वारा अपनाए जाने की आवश्यकता है।
  • यह एक असाधारण उपाय में आपातकाल के रूप में अधिक सुरक्षा उपाय करने के लिए किया जाता है और इसका सहारा केवल असाधारण परिस्थितियों में ही लिया जाना चाहिए। अतः दोनों कथन सही नहीं हैं

 

2. निम्नलिखित में से किस निकाय की नियुक्ति समितियों में राज्यसभा में विपक्ष के नेता को शामिल किया जाता है?
(a) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
(b) केंद्रीय सतर्कता आयोग
(c) केंद्रीय सूचना आयोग
(d) नीति आयोग के सीईओ 

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उत्तर – (A) 

व्याख्या – राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एक वैधानिक (संवैधानिक नहीं) निकाय है। इसकी स्थापना 1993 में संसद द्वारा अधिनियमित एक कानून, अर्थात् मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत की गई थी। अध्यक्ष और सदस्यों को छह सदस्यीय समिति की सिफारिशों पर राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है, जिसमें प्रधान मंत्री शामिल होते हैं। , लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के उपसभापति, संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता और केंद्रीय गृह मंत्री। अतः विकल्प (A) सही है

3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. किसी भी राज्य की सीमाओं में परिवर्तन करने वाला विधेयक केवल राष्ट्रपति की पूर्व अनुशंसा से ही संसद में पेश किया जा सकता है।
2. राष्ट्रपति को राज्य की सीमाओं में परिवर्तन करने वाले विधेयक को एक निर्दिष्ट अवधि के भीतर अपने विचार व्यक्त करने के लिए संबंधित राज्य विधानमंडल को भेजना होगा।
3. राष्ट्रपति राज्य विधायिका के विचारों से बंधा हुआ है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं/हैं?
(a) केवल एक

(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं

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उत्तर – (B) 

व्याख्या – अनुच्छेद 3 संसद को अधिकृत करता है: –
(a) किसी राज्य से क्षेत्र को अलग करके या दो या दो से अधिक राज्यों या राज्यों के हिस्सों को एकजुट करके या किसी राज्य के किसी हिस्से को किसी क्षेत्र को एकजुट करके एक नया राज्य बनाएं,
(b) किसी भी राज्य का क्षेत्रफल बढ़ाएँ,
(c) किसी राज्य का क्षेत्रफल कम करना,
(d) किसी भी राज्य की सीमाओं को बदलना, और
(e) किसी भी राज्य का नाम बदल दें।

हालाँकि, अनुच्छेद 3 इस संबंध में दो शर्तें बताता है: एक, उपर्युक्त परिवर्तनों पर विचार करने वाला विधेयक केवल राष्ट्रपति की पूर्व अनुशंसा से ही संसद में पेश किया जा सकता है;

दो, विधेयक की सिफारिश करने से पहले, राष्ट्रपति को एक निर्दिष्ट अवधि के भीतर अपने विचार व्यक्त करने के लिए इसे संबंधित राज्य विधायिका के पास भेजना होगा।

राष्ट्रपति राज्य विधायिका के विचारों से बंधे नहीं हैं और उन्हें स्वीकार या अस्वीकार कर सकते हैं, भले ही विचार समय पर प्राप्त हो जाएं। इसके अलावा, जब भी संसद में विधेयक में संशोधन पेश किया जाता है और स्वीकार किया जाता है, तो राज्य विधायिका का नया संदर्भ देना आवश्यक नहीं है। अतः कथन 3 सही नहीं है

4. 1992 के 73वें संशोधन अधिनियम के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. इस अधिनियम ने संविधान के अनुच्छेद 40 को व्यावहारिक रूप दिया है।
2. यह अधिनियम पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देता है।

3. इसने पंचायती राज संस्थाओं को संविधान के न्यायसंगत हिस्से के दायरे में ला दिया है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं/हैं?
(a) केवल एक

(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं

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उत्तर – (C) 

व्याख्या – इस अधिनियम ने भारत के संविधान में एक नया भाग-IX जोड़ा है। इस अधिनियम ने संविधान के अनुच्छेद 40 को व्यावहारिक रूप दिया है जो कहता है कि, “राज्य ग्राम पंचायतों को संगठित करने के लिए कदम उठाएगा और उन्हें ऐसी शक्तियां और अधिकार प्रदान करेगा जो उन्हें स्व-शासन की इकाइयों के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक हों।” ।” यह अधिनियम पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देता है। इसने उन्हें संविधान के न्यायसंगत हिस्से के दायरे में ला दिया है। अतः सभी कथन सही हैं

5. अंतर-राज्य परिषद के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. अंतर-राज्य परिषद राष्ट्रपति के आदेश द्वारा स्थापित एक स्थायी संवैधानिक निकाय है।

2. इसका गठन सरकारिया आयोग की सिफारिश के आधार पर किया गया था।
3. इसका नेतृत्व केंद्रीय गृह मंत्री करते हैं।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं/हैं?
(a) केवल एक

(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं

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उत्तर – (A) 

व्याख्या – अंतर-राज्य परिषद भारत के संविधान के अनुच्छेद 263 के प्रावधानों के आधार पर राष्ट्रपति के आदेश द्वारा स्थापित एक गैर-स्थायी संवैधानिक निकाय है। इस निकाय का गठन सरकारिया आयोग की सिफारिश पर 28 मई 1990 के राष्ट्रपति के आदेश द्वारा किया गया था। परिषद का गठन राज्यों के बीच नीतियों, सामान्य हित के विषयों और विवादों पर चर्चा या जांच करने के लिए किया जाता है। भारत के प्रधान मंत्री अंतर-राज्य परिषद के अध्यक्ष हैं। अतः केवल कथन 1 सही है

 

Daily MCQs – संविधान एवं राजव्यवस्था – 06 January 2025 (Monday)

Daily MCQs : संविधान एवं राजव्यवस्था (Constitution and Polity)
06 January, 2025 (Monday)

1. एक राज्य विधानमंडल किसी नगर पालिका में निम्नलिखित में से किस व्यक्ति के प्रतिनिधित्व का प्रावधान कर सकता है?
1. लोकसभा और राज्य विधान सभा के सदस्य उन निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिनमें पूर्ण या आंशिक रूप से नगरपालिका क्षेत्र शामिल है।
2. नगरपालिका क्षेत्र के भीतर रहने वाले शिक्षक और स्नातक।
3. नगरपालिका प्रशासन में विशेष ज्ञान या अनुभव रखने वाले व्यक्ति।
नीचे दिए गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1
(d) 1, 2 और 3

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उत्तर – (A) 

व्याख्या – यह प्रावधान नगरपालिका प्रशासन को बढ़ाने के लिए किया गया है और नगरपालिका में शामिल हो सकते हैं:
1. नगर पालिका प्रशासन में विशेष ज्ञान या अनुभव रखने वाले व्यक्तियों को नगर पालिका की बैठकों में वोट देने का अधिकार नहीं है।
2. लोकसभा और राज्य विधान सभा के सदस्य उन निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिनमें पूर्ण या आंशिक रूप से नगरपालिका क्षेत्र शामिल है।
3. राज्यसभा और राज्य विधान परिषद के सदस्य नगरपालिका क्षेत्र के भीतर निर्वाचक के रूप में पंजीकृत हैं।
4. समितियों के अध्यक्ष (वार्ड समितियों के अलावा)।
अतः कथन 2 सही नहीं है

2. ‘छावनी’ बोर्डों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1.यह छावनी क्षेत्र में नागरिक आबादी के लिए नगरपालिका प्रशासन के लिए स्थापित किया गया है।
2. यह आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करता है।
उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

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उत्तर – (A) 

व्याख्या – छावनी क्षेत्र में नागरिक आबादी के लिए नगरपालिका प्रशासन के लिए एक छावनी बोर्ड स्थापित किया गया है। इसकी स्थापना छावनी अधिनियम 2006 के प्रावधानों के तहत की गई है – जो केंद्र सरकार द्वारा अधिनियमित एक कानून है। यह केंद्र सरकार के रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करता है। अतः कथन 2 सही नहीं है

3. संसद के सदनों में दोहरी सदस्यता के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. यदि कोई व्यक्ति संसद के दोनों सदनों के लिए चुना जाता है, तो उसे किसी एक के लिए अपने विकल्प का प्रयोग करना चाहिए, अन्यथा दोनों सीटें रिक्त हो जाती हैं।
2. यदि कोई व्यक्ति किसी सदन में दो सीटों के लिए चुना जाता है, तो उसे एक के लिए अपने विकल्प का प्रयोग करना चाहिए, अन्यथा, दोनों सीटें खाली हो जाती हैं।
3. यदि एक सदन का कोई वर्तमान सदस्य दूसरे सदन के लिए भी निर्वाचित हो जाता है, तो पहले सदन में उसकी सीट रिक्त हो जाती है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं/हैं?
(a)केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं

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उत्तर – (B) 

व्याख्या – कोई व्यक्ति एक ही समय में संसद के दोनों सदनों का सदस्य नहीं हो सकता। इस प्रकार, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (1951) निम्नलिखित प्रावधान करता है:
(a) यदि कोई व्यक्ति संसद के दोनों सदनों के लिए चुना जाता है, तो उसे 10 दिनों के भीतर सूचित करना होगा कि वह किस सदन में सेवा करना चाहता है। ऐसी सूचना न देने पर, राज्यसभा में उनकी सीट रिक्त हो जाती है।
(b) यदि एक सदन का कोई मौजूदा सदस्य दूसरे सदन के लिए भी चुना जाता है, तो पहले सदन में उसकी सीट खाली हो जाती है।
(c) यदि कोई व्यक्ति किसी सदन में दो सीटों के लिए चुना जाता है, तो उसे एक के लिए अपने विकल्प का प्रयोग करना चाहिए। अन्यथा, दोनों सीटें खाली हो जाती हैं।
इसी प्रकार, कोई भी व्यक्ति एक ही समय में संसद और राज्य विधानमंडल दोनों का सदस्य नहीं हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति इस प्रकार निर्वाचित होता है, तो यदि वह 14 दिनों के भीतर राज्य विधानमंडल में अपनी सीट से इस्तीफा नहीं देता है, तो संसद में उसकी सीट खाली हो जाती है। अतः कथन 1 सही नहीं है

4. निम्नलिखित में से कौन सा सिद्धांत संसदीय सरकार का आधार सिद्धांत माना जाता है?
(a) स्वतंत्रता
(b) संप्रभुता
(c) भाईचारा
(d) सामूहिक जिम्मेदारी

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उत्तर – (D) 

व्याख्या – सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत का तात्पर्य है कि लोकसभा अविश्वास प्रस्ताव पारित करके मंत्रालय (यानी, प्रधान मंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद) को पद से हटा सकती है। यह संसदीय सरकार का आधारभूत सिद्धांत है। मंत्री सामान्य रूप से संसद और विशेष रूप से लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होते हैं (अनुच्छेद 75)। वे एक टीम की तरह काम करते हैं। अतः विकल्प (d) सही है

5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. संविधान का अनुच्छेद 324 सभी चुनाव आयुक्तों को मुख्य चुनाव आयुक्त के समान सुरक्षा प्रदान करता है।
2. मुख्य चुनाव आयुक्त को केवल उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के समान आधार पर ही हटाया जा सकता है।
उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

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उत्तर – (B)

व्याख्या – सीईसी और चुनाव आयुक्तों का कार्यकाल छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, होता है, और उन्हें वही दर्जा प्राप्त होता है और उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के समान वेतन और सुविधाएं प्राप्त होती हैं। सीईसी और चुनाव आयुक्तों को निर्णय लेने की समान शक्ति प्राप्त है जो इस तथ्य का सूचक है कि उनकी शक्तियाँ एक-दूसरे के बराबर हैं। हालाँकि, अनुच्छेद 324(5) चुनाव आयुक्तों को समान सुरक्षा प्रदान नहीं करता है और यह केवल यह कहता है कि उन्हें सीईसी की सिफारिश के बिना पद से नहीं हटाया जा सकता है। अतः कथन 2 सही है

 

Daily MCQs – संविधान एवं राजव्यवस्था – 30 December 2024 (Monday)

Daily MCQs : संविधान एवं राजव्यवस्था (Constitution and Polity)
30 December, 2024 (Monday)

1. ‘व्हिप’ के कार्यालय के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. संसद के प्रत्येक सदन में कामकाज के नियमों द्वारा कार्यालय की स्थापना की गई है।

2. संसद के प्रत्येक सदन में केवल सत्तारूढ़ दल को व्हिप रखने की अनुमति है।
उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1

(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

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उत्तर – (D) 

व्याख्या – ‘व्हिप’ के पद का उल्लेख न तो भारत के संविधान में, न सदन के नियमों में और न ही संसदीय क़ानून में किया गया है। यह संसदीय सरकार की परंपराओं पर आधारित है। संसद में हर राजनीतिक दल, चाहे वह सत्तारूढ़ हो या विपक्ष, का अपना व्हिप होता है। उन्हें राजनीतिक दल द्वारा सहायक फ्लोर लीडर के रूप में नियुक्त किया जाता है। उन पर अपनी पार्टी के सदस्यों की बड़ी संख्या में उपस्थिति सुनिश्चित करने और किसी विशेष मुद्दे के पक्ष या विपक्ष में उनका समर्थन हासिल करने की जिम्मेदारी है। वह संसद में उनके व्यवहार को नियंत्रित और मॉनिटर करता है। सदस्यों को व्हिप द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना होता है। अन्यथा अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकती है। अतः दोनों कथन सही नहीं हैं

2. संविधान सभा के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. सभा में ब्रिटिश भारत और रियासतों दोनों का प्रतिनिधित्व था।

2. विधानसभा के चुनाव में आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली अपनाई गई।
3. सभा में ब्रिटिश कैबिनेट के महत्वपूर्ण मंत्री पदेन सदस्य के रूप में शामिल थे।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं/हैं?
(a) केवल एक

(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं

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उत्तर – (B) 

व्याख्या – संविधान सभा की कुल संख्या 389 होनी थी। इनमें से 296 सीटें ब्रिटिश भारत को और 93 सीटें रियासतों को आवंटित की जानी थीं। ब्रिटिश भारत को आवंटित 296 सीटों में से 292 सदस्य ग्यारह राज्यपालों के प्रांतों से और चार चार मुख्य आयुक्तों के प्रांतों से, प्रत्येक से एक को चुना जाना था। प्रत्येक प्रांत और रियासत (या छोटे राज्यों के मामले में राज्यों के समूह) को उनकी संबंधित जनसंख्या के अनुपात में सीटें आवंटित की जानी थीं। मोटे तौर पर प्रत्येक दस लाख की आबादी पर एक सीट आवंटित की जानी थी। प्रत्येक ब्रिटिश प्रांत को आवंटित सीटें तीन प्रमुख समुदायों – मुस्लिम, सिख और सामान्य, के बीच उनकी जनसंख्या के अनुपात में तय की जानी थीं। प्रत्येक समुदाय के प्रतिनिधियों को प्रांतीय विधान सभा में उस समुदाय के सदस्यों द्वारा चुना जाना था और मतदान एकल संक्रमणीय वोट के माध्यम से आनुपातिक प्रतिनिधित्व की विधि से होना था। कोई सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व नहीं था। इसमें महात्मा गांधी और एम ए जिन्ना को छोड़कर उस समय भारत की सभी महत्वपूर्ण हस्तियां शामिल थीं। अतः कथन 3 सही नहीं है

3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य सहसंबद्ध और अविभाज्य हैं।

2. मूल संविधान में मौलिक कर्तव्य और मौलिक अधिकार शामिल नहीं थे और दोनों को स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश के आधार पर जोड़ा गया था।
उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1

(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

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उत्तर – (A) 

व्याख्या – मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य सहसंबद्ध और अविभाज्य हैं। साथ ही, मूल संविधान में केवल मौलिक अधिकार थे, मौलिक कर्तव्य नहीं। बाद में 1976 में स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश पर नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों को संविधान में जोड़ा गया। 2002 में एक और मौलिक कर्तव्य जोड़ा गया। यद्यपि मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य दोनों अविभाज्य हैं, फिर भी उनके बीच कुछ अंतर हैं। अतः कथन 1 सही है

4. निम्नलिखित में से कौन सा निदेशक सिद्धांत मूल रूप से भारत के संविधान में प्रदान नहीं किया गया था?
(a) नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता

(b) वनों और वन्य जीवन की रक्षा करें
(c) कृषि और पशुपालन का संगठन
(d) ग्राम पंचायतों का संगठन

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उत्तर – (B) 

व्याख्या – 1976 के 42वें संशोधन अधिनियम ने मूल सूची में चार नए निदेशक सिद्धांत जोड़े। उन्हें राज्य की आवश्यकता है :-

  • बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए अवसर सुरक्षित करना (अनुच्छेद 39)
  • समान न्याय को बढ़ावा देना और गरीबों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करना (अनुच्छेद 39 A)
  • उद्योगों के प्रबंधन में श्रमिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाना (अनुच्छेद 43 A)
  • पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना तथा वनों और वन्य जीवों की सुरक्षा करना (अनुच्छेद 48 A)

 

5. अनुच्छेद 368 में निर्धारित संविधान में संशोधन की प्रक्रिया के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. इस आशय का विधेयक पहले केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है।

2. ऐसा विधेयक किसी मंत्री द्वारा पेश किया जाना चाहिए।
3. दोनों सदनों के बीच असहमति की स्थिति में, विधेयक पर विचार-विमर्श और पारित करने के उद्देश्य से दोनों सदनों की संयुक्त बैठक आयोजित की जाती है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं/हैं?
(a) केवल एक

(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं

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उत्तर – (D) 

व्याख्या – संविधान में संशोधन केवल संसद के किसी भी सदन में विधेयक पेश करके शुरू किया जा सकता है, न कि राज्य विधानसभाओं में। विधेयक को किसी मंत्री या किसी निजी सदस्य द्वारा पेश किया जा सकता है और इसके लिए राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है। विधेयक को प्रत्येक सदन में विशेष बहुमत से पारित किया जाना चाहिए, अर्थात सदन की कुल सदस्यता का बहुमत (अर्थात 50 प्रतिशत से अधिक) और सदन में उपस्थित सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित किया जाना चाहिए। मतदान. प्रत्येक सदन को अलग से विधेयक पारित करना होगा। दोनों सदनों के बीच असहमति की स्थिति में, विधेयक पर विचार-विमर्श और पारित करने के उद्देश्य से दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाने का कोई प्रावधान नहीं है। अतः सभी कथन सही नहीं हैं

 

Daily MCQs – संविधान एवं राजव्यवस्था – 16 December 2024 (Monday)

Daily MCQs : संविधान एवं राजव्यवस्था (Constitution and Polity)
16 December, 2024 (Monday)

1. संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत लगाए गए राष्ट्रपति शासन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. इसे संबंधित राज्य के राज्यपाल की लिखित अनुशंसा के बिना नहीं लगाया जा सकता है।
2. राष्ट्रपति शासन की प्रत्येक घोषणा को एक निर्धारित समय के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।
उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

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उत्तर – (B) 

व्याख्या – अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति को उद्घोषणा जारी करने का अधिकार देता है, यदि वह संतुष्ट है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें किसी राज्य की सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चल सकती है। विशेष रूप से, राष्ट्रपति या तो राज्य के राज्यपाल की रिपोर्ट पर या अन्यथा भी (अर्थात, राज्यपाल की रिपोर्ट के बिना भी) कार्रवाई कर सकता है। अतः कथन 1 सही नहीं है

राष्ट्रपति शासन लगाने की उद्घोषणा को इसके जारी होने की तारीख से दो महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए। यदि संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किया जाता है, तो राष्ट्रपति शासन छह महीने तक जारी रहता है। अतः कथन 2 सही है

   

2. ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किस अधिनियम ने स्वतंत्रता से पहले भारत में सिविल सेवकों के चयन और भर्ती की एक खुली प्रतियोगिता प्रणाली और गवर्नर-जनरल के लिए एक अलग विधायी विंग की शुरुआत की?
(a) 1853 का चार्टर अधिनियम
(b) 1861 का भारतीय परिषद अधिनियम
(c) 1892 का भारतीय परिषद अधिनियम
(d) 1833 का चार्टर अधिनियम

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उत्तर – (A)

व्याख्या – 1853 के चार्टर अधिनियम ने सिविल सेवकों के चयन और भर्ती की एक खुली प्रतियोगिता प्रणाली शुरू की। इस प्रकार अनुबंधित सिविल सेवा को भारतीयों के लिए भी खोल दिया गया। तदनुसार, 1854 में मैकाले समिति (भारतीय सिविल सेवा समिति) की नियुक्ति की गई।(इससे पहले 1833 के चार्टर अधिनियम में सिविल सेवकों के चयन के लिए खुली प्रतियोगिता की एक प्रणाली शुरू करने का प्रयास किया गया था, और कहा गया था कि भारतीयों को कंपनी के तहत किसी भी स्थान, कार्यालय और रोजगार को रखने से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि, बाद में इस प्रावधान को अस्वीकार कर दिया गया था) निदेशक न्यायालय का विरोध।) अतः विकल्प (a) सही है

3. प्रोटेम स्पीकर के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. वह लोकसभा द्वारा सदन के सदस्यों में से चुना जाता है।
2. वह लोकसभा की बैठकों की अध्यक्षता करने के लिए जिम्मेदार है जब तक कि नया निर्वाचित अध्यक्ष संसदीय प्रक्रियाओं से परिचित नहीं हो जाता।
3. प्रोटेम स्पीकर के पास स्पीकर की सभी शक्तियां होती हैं।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं/हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं

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उत्तर – (A)

व्याख्या – जैसा कि संविधान द्वारा प्रदान किया गया है, पिछली लोकसभा का अध्यक्ष नवनिर्वाचित लोकसभा की पहली बैठक से ठीक पहले अपना कार्यालय खाली कर देता है। इसलिए, राष्ट्रपति लोकसभा के एक सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करता है। आमतौर पर इसके लिए सबसे वरिष्ठ सदस्य को चुना जाता है. प्रोटेम स्पीकर के पास स्पीकर की सभी शक्तियां होती हैं. वह नवनिर्वाचित लोकसभा की पहली बैठक की अध्यक्षता करते हैं। उनका मुख्य कर्तव्य नये सदस्यों को शपथ दिलाना है। वह सदन को नये अध्यक्ष का चुनाव करने में भी सक्षम बनाता है। जब सदन द्वारा नए अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है, तो प्रोटेम स्पीकर का पद समाप्त हो जाता है। अत: यह कार्यालय कुछ दिनों के लिए विद्यमान एक अस्थायी कार्यालय है। अतः केवल कथन 3 सही है

4. निम्नलिखित में से किस संसदीय समिति में राज्य सभा की कोई भागीदारी नहीं होती है?
(a) लोक लेखा समिति
(b) महिला सशक्तिकरण समिति
(c) विशेषाधिकार समिति
(d) प्राक्कलन समिति

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उत्तर – (D)
व्याख्या – प्राक्कलन समिति: इस समिति में राज्य सभा का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। इन सदस्यों को प्रत्येक वर्ष लोकसभा द्वारा एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से आनुपातिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांतों के अनुसार अपने स्वयं के सदस्यों में से चुना जाता है। अतः विकल्प (d) सही है

5. अनुच्छेद 368 में निर्धारित संविधान में संशोधन की प्रक्रिया के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें।
1. इस आशय का विधेयक पहले केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है।
2. ऐसा विधेयक किसी मंत्री द्वारा पेश किया जाना चाहिए।
3. दोनों सदनों के बीच असहमति की स्थिति में, विधेयक पर विचार-विमर्श और पारित करने के उद्देश्य से दोनों सदनों की संयुक्त बैठक आयोजित की जाती है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं/हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) तीनों
(d) कोई नहीं

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उत्तर – (D)

व्याख्या – संविधान में संशोधन केवल संसद के किसी भी सदन में विधेयक पेश करके शुरू किया जा सकता है, न कि राज्य विधानसभाओं में। विधेयक को किसी मंत्री या किसी निजी सदस्य द्वारा पेश किया जा सकता है और इसके लिए राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है। विधेयक को प्रत्येक सदन में विशेष बहुमत से पारित किया जाना चाहिए, अर्थात सदन की कुल सदस्यता का बहुमत (अर्थात 50 प्रतिशत से अधिक) और सदन में उपस्थित सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित किया जाना चाहिए। मतदान. प्रत्येक सदन को अलग से विधेयक पारित करना होगा। दोनों सदनों के बीच असहमति की स्थिति में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं है

 

Daily MCQs – संविधान एवं राजव्यवस्था – 02 December 2024 (Monday)

Daily MCQs : संविधान एवं राजव्यवस्था (Constitution and Polity)
02 December, 2024 (Monday)

1. भारत के अटॉर्नी जनरल के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. भारत के अटॉर्नी जनरल भारत सरकार के पहले कानून अधिकारी हैं, और उन्हें देश की सभी अदालतों में सुनवाई का अधिकार है।

2. वह केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य हैं।
3. भारत के संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति द्वारा उसे सौंपे गए कानूनी चरित्र के ऐसे कर्तव्यों का पालन करना अटॉर्नी-जनरल का कर्तव्य होगा।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं/हैं?
(a) केवल एक

(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं

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उत्तर – (B)

व्याख्या –

भारत का संविधान ए-जी के पद को एक विशेष स्तर पर रखता है। ए-जी भारत सरकार का पहला कानून अधिकारी है, और उसे देश की सभी अदालतों में सुनवाई का अधिकार है। अतः कथन 1 सही है

संविधान के अनुच्छेद 76(2) में कहा गया है, “ऐसे कानूनी मामलों पर भारत सरकार को सलाह देना और समय-समय पर कानूनी चरित्र के ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करना अटॉर्नी-जनरल का कर्तव्य होगा।” राष्ट्रपति द्वारा उसे संदर्भित या सौंपा जाएगा”। अतः कथन 3 सही है

ए-जी को “इस संविधान या उस समय लागू किसी अन्य कानून के तहत या उसके तहत प्रदत्त कार्यों का निर्वहन करना” भी माना जाता है। इसके अलावा, भारत के लिए ए-जी, इंग्लैंड और वेल्स के लिए ए-जी और संयुक्त राज्य अमेरिका के ए-जी की तरह, कैबिनेट का सदस्य नहीं है। अतः कथन 2 सही नहीं है

2. संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत लगाए गए राष्ट्रपति शासन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. इसे संबंधित राज्य के राज्यपाल की लिखित अनुशंसा के बिना नहीं लगाया जा सकता है।

2. राष्ट्रपति शासन की प्रत्येक घोषणा को एक निर्धारित समय के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।
उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1

(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

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उत्तर – (B)

व्याख्या – अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति को उद्घोषणा जारी करने का अधिकार देता है, यदि वह संतुष्ट है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें किसी राज्य की सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चल सकती है। विशेष रूप से, राष्ट्रपति या तो राज्य के राज्यपाल की रिपोर्ट पर या अन्यथा भी (अर्थात, राज्यपाल की रिपोर्ट के बिना भी) कार्रवाई कर सकता है। राष्ट्रपति शासन लगाने की उद्घोषणा को इसके जारी होने की तारीख से दो महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए। यदि संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किया जाता है, तो राष्ट्रपति शासन छह महीने तक जारी रहता है। अतः कथन 1 सही नहीं है

3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. राजनीतिक दलों के पंजीकरण के लिए दिशानिर्देश लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत जारी किए जाते हैं।

2. भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के पास राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र को लागू करने और पार्टियों को चुनाव कराने की याद दिलाने और यह सुनिश्चित करने की वैधानिक शक्ति है कि उनके नेतृत्व का हर पांच साल में नवीनीकरण, बदलाव या फिर से चुनाव हो।
उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1

(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

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उत्तर – (A)

व्याख्या – ईसीआई ने समय-समय पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत पार्टियों के पंजीकरण के लिए जारी दिशानिर्देशों का उपयोग किया है ताकि पार्टियों को चुनाव कराने की याद दिलाई जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर पांच साल में उनका नेतृत्व नवीनीकृत, परिवर्तित या फिर से चुना जाए। लेकिन आयोग के पास पार्टियों में आंतरिक लोकतंत्र लागू करने या चुनाव कराने की कोई वैधानिक शक्ति नहीं है। अतः कथन 2 सही नहीं है

4. संघीय सरकार का अर्थ ऐसी सरकार से है जिसमें:
(a) केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन है; और संघीय और राज्य न्यायपालिकाओं के बीच भी।

(b) सभी शक्तियाँ राष्ट्रीय सरकार में निहित हैं और क्षेत्रीय सरकारें राष्ट्रीय सरकार से अपना अधिकार प्राप्त करती हैं।
(c) बड़ी संख्या में शक्तियां राष्ट्रीय सरकार में निहित हैं और क्षेत्रीय सरकारें, कुछ स्वतंत्र शक्तियों के साथ, राष्ट्रीय सरकार से अपना अधिकार प्राप्त करती हैं।
(d) संविधान द्वारा शक्तियों को राष्ट्रीय सरकार और क्षेत्रीय सरकारों के बीच विभाजित किया गया है और दोनों स्वतंत्र रूप से अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में काम करते हैं।

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उत्तर – (D)

व्याख्या – संघीय सरकार वह होती है जिसमें संविधान द्वारा ही राष्ट्रीय सरकार और क्षेत्रीय सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन किया जाता है और दोनों अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं। संघीय मॉडल में, राष्ट्रीय सरकार को संघीय सरकार या केंद्र सरकार या संघ सरकार के रूप में जाना जाता है और क्षेत्रीय सरकार को राज्य सरकार या प्रांतीय सरकार के रूप में जाना जाता है। अतः विकल्प (d) सही है

5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. भारत के संविधान के अनुच्छेद 200 के अनुसार, राज्यपाल किसी विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए तभी आरक्षित कर सकता है जब राज्यपाल की राय हो कि विधेयक उच्च न्यायालय की स्थिति को खतरे में डाल देगा।

2. भारत के संविधान में उन आधारों का उल्लेख नहीं है जिनके आधार पर कोई राज्यपाल किसी विधेयक पर अपनी सहमति रोक सकता है।
उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1

(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

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उत्तर – (C)

व्याख्या – संविधान का अनुच्छेद 200 राज्यपाल को विधानसभा से कोई विधेयक पहुंचने पर कुछ विकल्प प्रदान करता है। संबंधित प्रावधान यह स्पष्ट करता है कि किसी विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए तभी आरक्षित किया जा सकता है जब राज्यपाल की राय हो कि यह विधेयक उच्च न्यायालय की शक्तियों को कम करके उसकी स्थिति को खतरे में डाल देगा। संविधान में किसी अन्य प्रकार के विधेयक का उल्लेख नहीं है जिसे राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित किया जाना आवश्यक हो। तथ्य यह है कि संविधान में उन आधारों का उल्लेख नहीं है जिन पर राज्यपाल किसी विधेयक पर अपनी सहमति रोक सकता है, यह दर्शाता है कि राज्यपाल को इस शक्ति का प्रयोग बेहद संयम से और ऐसी कार्रवाई के परिणामों पर बहुत सावधानी से विचार करने के बाद करना चाहिए। अतः दोनों कथन सही हैं

 

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