NCERT Solutions Class 9 Hindi (Sanchayan Part – I) Chapter 2 स्मृति

NCERT Solutions Class 9 Hindi (Sanchayan Part – I) 

The NCERT Solutions in Hindi Language for Class 9 हिंदी (संचयन) भाग – I पाठ – 2 स्मृति has been provided here to help the students in solving the questions from this exercise. 

पाठ – 2 (स्मृति)

बोध – प्रश्न  

1. भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस बात का डर था?
उत्तर – भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक डर गया था क्योंकि उसे लगा कि उसके बड़े भाई झरबेरी से बेर तोड़-तोड़कर खाने के लिए उसको डाँटेंगे और उसे खूब पीटेंगे।

2. मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला क्यों फेंकती थी?
उत्तर – जब बच्चों की टोली पढ़ने के लिए जाती थी तो उनको रास्तें में एक कुएँ के पास से होकर गुजरना पड़ता था, जिसमें एक भयंकर जहरीला साँप रहता था जिसकी फुंकार को सुननें के लिए तथा उसें तंग करने के लिए बच्चे कुएँ मे ढेला फेंकते थे। 

3. ‘साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लगा या नहीं, यह बात अब तक स्मरण नहीं’–यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है?
उत्तर – उपर्युक्त कथन से लेखक की बदहवास मनोदशा स्पष्ट होती है। जिस समय लेखक कुएँ में ढेला फेंक रहा था, उसी समय उसने अपने एक हाथ से टोपी भी उतारी जिससे उसकी चिट्ठियाँ कुएँ में गिर गईं। चिट्ठियों के कुएँ में गिरने के कारण, लेखक का डर के मारे बुरा हाल हो गया था। इसी डर की वजह से उसे पता ही नहीं चला और न ही स्मरण रहा कि साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लगा या नहीं।

4. किन कारणों से लेखक ने चिट्ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया?
उत्तर – लेखक के बड़े भाई ने उसे डाकखाने में डालने के लिए चिट्ठियाँ दी थीं जो कि बहुत ही जरूरी थीं चिट्ठियाँ कुएँ में गिर जाने के कारण लेखक को अपने बड़े भाई से पिटाई का डर था क्योंकि वह अपने बड़े भाई से बहुत डरता था और उनके डंडे की मार का ख्याल आते ही वह काँपने लगा। वह अपने बड़े भाई से झूठ भी नहीं बोल सकता था इसलिए लेखक ने कुएँ में से चिटि्ठयाँ निकालने का निर्णय लिया। 

5. साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्तियाँ अपनाईं?
उत्तर – साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने निम्न युक्तियाँ अपनाइ। उसने साँप के पास पड़ी चिट्ठियों को डंडे से उठाना चाहा मगर साँप उस पर फुंकार कर आया साँप का स्थान बदलते ही लेखक ने चिट्ठियाँ उठा लीं फिर उसने डंडा उठाने के लिए उस पर मिट्टी फेंकी जिससे साँप का ध्यान फिर भटका और लेखक ने झट से डंडा उठा लिया दोनों के बीच में डंडा आ जाने से साँप उसे नहीं डस पाया इस प्रकार लेखक अपने साहसिक कार्य में सफल रहा। 

6. कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को निकालने संबंधी साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – भाई द्वारा दी गईं चिट्ठियाँ लेखक की जरा सी ना समझी के कारण कुएँ में गिर गईं थीं और उन्हें किसी भी हालत में निकालना बहुत ही जरूरी था नहीं तो घर पर जाकर मार पड़ती। इसी डर से लेखक ने उन्हें कुएँ में से निकालने का जोखिम भरा निर्णय लिया। वह अपनी और अपने भाई की धोती और कुछ रस्सी को मिलाकर नीचे उतरा मगर साँप से फिर भी 4-5 गज ऊपर ही रहा उसके ठीक नीचे साँप फन फैलाए बैठा था। डंडा घुमाने की भी जगह नहीं थी और रस्सी से लटककर भी नहीं मारा जा सकता था। डंडे से चिट्ठियाँ सरकाने के चक्कर में साँप डंडे से लिपट गया, उसके हाथ से डंडा छूट गया, पैर दीवार से हटते ही वह धोती से लटक गया, उसने मिट्टी साँप के फन पर फेंकी साँप का ध्यान बँटते ही लेखक ने चिट्ठियाँ उठा लीं । 

7. इस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल-सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है?
उत्तर – इस पाठ से कई बाल सुलभ शरारतों का पता चलता है। बच्चे अक्सर पेड़ों से बेर, आम और अमरूद तोड़ कर खाया करते हैं। वे बिना मतलब जहाँ तहाँ ढ़ेले फेंकते हैं। वे साँप को देखकर उसे मारने निकल पड़ते हैं। लेकिन आजकल के शहरी बच्चे ऐसी शरारतें नहीं कर पाते हैं।

8. मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उलटी निकलती हैं’–का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – कोई भी मनुष्य समय और परिस्थिति के अनुसार भावी योजनाएँ बनाता है और उसी के अनुसार कार्य भी करता है, परन्तु वह योजनाएँ कभी-कभी उल्टी भी पड़ जाती हैं जिस कारण मनुष्य जो चाहता है वह नहीं हो पाता अतः कल्पना और वास्तविकता में अंतर आ जाता है जो प्रतिकूल परिणाम भी दे सकता है जैसा कि लेखक के साथ साँप का सामना करते समय हुआ । 

9. ‘फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है’-पाठ के संदर्भ में इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – लेखक यह सोचकर कुएँ में उतरा था कि या तो उसे साँप काट लेगा या वह चिट्ठयाँ उठाने में सफल होकर लौटेगा इसलिए भयंकर परिणाम की चिंता किए बिना ही वह कुएँ में उतर गया और अपने उद्देश्य में सफल रहा। इसलिए हमें केवल अपना कर्म ही करना चाहिए फल कैसा मिलेगा यह ईश्वर पर छोड़ देना चाहिए। परन्तु यह भी सत्य है कि दृढ़ निश्चय करके कार्य करने वाले हमेशा ही अपने उद्देश्य में सफल होते हैं। 

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