NCERT Solutions Class 9 Hindi (Kshitij Part – I) Chapter 6 प्रेमचंद के फटे जूते

NCERT Solutions Class 9 Hindi (Kshitij Part – I) 

The NCERT Solutions in Hindi Language for Class 9 हिंदी (क्षितिज गद्य – खंड) भाग – I पाठ – 6 प्रेमचंद के फटे जूते has been provided here to help the students in solving the questions from this exercise. 

पाठ – 6 (प्रेमचंद के फटे जूते)

प्रश्न – अभ्यास

1. हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्दचित्रं हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे प्रेमचंद के चित्रं सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं?
उत्तर – प्रेमचंद के व्यक्तित्व की विशेषताएँ –

  • प्रेमचंद का व्यक्तित्व बहुत ही सीधा-सादा था, उनके व्यक्तित्व में दिखावा नहीं था।
  • प्रेमचंद एक स्वाभिमानी व्यक्ति थे। किसी और की वस्तु माँगना उनके व्यक्तित्व के खिलाफ़ था।
  • इन्हें समझौता करना मंजूर नहीं था।
  • ये परिस्थितियों के गुलाम नहीं थे। किसी भी परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करना इनके व्यक्तित्व की विशेषता थी।

2. सही कथन के सामने (✓) का निशान लगाइए –
(क)
बाएँ पाँव का जूता ठीक है मगर दाहिने जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से अँगुली बाहर निकल आई है।

(ख) लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए।
(ग) तुम्हारी यह व्यंग्य मुसकान मेरे हौसले बढ़ाती है।
(घ) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ़ अँगूठे से इशारा करते हो?
उत्तर –
(क) बाएँ पाँव का जूता ठीक है मगर दाहिने जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से अँगुली बाहर निकल आई है। (✗)

(ख) लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए। (✓)
(ग) तुम्हारी यह व्यंग्य मुसकान मेरे हौसले बढ़ाती है। (✗)
(घ) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ़ अँगूठे से इशारा करते हो? (✗)

3. नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए-
(क) जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं।
उत्तर – यहाँ पर जूते का आशय समृद्धि से है तथा टोपी मान, मर्यादा तथा इज्जत का प्रतीक है। वैसे तो इज़्जत का महत्व सम्पत्ति से अधिक है। परन्तु आज की परिस्थिति में इज़्जत को समाज के समृद्ध एवं प्रतिष्ठित लोगों के सामने झुकना पड़ता है।

(ख) तुम परदे का महत्त्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुरबान हो रहे हैं।
उत्तर – यहाँ परदे का सम्बन्ध इज़्जत से है। जहाँ कुछ लोग इज़्ज़त को अपना सर्वस्व मानते हैं तथा उस पर अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार रहते हैं, वहीं दूसरी ओर समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके लिए इज़्ज़त महत्वहीन है।

(ग) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ़ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो?
उत्तर – प्रेमचंद गलत वस्तु या व्यक्ति को इस लायक नहीं समझते थे कि उनके लिए अपने हाथ का प्रयोग करके हाथ के महत्व को कम करें बल्कि ऐसे गलत व्यक्ति या वस्तु को पैर से सम्बोधित करना ही उसके महत्व के अनुसार उचित है।

4. पाठ में एक जगह पर लेखक सोचता है कि ‘फ़ोटो खिंचाने की अगर यह पोशाक है तो पहनने की कैसी होगी?’ लेकिन अगले ही पल वह विचार बदलता है कि नहीं, इस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी।’ आपके अनुसार इस संदर्भ में प्रेमचंद के बारे में लेखक के विचार बदलने की क्या वजहें हो सकती हैं?
उत्तर – पहले लेखक प्रेमचंद के साधारण व्यक्तित्व को परिभाषित करना चाहते हैं कि ख़ास समय में ये इतने साधारण हैं तो साधारण मौकों पर ये इससे भी अधिक साधारण होते होंगे। परन्तु फिर बाद में लेखक को ऐसा लगता है कि प्रेमचंद का व्यक्तित्व दिखावे की दुनिया से बिल्कुल अलग है क्योंकि वे जैसे भीतर हैं वैसे ही बाहर भी हैं।

5. आपने यह व्यंग्य पढ़ा। इसे पढ़कर आपको लेखक की कौन-सी बातें आकर्षित करती हैं?
उत्तर – लेखक एक स्पष्ट वक्ता है। यहाँ बात को व्यंग के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। प्रेमचंद के व्यक्तित्व की विशेषताओं को व्यक्त करने के लिए जिन उदाहरणों का प्रयोग किया गया है, वे व्यंग को ओर भी आकर्षक बनाते हैं। कड़वी से कड़वी बातों को अत्यंत सरलता से व्यक्त किया है। यहाँ अप्रत्यक्ष रुप से समाज के दोषों पर व्यंग किया गया है।

6. पाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग किन संदर्भो को इंगित करने के लिए किया गया होगा?
उत्तर – पाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग मार्ग की बाधा के रुप में किया गया है। प्रेमचंद ने अपनी लेखनी के द्वारा समाज की बुराईयों को प्रस्तुत करने का प्रयास किया। ऐसा करने के लिए उन्हें बहुत सारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा।

रचना और अभिव्यक्ति

7. प्रेमचंद के फटे जूते को आधार बनाकर परसाई जी ने यह व्यंग्य लिखा है। आप भी किसी व्यक्ति की पोशाक को आधार बनाकर एक व्यंग्य लिखिए।
उत्तर – व्यक्तित्व से मिलती जुलती पोशाक और हमारे बड़े फूफा जी का दूर दूर तक कोई नाता नहीं है।कहने को तो वह शहर के नामी गिरामी डॉक्टर हैं लेकिन उनके अंदर अमीरों जैसी कोई बात ही नहीं है। चाहे मीटिंग हो या उनका अपना हॉस्पिटल, वे साधारण कपड़ों में ही सारी जगहों पर जाते हैं।उन्हें इस बात से बिलकुल फ़र्क नहीं पड़ता की चार लोग आएंगे और उनका मज़ाक उड़ाएंगे।जिस तरह वे अमीरों से बात करते हैं ठीक उसी तरह वे अपने से नीचे अर्थात ग़रीब लोगों से मिलते जुलते हैं। कुछ लोगों को लगता है कि उन्हें जीवन जीने का सलीक़ा नहीं है लेकिन वास्तव में असली जीवन तो उन्हीं जी रहे हैं।उन्होंने यह सिद्ध किया है कि एक आदर्श व्यक्ति का जीवन कैसा होना चाहिए।वह भले ही पोशाक से डॉक्टर ना लगते हों लेकिन वह एक आदर्श मानव की कसौटी पर खरे उतरते हैं। 

8. आपकी दृष्टि में वेश-भूषा के प्रति लोगों की सोच में आज क्या परिवर्तन आया है?
उत्तर – वेशभूषा के प्रति लोगों की सोच में आज बहुत ज़्यादा परिवर्तन आया है।आज लोग वेशभूषा के आधार पर ही एक दूसरे की पहचान करते हैं।अगर कोई डॉक्टर है तो उसका पहनावा अलग होता है और अगर कोई चपरासी है तो वह भी चपरासी वाले कपड़े पहनता है।कहने का मतलब ये है कि आज वेशभूषा के आधार पर लोगों की पहचान तय होती है। 

भाषा अध्ययन

9. पाठ में आए मुहावरे छाँटिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर –

  • अँगुली का इशारा – कुछ बताने की कोशिश
    वाक्य – मैं तुम्हारी अँगुली का इशारा खूब समझता हूँ।
  • हौसला पस्त करना – उत्साह नष्ट करना
    वाक्य – अनिल कुंबले की फिरकी गेंदों ने श्रीलंका के खिलाड़ियों के हौसले पस्त कर दिए।
  • व्यंग्यमुसकान – मज़ाक उड़ाना
    वाक्य – तुम अपनी व्यंग भरी मुस्कान से मेरी तरफ़ मत देखो।
  • ठोकर मारना – चोट करना।
    वाक्य – प्रेमचंद ने राह के संकटों पर खूब ठोकरें मारी
  • टीला खड़ा होना – बाधाएँ आना।
    वाक्य – जीवन जीना सरल नहीं है, यहाँ पग-पग पर टीले खड़े हैं।
  • पहाड़ फोड़ना – बाधाएँ नष्ट करना।
    वाक्य – प्रेमचंद उन संघर्षशील लेखकों में से थे जिन्होंने पहाड़ फोड़ना सीखा था, बचना नहीं।
  • जंजीर होना – बंधन होना।
    वाक्य – स्वतंत्रता से जीने वाले पथ की सब जंजीरें तोड़कर आगे बढ़ते हैं।

10. प्रेमचंद के व्यक्तित्व को उभारने के लिए लेखक ने जिन विशेषणों का उपयोग किया है उनकी सूची बनाइए।
उत्तर – प्रेमचंद का व्यक्तित्व उभारने के लिए लेखक ने जिन विशेषणों का प्रयोग किया है, वे हैं-

  • जनता के लेखक
  • महान कथाकार
  • साहित्यिक पुरखे
  • युग प्रवर्तक
  • उपन्यास-सम्राट

Go Back To Chapters

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Latest from Class 9 Hindi