NCERT Solutions Class 9 Hindi (Kshitij Part – I) Chapter 10 वाख

NCERT Solutions Class 9 Hindi (Kshitij Part – I) 

The NCERT Solutions in Hindi Language for Class 9 हिंदी (क्षितिज काव्य – खंड) भाग – I पाठ – 10 वाख has been provided here to help the students in solving the questions from this exercise. 

पाठ – 10 (वाख)

वाख

[1]
रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव।

जाने कब सुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार्।
पानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे।
जी में उठती रह रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे॥

[2]
खा खाकर कुछ पाएगा नहीं,
न खाकर बनेगा अहंकारी।
सम खा तभी होगा समभावी,
खुलेगी साँकल बंद द्वार की।

[3]
आई सीधी राह से, गई न सीधी राह्।
सुषुम सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह।
जेब टटोली, कौड़ी न पाई।
माझी को दूँ, क्या उतराई।

[4]
थल थल में बसता है शिव ही,

भेद न कर क्या हिंदू मुसलमां।
ज्ञानी है तो स्वयं को जान,
वही है साहिब से पहचान॥

प्रश्न – अभ्यास

1. ‘रस्सी’ यहाँ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और वह कैसी है?
उत्तर – ‘रस्सी’ शब्द जीवन जीने के साधनों के लिए प्रयुक्त हुआ है। वह स्वभाव में कच्ची अर्थात् नश्वर है।

2. कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं?
उत्तर – कवयित्री देखती है कि दिन बीतते जाने और अंत समय निकट आने के बाद भी परमात्मा से उसका मेल नहीं हो पाया है। ऐसे में उसे लगता है कि उसकी साधना एवं प्रयास व्यर्थ हुई जा रही है।

3. कवयित्री का ‘घर जाने की चाह’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर – कवयित्री का ‘घर जाने की चाह’ से तात्पर्य प्रभु से मिलन है। उसके अनुसार जहाँ प्रभु हैं वहीं उसका वास्तविक घर है।

4. भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) जेब टटोली कौड़ी न पाई।
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति से कवयित्री का अभिप्राय है कि वह जीवन भर हठयोग साधना करती रही किंतु उसको परमात्मा के दर्शन नहीं हो पाए अब उससे अनुभव हो रहा है कि उसकी जेब खाली रह गई है।

(ख) खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं, न खाकर बनेगा अहंकारी।
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति से कवयित्री का अभिप्राय है कि भूखे रहकर तू ईश्वर साधना नहीं कर सकता अर्थात् व्रत पूजा करके भगवान नहीं पाए जा सकते अपितु हम अहंकार के वश में वशीभूत होकर राह भटक जाते हैं। (कि हमने इतने व्रत रखे आदि)।

5. बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए ललयद ने क्या उपाय सुझाया है?
उत्तर – बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए कवि ने इंद्रियों पर विजय प्राप्त करने का सुझाव दिया है। इसका मतलब है कि यदि आप सच्चे मायने में भगवान को पाना चाहते हैं तो आपको लोभ और लालच से मोहभंग करना होगा।

6. ईश्वर प्राप्ति के लिए बहुत से साधक हठयोग जैसी कठिन साधना भी करते हैं, लेकिन उससे भी लक्ष्य प्राप्ति नहीं होती। यह भाव किन पंक्तियों में व्यक्त हुआ है?
उत्तर – उपर्युक्त भाव प्रकट करने वाली पंक्तियाँ हैं-
आई सीधी राह से, गई न सीधी राह।
सुषुम-सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह!
जेब टटोली, कौड़ी न पाई।
मांझी को क्या दें, क्या उतराई ?

7. ‘ज्ञानी’ से कवयित्री का क्या अभिप्राय है?
उत्तर – ‘ज्ञानी’ से कवयित्री का अभिप्राय है – जिसने परमात्मा को जाना हो, आत्मा को जाना हो।

रचना और अभिव्यक्ति

8. हमारे संतों, भक्तों और महापुरुषों ने बार-बार चेताया है कि मनुष्यों में परस्पर किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होता, लेकिन आज भी हमारे समाज में भेदभाव दिखाई देता है-
(क) आपकी दृष्टि में इस कारण देश और समाज को क्या हानि हो रही है?
उत्तर – आज का समाज धर्म और जाति के नाम पर बँटा हुआ है। कई जगह सांप्रदायिक झगड़े होते हैं। कई बार एक जाति के लोग किसी अन्य जाति के लोगों के खिलाफ हथियार उठा लेते हैं। इससे पारस्परिक सौहार्द्र मिट जाता है। एक आदमी का दूसरे आदमी पर से विश्वास उठ जाता है।

(ख) आपसी भेदभाव को मिटाने के लिए अपने सुझाव दीजिए।
उत्तर – हमें धर्म या समुदाय की सीमाओं से परे होकर एक दूसरे के साथ भाईचारा बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। हमें दूसरे के धर्म की इज्जत करनी चाहिए। आपसी सहयोग से ही हर तरफ खुशहाली और तरक्की आएगी।

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