NCERT Solutions Class 8 Hindi (Vasant)
The NCERT Solutions in Hindi Language for Class 8 हिंदी (वसंत) भाग – III पाठ – 8 यह सबसे कठिन समय नहीं has been provided here to help the students in solving the questions from this exercise.
पाठ – 8 (यह सबसे कठिन समय नहीं)
प्रश्न – अभ्यास
पाठ से
1. “यह कठिन समय नहीं है?” यह बताने के लिए कविता में कौन-कौन से तर्क प्रस्तुत किए गए हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : – ‘यह सबसे कठिन समय नहीं है’ यह बताने के लिए कवयित्री ने कविता में निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किए हैं:
(क) चिड़िया चोंच में तिनका लेकर उड़ने की तैयारी में है।
(ख) पेड़ से टूटकर नीचे गिरती पत्ती को सहारा देने के लिए हाथ तैयार है।
(ग) गाड़ी अपने गंतव्य तक जा रही है और बूढ़ी नानी अंतरिक्ष की कहानी सुना रही है।
(घ) कोई किसी के जल्दी घर लौट आने का इंतजार कर रहा है।
2. चिड़िया चोंच में तिनका दबाकर उड़ने की तैयारी में क्यों है? वह तिनकों का क्या करती होगी? लिखिए।
उत्तर : – चिड़िया अपनी चोंच में तिनका दबाकर उड़ने की तैयारी में है क्योंकि सूरज डूबने का समय हो चुका है उसके डूबने से पहले चिड़िया अपने लिए घोंसला बनाना चाहती है। वह तिनके से अपने लिए घोंसला तैयार कर उसमें अपने बच्चों के साथ रहेगी। घोंसला उसके परिवार को सुरक्षा प्रदान करता है।
3. कविता में कई बार ‘अभी भी’ का प्रयोग करके बातें रखी गई है। अभी भी का प्रयोग करते हुए तीन वाक्य बनाइए और देखिए उसमे लगातार, निरंतर, बिना रुके चलनेवाले किसी कार्य का भाव निकल रहा है या नहीं?
उत्तर : – ‘अभी भी’ के प्रयोग से बनाए गए तीन वाक्य:
(क) दो दिन पहले ही घर की सफाई की थी पर अभी भी यहां धूल जमी हुई है।
(ख) पिछले सप्ताह ही कार की मरम्मत कराई थी पर अभी भी इसका इंजन ठीक से काम नहीं कर रहा।
(ग) मेरे पैर में काफी चोट है पर अभी भी मुझ में चलने की क्षमता है।
हाँ, इन वाक्यों में लगातार, निरंतर, बिना रुके चलनेवाले किसी कार्य का भाव निकल रहा है।
4. “नहीं” और ”अभी भी” को एक साथ प्रयोग करके तीन वाक्य लिखिए और देखिए ‘नहीं’ ‘अभी भी’ के पीछे कौन-कौन से भाव छिपे हो सकते हैं?
उत्तर : – ‘नहीं’ और ‘अभी भी’ को एक साथ प्रयोग करने से बने वाक्य।
(क) यहां कोई बस स्टॉप नहीं, इसलिए लोगों को अभी भी बस लेने के लिए काफी दूर जाना पड़ता है। (निरंतरता का भाव)
(ख) बिट्टू अभी तक गेंद लेकर नहीं आया, उसे अभी भी आने में काफी समय लग सकता है (प्रतीक्षा का भाव)
(ग) घर में बिल्कुल रोशनी नहीं है, बिजली आने का अभी भी को आसार नहीं। (निराशा का भाव)
कविता से आगे
1. घर के बड़े-बूढ़ों द्वारा बच्चों को सुनाई जाने वाली किसी ऐसी कथा की जानकारी प्राप्त कीजिए जिसके आखिरी हिस्से में कठिन परिस्थितियों से जीतने का संदेश हो।
उत्तर : – घर में बड़े-बूढ़ों द्वारा बच्चों को सुनाई जाने वाले ऐसे कई किस्से और कहानियां। इन्हीं में से एक है मनबुद्धी से बुद्धीमान बने बालक वरदराज की कहानी।
वरदराज नाम का एक मनबुद्धी बालक था। वरदराज पढ़ने में बहुत कमजोर था। इस वजह से सब उसका बहुत मजाक उड़ाते थे, कोई उसे मंदबुद्धि कहता तो कोई मूर्ख कहता था। उसके सभी सहपाठी जो उसके साथ पढ़ते थे वे आगे की कक्षा में पहुंच गए, लेकिन बालक वरदराज एक ही कक्षा में कई साल तक अटका रहा। उसे पढ़ाई लिखाई समझ में नहीं आती थी।
पढ़ाई में कमजोर होने की वजह से शिक्षक उसे पसंद नहीं करते थे। अंत में उसे विद्यालय से यह कहकर निकाल दिया गया की वह पढ़ने लिखने में असमर्थ हैं। इसके बाद निराश माता-पिता ने वरदाराज को पढ़ने के लिए गुरुकुल भेज देया। वहां भी वरदराज का पढ़ाई में हाल ऐसा ही था।
शिक्षकों और सहपाठियों के तानों से परेशान एक दिन वरदराज कड़ी धूप में कहीं जा रहा था। रास्ते में उसे बहुत प्यास लगी। वरदराज ने अपने आस-पास देखा तो दूर उसे एक कुँआ नजर आया। वरदराज उस कुएँ के पास पहुँचा। वहां वरदराज ने देखा कि कुएं की जगत पर रस्सी की रगड़ ने पत्थर पर भी निशान बना दिए हैं। इस घटना ने बालक वरदराज के मन-मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डाला। उसे समझ आ गया कि रस्सी की लगातार रगड़ से जब पत्थर में भी लकीरें पड़ सकती हैं तो बार-बार अभ्यास करने से उसे भी पढ़ना क्यों नहीं आएगा।
उस दिन के बाद वरदराज का जीवन एकदम बदल गया। वह पढ़ाई में ध्यान देने लगा, गुरुजी जो सिखाते वरदराज उसे ध्यान से सुनता, अपना पाठ याद कर गुरुजी को सबसे पहले सुनता और अपनी कक्षा में सबसे ज्यादा पढ़ाई करता था। बहुत जल्द वरदराज एक मूर्ख से बुद्धीमान बालक बन गया। आगे चलकर वह बालक संस्कृत के बहुत बड़े विद्वान् बनें और उन्होनें संस्कृत के तीन ग्रंथों की रचना की।
मध्यसिद्धान्तकौमुदी
लघुसिद्धान्तकौमुदी
सारकौमुदी
2. आप जब भी घर से स्कूल जाते हैं कोई आपकी प्रतीक्षा कर रहा होता है। सूरज डूबने का समय भी आपको खेल के मैदान से घर लौट चलने की सूचना देता है कि घर में कोई आपकी प्रतीक्षा कर रहा है – प्रतीक्षा करनेवाले व्यक्ति के विषय में आप क्या सोचते हैं? अपने विचार लिखिए।
उत्तर : – प्रतीक्षा करनेवाले व्यक्ति हमारे प्रियजन ही हो सकते हैं। मेरे तो दिन की शुरुआत और अंत माँ के प्यार से ही होता है। सुबह में प्यार से माथा चूमकर जगाने में माँ का प्यार, नाश्ते में बनी पसंद की चीज़ों में माँ का प्यार, भले-बुरे की डाँट में माँ का प्यार, सूरज डूबने के साथ खेल के मैदान से घर लौट चलने की सूचना देता माँ का प्यार तथा जीने का सलीका सिखाता माँ का प्यार।