NCERT Solutions Class 8 Hindi (Vasant) Chapter 18 टोपी

NCERT Solutions Class 8 Hindi (Vasant) 

The NCERT Solutions in Hindi Language for Class 8 हिंदी (वसंत) भाग – III पाठ – 18 टोपी has been provided here to help the students in solving the questions from this exercise. 

पाठ – 18 (टोपी) 

प्रश्न – अभ्यास

कहानी से

1. गवरइया और गवरा के बीच किस बात पर बहस हुई और गवरइया को अपनी इच्छा पूरी करने का अवसर कैसे मिला?
उत्तर : – गवरइया और गवरा के बीच आदमी के कपड़े पहनने को लेकर बहस हुई। गवरइया को आदमी द्वारा रंग-बिरंगे कपड़े पहनना अच्छा लग रहा था जबकि गवरा का कहना था कि कपड़ा पहन लेने के बाद आदमी और बदसूरत लगने लगता है। उसका यह भी कहना था कि कपड़े पहन लेने के बाद आदमी की कुदरती ख़ूबसूरती ढँक जाती है।
गवरइया का मन हमेशा टोपी पहनने को करता था। एक दिन घूरे पर चुगते-चुगते उसे रुई का एक फाहा मिल गया। इसी से उसकी टोपी बनने की इच्छा पूरी होने का अवसर मिल गया।

2. टोपी बनवाने के लिए गवरइया किस-किस के पास गई? टोपी बनने तक के एक-एक कार्य को लिखें।
उत्तर : – टोपी बनवाने के लिए गवरइया धुनिया, कोरी, बुनकर और दर्जी के पास गई। धुनिया के पास रुई धुनवा कर वह उसे लेकर कोरी के पास जा पहुँची। उसे कोरी से कतवा लिया। कते सूत को लेकर वह बुनकर के पास गई उससे बुनकर से कपड़ा बुनवाया। कपड़े को लेकर वह दर्जी के पास गई। उसने उस कपड़े से गवरइया की टोपी सिल दी।

3. गवरइया की टोपी पर दर्जी ने पाँच फुँदने क्यों जड़ दिए?
उत्तर : – किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए मन में उत्साह होना आवश्यक है। उत्साह से ही हमारे मन में किसी भी कार्य के प्रति जागरूकता उत्पन्न होती है। यदि हम किसी भी कार्य को बेमन से करेंगे तो निश्चय ही हमें उस कार्य में सफलता नहीं मिलेगी। कोई न कोई कमी ज़रूर रह जाएगी।

4. गवरइया के स्वभाव से यह प्रमाणित होता है कि कार्य की सफलता के लिए उत्साह आवश्यक है। सफलता के लिए उत्साह की आवश्यकता क्यों पड़ती है, तर्क सहित लिखिए।
उत्तर : – सफलता के लिए उत्साह आवश्यक है। कहा भी गया है कि मन के हारे हार है मन के जीते जीत। उत्साह से ही हमारे मन में किसी भी कार्य के प्रति जागरूकता उत्पन्न होती है। यदि हम किसी भी कार्य को बेमन से करेंगे तो निश्चय ही हमें उस कार्य में पूर्णतया सफलता नहीं मिलेगी।

कहानी से आगे 

1. किसी कारीगर से बातचीत कीजिए और परिश्रम का उचित मूल्य नहीं मिलने पर उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी- ज्ञात कीजिए और लिखिए।
उत्तर : – 
घर से थोड़ी ही दूर पर एक दर्जी की दुकान है। वहां काम करने वाले कारीगर का काम पूरे मोहल्ले में मशहूर है। लोग दूर-दूर से उससे कपड़े सिलवाने आते हैं। वह अपने काम के उचित मूल्य बताता है। एक बार मेरे दोस्त के पिता जी उसके पास पैंट सिलवाने के लिए गए। उसने रसीद में सिलाई का मूल्य लिखकर दे दिया। जब दोस्त के पापा पैंट उठाने गए तो उन्होंने पहनकर जांची। दर्जी ने हमेशा की तरह अपना काम अच्छे से किया था। दोस्त के पापा खुश भी हुए। लेकिन पैसे देते वक्त वो उसे 50 रुपए कम दे रहे थे। इस पर दर्जी ने रसीद में लिखे पैसे फिर से दिखाए। दोस्त के पापा भी फिर से आने की दलील देकर पैसे कम करवाए जा रहे थे। दर्जी को गुस्सा आ गया और उसने कहा कि आप मुफ्त में ले जाओ और एक भी पैसा मत दो। हमने तो अपना काम ईमानदारी से किया और अब आप पैसे देने में आनाकानी कर रहे हैं। काफी बहस के बाद दोस्त के पापा ने उसे पूरे पैसे दिए। तब जाकर दर्जी भी खुश हुआ।

2. गवरइया की इच्छा-पूर्ति का क्रम घूरे पर रूई के मिल जाने से प्रारंभ होता है। उसके बाद वह क्रमशः एक-एक करके कई कारीगरों के पास जाती है और उसकी टोपी तैयार होती है। आप भी अपनी कोई इच्छा चुन लीजिए। उसकी पूर्ति के लिए योजना और कार्य विवरण तैयार कीजिए।
उत्तर : –  मेरा स्कूल घर से करीब 3 किमी दूर है। रोज पैदल आने-जाने में समय नष्ट होता है। पिछले कुछ दिन से मैं सोच रहा था कि साइकिल खरीद लूंगा तो स्कूल आने-जाने से सहूलियत हो जाएगी। समय भी बचेगा। मैंने ये इच्छा पापा के सामने जाहिर की। लेकिन पापा ने कहा कि पहले चलाना सीखो फिर ही साइकिल दिलाएंगे। अब एक साइकिल का जुगाड़ करना था जिससे मैं उसे चलाना सीख सकूं। दो दिन बाद मेरे दोस्त ने बताया कि उसके भाई ने मोटर साइकिल खरीद ली है और अब उनकी पुरानी साइकिल घर पर ही रहती है। तब मैंने उससे कहा कि कुछ दिन के लिए वो साइकिल मुझे दे दे जिससे मैं उसे चलाना सीख सकूं। दोस्त ने साइकिल तो दे दी लेकिन उसकी हालत कुछ ठीक नहीं थी। पास में ही एक पंचर वाली दुकान पर जाकर मैंने उसे दुरुस्त करवा लिया। इसके बाद एक हफ्ते तक साइकिल चलाने की प्रैक्टिस की। एक हफ्ते बाद उसी साइकिल से मैं पापा के पास पहुंचा। घर पहुंचा तो देखा कि पापा ने पहले से ही मेरे लिए साइकिल खरीदकर रखी है। उन्हें पता चल गया था कि मैं साइकिल चलाना सीख रहा हूं। मैंने कुछ दिन पहले साइकिल से स्कूल जाने के बारे में सोचा और आज वो मेरे पास है।

3. गवरइया के स्वभाव से यह प्रमाणित होता है कि कार्य की सफलता के लिए उत्साह आवश्यक है। सफलता के लिए उत्साह की आवश्यकता क्यों पड़ती है, तर्क सहित लिखिए।
उत्तर : –  किसी भी बस्तु को पाने के लिए उस बस्तु की चाह अथवा उत्साह का होना जरूरी है। गवरइया के मन में बस एक बार ही टोपी पहनने का ख्याल आया था। उसने सोच लिया था कि चाहे जो भी हो जाए वो टोपी तो पहनकर रहेगी। तभी घूरे पर चुगते हुए रुई का फाहा भी मिल गया। उसने सोचकर एक कदम बढ़ा दिया था। अगली मंजिल उसे अपने आप मिलती चली गई। गवरइया में टोपी पहनने का उत्साह था। वो गवरे के कहने पर नीरस नहीं हुई। उसने अपनी इच्छा को जगाए रखा। धुनिये, कोरी, बुनकर और दर्जी ने काम करने से ना भी किया लेकिन गवरइया ने उन्हें अच्छा प्रस्ताव देकर मना लिया। आखिरकार वो एक टोपी की मालकिन बन गई।

अनुमान और कल्पना

1. टोपी पहनकर गवरइया राजा को दिखाने क्यों पहुँची जबकि उसकी बहस गवरा से हुई और वह गवरा के मुँह से अपनी बड़ाई सुन चुकी थी। लेकिन राजा से उसकी कोई बहस हुई ही नहीं थी। फिर भी वह राजा को चुनौती देने को पहुँची। कारण का अनुमान लगाइए।
उत्तर : – टोपी पहनकर गवरइया राजा को दिखाने पहुँची जबकि उसकी बहस गवरा से हुई और वह गवरा के मुँह से अपनी बड़ाई सुन चुकी थी। लेकिन राजा से उसकी कोई बहस हुई ही नहीं थी। फिर भी वह राजा को चुनौती देने को पहुँची क्योंकि गवरा ने बहस के दौरान कहा था कि टोपी मात्र राजा ही पहनता है। यह बात उसे अच्छी नहीं लगी थी।

2. यदि राजा के राज्य के सभी कारीगर अपने-अपने श्रम का उचित मूल्य प्राप्त कर रहे होते तब गवरइया के साथ उन कारीगरों का व्यवहार कैसा होता?
उत्तर : – यदि राजा के राज्य के सभी कारीगर अपने-अपने श्रम का उचित मूल्य प्राप्त कर रहे होते तब गवरइया के साथ उन कारीगरों का व्यवहार सामान्य होता और सर्वप्रथम वे राजा का काम करते क्योंकि उनका काम ज्यादा था।

3. चारों कारीगर राजा के लिए काम कर रहे थे। एक रजाई बना रहा था। दूसरा अचकन के लिए सूत कात रहा था। तीसरा बागा बुन रहा था। चौथा राजा की सातवीं रानी की दसवीं संतान के लिए झब्बे सिल रहा था। उन चारों ने राजा का काम रोककर गवरइया का काम क्यों किया?
उत्तर : – चारों ने राजा का काम रोककर गवरइया का काम किया क्योंकि उन लोगों को काम की वाजिब मजदूरी मिली थी, जिससे वे सब खुश थे।

भाषा की बात

1. गाँव की बोली में कई शब्दों का उच्चारण अलग होता है। उनकी वर्तनी भी बदल जाती है। जैसे गवरइया गौरैया का ग्रामीण उच्चारण है। उच्चारण के अनुसार इस शब्द की वर्तनी लिखी गई है। फुँदना, फुलगेंदा का बदला हुआ रूप है।
कहानी में अनेक शब्द हैं जो ग्रामीण उच्चारण में लिखे गए हैं, जैसे – मुलुक-मुल्क, खमा-क्षमा, मजूरी-मजदूरी, मल्लार-मलार इत्यादि। आप क्षेत्रीय या गाँव की बोली में उपयोग होने वाले कुछ ऐसे शब्दों को खोजिए और उनका मूल रूप लिखिए, जैसे – टेम-टाइम, टेसन/टिसन-स्टेशन।
उत्तर : –

क्षेत्रीय भाषा मूल रूप
घइला घड़ा
लइकी लड़की
भीख भिक्षा
तरकारी सब्जी
भात चावल
मुलुक
मुल्क
मानुष  मनुष्य
अपन  अपने
दुपहर  दोपहर

2. मुहावरों के प्रयोग से भाषा आकर्षक बनती है। मुहावरे वाक्य के अंग होकर प्रयुक्त होते हैं। इनका अक्षरश: अर्थ नहीं बल्कि लाक्षणिक अर्थ लिया जाता है। पाठ में अनेक मुहावरे आए हैं। टोपी को लेकर तीन मुहावरे हैं; जैसे – कितनों को टोपी पहनानी पड़ती है। शेष मुहावरों को खोजिए और उनका अर्थ ज्ञात करने का प्रयास कीजिए।
उत्तर : –

मुहावरा अर्थ
टोपी उछलना बेइज्ज्ती होना।
टोपी से ढ़ँक लेना इज्ज़त ढ़क लेना।
टोपी कसकर पकड़ना सम्मान बचना।
टोपी के लिए टाट उलटना
इज्जत बचाने के लिए दल बदल लेना।
टोपी सलामत रखना इज्जत बचाए रखना।
टोपी पहनाना बेवकूफ बनाना या चापलूसी करना।

 

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