NCERT Solutions Class 8 Hindi (Vasant)
The NCERT Solutions in Hindi Language for Class 8 हिंदी (वसंत) भाग – III पाठ – 16 पानी की कहानी has been provided here to help the students in solving the questions from this exercise.
पाठ – 16 (पानी की कहानी)
प्रश्न – अभ्यास
पाठ से
1. लेखक को ओस की बूँद कहाँ मिली?
उत्तर : – लेखक को बेर की झाड़ी पर ओस की बूँद मिली।
2. ओस की बूँद क्रोध और घृणा से क्यों काँप उठी?
उत्तर : – पेड़ों की जड़ों में निकले रोएँ द्वारा जल की बूँदों को बलपूर्वक धरती के भूगर्भ से खींच लाना व उनको खा जाना याद करते ही बूँद क्रोध व घृणा से काँप उठी।
3. हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को पानी ने अपना पूर्वज/पुरखा क्यों कहा?
उत्तर : – जब ब्रह्मांड में पृथ्वी व उसके साथी ग्रहों का उद्गम भी नहीं हुआ था उस समय ब्रह्मांड में हाइड्रोजन व ऑक्सीजन – दो गैस, सौरमंडल में लपटों के रूप में विद्यमान थीं। ऑक्सीजन व हाइड्रोजन के बीच रासायनिक क्रिया होने से दोनों का संयोग हुआ जिससे पानी का जन्म हुआ। इस वजह से बूंद ने इन दोनों को अपना पूर्वज या पुरखा कहा है।
4. “पानी की कहानी” के आधार पर पानी के जन्म और जीवन-यात्रा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर : – पानी का जन्म हाइड्रोजन व ऑक्सीजन के बीच रासायनिक प्रक्रिया द्वारा होता है। ये दोनों आपस में मिलकर अपना आस्तित्व समाप्त कर जल के रूप में विद्यमान हो जाते हैं। सर्वप्रथम बूंद भाप के रूप में पृथ्वी के वातावरण में ईद-गिर्द घूमती रहती है, तद् पश्चात् ठोस बर्फ के रूप में विद्यमान हो जाती है। समुद्र से होती हुई वह गर्म-धारा से मिलकर ठोस रूप को त्यागकर जल का रूप धारण कर लेती है।
5. कहानी के अंत और आरंभ के हिस्से को स्वयं पढ़कर देखिए और बताइए कि ओस की बूँद लेखक को आपबीती सुनाते हुए किसकी प्रतीक्षा कर रही थी?
उत्तर : – कहानी के अंत और आरंभ के हिस्से को पढ़कर यह पता चलता है कि ओस की बूँद लेखक को आपबीती सुनाते, हुए सूर्योदय की प्रतीक्षा कर रही थी।
6. समुद्र के तट पर बसे नगरों में अधिक ठंड और अधिक गरमी क्यों नहीं पड़ती?
उत्तर : – समुद्र के तट पर बसे नगरों में अधिक ठंड और अधिक गरमी नहीं पड़ती क्योंकि वहाँ के वातावरण में हमेशा नमी रहती है।
7. पेड़ के भीतर फव्वारा नहीं होता तब पेड़ की जड़ों से पत्ते तक पानी कैसे पहुँचता है? इस क्रिया को वनस्पति शास्त्र में क्या कहते हैं?
उत्तर : – पेड़ के भीतर फव्वारा नहीं होता तब पेड़ की जड़ों से पत्ते तक पानी पहुँचता है क्योंकि पेड़ की जड़ों व तनों में जाइलम और फ्लोएम नामक वाहिकाएँ होती हैं जो पानी जड़ों से पत्तियों तक पहुँचाती हैं। इस क्रिया को वनस्पति शास्त्र में ‘संवहन’ (ट्रांसपाईरेशन) कहते हैं।
पाठ से आगे
1. जलचक्र के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए और पानी की कहानी से तुलना करके देखिए कि लेखक ने पानी की कहानी में कौन-कौन सी बातें विस्तार से बताई हैं?
उत्तर : – धरती पर से जल का वाष्प के रूप में बदलना उसके बाद पानी बनकर बरसना फिर नदियों से होकर समुद्र में मिल जाना फिर भाप बनकर उड़ जाना यही जलचक्र कहलाता है। लेखक ने विस्तार से पानी के बनने और उसके हर क्षण बदलने की प्रक्रिया को बड़े ही सुन्दर ढंग से पाठ में प्रस्तुत किया है।
2. “पानी की कहानी” पाठ में ओस की बूंद अपनी कहानी स्वयं सुना रही हैऔर लेखक केवल श्रोता हैइस आत्मकथात्मक शैली में आप भी किसी वस्तु का चुनाव करके कहानी लिखें
उत्तर : – आत्मकथात्मक शैली में लोहे की कुर्सी की कहानी सर्दी के दिन थेएक दिन हल्की आवाज सुनकर मैं बाहर निकला शायद कोई हो पर कुर्सी पर ओस की बूंद गिरने से ध्वनि उत्पन्न हुई थीमैं अपनी लोहे की कुर्सी को बाहर छोड़ दियापुस्तकें तथा अन्य सामान अंदर ले गया पर भूल से यह कमरे के बाहर ही रह गईमैं अंदर पढ़ रहा था कि कुर्सी से कुछ आवाज हुई मैं अपनी गीली कुर्सी कमरे में लाया कुर्सी ने बताया कि कभी मैं मोटे से लोहे की छड़ का हिस्सा थीफैक्ट्री के मालिक ने वह लोहा बेच दियाजिसने मुझे खरीदा था, उसने एक भट्ठी में पिघलाकर पतलीपतली छड़े तथा सीटें बनाने के लिए खूब पीटामुझे असह्य दर्द हुआइनके कटे टुकड़ों को गर्म सलाखों की मदद से जोड़कर कुर्सी का आकार दियामेरे अनेक भागों को जोड़ने के लिए नट-बोल्ट लगाएइस क्रिया में मुझे बहुत दु:ख झेलना पड़ाइसके बाद मुझे आकर्षक बनाने के लिए चमकीला पेंट करके बाजार में बेच दियावहीं से तुम मुझे खरीद लाए तब से तुम्हारी सेवा में लगी हूँ और तुम्हारे आराम का साधन बनी हूँतुम भी मेरा कुछ ख्याल किया करोयूँ बाहर रात भर रहने से तो मैं ठिठुर कर मर ही जाती।
3. समुद्र के तट पर बसे नगरों में अधिक ठंड और अधिक गरमी क्यों नहीं पड़ती?
उत्तर : – समुद्र तट के आसपास के इलाकों को पानी अपने आसपास का तापमान न अधिक बढ़ने देता है और न अधिक घटने देता हैयहाँ का तापमान समशीतोष्ण अर्थात् सुहावना बना रहता हैयही कारण है कि समुद्र तट पर बसे नगरों में न अधिक सर्दी पड़ती है और न अधिक गर्मी।
4. पेड़ के भीतर फव्वारा नहीं होता, तब पेड़ की जड़ों से पत्ते तक पानी कैसे पहुँचता है? इस क्रिया को वनस्पति शास्त्र में क्या कहते हैं? क्या इस क्रिया को जानने के लिए कोई आसान प्रयोग है? जानकारी प्राप्त कीजिए
उत्तर : – यह तो सत्य है कि पेङ के भीतर फव्वारा नहीं होता और फिर भी जङ से अवशोषित होने के बाद जल पत्तियों पर पहुंच जाता है। यह कोई जादू का कार्य नहीं है। प्रकृति ने पेङ की संरचना ही इस प्रकार से की है कि यह क्रिया यहां पर हमें देखने को मिलती है। ऐसा पेङों के तने में उपस्थित जायलेम कोशिकाओं के द्वारा संभव हो पाता है। ये जायलेम कोशिकाएं जङों द्वारा अवशोषित जल को अपनी ओर उपर की तरफ खींचता है। फिर यह जल और उपर यानि पत्तियों की ओर फेंका जाता है। इस क्रिया को वनस्पतिशास्त्र में ‘कोशिका क्रिया’ कहते हैं।
प्रयोग- हम रंगीन पानी भरे एक बीकर में श्वेत पुष्प वाले पौधे को डालते हैं। थोड़ी देर बाद हम पाते हैं कि श्वेत पुष्प पर रंगीन धारियां पङ गयी हैं। वास्तव में पौधे के जङों से रंगीन जल अवशोषित होकर पत्तियों के उपर तक पहुंच गया। पौधे के तना में उपस्थित जायलेम कोशिका की कोशिका क्रिया द्वारा ही ऐसा संभव हो पाया।
भाषा की बात
1. किसी भी क्रिया को पूरी करने में जो भी संज्ञा आदि शब्द संलग्न होते हैं, वे अपनी अलग-अलग भूमिकाओं के अनुसार अलग-अलग कारकों में वाक्य में दिखाई पडते हैं; जैसे – “वह हाथों से शिकार को जकड़ लेती थी।”
जकड़ना क्रिया तभी संपन्न हो पाएगी जब कोई व्यक्ति (वह) जकड़नेवाला हो, कोई वस्तु (शिकार) हो जिसे जकड़ा जाए। इन भूमिकाओं की प्रकृति अलग-अलग है। व्याकरण में ये भूमिकाएँ कारकों के अलग-अलग भेदों; जैसे – कर्ता, कर्म, करण आदि से स्पष्ट होती हैं।
अपनी पाठ्यपुस्तक से इस प्रकार के पाँच और उदाहरण खोजकर लिखिए और उन्हें भलीभाँति परिभाषित कीजिए।
उत्तर : –
1. आगे एक और बूँद मेरा हाथ पकड़कर ऊपर खींच रही थी।
पकड़कर – सबंध कारक
2. हम बड़ी तेजी से बाहर फेंक दिए गए।
तेज़ी से – अपादान कारक
3. मैं प्रति क्षण उसमें से निकल भागने की चेष्टा में लगी रहती थी।
मैं – कर्ता
4. वह चाकू से फल काटकर खाता है।
चाकू से – करण कारक
5. बदलू लाख से चूड़ियाँ बनाता है।
लाख से – करण कारक