NCERT Solutions Class 7 Hindi (Vasant) Chapter 9 चिड़िया की बच्ची

NCERT Solutions Class 7 Hindi (Vasant) 

The NCERT Solutions in Hindi Language for Class 7 हिंदी (वसंत) भाग – II पाठ – 9 चिड़िया की बच्ची has been provided here to help the students in solving the questions from this exercise. 

पाठ – 9 (चिड़िया की बच्ची) 

प्रश्न – अभ्यास

कहानी से

1. किन बातों से ज्ञात होता है कि माधवदास का जीवन संपन्नता से भरा था और किन बातों से ज्ञात होता है कि वह सुखी नहीं था?

उत्तर – माधव दास की बड़ी कोठी, सुंदर बगीचा, रहने का ठाठ -बाट रईसों जैसा था।चिड़िया के साथ वार्तालाप में कहना कि तेरी सोने का पिंजरा बनवा दूँगा और मेरे पास सोना- मोती है और उसे माला-माल कर देने की बात कहता है। इसके अलावा वह स्वयं स्वीकार करता है। कि उसके पास कई कोठियां, बगीचे और नौकर- चाकर है। इन बातों से उसकी संपन्नता का पता चलता है। इतना होते हुए भी वह सुखी नहीं था क्योंकि वह अकेला था।उसकी कोठी सुनसान थी। इसके अलावा अकेलेपन को दूर करने के लिए चिड़िया को हर प्रकार की सुविधा देकर अपने पास रखना चाहता था।

2. माधवदास क्यों बार-बार चिड़िया से कहता है कि यह बगीचा तुम्हारा ही है? क्या माधवदास निस्वार्थ मन से ऐसा कह रहा था? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – माधवदास बार-बार चिड़िया को कह रहा था कि यह बगीचा तुम्हारा ही है। वह ऐसा इसलिए कह रहा था क्योंकि वह उस छोटी-सी, प्यारी-सी  चिड़िया को अपने पास पिंजरे में कैद  रखना चाहता था ताकि वह चिड़िया उसका मन बहला सके। अतः, माधवदास यह सब स्वार्थ भाव से बोल रहा था अगर वह निस्वार्थी होता तो वह चिड़िया को जबरदस्ती पकड़ कर अपने पास रखने की कोशिश नहीं करता ।

3. माधवदास के बार-बार समझाने पर भी चिड़िया सोने के पिंजरे और सुख-सुविधाओं को कोई महत्त्व नहीं दे रही थी। दूसरी तरफ़ माधवदास की नज़र में चिड़िया की जिद का कोई तुक न था। माधवदास और चिड़िया के मनोभावों के अंतर क्या-क्या थे? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर – माधवदास बार-बार चिड़िया को सोने के पिंजरे व सुख-सुविधाओं का लालच देता है लेकिन चिड़िया इन बातों को कोई महत्त्व नहीं देती, उसे तो स्वच्छंदता ही पसंद है। उसे माधवदास के सुंदर बगीचे में रहना भी पसंद नहीं है। वह अपने परिवार से भी अलग नहीं होना चाहती। शाम होते ही उसे माँ के पास जाने की जल्दी होती है। वह तो केवल घूमना ही चाहती है, बंधन में रहना उसका स्वभाव नहीं।

दूसरी तरफ माधवदास की नजर में चिड़िया की ज़िद का कोई तुक न था वे तो केवल अपने बगीचे की शोभा बढ़ाने हेतु उस चिड़िया को पकड़ना चाहते थे। वे उसे सोने के पिंजरे व अन्य सामानों का प्रलोभन भी देते हैं लेकिन चिड़िया के लिए सब चीजें कोई महत्त्व नहीं रखतीं।

4. कहानी के अंत में नन्ही चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर तुम्हें कैसा लेगा? चालीस-पचास या इससे कुछ अधिक शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।

उत्तर – कहानी के अंत मे हमने देखा की नन्ही चिड़िया  कैसे भी करके उस सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलती है। कहानी का यह एक सुखद अंत था क्योकि अगर वह चिड़िया पकड़ी जाती तो इसका परिणाम बुरा होता। लेकिन वह चिड़िया अब आज़ाद है और अपनी माँ के साथ खुश है। कहानी के अंत में चिड़िया के  बचने से मुझे बहुत ख़ुशी हुई। चिड़िया  सिर्फ छोटी  और प्यारी  ही नहीं  बल्कि वह बहादुर भी थी।  

5. ‘माँ मेरी बाट देखती होगी’-नन्ही चिड़िया बार-बार इसी बात को कहती है। आप अपने अनुभव के आधार पर बताइए कि हमारी जिंदगी में माँ का क्या महत्त्व है?

उत्तर – माँ का हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान हैं।माँ जैसा इस दुनिया में कोई नहीं होता ।वह हमारी सच्ची साथी होती है ।हमारे दुःख – सुःख में साथ देती है।उसकी गोद में सिर ररवकर ऐसा लगता है मानो संसार की सबसे बड़ी खुशी मिल गई हो। वह अपने बच्चों पर कोई मुसीबत नहीं आने देती, वह जीवन के हर मोड़ पर अपने बच्चों की ढाल बनकर रहती है।

6. इस कहानी का कोई और शीर्षक देना हो तो आप क्या देना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर – मेरे अनुसार इस कहानी का शीर्षक ‘नन्हीं चिड़िया’ होना चाहिए क्योंकि सारी कहानी इस नन्हीं चिड़िया के इर्द- गिर्द घूमती है।

कहानी से आगे

1. इस कहानी में आपने देखा कि वह चिड़िया अपने घर से दूर आकर भी फिर अपने घोंसले तक वापस पहुँच जाती है। मधुमक्खियों, चींटियों, ग्रह-नक्षत्रों तथा प्रकृति की अन्य विभिन्न चीजों में हमें एक अनुशासनबद्धता देखने को मिलती है। इस तरह के स्वाभाविक अनुशासन का रूप आपको कहाँ-कहाँ देखने को मिलता है? उदाहरण देकर बताइए।

उत्तर – अनुशासन प्रकृति का स्वाभाविक नियम है। प्राकृतिक के अलग-अलग रूपों में हमें अनुशासन देखने को मिलता है-
1. सूर्य नियमित रूप से सुबह उदय होता है तथा शाम को अस्त होता है।
2. तारे रात को ही आसमान में दिखते है।
3. पेङ अपनी जगह पर ही खड़े रहते हैं।
4. पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर नियमित समय पर लगाती है।
5. ऋतुऐं भी नियमानुसार ही आती तथा जाती है।
6. बच्चे निश्चित समय पर स्कूल जाते है और घर आते हैं।

2. सोचकर लिखिए कि यदि सारी सुविधाएँ देकर एक कमरे में आपको सारे दिन बंद रहने को कहा जाए तो क्या आप स्वीकार करेंगे? आपको अधिक प्रिय क्या होगा-‘स्वाधीनता’ या ‘प्रलोभनोंवाली पराधीनता’? ऐसा क्यों कहा जाता है कि पराधीन व्यक्ति को सपने में भी सुख नहीं मिल पाता। नीचे दिए गए कारणों को पढ़े और विचार करें-
(क) क्योंकि किसी को पराधीन बनाने की इच्छा रखनेवाला व्यक्ति स्वयं दुखी होता है, वह किसी को सुखी नहीं कर सकता।
(ख) क्योंकि पराधीन व्यक्ति सुख के सपने देखना ही नहीं चाहता।
(ग) क्योंकि पराधीन व्यक्ति को सुख के सपने देखने का भी अवसर नहीं मिलता।।

उत्तर –  सारी सुविधाएँ प्राप्त करके भी सारा दिन बंद कमरे में रहना हमें स्वीकार नहीं होगा। हमें सदा ‘स्वाधीनता’ ही अधिक प्रिय होगा न की ‘प्रलोभनोंवाली पराधीनता’ क्योंकि ‘स्वाधीनता’ का अर्थ है खुद की इच्छा के अनुसार कार्य करना।

अनुमान और कल्पना

1. आपने गौर किया होगा कि मनुष्य, पशु, पक्षी-इन तीनों में ही माँएँ अपने बच्चों का पूरा-पूरा ध्यान रखती हैं। प्रकृति की इस अद्भुत देन का अवलोकन कर अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर – माँ का वात्सल्य प्रेम और ममत्व की भावना मनुष्यों, जानवरों एवं पशु पक्षियों में भी पाई जाती है। मनुष्यों में माताएँ नौ (9) महीने तक बच्चे को अपने गर्भ में धारण करती हैं, फिर अत्यंत पीड़ा सहकर बच्चों को जन्म देती हैं। बच्चे के लिए। माँ हमेशा फिक्रमंद बनी रहती हैं। माँ का अपने बच्चे से ममता और वात्सल्य का यह रिश्ता इतना गहरा है कि प्रत्येक प्राणी में इसके दर्शन होते हैं। चाहे मनुष्य हो या पशु, अपने बच्चे के लिए माताएँ किसी से भी लड़ सकती हैं।

भाषा की बात

1. पाठ में पर शब्द के तीन प्रकार के प्रयोग हुए हैं
(क) गुलाब की डाली पर एक चिड़िया आन बैठी।
(ख) कभी पर हिलाती थी।
(ग) पर बच्ची काँप-काँपकर माँ की छाती से और चिपक गई।
• तीनों ‘पर’ के प्रयोग तीन उद्देश्यों से हुए हैं। इन वाक्यों का आधार लेकर आप भी ‘पर’ का प्रयोग कर ऐसे तीन वाक्य बनाइए जिसमें अलग-अलग उद्देश्यों के लिए ‘पर’ के प्रयोग हुए हों।

उत्तर –
(क) छत पर बंदर बैठा है।    –             पर – (के ऊपर)
(ख) कबूतर के बच्चे के पर निकल आए।     –       पर – (पंख)
(ग) मैं स्टेशन गया था पर ट्रेन निकल चुकी थी।   –     पर – (लेकिन)

2. पाठ में तैने, छनभर, खुश करियो-तीन वाक्यांश ऐसे हैं जो खड़ीबोली हिंदी के वर्तमान रूप में तूने, क्षणभर, खुश करना लिखे-बोले जाते हैं लेकिन हिंदी के निकट की बोलियों में कहीं-कहीं इनके प्रयोग होते हैं। इस तरह के कुछ अन्य शब्दों की खोज कीजिए।

उत्तर –
मनैं         –   मैंने
ले लियो   –   ले लेना
दियो       –   देना
खानां      –    खाना

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