NCERT Solutions Class 10 Hindi (Sparsh Part – II) Chapter 6 (महादेवी वर्मा)

NCERT Solutions Class 10 Hindi (Sparsh Part – II) 

The NCERT Solutions in Hindi Language for Class 10 हिंदी (स्पर्श भाग – 2) पाठ – 6 मधुर मधुर मेरे दीपक जल (महादेवी वर्मा) has been provided here to help the students in solving the questions from this exercise. 

पाठ – 6 (मधुर मधुर मेरे दीपक जल)

मधुर मधुर मेरे दीपक जल (महादेवी वर्मा) 

मधुर मधुर मेरे दीपक जल
युग युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल,
प्रियतम का पथ आलोकित कर।

सौरभ फैला विपुल धूप बन,
मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन;
दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित,
तेरे जीवन का अणु गल गल
पुलक पुलक मेरे दीपक जल।

सारे शीतल कोमल नूतन,
माँग रहे तुझसे ज्वाला कण
विश्व शलभ सिर धुन कहता ‘मैं
हाय न जल पाया तुझमें मिल।
सिहर सिहर मेरे दीपक जल।

जलते नभ में देख असंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल।
विहँस विहँस मेरे दीपक जल।

प्रश्न-अभ्यास 

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

1. प्रस्तुत कविता में ‘दीपक’ और ‘प्रियतम’ किसके प्रतीक हैं?
उत्तर –  प्रस्तुत कविता में ‘दीपक आत्मा का प्रतीक है और ‘प्रियतम परमात्मा का प्रतीक है। कवयित्री अपने आत्मा रूपी दीपक को जलाकर अपने आराध्य देव अर्थात् प्रियतम परमात्मा तक जाने के मार्ग को प्रशस्त करना चाहती है। यह आत्मा को दीपक कवयित्री की आस्था का दीपक है।

2. दीपक से किस बात का आग्रह किया जा रहा है और क्यों ?
उत्तर – दीपक से इस बात का आग्रह किया जा रहा है कि वह हर पल और हर दिन जलता रहे। यहाँ पर जलने की प्रक्रिया को हम अपने कर्मों की तरह देख सकते हैं। किसी भी व्यक्ति को अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन कर्म करना पड़ता है। एक पुरानी कहावत है कि कोई भी बड़ा काम एक ही दिन में नहीं होता बल्कि उसमें वर्षों लग जाते हैं।

3. ‘विश्व-शलभ’ दीपक के साथ क्यों जल जाना चाहता है?
उत्तर – जिस प्रकार पतंगा दीपक पर मोहित होकर अपने आप को रोक नहीं पाता और राख हो जाता है, उसी प्रकार संपूर्ण विश्व अर्थात् मनुष्य मात्र अपने जीवन को विषय-विकारों, लोभ, मोह तथा धन संग्रह के आकर्षण और आसक्ति में हँसकर जल जाना चाहता है।

4. आपकी दृष्टि में ‘मधुर मधुर मेरे दीपक जल’ कविता का सौंदर्य इनमें से किस पर निर्भर है-
(क) शब्दों की आवृत्ति पर।
(ख) सफल बिंब अंकन पर।
उत्तर – इस कविता में सौंदर्य दोनों पर निर्भर है। पुनरुक्ति रूप में शब्द का प्रयोग है – मधुर मधुर, युग युग, गल गल,पुलक पुलक, सिहर सिहर, विहँस विहँस आदि कविता को लयबद्ध बनाते हुए प्रभावी बना रहे हैं। दूसरी ओर  बिम्ब योजना भी सफल है – विश्व शलभ सिर धुन कहता, मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन जैसे बिम्ब हैं।

5. कवयित्री किसका पथ आलोकित करना चाह रही है?
उत्तर – कवयित्री अपने प्रियतम का पथ आलोकित करना चाह रही हैं। यहाँ पर प्रियतम के कई मतलब हो सकते हैं। ईश्वर या कोई ऐसा जो आपके करीब हो। कुछ लोगों के लिए पूरा संसार भी प्रिय हो सकता है।

6. कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन से क्यों प्रतीत हो रहे हैं?
उत्तर – आकाश के तारों के पास अपनी रोशनी तो है लेकिन वह इस दुनिया के किसी काम की नहीं है। तारों की रोशनी से किसी का कोई भला नहीं हो पाता है। इसलिए कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन लगते हैं।

7. पतंगा अपने क्षोभ को किस प्रकार व्यक्त कर रहा है?
उत्तर – जिस प्रकार पतंगा दीये की लौ में अपना सब कुछ समाप्त करना चाहता है पर कर नहीं पाता, उसी तरह मनुष्य भी परमात्मा रूपी लौ में जलकर अपना अस्तित्व विलीन करना चाहता है परन्तु अपने अहंकार को नहीं छोड़ पाता। इसलिए पछतावा करता है।

8. कवयित्री ने दीपक को हर बार अलग-अलग तरह से ‘मधुर मधुर, पुलक-पुलक, सिहर-सिहर और विहँस-विहँस’ जलने को क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – कवयित्री अपने आत्मदीपक को तरह-तरह से जलने के लिए कहती हैं मीठी, प्रेममयी, खुशी के साथ, काँपते हुए, उत्साह और प्रसन्नता से। कवयित्री ने दीपक को हर परिस्थिति का सामना करते हुए, अपने अस्तित्व को मिटाकर ज्ञान रूपी अंधकार को दूर करके आलोक फैलाने के लिए हर बार अलग-अलग तरह से जलने को कहा है।

9. नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों का उत्तर दीजिए-
जलते नभ में देख असंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल !
विहँस विहँस मेरे दीपक जल !

(क) ‘स्नेहहीन दीपक’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर – स्नेहहीन दीपक नभ के तारों को कहा है, जिसका तात्पर्य है कि आकाश में अनगिनत चमकने वाले तारे स्नेहहीन से प्रतीत होते हैं, क्योंकि ये सभी प्रकृतिवश, यंत्रवत् होकर अपना कर्तव्य निभाते हैं। इनमें कोई प्रेम नहीं है तथा परोपकार का कोई भाव नहीं है अर्थात् ये ईश्वर के प्रेम से हीन हैं। इनमें ईश्वर के लिए तड़प नहीं है।

(ख) सागर को ‘जलमय’ कहने का क्या अभिप्राय है और उसका हृदय क्यों जलता है?
उत्तर – सागर को ‘जलमय’ कहने का तात्पर्य है कि वह सदा जल से भरा रहता है। उसका हृदय इसलिए जलता है, क्योंकि वह प्रचंड गरमी में तपता है, जलता है और वाष्प बनकर, बादल बनकर बरसता है अर्थात् उसके हृदय में सदा हलचल होती रहती है।

(ग) बादलों की क्या विशेषता बताई गई है?
उत्तर – बादलों की यह विशेषता बताई गई है कि इनमें जल के साथ अनंत मात्रा में बिजली और प्रकाश भी भरा हुआ है।

(घ) कवयित्री दीपक को ‘विहँस विहँस’ जलने के लिए क्यों कह रही हैं?
उत्तर –
कवयित्री ने दीपक को विहँस-विहँसकर जलने के लिए इसलिए कहा है ताकि ईश्वर का पथ आलोकित हो और प्रत्येक प्राणी इसपर चल पड़े।

10. क्या मीराबाई और अधिनिक भीरा’ महादेवी वर्मा इन दोनों ने अपने-अपने आराध्य देव से मिलने के लिए जो युविक तयाँ अपनाई हैं, उनमें आपको कुछ समानता या अंतर प्रतीत होता है? अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर – महादेवी वर्मा ने ईश्वर को निराकार ब्रम्ह माना है और उसी को अपना अराध्य भी मानती हैं। सबकुछ समर्पित करने की इच्छा भी की है परन्तु उसके स्वरूप का वर्णन नहीं किया है। मीरा कृष्ण को अपना प्रियतम मानती है और उनकी सेविका बनना चाहती हैं। उनके स्वरूप और सौन्दर्य की रचना भी की है। इन दोनों में बस इतना ही फर्क है कि महादेवी अपने अराध्य को निर्गुण मानती है और मीरा अपने प्रियतम की सगुण उपासक है।

(ख) निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-

1. दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित,
तेरे जीवन का अणु ल गल !
उत्तर – कवयित्री का मानना है की मेरे आस्था के दीपक तू जल जल कर अपने जीवन के एक – एक कण को गला दे और उस प्रकाश को सागर की भांति फैला दे। ताकि दूसरे लोग भी उसका लाभ उठा सकें।

2. युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षा प्रतिपल,
प्रियतम का पथ आलोकित कर !
उत्तर – कवयित्री हृदये के आस्थारूपी दीपक को प्रतिदिन, प्रतिक्षण, प्रतिपल जलने को कहती है, अर्थात् जिस प्रकार दीपक प्रत्येक क्षण, प्रत्येक पल जलता हुआ जीवन का पथ आलोकित करता हुआ चलता है, उसी प्रकार आराध्य देव को पथ-आलोकित करता हुआ तथा अपने अंतर में व्याप्त अंधकार को नष्ट करता हुआ चल। कवयित्री का प्रियतम संसारी मानव न होकर अज्ञान व रहस्यमयी है।

3. मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन !
उत्तर – कवयित्री कहती हैं कि हे मन रूपी दीपक! तू मोम की तरह पूरी तरह से गलकर अर्थात् पूर्ण रूप से समर्पित होकर, स्वेच्छा से रोमांचित होकर चारों ओर अपना प्रकाश फैला। जिस तरह मोम जल-जलकर दूसरों को प्रकाश प्रदान करता है, ठीक उसी तरह कवयित्री भी अपनी ईश्वरीय भक्ति द्वारा सभी को ईश्वर की भक्ति का पथ दिखाना चाहती हैं।

 

भाषा अध्ययन 

1. कविता में जब एक शब्द बार-बार आता है और वह योजक चिह्न द्वारा जुड़ा होता है, तो वहाँ पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार होता है; जैसे-पुलक-पुलक। इसी प्रकार के कुछ और शब्द खोजिए जिनमें यह अलंकार हो।
उत्तर – पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार वाले कविता में आए अन्य शब्द-मधुर-मधुर, युग-युग, गल-गल, पुलक-पुलक, सिहर-सिहर और विहँस-विहँस।

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