NCERT Solutions Class 10 Hindi (Sparsh Part – II) Chapter 3 (बिहारी)

NCERT Solutions Class 10 Hindi (Sparsh Part – II) 

The NCERT Solutions in Hindi Language for Class 10 हिंदी (स्पर्श भाग – 2) पाठ – 3 दोहे (बिहारी) has been provided here to help the students in solving the questions from this exercise. 

पाठ – 3 (दोहे)

दोहे (बिहारी) 

सोहत ओढ़ैं पीतु पटु स्याम, सलौनैं गात।
मनौ नीलमनि सैल पर आतपु परयौ प्रभात॥

कहलाने एकत बसत अहि मयूर, मृग बाघ।
जगतु तपोवन सौ कियौ दीरघ दाघ निदाघ।।

बतरस लालच लाल की मुरली धरी लुकाइ।
सौंह करैं भौंहनु हँसै, दैन कहैं नटि जाइ॥

कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत, लजियात।
भरे भौन मैं करत हैं नैननु हीं सब बात॥

बैठि रही अति सघन बन, पैठि सदन तन माँह।
देखि दुपहरी जेठ की छाँहौं चाहति छाँह॥

कागद पर लिखत न बनत, कहत सँदेसु लजात।
कहिहै सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की बात॥

प्रगट भए द्विजराज कुल, सुबस बसे ब्रज आइ।
मेरे हरौ कलेस सब, केसव केसवराइ॥

जपमाला, छापैं, तिलक सरै न एकौ कामु।
मन काँचै नाचै बृथा, साँचै राँचै रामु॥

 

प्रश्न-अभ्यास

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

1. छाया भी कब छाया हूँढ़ने लगती है?
उत्तर – जेठ मास की दोपहर की प्रचंड गरमी में तो छाया भी छाया की इच्छा करने लगती है अर्थात् छाया रूपी नायिका भी जेठ मास की प्रचंड गरमी में घर से बाहर नहीं निकलना चाहती, क्योंकि भीषण गरमी प्राणियों के साथ-साथ प्रकृति को भी दग्ध कर देती है, तो लगता है कि छाया भी कहीं छिपकर बैठ गई है।

2. बिहारी की नायिका यह क्यों कहती है ‘कहिहै सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की बात’–स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – बिहारी की नायिका विरह की अग्नि में जल रही है। वह अपने मन की बात नायक को बताने में असमर्थ है। वह कागज पर अपने प्रियतम को संदेश लिखना चाहती है, परंतु आँसू, पसीने व कंपन के कारण निष्फल हो जाती है। किसी अन्य के माध्यम से नायक को संदेश भेजने में उसे लज्जा आती है। नायिका को विश्वास है कि प्रेम दोनों ओर से है। जैसा प्रेम उसके मन में है, वैसा ही प्रेम प्रेमी के हृदय में भी है, प्रेम हृदय की भाषा स्वयं जान लेता है, अतः इसमें कुछ कहने सुनने की ज़रूरत नहीं रह जाती।

3. सच्चे मन में राम बसते हैं-दोहे के संदर्भानुसार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – बिहारी जी के अनुसार भक्ति का सच्चा रूप हृदय की सच्चाई में निहित है। बिहारी जी ईश्वर प्राप्ति के लिए धर्म कर्मकांड को दिखावा समझते थे। माला जपने, छापे लगवाना, माथे पर तिलक लगवाने से प्रभु नहीं मिलते। जो इन व्यर्थ के आडंबरों में भटकते रहते हैं वे झूठा प्रदर्शन करके दुनिया को धोखा दे सकते हैं, परन्तु भगवान राम तो सच्चे मन की भक्ति से ही प्रसन्न होते हैं।

4. गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी क्यों छिपा लेती हैं?
उत्तर – कृष्ण जी को अपनी बाँसुरी बहुत प्रिय है। वे उसे बजाते ही रहते हैं। गोपियाँ कृष्ण से बातें करना चाहती हैं। वे कृष्ण को रिझाना चाहती हैं। उनका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए मुरली छिपा देती हैं। ताकि बाँसुरी के बहाने कृष्ण उनसे बातें करें और अधिक समय तक वे उनके निकट रह पाए।

5. बिहारी कवि ने सभी की उपस्थिति में भी कैसे बात की जा सकती है, इसका वर्णन किस प्रकार किया है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – कवि बिहारी जी ने सभी की उपस्थिति में भी बिना शब्दों के कैसे बात की जा सकती है, इस रहस्य के उद्घाटन का बड़ा ही सजीव वर्णन किया है। लोगों की उपस्थिति में तथा  भरे हुए भवन में भी प्रेमी-प्रेमिका आँखों-ही-आँखों में एक-दूसरे की भाषा समझ लेते हैं। आँखों की सांकेतिक भाषा से दोनों एक-दूसरे के हृदय की बात जान लेते हैं। और किसी को इसकी खबर भी नहीं लगती।

(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-

1. मनौ नीलमनि-सैल पर आतपु पर्यो प्रभात।
उत्तर – इस पंक्ति में कृष्ण के सौंदर्य का वर्णन है। कृष्ण के नीले शरीर पर पीले रंग के वस्त्र हैं। वे देखने में ऐसे प्रतीत होते हैं मानों नीलमणी पर्वत पर सुबह का सूर्य जगमगा उठा हो।

2. जगतु तपोबन सौ कियौ दीरघ-दाघ निदाघ।
उत्तर – इस पंक्ति का आशय है कि ग्रीष्म ऋतु की भीषण गर्मी से पूरा जंगल तपोवन जैसा पवित्र बन गया है। सबकी आपसी दुश्मनी समाप्त हो गई है। साँप, हिरण और सिंह सभी गर्मी से बचने के लिए साथ रह रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है जैसे तपस्वी का सानिध्य पाकर ये आपसी वैर-भाव भूल गए हैं।

3. जपमाला, छापैं, तिलक सरै न एकौ कामु ।
मन-काँचै नाचै बृथा, साँचै राँचै रामु ।।
उत्तर – इन पंक्तियों का भाव है कि माला जपने से, मस्तक पर तिलक लगाने से अर्थात् बाहरी आडंबरों द्वारा भक्ति करने से एक भी कार्य पूर्ण नहीं होता तथा इससे सच्ची भक्ति नहीं मिलती। सच्ची भक्ति तो मन की सच्चाई, श्रद्धा तथा सच्ची लगन से मिलती है, क्योंकि सच्चे मन में ही राम का निवास होता है अर्थात् कवि ने बाहरी आडंबरों का खंडन करके प्रभु की सच्चे मन से भक्ति करने पर बल दिया है।

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