NCERT Solutions Class 10 Hindi (Kshitij Part – II)
The NCERT Solutions in Hindi Language for Class 10 हिंदी (क्षितिज भाग 2) भाग – II पाठ – 7 गिरिराज कुमार माथुर has been provided here to help the students in solving the questions from this exercise.
पाठ – 7 (गिरिराज कुमार माथुर)
छाया मत छूना |
छाया मत छूना
मन, होगा दु:ख दूना।
जीवन में हैं सुरंग सुधियाँ सुहावनी
छवियों की चित्र-गंध फैली मनभावनी :
तन-सुगंध शेष रही, बीत गई यामिनी,
कुंतल के फूलों की याद बनी चाँदनी।
भूली-सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण—
छाया मत छूना
मन, होगा दु:ख दूना।
यश है या न वैभव है, मान है न सरमाया;
जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया।
प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है
जो है यथार्थ कठिन उसका तू कर पूजन—
छाया मत छूना।
मन, होगा दु:ख दूना।
दुविधा-हत साहस है, दिखता है पंथ नहीं,
देह सुखी हो पर मन के दु:ख का अंत नहीं।
दु:ख है न चाँद खिला शरद-रात आने पर,
क्या हुआ जो खिला फूल रस-वसंत जाने पर?
जो न मिला भूल भुले कल तू भविष्य वरण,
छाया मत छूना।
मन, होगा दु:ख दूना।
प्रश्न-अभ्यास |
1. कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है?
उत्तर – कवि का मानना है कि जो बीत गया उसके बारे में सोचने से कोई फायदा नहीं होता है। बीता हुआ पल यदि अच्छा हो तो कई लोग उसकी खुशनुमा यादों में अपना समय बरबाद करते हैं। बीता हुआ पल यदि बुरा हो तो कई लोग उसके बारे में सोच-सोच कर अपना समय बरबाद करते हैं। लेकिन इससे कोई फायदा नहीं होता। उसके बदले यदि हम अपने वर्तमान की तरफ ध्यान दें तो हमारा आज भी ठीक रहेगा और आने वाला कल भी ठीक हो सकता है।
2. भाव स्पष्ट कीजिए:
प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।
उत्तर – अपने भूतकाल की कीर्तियों पर किसी बड़प्पन का अहसास किसी मृगमरीचिका की तरह है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हर चाँद के पीछे एक काली रात छिपी होती है। इसलिए भूतकाल को भूलकर हमें अपने वर्तमान की ओर ध्यान देना चाहिए।
3. ‘छाया’ शब्द यहाँ किस संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है? कवि ने उसे छूने के लिए मना क्यों किया है?
उत्तर – ‘छाया’ शब्द यहाँ पर भूतकाल के लिए प्रयुक्त हुआ है। जिस तरह से छाया को छूने या पकड़ने की कोशिश हमेशा व्यर्थ जाती है उसी तरह से भूतकाल को पकड़ने या छूने की कोशिस बेकार जाती है; क्योंकि दोनों ही मिथ्या हैं।
4. कविता में विशेषण के प्रयोग से शब्दों के अर्थ में विशेष प्रभाव पड़ता है, जैसे कठिन यथार्थ। कविता में आए ऐसे अन्य उदाहरण छाँटकर लिखिए और यह भी लिखिए कि इससे शब्दों के अर्थ में क्या विशिष्टता पैदा हुई?
उत्तर – ऐसे शब्दों के उदाहरण हैं;
(1) दुख दूना – यहाँ दुख दूना में दूना (विशेषण) शब्द के द्वारा दुख की अधिकता व्यक्त की गई है।
(2) जीवित क्षण – यहाँ जीवित (विशेषण) शब्द के द्वारा क्षण को चलयमान अर्थात् उसके जीवंत होने को दिखाया गया है।
(3) सुरंग-सुधियाँ – यहाँ सुरंग (विशेषण) शब्द के द्वारा सुधि (यादों) का रंग-बिरंगा होना दर्शाया गया है।
(4) एक रात कृष्णा – यहाँ एक कृष्णा (विशेषण) शब्द द्वारा रात की कालिमा अर्थात् अंधकार को दर्शाया गया है।
(5) शरद रात – यहाँ शरद (विशेषण) शब्द रात की रंगीनी और मोहकता को उजागर कर रहा है।
(6) रस बसंत – यहाँ रस (विशेषण) शब्द बसंत को और अधिक रसीला, मनमोहक और मधुर बना रहा है।
5. ‘मृगतृष्णा किसे कहते हैं, कविता में इसका प्रयोग किस अर्थ में हुआ है?
उत्तर – गर्मी की चिलचिलाती धूप में रेगिस्तान में दूर सूर्य की किरणों द्वारा उत्पन्न चमक से पानी होने का अहसास परन्तु वहाँ पर कुछ नहीं होता। इस भ्रम की स्थिति को ‘मृगतृष्णा’ कहा जाता है। इसका प्रयोग कविता में बड़प्पन के एहसास के अर्थ में हुआ है।
6. ‘बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले; यह भाव कविता की किस पंक्ति में झलकता है?
उत्तर – यह भाव निम्न पंक्ति में झलकता है, ‘जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण।’
7. कविता में व्यक्त दुखों के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – हम यदि बीती हुई बातों को पकड़कर रखने की कोशिश करते हैं तो इससे हमें दुख ही होता है। यदि हम बीती हुई बुरी बातों को पकड़ते हैं तो इससे हम वर्तमान की खुशियों का आनंद नहीं ले पाते हैं। यदि हम बीती हुई अच्छी बातों को पकड़ते हैं तो इससे हम वर्तमान की खुशियों को कम आँकते हैं। दोनों ही स्थितियों में हमारा दुख बढ़ ही जाता है।
रचना और अभिव्यक्ति |
8. ‘जीवन में हैं सुरंग सुधियाँ सुहावनी’, से कवि का अभिप्राय जीवन की मधुर स्मृतियों से है। आपने अपने जीवन की कौन-कौन सी स्मृतियाँ संजो रखी हैं?
उत्तर – हर किसी के जीवन में कई मधुर स्मृतियाँ होती हैं। उदाहरण के लिए मैं उस दिन को हमेशा याद करता हूँ जब मुझे अपने स्कूल के सालाना जलसे पर वाद विवाद प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार मिला था। मैं पिछले साल की गरमी की छुट्टियों में अपने शिमला ट्रिप को भी याद करके खुश हो लेता हूँ।
9. ‘क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर?’ कवि का मानना है कि समय बीत जाने पर भी उपलब्धि मनुष्य को आनंद देती है। क्या आप ऐसा मानते हैं? तर्क सहित लिखिए।
उत्तर – एक कहावत है कि देर है पर अंधेर नहीं। इसी तरह कई बार कोई बात समय रहते नहीं बन पाती है तो हमें बहुत अफसोस होता है। लेकिन यदि और अधिक प्रयास के बाद हम वही लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं तो हमें इसकी खुशी अवश्य होती है। जैसे कई छात्र पहली कोशिश में इंजीनियरिंग के एडमिशन टेस्ट में पास नहीं हो पाते लेकिन अगले साल उन्हें सफलता मिल ही जाती है। हर हाल में सफलता का आनंद ही कुछ और होता है।