NCERT Solutions Class 10 Hindi (Kshitij Part – II)
The NCERT Solutions in Hindi Language for Class 10 हिंदी (क्षितिज भाग 2) भाग – II पाठ – 3 देव has been provided here to help the students in solving the questions from this exercise.
पाठ – 3 (देव)
सवैया |
पाँयनि नूपुर मंजु बज, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
माथे किरीट बड़े दृग चंचल, मंद हँसी मुखचंद जुन्हाई।
जै जग-मंदिर-दीपक सुंदर, श्रीब्रजदूलह ‘देव‘ सहाई।।
कवित्त |
डार द्रुम पलना बिछौना नव पल्लव के,
सुमन झिंगूला सोहै तन छबि भारी दै।
पवन झूलावै, केकी-कीर बतरावै ‘देव‘,
कोकिल हलावै-हुलसावै कर तारी दै।।
पूरित पराग सों उतारो करै राई नोन,
कंजकली नायिका लतान सिर सारी दै।
मदन महीप जू को बालक बसंत ताहि,
प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै।।
फटिक सिलानि सौं सुधारौं सुधा मंदिर,
उदधि दधि को सो अधिकाइ उमगे अमंद।
वाहर ते भीतर लौं भीति न झिए ‘देव‘,
दूध को सो फेन फैल्यो आँगन फरसबंद।
तारा सी तरुनि तामें ठाढ़ी झिलमिली होति,
मोतिन की जोति मिल्यो मल्लिका को मकरंद।
आरसी से अंबर में आभा सी उजारी लगै,
प्यारी राधिका को प्रतिबिंब सो लगत चंद।।
प्रश्न – अभ्यास |
1. कवि ने ‘श्रीब्रजदूलह’ किसके लिए प्रयुक्त किया है और उन्हें संसार रूपी मंदिर का दीपक क्यों कहा है?
उत्तर – कवि ने ‘श्रीब्रजदूलह’ का प्रयोग कृष्ण के लिए किया है। जिस तरह एक दीपक पूरे मंदिर को रोशन कर देता है उसी तरह कृष्ण पूरे संसार को रोशन कर देते हैं। इसलिए उन्हें संसार रूपी मंदिर का दीपक कहा गया है।
2. पहले सवैये में से उन पंक्तियों को छाँटकर लिखिए जिनमें अनुप्रास और रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है?
उत्तर –
अनुप्रास अलंकार का प्रयोग निम्न पंक्तियों में हुआ है: –
कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
रुपक अलंकार का प्रयोग निम्न पंक्ति में हुआ है: – मंद हँसी मुखचंद जुंहाई, जय जग-मंदिर-दीपक सुन्दर।
3. निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए:
पाँयनि नूपुर मंजु बजै, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
उत्तर – इन पंक्तियों में कवि ने श्रृंगार रस का प्रयोग किया है। उन्होंने पायल और कमरघनी से निकलने वाले संगीत की मधुरता का चित्रण किया है। इसके बाद उन्होंने साँवले अंग पर पीले वस्त्रों की शोभा का बखान किया है। साथ में फूलों की माला का बखान भी किया है। इसमें तरह-तरह के अलंकारों का प्रयोग हुआ और तुकबंदी भी अच्छी की गई है।
4. दूसरे कवित्त के आधार पर स्पष्ट करें कि ऋतुराज बसंत के बाल-रूप का वर्णन परंपरागत वसंत वर्णन से किस प्रकार भिन्न है।
उत्तर – परंपरागत तरीके से बसंत को अधिकाँश कवि किसी युवक के रूप में दर्शाते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि बसंत को काम के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। लेकिन इस कवित्त में बसंत को एक बालक के रूप में दर्शाया गया है। इसलिए यह वर्णन परंपरागत वर्णन से अलग है।
4. ‘प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै’ इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – जब सुबह गुलाब की कलियाँ चटकती हैं तो ऐसा लगता है कि वे चुटकी बजाकर बसंत को जगा रही हैं। ऐसा इसलिए कहा गया है कि ज्यादातर फूल सुबह में खिलते हैं और उसके बाद दिन की शुरुआत होती है। बसंत की छटा दिन में ही देखने लायक होती है।
5. चाँदनी रात की सुंदरता को कवि ने किन-किन रूपों में देखा है?
उत्तर – चाँदनी रात की सुंदरता को कवि ने कई रूपों में देखा है जैसे कि स्फटिक, दही का समंदर, दूध का झाग, दर्पण, आदि। इन सब उपमाओं में सफेद रंग की बहुलता है जो प्रकाश और शुद्धता का प्रतीक है।
6. ‘प्यारी राधिका को प्रतिबिंब सो लगत चंद’ इस पंक्ति का भाव स्पष्ट करते हुए बताएँ कि इसमें कौन सा अलंकार है?
उत्तर – कवि को लगता है कि चाँद जो है वह राधा के प्रतिबिंब सा लग रहा है। यहाँ पर व्यतिरेक अलंकार का प्रयोग हुआ है क्योंकि चाँद को राधा न मानकर उसका प्रतिबिंब माना गया है। इसका मतलब है कि चाँद को राधा से नीचे दर्जे का दिखाया गया है।
7. तीसरे कवित्त के आधार पर बताइए कि कवि ने चाँदनी रात की उज्ज्वलता का वर्णन करने के लिए किन-किन उपमानों का प्रयोग किया है?
उत्तर – चाँदनी रात की उज्ज्वलता का वर्णन करने के लिए कवि ने स्फटिक की रोशनी, दही के सफेद रंग, दूध के झाग, आदि उपमानों का प्रयोग किया है।
8. पठित कविताओं के आधार पर कवि देव की काव्यगत विशेषताएँ बताइए।
उत्तर – कवि देव ब्रजभाषा में लिखते थे। लेकिन उनके शब्दों के चयन से पता चलता है कि वे बहुत ही सुसंस्कृत भाषा का प्रयोग करते थे। कवि को यदि श्रृंगार रस का कवि कहा जाये तो इसमे अतिशयोक्ति नहीं होगी। कवि को प्रकृति की सुंदरता के चित्रण में महारत हासिल है। वे तरह तरह के अलंकारों का प्रयोग करते हैं।
9. पठित कविताओं के आधार पर कवि देव की काव्यगत विशेषताएँ बताइए।
उत्तर – रीतिकालीन कवियों में देव को अत्यंत प्रतिभाशाली कवि माना जाता है। देव की काव्यगत विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
- देवदत्त ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि हैं चूँकि उनकी भाषा कोमलता और मधुरता पूर्ण रूप से झलकती है।
- छंद का प्रयोग कवित्त एवं सवैया में किया गया है।
- अनेक जगह जैसे कटि किंकिनि, हिय हुलसै आदि में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।
- तत्सम शब्दों का प्रयोग पंक्तियों को शोभा प्रदान करता है।
- मानवीकरण, उपमा, रूपक आदि अलंकारों का प्रयोग भी अनूठे ढंग से हुआ है।
- उन्होंने प्रकृति का सजीव चित्रण किया है।
रचना और अभिव्यक्ति |
10. आप अपने घर की छत से पूर्णिमा की रात देखिए तथा उसके सौंदर्य को अपनी कलम से शब्दबद्ध कीजिए।
उत्तर – पूर्णिमा रात्रि में चंद्रमा का सौंदर्य निराला होता है। गोल बड़े थाल से आकार वाला चाँद मधुर, मनोहर शीतल चाँदनी बिखेरता है। जिससे पूर्णिमा की रात का सौंदर्य कई गुना बढ़ जाता है। इस रात में प्रकृति का एक-एक अंग लुभावना प्रतीत होता है। ऐसा लगता है जैसे चाँदनी की सफ़ेद चादर सी फैला दी गई है। आसमान स्वच्छ निर्मल दिखता है। चाँद की उज्ज्वल चमक में कुछ तारे झिलमिलाते हुए प्रतीत होते हैं। ऐसे में चाँदनी रात का सौंदर्य इतना बढ़ चुका होता है कि उसके कारण धरती आकाश और ताल-सरोवर सभी कुछ सुंदर लगते हैं।