NCERT Solutions Class 9 Hindi (Kritika Part – I)
The NCERT Solutions in Hindi Language for Class 9 हिंदी (कृतिका) भाग – I पाठ – 5 किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया has been provided here to help the students in solving the questions from this exercise.
पाठ – 5 (किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया)
प्रश्न – अभ्यास
1. वह ऐसी कौन सी बात रही होगी जिसने लेखक को दिल्ली जाने के लिए बाध्य कर दिया?
उत्तर – कवि शायद अपनी पत्नी की बीमारी से मृत्यु के कारण देहरादून से खिन्न हो चुका था या फिर घर वालों द्वारा कुछ ना करने के कारण उसको बुरा लगा। जिसके कारण वह बिना कुछ कहे घर से दिल्ली के लिए निकल गया।
2. लेखक को अंग्रेज़ी में कविता लिखने का अफसोस क्यों रहा होगा?
उत्तर – अंग्रेजी भारत की भाषा नहीं थी और भारत के लोग उसे समझ नहीं पाते थे। साथ ही जब वे इलाहाबाद आए तो वहाँ साहित्यक वातावरण था। वहाँ वे निराला, बच्चन और पन्त जैसे महान लेखकों को मिले अतः हिन्दी मे ही रचनाएँ करने लगे। इस प्रकार लेखक का अंग्रेजी में लिखने का प्रयास व्यर्थ गया । इसलिए लेखक को अंग्रेजी में कविता लिखने का अफसोस रहा होगा।
3. अपनी कल्पना से लिखिए कि बच्चन ने लेखक के लिए ‘नोट’ में क्या लिखा होगा?
उत्तर – शायद बच्चन जी ने लिखा होगा कि परिश्रम करो सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी, संघर्ष करने वाले ही जीवन पथ पर आगे बढ़ते है। उस नोट में शायद लिखा होगा कि तुम इलाहाबाद आ जाओ क्योंकि लेखन में ही तुम्हारा भविष्य निहित है।
4. लेखक ने बच्चन के व्यक्तित्व के किन-किन रूपों को उभारा है?
उत्तर – लेखक के अनुसार बच्चन जी के व्यक्तित्व के निम्नलिखित रुप इस प्रकार हैं :-
- बच्चन जी एक सहृदय कवि थे।
- बच्चन दूसरों की मदद करने हेतु समर्पित व्यक्ति थे। लेखक की कविता से ही वह इतने प्रसन्न थे कि उनकी पढ़ाई का ज़िम्मा उन्होंने अपने सर पर ले लिया था।
- बच्चन जी प्रतिभा पारखी व्यक्ति थे। लेखक की प्रतिभा का आकलन कर उन्होंने उसको आगे पढ़ने के लिए प्रेरित किया था।
- लेखक के अनुसार बच्चन की तुलना करना बहुत मुश्किल था। उनके अनुसार वह साधारण और सहज (दुष्प्राप्य) व्यक्ति थे। असाधारण शब्द तो जैसे उनकी मर्यादा को कम करने जैसा था।
5. बच्चन के अतिरिक्त लेखक को अन्य किन लोगों का तथा किस प्रकार का सहयोग मिला?
उत्तर – लेखक को बच्चन जी के अलावा निम्नलिखित लोगों का सहारा मिला-
- बच्चन के पिता – जब लेखक इलाहाबाद में आकर बस गए तो बच्चन के पिता ने उनका अभिभावक बनना स्वीकार किया।
- तेजबहदुर सिंह – लेखक के बड़े भाई थे जिन्होंने आर्थिक तंगी में कुछ रूपये भेज कर लेखक की मदद की।
- ससुराल पक्ष – जब लेखक बेरोज़गारी में संघर्ष कर रहे थे तब ससुराल वालों ने उन्हे अपनी केमिस्ट्स की दुकान पर कंपाउंडरी सीखने का मौका दिया।
- सुर्मित्रानदंन और निरालाजी-इन्होंने लेखक को हींडियन प्रेस से अनुवाद का काम दिलवाया।
- बच्चन जी – लेखक को सबसे ज्यादा सहयोग बच्चन जी ने दिया। जिन्होंने लेखक को कदम -कदम पर मार्गदर्शन किया और मदद की। बच्चन जी ने लेखक को इलाहाबाद बुलाया और पढ़ाई का पूरा ख़र्च उठाया और एम ए करने के लिए प्रेरित किया।
6. लेखक के हिंदी लेखन में कदम रखने का क्रमानुसार वर्णन कीजिए।
उत्तर – इलाहाबाद का साहित्यिक वातावरण,मित्रों का सहयोग और प्रोत्साहन पाकर लेखक हिन्दी में रचनाएँ करने लगे। सन 1933में लेखक की कुछ कविताएँ ‘सरस्वती’ व चाँद’ पत्रिका में छपी। 1937 में लेखक ने बच्चन जी के बताए अनुसार 14 पक्तियों की कविता को लिखने का प्रयास किया। लेखक ने ‘निशा निमंत्रण के कवि के प्रति’ एक कविता लिखी पर अप्रकाशित रही। फिर लेखक ‘रूपाभ’ के ऑफ़िस मे कीशक्षण लेकर बनारस से प्रकाशित हंस के कार्यालय मे काम संभाला ।
7. लेखक ने अपने जीवन में जिन कठिनाइयों को झेला है, उनके बारे में लिखिए।
उत्तर – लेखक को शुरूआत के दिनों में आर्थिक समस्याओं से जूझना पड़ा तथा कीजगारी के दिनों में व्यंग्य बाणों को झेलना पड़ा।उन दिनों लेखक को साइन बोर्ड पेंट करके अपना गुजरा करना पड़ा। लेखक की युवावस्था में ही पत्नी का टी.बी.के कारण देहांत हो गया था। इसलिए उन्हें पत्नी का बियोग भी सहना पड़ा। बच्चन जी ने उनकी पढ़ाई का सारा ख़र्चा उठाया था क्योंकि वे आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे थे। इस तरह उनके प्रारंम्भ के दिन आर्थिक कठिनाइयों में बीते ।