Is AI from Class III a leap forward or one too soon

कक्षा 3 से AI शिक्षा: प्रगति की छलाँग या समय से पहले कदम?

November 18, 2025

प्रस्तावना: शिक्षा में AI को प्रारम्भिक स्तर पर लाने का निर्णय

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने घोषणा की है कि शैक्षणिक सत्र 2026-27 से कक्षा 3 से ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। इसका औचित्य यह बताया गया है कि भारत की भावी कार्यबल को “technology-driven economy” के लिए तैयार करना आवश्यक है। इससे पूर्व जुलाई 2024 में सरकार ने SOAR (Skilling for AI Readiness) पहल प्रारम्भ की थी जिसके अंतर्गत लगभग 18,000 CBSE स्कूल पहले ही कक्षा 6-12 में AI पढ़ा रहे हैं।
कक्षा 6-8 में 15 घंटे के मॉड्यूल, तथा कक्षा 9-12 में 150 घंटे के वैकल्पिक पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। CBSE ने NCERT को एक नया समग्र AI पाठ्यक्रम समीक्षा हेतु भेजा है। यह स्थिति उच्च शिक्षा के परिप्रेक्ष्य से भिन्न है, जहाँ केवल कुछ ही विश्वविद्यालयों ने हाल में विज्ञान व इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए AI को अनिवार्य बनाया है।

संवैधानिक और नीतिगत पृष्ठभूमि: शिक्षा और तकनीकी उन्नति

भारत में शिक्षा नीति का संचालन अनुच्छेद 21A (मूलभूत शिक्षा का अधिकार) और सातवीं अनुसूची के समवर्ती सूची प्रविष्टियों के आधार पर होता है, जिससे केंद्र व राज्य दोनों शिक्षा-संबंधी सुधार कर सकते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) में स्पष्ट रूप से “21वीं सदी के कौशल, डिजिटल साक्षरता और computational thinking” को बढ़ावा देने की बात कही गई है।
AI का प्रारम्भिक स्तर पर समावेश इसी नीति की भावना से जुड़ा प्रतीत होता है, परंतु यह प्रश्न भी उठता है कि क्या NEP 2020 ने कक्षा 3 से ही AI जैसे जटिल विषय की शिक्षा की अपेक्षा की थी, या यह कदम उससे आगे बढ़ा हुआ है।

वर्तमान स्थिति: डिजिटल विभाजन और जमीनी वास्तविकताएँ

सरकार का दावा है कि SOAR पहल से डिजिटल खाई घटेगी और ग्रामीण या संसाधन-विहीन क्षेत्रों के छात्रों को तकनीकी अवसर मिलेंगे।
परंतु रिपोर्टों के अनुसार देश के एक बड़े हिस्से में—

  • अधिकांश शिक्षक डिजिटल शिक्षण उपकरणों का प्रशिक्षण नहीं रखते
  • विद्यालयों में स्मार्ट-क्लास, कंप्यूटर लैब और इंटरनेट की भारी कमी है
  • कई छात्र अपने घरों में डिजिटल उपकरणों तक पहुँच नहीं रखते

ऐसे परिदृश्य में प्राथमिक व मध्य विद्यालय स्तर पर AI शिक्षा की बात करना लेख के अनुसार “ironic” से लेकर “callous” (संवेदनहीन) प्रतीत होता है।

“AI in Schools” की अवधारणा में अस्पष्टता

“AI स्कूलों में” कहे जाने वाली अवधारणाओं में व्यापक भ्रम है। विभिन्न हितधारक इसका अलग-अलग अर्थ लेते हैं—

  • AI Literacy: AI के बारे में सामान्य समझ
  • AI Tools का उपयोग: जैसे Chatbots, automated presentations
  • शिक्षकों की उत्पादकता बढ़ाना
  • व्यक्तिगत अनुकूलित शिक्षा (Personalised Learning)
  • AI के द्वारा शिक्षार्थियों की प्रगति की निगरानी

लेख इस बात पर ज़ोर देता है कि AI उपकरणों के उपयोग और AI को विषय के रूप में पढ़ाने के बीच महत्वपूर्ण अंतर है। वर्तमान बहस में यह अंतर धुँधला हो गया है।

प्रस्तावित पाठ्यक्रम: आयु-उपयुक्तता पर प्रश्न

वर्तमान मध्य-विद्यालय पाठ्यक्रम में AI के तीन प्रमुख क्षेत्रों का उल्लेख है—

  • Computer Vision
  • Natural Language Processing
  • Statistical Data

कक्षा 7 में छात्रों को Sustainable Development Goals (SDGs), systems thinking, और system maps से जोड़कर “AI for sustainability” समझाया जाता है।
कक्षा 8 में AI Project Cycle और AI ethics,
कक्षा 9 में mathematics for AI और generative AI,
कक्षा 10 में supervised, unsupervised, reinforcement learning, clustering, और neural networks पढ़ाए जाते हैं।

लेख के अनुसार, यह अत्यधिक जटिल सामग्री है जिसे 12-14 वर्ष के बच्चों के लिए समझ पाना कठिन होगा। उदाहरण के तौर पर, कक्षा 7 के AI हैंडबुक में SDG संबंधी तथ्यात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, जो विषय की आलोचनात्मक समझ विकसित करने की बजाय रटने पर आधारित प्रतीत होते हैं।

शिक्षण-पद्धति और मूल्यांकन की चुनौतियाँ

AI को पढ़ाने का प्रश्न “हाँ या नहीं” का नहीं, बल्कि यह समझने का है कि:

  • इसका शैक्षणिक उद्देश्य क्या है?
  • कौन-सी शिक्षण-पद्धतियाँ उपयुक्त होंगी?
  • किस प्रकार का मूल्यांकन किया जाएगा?
  • शिक्षकों की क्षमता निर्माण किस स्तर पर की जाएगी?

भारत में पहले ही विज्ञान शिक्षा में critical thinking विकसित करने में कठिनाइयाँ अनुभव हुई हैं। ऐसे में AI जैसे बहु-आयामी विषय से आलोचनात्मक दृष्टि की आशा करना अभी अव्यावहारिक हो सकता है।

मनोवैज्ञानिक व नैतिक आयाम: बच्चों पर प्रभाव

लेख यह भी रेखांकित करता है कि AI एक seductive और addictive तकनीक है। प्राथमिक स्तर के बच्चों में—

  • निर्णय क्षमता का विकास जारी होता है
  • परिपक्व वैचारिक ढाँचा मौजूद नहीं होता
  • तकनीकी आकर्षण से ध्यान चंचल होने की आशंका रहती है

इसलिए शिक्षकों और नीति-निर्माताओं को अत्यंत सतर्कता, विवेक, और जिम्मेदारी के साथ निर्णय लेने की आवश्यकता है। बच्चों के हाथों में AI को बहुत जल्दी देना जोखिमपूर्ण हो सकता है।

निष्कर्ष: संतुलित और चरणबद्ध दृष्टिकोण की आवश्यकता

भारत का AI-सम्पन्न भविष्य बनाने के लक्ष्यों पर विवाद नहीं है; विवाद इस बात पर है कि कक्षा 3 से AI शुरू करना उचित और आयु-उपयुक्त है या नहीं। लेख के अनुसार, किसी भी नीति-निर्माण में निम्न प्रश्नों का उत्तर अनिवार्य होना चाहिए—

  • क्या बच्चों के लिए यह विषय वास्तविक समझ पैदा करेगा?
  • क्या यह शिक्षकों के लिए कार्यान्वयन योग्य है?
  • क्या डिजिटल विभाजन को पहले पाटना अधिक महत्वपूर्ण नहीं?
  • क्या AI का प्रारम्भिक प्रयोग बच्चों के मानसिक परिपक्वता स्तर के अनुरूप है?

अंततः, यह निर्णय संतुलन, वैज्ञानिक योजना, और जमीनी हकीकतों के अनुरूप होना चाहिए। जैसा कि लेख का अंतिम प्रश्न संकेत देता है: “Are we being wise?” — क्या हम वास्तव में बुद्धिमानी से काम ले रहे हैं?

UPSC – संभावित परीक्षा-प्रश्न

UPSC GS Paper – 2 (Governance, Education, Policy)

  • भारत सरकार द्वारा कक्षा 3 से AI शिक्षा प्रारम्भ करने के निर्णय का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। क्या यह निर्णय डिजिटल विभाजन को कम करेगा अथवा बढ़ाएगा?
  • शिक्षा क्षेत्र में तकनीकी हस्तक्षेप को बढ़ावा देने के संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों और वर्तमान AI-आधारित पहलों के बीच सामंजस्य का मूल्यांकन कीजिए।
  • बच्चों में AI शिक्षा से जुड़े नैतिक एवं मनोवैज्ञानिक मुद्दों की चर्चा कीजिए। शिक्षा नीति में आयु-उपयुक्तता (Age Appropriateness) क्यों आवश्यक है?
  • “AI in Schools” मॉडल की सफल कार्यान्वयन क्षमता मुख्यतः शिक्षकों की क्षमता-वृद्धि (Teacher Capacity Building) पर निर्भर करती है। विश्लेषण कीजिए।
  • प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा में AI को अनिवार्य करने के संदर्भ में केंद्र और राज्य सरकारों की भूमिकाओं का मूल्यांकन कीजिए। समवर्ती सूची (Concurrent List) में शिक्षा होने से कौन-सी चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं?

UPSC GS Paper – 3 (Science & Tech, Digital Economy, IT Governance)

  • “Artificial Intelligence is both an opportunity and a cognitive risk for young learners.” AI पाठ्यक्रम को कक्षा 3 से शुरू करने के संदर्भ में इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
  • भारत में AI-आधारित कौशल विकास को आगे बढ़ाने में SOAR Initiative की संभावनाओं और सीमाओं पर चर्चा कीजिए।
  • शिक्षा प्रणाली में AI का समावेश शिक्षण-पद्धति, मूल्यांकन और शिक्षकों की भूमिका को कैसे परिवर्तित करेगा? उदाहरण सहित समझाइए।
  • AI शिक्षण और AI उपकरणों के उपयोग (AI Literacy vs AI Tools Use) में अंतर स्पष्ट कीजिए। भारत की शिक्षा-व्यवस्था के लिए यह भेद क्यों महत्वपूर्ण है?
  • भारत में डिजिटल अवसंरचना की वर्तमान स्थिति को देखते हुए AI-आधारित शिक्षा को बड़े पैमाने पर लागू करने की व्यवहार्यता का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए।

Essay Paper (Section A/B) – संभावित निबंध विषय

  • “प्राथमिक कक्षाओं में AI शिक्षा: प्रगति का प्रतीक या अधूरी तैयारी का संकेत?”
  • “डिजिटल विभाजन के युग में तकनीकी समानता: भारत के लिए चुनौतियाँ और समाधान।”
  • “Artificial Intelligence in education: Shaping future minds or burdening tender brains?”
  • “21वीं सदी का कौशल विकास: नवाचार, नैतिकता और शिक्षा का संतुलन।”
  • “तकनीकी साक्षरता बनाम मानव-केन्द्रित शिक्षा: आधुनिक नीति निर्माण का द्वंद्व।”
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