Daily MCQs – 05 June, 2025 (Thursday)

Daily MCQs – 05 June 2025 (Thursday)

विभिन्न परीक्षाओं में सफलता के लिए व्यापक तथा त्रुटि रहित ज्ञान की आधारभूत भूमिका होती है। अभ्यर्थियों की इसी आवश्यकता को ध्यान में रखे हुए The ExamPillar आपके लिए Daily MCQs प्रोग्राम लेकर आया है।  इस प्रोग्राम के माध्यम से अभ्यर्थियों को राज्य लोकसेवा आयोगों और अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित विभिन्न परीक्षाओं के प्रारूप के अनुरूप वस्तुनिष्ठ अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराये जायेंगे।

Daily MCQs – 05 June 2025 (Thursday)

1. क्रायोस्फीयर में बदलाव से वैश्विक जलवायु पर निम्नलिखित में से कौन-से संभावित प्रभाव हो सकते हैं?
1. अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC) का कमजोर होना और अंटार्कटिक सर्कम्पोलर करंट (ACC) का धीमा होना।

2. पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने में वृद्धि से संभावित रूप से स्थानीय क्षति और वैश्विक पुनःपूर्ति चक्र दोनों का संतुलन बिगड़ सकता है।
3. समुद्री बर्फ की परावर्तक क्षमता में कमी से ध्रुवों पर अधिक गर्मी पड़ने लग सकती है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

Show Answer/Hide

Answer – (D)

  • अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC) का कमजोर होना और अंटार्कटिक सर्कम्पोलर करंट (ACC) का धीमा होना: ध्रुवीय क्षेत्रों से बर्फ पिघलने से महासागरों में ताजे जल का प्रवाह बढ़ता है, जो AMOC और ACC जैसी प्रमुख महासागरीय धाराओं को प्रभावित करता है। यह परिवर्तन महासागरीय ताप वितरण को प्रभावित करते हैं, जिसके कारण वैश्विक जलवायु में व्यापक परिवर्तन होते हैं। इससे यूरोप जैसे कुछ क्षेत्रों में संभावित शीतलन हो सकता है और वैश्विक मौसम के पैटर्न अधिक अनियमित हो सकते हैं।
  • पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से स्थानीय क्षति और वैश्विक पुनःपूर्ति चक्र दोनों का संतुलन बिगड़ सकता है: पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसें मुक्त होती हैं, जो जमी हुई मृदा में संचित होती हैं। इन गैसों के वायुमंडल में प्रवेश करने से ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि होती है। इससे एक फीडबैक लूप बनता है जिससे ग्लोबल वार्मिंग में और बढ़ोतरी होती है। स्थानीय स्तर पर, पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से भूमि अस्थिर हो सकती है, जिससे अवसंरचना और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो सकते हैं।
  • समुद्री बर्फ की परावर्तक क्षमता में कमी से ध्रुवों पर अधिक गर्मी पड़ने लग सकती है: समुद्री बर्फ में उच्च परावर्तक क्षमता (अल्बेडो) होती है, जो सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करने और ध्रुवीय क्षेत्रों को ठंडा रखने में मदद करती है। जब समुद्री बर्फ पिघलती है, तो महासागरीय जल सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आता है जो सूर्य के प्रकाश को अधिक अवशोषित करता है। इससे ध्रुवीय क्षेत्रों में गर्मी बढ़ती है। यह बर्फ के पिघलने और गर्मी बढ़ने से एक फीडबैक लूप बनाता है, जिससे ध्रुवीय पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होते हैं और वैश्विक रूप से समुद्र के जलस्तर में वृद्धि होती है।

 

2. निम्नलिखित में से कौन-सा संवैधानिक प्रावधान मानव तस्करी और जबरन श्रम पर प्रतिबंध से संबंधित है?
(a) अनुच्छेद 19
(b) अनुच्छेद 21
(c) अनुच्छेद 23
(d) अनुच्छेद 25

Show Answer/Hide

Answer – (C)

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 23 स्पष्ट रूप से मानव तस्करी, बेगार (भुगतान के बिना जबरन श्रम) और अन्य प्रकार के जबरन श्रम पर प्रतिबंध लगाता है। यह अनुच्छेद शोषण के खिलाफ एक मौलिक अधिकार के रूप में कार्य करता है, जो व्यक्तियों को उन प्रथाओं से बचाता है जो उनकी स्वतंत्रता और गरिमा को चोट पहुंचाती हैं। राज्य को इस निषेध के किसी भी उल्लंघन को दंडित करने के लिए कानून बनाने का अधिकार प्राप्त है। 

3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. वित्त मंत्रालय द्वारा घरेलू प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैंकों की सूची जारी की जाती है।

2. वैश्विक प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैंक को अतिरिक्त CET1 पूंजी अधिभार को बनाए रखना होता है।
3. बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स वैश्विक प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैंकों की सूची जारी करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही हैं?
(a) केवल एक

(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई नहीं

Show Answer/Hide

Answer – (A)

  • कथन 1: वित्त मंत्रालय द्वारा घरेलू प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैंकों की सूची जारी की जाती है।
    • यह कथन सही नहीं है। भारत में घरेलू प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैंकों (D-SIBs) की सूची भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी की जाती है, न कि वित्त मंत्रालय द्वारा। D-SIBs ऐसे बैंक होते हैं जिनकी विफलता पूरी वित्तीय प्रणाली को प्रभावित कर सकती है और अस्थिरता पैदा कर सकती है। इस कारण इन्हें असफल नहीं होने दिया जा सकता। RBI इन बैंकों से अतिरिक्त पूंजी बनाए रखने की मांग करता है ताकि स्थिरता को बढ़ाया जा सके।
  • कथन 2: वैश्विक प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैंक को अतिरिक्त CET1 पूंजी अधिभार को बनाए रखना होता है।
    • यह कथन सही है। वैश्विक प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैंकों (G-SIBs) को संकट या विफलता के मामले में वैश्विक वित्तीय प्रणाली के लिए जोखिम को कम करने हेतु सबसे अधिक कॉमन इक्विटी टियर-1 (CET-1) पूंजी अधिभार को बनाए रखने की आवश्यकता होती है। यह अतिरिक्त बफर G-SIBs की अनुकूलता में सुधार करता है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट को रोकता है।
  • कथन 3: बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स वैश्विक प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैंकों की सूची जारी करता है।
    • यह कथन सही नहीं है। वैश्विक प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैंकों (G-SIBs) की सूची फाइनेंसियल स्टेबिलिटी बोर्ड (FSB) जारी करता है, न कि बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS)। FSB, बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बेसल समिति (BCBS) के परामर्श करके G-SIB सूची को वार्षिक रूप से अपडेट और प्रकाशित करता है।

 

4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. वे कण जो B–E सांख्यिकी सिद्धांत का पालन करते हैं, उन्हें बोसॉन कहा जाता है, इनका नाम एस. एन. बोस के नाम पर रखा गया है।

2. बोसॉन वे मौलिक कण हैं, जिनके स्पिन के पूर्णांक मान (0, 1, 2, आदि) होते हैं। उदाहरण के लिए फोटॉन, ग्लूऑन, आदि।
3. बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट (BEC) पदार्थ की पांचवी अवस्था है।
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही हैं?
(a) केवल एक

(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई नहीं

Show Answer/Hide

Answer – (C)

  • कथन 1: वे कण जो B–E सांख्यिकी सिद्धांत का पालन करते हैं, उन्हें बोसॉन कहा जाता है, इनका नाम एस. एन. बोस के नाम पर रखा गया है।
    • यह कथन सही है। बोस-आइंस्टीन सांख्यिकी का पालन करने वाले कणों को बोसॉन कहा जाता है। इनका नाम भारतीय भौतिक विज्ञानी सत्येंद्र नाथ बोस के सम्मान में रखा गया है। एस. एन. बोस ने अल्बर्ट आइंस्टीन के साथ मिलकर इस सिद्धांत को विकसित किया था। बोसॉन ‘पाउली के अपवर्जन सिद्धांत’ का पालन नहीं करते, इस वजह से अनेक कण एक ही क्वांटम अवस्था में रह सकते हैं।
  • कथन 2: बोसॉन वे मौलिक कण हैं, जिनके स्पिन के पूर्णांक मान (0, 1, 2, आदि) होते हैं। उदाहरण के लिए फोटॉन, ग्लूऑन, आदि।
    • यह कथन सही है। बोसॉन के पूर्णांक स्पिन मान (0, 1, 2, आदि) होते हैं और वे या तो मूल कण हो सकते हैं, जैसे- फोटॉन (स्पिन 1) और ग्लूऑन (स्पिन 1), या मिश्रित कण हो सकते हैं, जैसे- मेसॉन। यह पूर्णांक स्पिन गुण/ मान उन्हें बोस-आइंस्टीन संघनन जैसे अद्वितीय क्वांटम व्यवहार को प्रदर्शित करने की अनुमति देता है।
  • कथन 3: बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट (BEC) पदार्थ की पांचवीं अवस्था है।
    • यह कथन सही है। बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट (BEC) को ठोस, द्रव, गैस और प्लाज्मा के बाद पदार्थ की पांचवीं अवस्था माना जाता है। बोस और आइंस्टीन द्वारा की गई भविष्यवाणी के अनुसार, BEC परम शून्य के निकट तापमान पर घटित होता है, जहां कण एक ही क्वांटम अवस्था में एकत्रित हो जाते हैं, तथा एक ही क्वांटम इकाई के रूप में व्यवहार करते हैं।

 

5. भारत सरकार की स्वास्तिक (SVASTIK) पहल का उद्देश्य क्या है?
(a) ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना
(b) पारंपरिक ज्ञान की वैज्ञानिक मान्यता को बढ़ावा देना और उनके वैज्ञानिक मूल्य में विश्वास पैदा करना
(c) वैज्ञानिक अनुसंधान में स्वदेशी भाषाओं के उपयोग को प्रोत्साहित करना
(d) विशेष रूप से पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल पद्धतियों को वित्तपोषित करना

Show Answer/Hide

Answer – (D)

SVASTIK पहल का तात्पर्य ‘वैज्ञानिक रूप से मान्य सामाजिक पारंपरिक ज्ञान/ Scientifically Validated Societal Traditional Knowledge’ है। भारत में इसका समन्वय CSIR-NIScPR (वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान) द्वारा किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य पारंपरिक ज्ञान और प्रथाओं को संरक्षित करना तथा परंपराओं की वैज्ञानिक मान्यता को बढ़ावा देना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें उनके वैज्ञानिक मूल्य के लिए पहचाना और सराहा जा सके। SVASTIK के तहत यह भी सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है कि सोशल मीडिया जैसे विभिन्न प्लेटफार्मों के माध्यम से अनेक भाषाओं में इस ज्ञान का प्रसार करके पारंपरिक प्रथाओं में विश्वास पैदा किया जाए।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.

error: Content is protected !!